मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मुझसे डर है : कौल सिंह
"मैं देख रहा हूं कि जयराम सरकार व वे खुद मेरे विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर मेरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं जो तथ्यों से परे है निराधार है। हकीकत तो यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मुझसे डर है। उन्हें डर है कि कहीं मैं कांग्रेस की तरफ से सीएम पद का उम्मीदवार न बन जाऊं कांग्रेस के पास हिमाचल में योग्य नेताओं की कोई कमी नहीं है। आशा कुमारी ,सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री जैसे कई चेहरे है, सब वरिष्ठ है और कद्दावर भी। पहले सबका एक ही लक्ष्य है कि 2022 में पार्टी को सत्ता में लाया जाए। "
ठाकुर कौल सिंह का नाम प्रदेश की सियासत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। 8 बार विधायक रहे कौल सिंह ठाकुर प्रदेश में तीन बार कैबिनेट मंत्री भी रहे है और एक बार विधानसभा स्पीकर का पद उन्होंने संभाला है। 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चर्चा में था, हालांकि तब वीरभद्र सिंह के वापस प्रदेश की सियासत में लौटने से सीएम की कुर्सी तक वे नहीं पहुंच पाए। अब वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस से कई नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे है, जिनमें ठाकुर कौल सिंह भी शामिल है। कौल सिंह वरिष्ठ नेता तो है ही, उनकी जमीनी पकड़ पर भी कोई संशय नहीं है। जनता से उनका सीधा जुड़ाव और सियासत की गहन समझ के बुते कौल सिंह ठाकुर का दावा निसंदेह मजबूत है। बेशक खुद कौल सिंह ठाकुर सीधे तौर पर अपना दावा नहीं जता रहे लेकिन उनके समर्थक फ्रंट फुट पर दिख रहे है। उनकी लगातार बढ़ती सक्रियता न सिर्फ भाजपा के लिए परेशानी का सबब है बल्कि कांग्रेस के भीतर उनके विरोधियों के लिए भी सीधा सन्देश है कि 2022 में ठाकुर कौल सिंह का दावा मजबूत होने वाला है। प्रदेश की राजनीति और कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने ठाकुर कौल सिंह से विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश ....
सवाल : वर्तमान परिवेश में आप हिमाचल की राजनीति को किस तरह देखते हैं?
जवाब : हिमाचल प्रदेश की राजनीति में व्यापक बदलाव आया है। मैं पिछले करीब 50 सालों से हिमाचल की राजनीति में सक्रिय हूं, जिसमें मैंने 8 बार चुनाव लड़े हैं। 80-90 के दशक की राजनीति में काफी अंतर था लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं। मतदाता राजनीतिज्ञ से ज्यादा एक्टिव है। वह हर चीज का मूल्यांकन करता है, हर विषय को गंभीरता से सोचता है। उसके बाद ही मतदान करता है। हिमाचल का वोटर पढ़ा लिखा वोटर है, ऐसे में सोच समझकर ही अपने नेताओं को चुनाव करता हैं। एक समय था जब व्यक्ति विशेष के नाम पर ही मतदान किया जाता था, लेकिन अब आदमी की पहचान और उसका काम भी देखा जाता है।
सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बाद हिमाचल में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा ?
जवाब : इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिमाचल में कांग्रेस की पहचान बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने काफी अहम भूमिका अदा की है या यूं कहा जाए कि हिमाचल में कांग्रेस का दूसरा नाम ही वीरभद्र सिंह था। उनके जाने के बाद पार्टी का चेहरा कौन होगा यह पार्टी हाईकमान तय करेगी।
सवाल : मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में आपका नाम भी है, इसमें कितनी सचाई है ? क्या हिमाचल की कमान संभालने के लिए आप तैयार हैं ?
जवाब : ये बिलकुल सही है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी को हिमाचल प्रदेश में चेहरे की तलाश है। वरिष्ठता के आधार पर मेरा नाम भी चर्चा में है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ मंत्री मैं ही हूं। मैं 8 बार विधानसभा पहुंचा हूं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 9 बार विधानसभा पहुंचे थे। अगर पार्टी हाईकमान और संगठन मुझे हिमाचल की कमान सौंपता है तो मैं उस निर्णय का भी स्वागत करूंगा और इसके लिए मैं पूरी तरह तैयार भी हूं। पर फिलहाल हिमाचल में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा, इसका निर्णय पार्टी हाईकमान को करना है। पहला लक्ष्य अगले साल सत्ता में वापस लौटना है, फिर विधायक दल की राय से पार्टी आलाकमान ही मुख्यमंत्री का निर्णय करेगा। कांग्रेस के पास हिमाचल में योग्य नेताओं की कोई कमी नहीं है।आशा कुमारी ,सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री जैसे कई चेहरे है, सब वरिष्ठ है और कद्दावर भी। बहरहाल पहले सबका एक ही लक्ष्य है कि 2022 में पार्टी को सत्ता में लाया जाए ताकि प्रदेश का विकास फिर पटरी पर लौटे।
सवाल : भाजपा के निशाने पर आप विशेष तौर पर दिखते है, क्या कारण है?
जवाब : पिछले लंबे समय से मैं देख रहा हूं कि जयराम सरकार व वे खुद मेरे विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर मेरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं जो तथ्यों से परे है निराधार है। जयराम सरकार को उनके सहयोगी मंत्रियों को मेरे एक्टिव होने से दिक्कत होने लगी है। मुख्यमंत्री द्वारा मेरी ही विधानसभा में पहुंच कर मेरे खिलाफ टीका टिप्पणी की जाती है। साथ ही यह कहा जाता है कि मेरे खिलाफ कुछ सुबूत उनके पास है। ऐसे में मैं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चुनौती देता हूं कि अगर मेरे खिलाफ उनके पास किसी भी चीज को लेकर सुबूत है तो वे उन सबूतों को सार्वजनिक करें और मैं उन्हें यह अधिकार देता हूं कि मेरे खिलाफ न्यायालय में मामला दर्ज करवाएं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मैं कई मंचों से यह कह चुका हूं हिम्मत है तो एक मंच पर आए और मेरे साथ विकास के मुद्दों पर चर्चा कर के दिखाएं। हकीकत तो यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मुझसे डर है। यही कारण है कि वह अपने कई मंत्रियों व खुद मेरी विधानसभा में पिछले लंबे समय से मेरे खिलाफ प्रचार करने में डटे हुए हैं। उन्हें डर है कि कहीं मैं कांग्रेस की तरफ से सीएम पद का उम्मीदवार न बन जाऊं।
सवाल : भाजपा की चार्जशीट में आपके खिलाफ तीन आरोप है और ये कितने सही है?
जवाब : भाजपा सरकार ने मेरे खिलाफ 3 आरोप लगाए थे। इनमें पहला आरोप जो उनकी चार्जशीट में हैं उसमें आईजीएमसी शिमला में ऑक्सीजन प्लांट को लेकर है। ऐसे में मैं यह जयराम सरकार से पूछना चाहता हूं कि अगर मैं इस प्लांट का निर्माण नहीं करवाता तो कोरोना काल में लोगों की जानें क्या बच पाती। इस ऑक्सीजन प्लांट की वजह से ही कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध हो पाई। क्या मैंने इसे स्थापित करवा कर गलत किया। मेरे खिलाफ दूसरा आरोप चार्जशीट में लगाया गया है कि मैंने 8000 आशा वर्कर्स की तैनाती करवाई। अब मैं यह जानना चाहता हूं कि जरूरतमंद महिलाओं को नौकरी पर लगाना क्या गलत है। वर्तमान समय में जिस तरह से हम सभी कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं उस दौर में आशा वर्कर्स की भूमिका भी काफी अहम मानी गई है। ऐसे में इस बात का निर्णय जनता को ही तय करने दीजिए। मुझ पर तीसरा आरोप एसआरएल लैब को 24 घंटे खुली रखने व दामों को तय करने को लेकर लगाया गया है। क्या अस्पताल में आने वाले मरीजों को 24 घंटे सस्ते टेस्ट करवाने की सुविधा उपलब्ध करवाना गलत है। आज हजारों लोग प्राइवेट लैब में न जाकर एसआरएल लैब में टेस्ट करवा कर इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं।
सवाल : अभी हाल ही में लाहुल घाटी का आपने दौरा किया, किस तरह देखते हैं आप इसको और घाटी विकास करवा पाई है जयराम सरकार?
जवाब : मुझे इस बात का दुख है कि प्रदेश के सबसे बड़े दुर्गम जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में जयराम सरकार विकास करवाने में पूरी तरह असफल रही है। घाटी में न तो स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो पाई है और न ही यहां अस्पतालों में विशेषज्ञों की तैनाती जयराम सरकार कर पाई है।यही नहीं लाहौल स्पीति के अधिकतर क्षेत्रों में तो मोबाइल नेटवर्क तक उपलब्ध नहीं है। सड़कों की हालत भी यहां काफी खस्ता है। जहां सरकार को प्राथमिकता के आधार पर इस जनजाति जिला में विकास की नई इबारत लिखनी चाहिए थी वहीं जयराम सरकार ने लाहौल स्पीति में नाममात्र का काम किया है।