बेबाक भंडारी: ब्यूरोक्रेसी काबू में नहीं, सीएम के सामने अधिकारी लड़ते है, इससे बदतर हाल क्या होगा

प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी कांग्रेस का उभरता हुआ चेहरा है। बेशक भंडारी का राजनैतिक सफर अब तक छोटा है लेकिन जानकारों को उनमें समझ भी दिखती है और नपी तुली भाषा और आक्रामकता का मिश्रण उन्हें भीड़ से इतर भी करता है। निगम भंडारी मंडी संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते है और मंडी संसदीय उप चुनाव के लिए उनका नाम चर्चा में है। हालांकि पार्टी के एक गुट विशेष के अधिक नजदीक होना भंडारी की राह में रोड़ा भी बन सकता है। इन दिनों निगम भंडारी हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं रद्द करवाने के मुद्दे पर चर्चा में है। भंडारी प्रदेश सरकार पर लगातार हमलावर है। मंडी संसदीय उप चुनाव, छात्रों की परीक्षाएं और ज़िलों में युवा कांग्रेस की खस्ता स्तिथि को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने निगम भंडारी से विशेष चर्चा की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश ...
सवाल : मंडी लोकसभा के लिए उपचुनाव होने है और आपके समर्थक लगातार आपके लिए टिकट मांग रहे है, आपका क्या इरादा है ? क्या आप ये चुनाव लड़ने के लिए तैयार है ?
जवाब : मंडी लोकसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सहप्रभारी संजय दत्त हिमाचल में 6 दिन का दौरा करके गए है। उस दौरे के दौरान उन्होंने ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों के साथ भेट की, कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैठकें की। खासतौर पर मंडी लोकसभा के सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ मंथन किया और अब 6 जुलाई से उनका एक और दौरा प्रस्तावित है। कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जहाँ कोई भी कार्यकर्त्ता छोटा या बड़ा नहीं होता, सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, चाहे फिर वो मैं हूँ या कोई भी अन्य कार्यकर्त्ता। कोई भी ऐसा कार्यकर्त्ता जिसने पार्टी को मज़बूत करने का काम किया हो उसे पूरा हक़ है की वो शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी बात रखे। बाकि चुनाव किसको लड़वाना है किसको नहीं, ये तो हाईकमान को ही तय करना है। युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं आपको बताना चाहूंगा की युवा कांग्रेस के कार्यकर्त्ता मंडी लोकसभा उपचुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है, सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में हमारे कार्यकर्ता फील्ड पर है। जिस तरह से नगर निगम के चुनाव में युवा कांग्रेस ने कार्य किया है उसी निष्ठां और जोश के साथ हम इस उपचुनाव में भी काम करेंगे।
सवाल : ये तो बड़ा नपा तुला सा जवाब दिया है आपने, सीधे तौर पर बताएं कि अगर आलाकमान का आशीर्वाद मिलता है तो क्या आप चुनाव लड़ेंगे ?
जवाब : जी अगर हाईकमान चाहेगी कि इस बार किसी युवा नेता को मौका दिया जाना चाहिए तो बिलकुल इसके लिए हम पूरी तरह से तैयार है। मैं भी तैयार हूँ और युवा कांग्रेस भी पूरी तरह तैयार है।
सवाल : आप लगातार कह रहे है की युवा कांग्रेस तैयार है, लेकिन ऐसा देखा जा रहा है की युकां का एक गुट आपके लिए टिकट मांग रहा है तो दूसरा गुट यदुपति ठाकुर का नाम आगे कर रहा है। ऐसे में जब युवा कांग्रेस एकजुट ही नहीं दिख रही तो किस तैयारी की बात कर रहे है आप ?
जवाब : देखिये जैसा की मैंने आपको बताया की कांग्रेस में टिकट मांगने का हक़ सभी को है। अगर किसी कार्यकर्त्ता ने पार्टी को मज़बूत करने के लिए काम किया है और वो टिकट मांग रहा है तो मुझे नहीं लगता की वो गलत है। अभी तो सभी टिकट मांग रहे है लेकिन जैसे ही टिकट का आवंटन हो जाता है तो कांग्रेस एकजुट दिखेगी।
सवाल : जबसे आपने युंका की कमान संभाली है तब से युंका प्रदेश स्तर पर एक्टिव दिख रही मगर जिलों में अब भी हाल खराब है। युवा कांग्रेस को जिला स्तर पर सशक्त करने के लिए आपका क्या प्लान है?
जवाब : ऐसा नहीं है, मुझसे पहले भी युवा कांग्रेस काफी सशक्त थी। मुझसे पहले मनीष ठाकुर जी और विक्रमादित्य सिंह जी भी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके है। मनीष ठाकुर जी के नेतृत्व में युवा कांग्रेस ने बहुत बेहतरीन काम किये है। कोरोना काल के दौरान युवा कांग्रेस एक मात्र ऐसा संगठन था जिसने हर ज़रूरतमंद की मदद की। कोरोना काल में हमारे शिमला के कार्यालय में तीन महीने तक फ़ूड बैंक चलाया गया। अब जो मुझे ये मौका मिला है और मेरे जैसे कई कार्यकर्त्ता जो चुनाव के जरिये पदाधिकारी बने है, हम सभी युवा कांग्रेस को और अधिक मज़बूत करने की कोशिश करेंगे। ये मेरा सौभाग्य है की मुझ जैसा आम आदमी युंका का अध्यक्ष बना और अब मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी निष्ठां से निभाउंगा।
सवाल : आप लगातार सोशल मीडिया पर कॉलेज के छात्रों के परीक्षाओं का मुद्दा उठा रहे है, आपसे जानना चाहेंगे की आपको क्यों लगता है की हिमाचल में कॉलेज के छात्रों की परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए ?
जवाब : जी हां. बिलकुल मेरा मानना है की हिमाचल में छात्रों की ऑफ लाइन परीक्षाएं फिलहाल नहीं होनी चाहिए। सरकार ने एक तरफ 12वीं और 10वीं के छात्रों को प्रमोट किया है तो फिर कॉलेज के छात्रों को क्यों नहीं। कॉलेज के छात्र लगातार ये ही सवाल कर रहे है की सरकार के ये दोहरे मापदंड क्यों ? स्कूल के बच्चों में और कॉलेज के बच्चों में सिर्फ एक साल का फर्क है तो फिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। कॉलेज के कई ऐसे छात्र है जिनकी उम्र 17 से 18 साल है। छात्रों के अभिभावक भी इस बात से बहुत ज्यादा परेशान है। ये युथ कांग्रेस या NSUI का मुद्दा नहीं बल्कि एक आम छात्र का मुद्दा है। हिमाचल प्रदेश में 3 हज़ार से ज्यादा मौते हुई है और सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों की कोई भी सहायता नहीं की जा रही। ज्यादातर छात्रों का मानना है कि सरकार द्वारा लिया गया ये फैसला गलत है, सरकार को ये फैसला वापिस लेना ही होगा। छात्रों की मांग है की फर्स्ट और सेकंड ईयर वाले छात्रों को प्रमोट किया जाना चाहिए जबकि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं ऑफलाइन करवाई जाए। सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चे लगातार हमें ये बता रहे है की कोरोना काल में उनकी कक्षाएं ऑनलाइन हुई है। हिमाचल के कई ऐसे दुर्गम क्षेत्र है जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं। उन क्षेत्रों के बच्चों की पढाई बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कई बच्चों का सिलेबस भी पूरा नहीं है तो बच्चे कैसे परीक्षाएं दे सकते है। कई बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है और इसीलिए वे चिंतित है कि ऑफलाइन एग्जाम सेण्टर में आखिर जाए कैसे। अगर कोई बच्चा संक्रमित हो जाए तो फिर कौन ज़िम्मेदार है। बच्चों का कहना है की अगर हम ज़िंदा रहेंगे तभी तो पढ़ाई कर पाएंगे, इसीलिए जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। साथ ही हमारी एक और मांग ये भी है की जिन बच्चों ने कोरोना काल के चलते अपने परिजनों को खोया है उनकी फीस माफ़ की जानी चाहिए।
सवाल : अगर परीक्षाएं देने जा रहे छात्रों की जान खतरे में है तो जो एमबीबीएस और नर्सिंग के छात्र जो कोरोना वार्ड में ड्यूटी दे रहे है, क्या उनकी जान खतरे में नहीं है ? उनके लिए आपने कुछ क्यों नहीं किया ?
जवाब : जी हाँ ये बिलकुल सही है और हम भी केवल एचपीयू के छात्रों की ही परीक्षाओं को रद्द करने की बात नहीं कर रहे, बल्कि सभी छात्रों की आवाज़ उठा रहे है। एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है की 7 से 8 हफ़्तों में देश में कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे में बच्चों के एग्जाम करवाना बिलकुल भी ठीक नहीं है। पोस्ट कोवीड भी इतनी बीमारियां अब सामने आ चुकी है तो बच्चे असुरक्षित है। हमने स्कॉलर बच्चों से भी बात की है और आम छात्रों से भी। 90 फीसदी छात्र चाहते है की उनको प्रमोट किया जाए।
सवाल: आपका कहना है की कोवीड काल में कॉलेज के छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो पाई उनका सिलेबस पूरा नहीं है, ये मिड्डा आपने पहले क्यों नहीं उठाया ?
जवाब : जी हमने और भारतीय राष्ट्रिय छात्र संगठन ने लगातार इस मुद्दे को उठाया है। सरकार के समक्ष हम कई बार इस मुद्दे को रख चुके है लेकिन सरकार को छात्रों की पढ़ाई से कोई फर्क नहीं पड़ता। हिमाचल के अधिकतम क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है और यही कारण है की यहां के लोग वक्सीनशन स्लॉट भी ठीक से बुक नहीं कर पा रहे थे। बाहर के लोगों ने हिमाचल में आकर वैक्सीन लगवाई। पुरे साल बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, पुरे साल वो ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाए। जब क्लास रूम में बच्चों को एक चीज़ 10 बार समझनी पड़ती है तो ऑनलाइन माध्यम से बच्चे कैसे समझेंगे। अगर सरकार अभी परीक्षाएं करवाती है और खुदा न खस्ता किसी बच्चे को कुछ हो जाए, बच्चों की परीक्षाएं अगर अच्छी न हो कोई सुसाइड कर ले, तो फिर क्या करेगी सरकार। क्या सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेगी।
सवाल : क्या आप कहना चाह रहे है की अगर परीक्षाएं हुई तो छात्र सुसाइड करेंगे ?
जवाब : देखिये हिमाचल प्रदेश में बेरोज़गारी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि प्रति वर्ष 2 करोड़ रोज़गार देंगे, मतलब अब तक 14 करोड़ लोगों को रोज़गार मिलना चाहिए था। मगर मिला किसी को भी नहीं। युवाओं को लगा की हम अगर भाजपा को वोट देंगे तो हमें नौकरी मिल जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बल्कि जो हिमाचल के लोग बाहर नौकरी कर रहे थे कोरोना काल के दौरान उनकी भी नौकरी चली गई। एक तरफ कोरोना, एक तरफ बेरोज़गारी और बढ़ती महंगाई, आज युवा चारों तरफ से घिरे हुए है। कोई भी व्यक्ति आत्महत्या तब करता है जब वो चारों तरफ से फंस चूका हो और हिमाचल में फिलहाल स्थिति कुछ ऐसी ही है। ऐसे वक्त में बच्चों के ऊपर परीक्षाओं का दबाव डालना बिलकुल भी सही नहीं है । जब पढाई ही नहीं हुई तो परीक्षाएं किस बात की।
सवाल : अगर हिमाचल प्रदेश सरकार परीक्षाएं रद्द नहीं करती है तो फिर आपका अगला एक्शन क्या होगा ?
जवाब : देखिये पुरे प्रदेश से जिस तरह की प्रतिक्रिया आ रही है, मुझे पूरी उम्मीद है की हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री छात्रों की बात सुनेंगे और परीक्षाएं रद्द करवाएंगे। अधिकतम बच्चों की यही मांग है। छात्र ये कह चुके है की यदि हिमाचल सरकार हमारी बात नहीं मानती तो 2022 में इसका जवाब देंगे। सरकार अपने कार्यकाल में कई बार अपने फैसलों को बदल चुकी है। यु टर्न लेना इस सरकार की फितरत ही है, तो एक बार और सही। अगर सरकार नहीं मानती है तो युवा कांग्रेस को न चाहते हुए भी सड़कों पर उतरना होगा और ये मुद्दा एक आंदोलन का रूप लेगा।
सवाल : सरकार के साढ़े तीन साल को आप किस तरह देखते है ?
जवाब : हिमाचल प्रदेश की जनता ने जिस भरोसे के साथ भाजपा को प्रदेश की सत्ता पर बिठाया, सरकार ने आज वो भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया है। इस सरकार ने प्रदेश की जनता के लिए कुछ भी नहीं किया है। जयराम सरकार पूरी तरह फेल है। सरकार के विकास कार्यों को तीन चीज़ों से आँका जा सकता है, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा। हिमाचल में सड़कों के कुछ ऐसा हाल है की जब मंत्री जी आते है तो सड़कों में पड़े गड्ढों को मिटटी से भर दिया जाता है और मंत्री जी के जाते ही वो गड्ढे फिर सामने आ जाते है। स्वास्थ्य की पोल भी कोरोना के दौरान खुल गई है और शिक्षा की स्थिति भी कुछ ऐसे ही है। ब्यूरोक्रेसी भी जयराम सरकार के काबू में नहीं है। बीते दिनों एसपी कुल्लू और मुख्यमंत्री के सिक्योरिटी अधिकारी के बीच में हुई झड़प ही इसका सबसे बड़ा उदहारण है। मुख्यमंत्री जयराम के सामने ही अधिकारी आपस में लड़ जाते है, मंत्री अधिकारीयों से बहस करते है, तो आप समझ ही सकते है कि इस सरकार की स्थिति कितनी खराब है। इससे बदतर हाल क्या हो सकता है।