करोड़ों का राजस्व देने वाली परवाणू सेब मंडी में सुविधाएँ शून्य
प्रदेश के बागवानों को बाहर की मंडियों में लूट से बचाने और उन्हें प्रदेश में ही बेहतर सुविधाएं देने के उद्देश्य से परवाणू में स्थापित सेब टर्मिनल मंडी खास्तालहाल है। प्रदेश सरकार को करोड़ों का राजस्व देने वाली इस मंडी में मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं हैं। विडम्बना हैं कि 90 के दशक में स्थापित हुई इस मंडी में हर सीजन के साथ व्यापार में तो वृद्धि हुई है लेकिन सुविधाओं के मामले में यह मंडी अभी भी तीन दशक पहले की व्यवस्था पर चल रही है। इसका खामियाजा यहां आकर व्यापार करने वाले बागवानों, आढ़तियों, व्यापारियों और मेहनतकश मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है।
परवाणू से मंडी में शनिवार को भी 4000 सेब की पेटियां महाराष्ट्र, केरल, एमपी, व कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में भेजी गई हैं। व्यापारियों का कहना हैं कि मंडी में मूलभूत सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं है जिससे आढ़तियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शौचालयों और स्नानागार तक की सुविधा नहीं
मंडी में शौचालयों और स्नानागार तक की सुविधा भी नहीं है। इसके चलते यहां रोजाना हजारों की तादाद में आने वाले लोगों को मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। सेब सीजन के दौरान लोडिंग अनलोडिंग के लिए आने वाले लगभग 300 मजदूरों के लिए शौचालयों और नहाने तक की सुविधा भी नहीं है। फलस्वरूप मजदूर बाहर में शौच करके स्वच्छता अभियान की धज्ज्यिां उड़ाते हैं।
गेस्ट हाउस की दरकार
परवाणू सेब मंडी में यूपी, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र आदि से व्यापारी बड़ी तादाद में आते हैं लेकिन इनके रहने के लिए न तो कोई गेस्ट हाउस है और न ही कोई सराय तथा किसान भवन।
बारिश में फंस जाते हैं ट्रक
मंडी में ट्रक खड़े करने की जगह कच्ची होने से बारिश के दौरान बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और मिट्टी में अक्सर ट्रकों के पहिये धंस जाते हैं।
सड़क बदहाल
कालका-शिमला रोड से मंडी को जाती सड़क की हालत भी खस्ताहाल है। पिछले सीजन के दौरान भी यहां सेब से लदे कई ट्रक पलट गए थे। लेकिन इस सीजन के दौरान भी हालत जस के तस हैं।