देहरा: पीएम केंद्रीय विद्यालय नलेटी में पोक्सो एक्ट पर कार्यशाला आयोजित
पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय नलेटी में पोक्सो एक्ट व जेंडर सेंसटाईजेशन पर बच्चों को डॉ. श्वेता ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण करने के लिए पॉक्सो एक्ट वर्ष 2012 में बनाया गया है। पॉक्सो एक्ट के तहत सभी अपराधों की सुनवाई एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता-पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी मौजूदगी में करने का प्रवधान है। 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में मौत की सजा और 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चियों से रेप करने पर 20 साल की सजा का प्रवधान है। डॉ श्वेता ने बताया कि जहां दोषी व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा का प्रवधान है वहीं पॉक्सो पीड़िता को भी कुछ सुविधा उपलब्ध करवाई गई है जैसे, पॉक्सो पीड़िता को इसके तहत चार हजार रूपए प्रति माह आर्थिक मदद दी जाती है, पीड़िता को आवास, खाना, शिक्षा, मेडिकल व कानूनी सहायता के साथ बुनियादी सुविधाएं भी निशुल्क 23 वर्ष की उम्र तक कराई जाती है।
डॉ श्वेता ने बताया कि पॉक्सो एक्ट के तहत 18 वर्ष से कम उम्र वाले सभी को बच्चा माना गया है। यहां बच्चा से तात्पर्य है लड़का एवं लड़की दोनों पाक्सों एक्ट का पूरा नाम प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है। पॉक्सो एक्ट से बचने का कोई उपाय नहीं है, लेकिन अगर ये साबित होता है कि पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है तो ही इस अधिनियम को हटाया जा सकता है। कार्यशाला में बच्चों को विशेष रूप से बताया गया हैं कि महिला और बच्चों से जुड़े अपराधों में संवेदनशीलता और नए कानूनी प्रावधानों की व्याख्या पर जोर दिया गया हैं । कानून के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। यह जरूरी है कि हम एक-दूसरे से सीखें। इस मौके पर केंद्रीय विद्यालय नलेटी के प्राचार्य सतनाम सिंह मौजूद रहे। उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ श्वेता का धन्यवाद किया और अंत में उन्होंने बच्चों से कहा कि वे कानूनी विषयों के हर पहलू का गहराई से अध्ययन करें। ये बदलाव समाज में एक नई दिशा देंगे।