स्कूल विद्यार्थी बनेगें टीबी योद्धा, क्षय रोग पर फैलाएगें जागरूकता
पर्यावरण उत्थान से टीबी अन्मूलन’ निक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत राजकीय वरिष्ठ कन्या माध्यमिक पाठशाला सोलन में ‘टीबी अन्मूलन व पर्यावरण संरक्षण’ पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। स्कूल के प्रिंसिपल डॉ अनिता कौशल ने शिविर का शुभारम्भ करते हुए जिला टीबी केन्द्र अधिकारी डॉ अजय सिंह का परिचय स्कूल के इको क्लब,एन.सी.सी., एन.एस.एस. की छात्राओं से करवाया। इस शिविर में लगभग 200 विद्यार्थी प्रतिभागी रहे।
इस अवसर पर डॉ अजय सिंह ने क्षय रोग (टीबी) के लक्षणों पर मंथन किया और विद्यार्थियों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में टीबी बीमारी की पहचान कैसे करें, व इसके इलाज के अनेकों पहलू क्या हैं पर क्रमबद्ध तरीके से सजग किया। अब आगामी समय में स्कूल में विभिन्न पंचायतों की छात्राएं अपने-अपने रिहायशी इलाके में, टीबी की रोकथाम के लिए प्रचार और प्रयास करेंगी। यह विद्यार्थी जो इको क्लब, एन.सी.सी व एन.एस.एस. के तहत अनेकों सामाजिक कार्य करते हैं, अब टीबी योद्धा के रुप में राज्य को वर्ष 2021 तक टीबी मुक्त बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगें।
डॉ सिंह ने बताया कि इसके तहत टीबी के मरीज को प्रतिमाह इलाज के लिए दौरान 500 रु. की धनराशि दी जाती है। डॉ सिंह, जो की एक पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट है ने बताया कि इस योजना का मूल आधार, टीबी के इलाज के दौरान, अच्छी खुराक का सेवन करने से है। डॉ सिंह ने बताया कि हर वर्ष हिमाचल प्रदेश में टीबी से कई लोगों की मृत्यु होती है और लगभग 550 बिगड़े हुई टीबी के मामले प्रदेश में मौजूद है। टीबी अन्मूलन में स्वच्छ पर्यावरण की अहम भूमिका होती है। टीबी के मरीज के घर व कार्यक्षेत्र में हमेशा स्वच्छ हवा के चलन का प्रावधान होना चाहिए और बड़े आकार के रोशनदान अनिवार्य हैं। आसपास कूड़ा नहीं जलाना चाहिए और घरों में खाना बनाने हेतु चुल्हे में लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नौणी विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सतीष भारद्वाज ने अपने संदेश में स्कूल की छात्राओं व इको क्लब इन्चार्ज हिताषी शर्मा से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय की मदद से स्कूल व विभिन्न पंचायतों में ऐसे पौधे लगवाएं जो हवा को शुद्ध बनाते हैं। विभाग ने गत एक वर्ष से कुछ ऐसे पौधों की पहचान कर जिला के कुछ क्षेत्रों व टीबी मरीजों के घरों में भी लगवाएं हैं