एक पांचवीं फेल का अरबपति बनने तक का सफर
MDH सिर्फ एक नाम नहीं हैं ये भारत के स्वाद की पहचान है। सालों से MDH का चेहरा महाशय धर्मपाल गुलाटी आज इस दुनिया को छोड़ कर चले गए हैं। उनके निधन से पूरा देश शोकाकुल है। आजादी के बाद भारत में वह शरणार्थी के रूप में आए थे और पिछले साल वह आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच 2020 की सूची में शामिल भारत के सबसे बुजुर्ग अमीर शख्स थे। उनका सफलता की ऊंचाइयों का सफर बहुत ही दिलचस्प है।
MDH की शुअरुआत पाकिस्तान के सियालकोट में साल 1922 में एक छोटी सी दुकान से हुई। उनके पिता एमडीएच के संस्थापक महाशय चुन्नी लाल गुलाटी थे। महाशय धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट में हुआ था। साल 1933 में, उन्होंने 5वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ दी और दुकान में अपने पिता का हाथ बटाना शुरू कर दिया। फिर जब 1947 में देश का विभाजन हुआ, धर्मपाल गुलाटी परिवार सहित पाकिस्तान से भारत चले आए। परिवार ने कुछ समय अमृतसर में एक शरणार्थी शिविर में बिताया था, फिर काम की तलाश में वह दिल्ली आ गए थे। दिल्ली में परिवार का पेट पालना आसान नहीं था। कहा जाता है, जब वह भारत आए थे उस समय उनके पास केवल 1500 रुपए ही बचे थे। उन पैसों से उन्होंने 650 रूपए में घोड़ा और तांगा खरीदकर रेलवे स्टेशन पर चलाना शुरू किया। जब उन्होंने दुकान खोलने के लिए पर्याप्त पैसे बचा लिए तो उन्होंने तांगा अपने भाई को दे दिया और खुद करोलबाग की अजमल खां रोड पर मसाले बेचना शुरू कर दिया। धर्मपाल के मसाले की दुकान के बारे में जब लोगों को यह पता चला कि सियालकोट के देगी मिर्च वाले अब दिल्ली में हैं, उनका कारोबार फैलता चला गया। बता दें सियालकोट में महाशियन दी हट्टी नाम से उनका पारिवारिक कारोबार, देगी मिर्च वाले के नाम से भी मशहूर था। फिर 1953 में उन्होंने तांगा बेचकर चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ले ली। इस दुकान का नाम उन्होंने महाशिया दी हट्टी (एमडीएच) रखा था।
1959, गुलाटी परिवार ने राजधानी दिल्ली के कीर्ति नगर में मसालों की सबसे पहली फैक्ट्री खोली। इसके बाद उन्होंने करोल बाग में अजमल खां रोड पर ऐसी ही एक और फैक्ट्री डाली। 60 के दशक में एमडीएच करोल बाग में मसालों की मशहूर दुकान बन चुकी थी। यहां से इनका बिजनेस बढ़ने लगा था। धीरे-धीरे धर्मपाल गुलाटी के मसाले लोगों को इतने पसंद आने लगे कि इनका निर्यात दुनियाभर में होने लगा। आज यह 100 से भी अधिक देशों में इस्तेमाल किया जाता है।
5400 करोड़ की संपत्ति के साथ धर्मपाल गुलाटी आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच 2020 की सूची में शामिल भारत के सबसे बुजुर्ग अमीर शख्स थे। इस सूची में उन्हें 216 वें स्थान पर रखा गया था। 25 करोड़ का वेतन पाने वाले धर्मपाल गुलाटी यूरोमॉनिटर के मुताबिक एफएमसीजी सेक्टर में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ बन चुके थे। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह बहुत सक्रिय थे और हर दिन एमडीएच के कारखाने, बाजार और डीलर के पास हर रोज जाते थे।