सब्जी उत्पादन पर उन्नत संकाय प्रशिक्षण का समापन

डॉ. वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन के तहत सतत सब्जी उत्पादन के लिए अभिनव हस्तक्षेप पर 21 दिवसीय उन्नत संकाय प्रशिक्षण का सोमवार कोसमापन हुआ। यह आयोजन विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के उन्नत संकाय प्रशिक्षण केंद्र द्वारा किया गया।इस केंद्र को वर्ष 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा सब्जी फसल सुधार और उत्पादन प्रौद्योगिकी में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और आईसीएआर संस्थानों के संकाय और वैज्ञानिकों के कौशल के उन्नयन के लिए स्वीकृत किया गया था समापन समारोह में केंद्र के निदेशक डॉ एके शर्मा ने बताया कि इस केंद्र की स्थापना के बाद से सब्जियों के विभिन्न अनुसंधान और विकास पहलुओं पर 28 उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और देश भर के 600 से अधिक युवा वैज्ञानिकों को इसमें प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह प्रशिक्षण इस श्रृंखला का 29वां प्रशिक्षण है। इस वर्ष महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और पश्चिम बंगाल के 25 वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण में भाग लिया। इस अवसर पर डॉ शर्मा ने पिछले एक साल में दुनिया में हुई चरम जलवायु घटनाओं और उनके प्रभाव के बारे में बताया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने अपने संबोधन में विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई है लेकिन आने वाले समय में बढ़ती जनसंख्या के लिए उत्पादन को बनाए रखना एक चुनौती होगा। डॉ कौशल ने वेजीटेबल ब्रीडरों से नई किस्मों को विकसित करने का आह्वान कियाजो जलवायु परिवर्तन के प्रतिरोधी हो। कुपोषण और वैश्विक भूख सूचकांक के मुद्दे पर बोलते हुएउन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों के लिए अभिनव समाधानढूँढने होगेंजो इन मुद्दों से निपटने में मदद कर सकते हैं। इस वर्ष के कार्यक्रम को जलवायु परिवर्तन का एक विस्तृत विवरण देने के लिए तैयार किया गया था। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों समेत देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने बदलती जलवायु परिदृश्य के तहत सब्जियों की खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों परव्याख्यानदिएजिनमेंआईसीएआर-आईआईवीआर वाराणसीके डॉ सुधाकर पांडे,पीएयू लुधियानाकेडॉ एएस धट्ट, आईएआरआईनई दिल्लीके डॉ बीएस तोमरऔर कृषि विवि पालमपुरके डॉ अखिलेश शर्माप्रमुख रहे। प्रतिभागियों को डीएमआर चंबाघाट, शिमला मेंसीपीआरआई और एनबीपीजीआर, और विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र कंडाघाट और आरएचआरटीएस मशोबरा में जाने का मौका भी मिला। उन्होंने चायल और सपरून घाटी के प्रगतिशील किसानों के साथ बातचीत भी की। इस अवसर पर निदेशक अनुसंधान डॉ. जेएन शर्मा, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ राकेश गुप्ता, डीन वानिकी महाविद्यालय डॉ. कुलवंत राय, छात्र कल्याण अधिकारी डॉ पीके महाजन, वित्त नियंत्रक एचएम वर्मा, सभी विभागों के एचओडी और वैज्ञानिक उपस्थित रहे।