अब हिमाचल में भी होगी जैक फ्रूट की खेती
भारत वर्ष में ‘कटहल’ की खेती अनिवार्य होगी। हिमाचल में भी 500 करोड़ के बागबानी प्रोजेक्ट में कटहल की खेती को शामिल करने की योजना पर व्यापक मंथन चल पड़ा है। देश व प्रदेश में किसानों की आय को दो गुना करने की राष्ट्रीय महत्त्वाकांक्षी योजना को कटहल फल की मार्फत त्वरित गति से पूरा करने का खाका तैयार किया जा रहा है। बागबानी विशेषज्ञों ने कटहल की खेती के व्यावसायिक प्रयोग पर अपने अनुसंधानित विचार सरकार को प्रेषित किए हैं। पद्मश्री से सम्मानित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष केएल चड्डा के नेतृत्व में गठित राष्ट्र स्तरीय छह सदस्यीय कमेटी ने भी कटहल की खेती से किसानों की पैदावार को डबल करने के सुझाव लोकसभा की कमेटी को दिए हैं।
वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक
बागबानी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक देश के सभी 29 प्रदेशों में कटहल फल को उगाया जाता है। किसी राज्य में इसकी बहुतायत में पैदावार होती है तो किसी प्रदेश में शौकिया तौर पर इस फल को उगाया जाता है। कटहल किसी भी प्रकार की मिट्टी व जलवायु में 4500 फुट की ऊंचाई में उगाया जा सकता है। देश में 29 में से सिर्फ ओडिशा व तमिलनाडु में ही कटहल की व्यावसायिक रूप से खेती होती है। पूरे देश को 56 सेक्टरों में बांटकर इस फसल की प्रमाणिकता को लेकर सर्वे किया जा चुका है तथा कुल 13 कृषि केंद्रों में इस बाबत व्यापक तौर पर रिसर्च कार्य चल रहा है।
कटहल फल की खासियत
हिमाचल के सोलन, बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, ऊना इत्यादि मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कटहल की फसल को उगाने के लिए उपयुक्त माहौल है। कटहल फल की खासियत यह है कि एक वृक्ष सीजन से 200 फल तक दे देता है। बाजार में इसकी कीमत 30 रुपए किलो से लेकर 60 रुपए प्रति किलो तक है। व्यावसायिक खेती के रूप में इस्तेमाल व उचित देख-रेख से एक वृक्ष 20 से 25 हजार का फल एक साल में दे सकता है। कटहल में आयरन, कैल्शियम, पोटाशियम व प्राकृतिक फाइबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसके साथ-साथ इसके लिए किसी भी प्रकार के स्प्रे व दवाइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। भूमि में जड़ों की अधिक गहराई होने के कारण भूमि कटाव को रोकने में भी यह वृक्ष सहायक है।
कटहल की खेती को शुरू करने की सिफारिशें भेजी गई केंद्र सरकार के पास
राष्ट्रीय स्तर पर गठित कमेटी क्यूआरटी के सदस्य व नौणी विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डा. विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि देश भर में कटहल की व्यावसायिक खेती को शुरू करने की सिफारिशें केंद्र सरकार के पास भेजी गई हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 500 करोड़ के बागबानी प्रोजेक्ट में कटहल की खेती को शामिल करने के भी उन्होंने सुझाव भेजे हैं। डा. विजय सिंह ठाकुर के अनुसार प्रदेश में परंपरागत फसलों के साथ कटहल की व्यावसायिक खेती को शुरू करके निश्चित तौर पर आगामी चार-पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुना किया जा सकता है।
बंदर भी नहीं करते नुकसान
कटहल फल की एक खास विशेषता यह है कि इसे बंदर नहीं खाते क्योंकि बाहर से यह खुरदरा(खसरा) होता है। दक्षिण भारत में इसे जैक फ्रूट कहा जाता है।