जिस अटल टनल का प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन, जानिए क्या हैं उसकी ख़ास बातें
पहले यह 6 साल में बनने वाली थी ये टनल, पर वक्त 4 साल और बढ़ गया
अटल टनल की नीव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 23 मई, 2002 को रखी थी और बाद में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा जून 2010 को पुनर्निर्मित किया गया। मनाली में अटल रोहतांग का निर्माण कार्य 28 जून 2010 को शुरू हुआ था। उस समय मनाली के उत्तर में 30 किमी दक्षिण पोर्टल पर हिमालय पर्वतमाला के माध्यम से रोहतांग सुरंग की ड्रिलिंग शुरू हुई।
जून 2012 तक, सुरंग की खुदाई 0.56 किमी तक हो चुकी थी पर अगले एक साल में पानी की भारी कमी के कारण अटल सुरंग की खुदाई में थोड़ी ही प्रगति हो पाई। सितम्बर 2014 तक पहुंचते-पहुंचते अटल टनल की आधी खुदाई हो चुकी थी। 2014 में रोहतांग टनल को 5 किलोमीटर तक खोद लिया गया। फिर 13 अक्टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर मिल गए। वह सर्दियों का समय था व रोहतांग दर्रा भारी बर्फबारी और बर्फानी तूफान के कारन बंद था। 22 नवंबर 2017 को फैसला लिया गया की अटल टनल को केवल गंभी स्थितियों में एम्बुलेंस की आवाजाही के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
फिर 2019 में अटल टनल में बस सेवा का ट्रायल शुरू हुआ। 44 यात्रियों को लेकर हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की बस ने दक्षिण पोर्टल से सुरंग में प्रवेश किया और उत्तरी पोर्टल से निकली। लाहौल और स्पीति घाटियों के निवासियों के लिए अगले पांच सर्दियों के महीनों में यह बस सेवा दिन में एक बार चली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2019 को वाजपेयी के जन्मदिन पर उनके सम्मान में इस सुरंग का नाम रोहतांग टनल से बदलकर अटल सुरंग रखा। 3 अक्टूबर 2020, आखिरकार यह टनल बन कर तैयार हो गई और प्रधानमंत्री ने इसे देश को समर्पित कर दिया।
2010 में शुरू हुए इस अटल टनल प्रोजेक्ट की लागत 1,700 रुपये थी जो 2020 तक पहुंचते-पहुंचते 3,200 करोड़ रुपये हो गई।
10,000 फीट से ज्यादा लंबी है अटल सुरंग
यह टनल 10,000 फीट से ज्यादा लंबी है। मनाली से लेह को जोड़ने वाली यह अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। 9.02 किमी की लंबाई पर, सुरंग भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंगों में से एक है और मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी तक कम कर देगी जिससे आवाजाही 4 घंटे के समय की बचत होगी।
क्या है सुरक्षा के उपाय
- इसमें हर 60 मीटर की दूरी पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं और दोनों छोरों पर निगरानी कक्ष भी हैं।
- इतना ही नहीं सुरंग के भीतर हर 500 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी एग्जिट भी बनाए गए हैं।
- एक और सुरक्षा विशेषता यह है कि सुरंग के अंदर आग को 200 मीटर के क्षेत्र में नियंत्रित किया जाएगा।
- किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए इसमें फायर हाइड्रेंट लगाए गए हैं।
- इसमें दोनों ओर 1-1 मीटर के फुटपाथ भी बनाए गए हैं।
- सुरंग में आपातकालीन स्थितियों में एक महत्वपूर्ण घोषणा करने के लिए एक सार्वजनिक घोषणा प्रणाली भी है, जिसके लिए नियमित दूरी पर लाउडस्पीकर लगाए गए है।