परमार जयंती समारोह में उल्लेखनीय योगदान के लिए मिला डॉ परमार सम्मान
सिरमौर का पहला एवरेस्ट आरोहण करने वाला जांबाज - विवेक ठाकुर
सोलन में सिरमौर कल्याण मंच की ओर से आयोजित परमार जयंती समारोह में उल्लेखनीय योगदान के लिए विवेक ठाकुर और विद्यानंद को सम्मानित किया। विवेक ठाकुर को सिर्फ ऊंचाइयों में चढ़ने का शौक था और ऐसी शौक ने उनके ख्वाबों को अंजाम तक पहुंचा दिया है। विवेक ठाकुर ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को 16 मई 2019 को फतेह किया। विवेक ठाकुर का जन्म 11-12-1989 को संगड़ाह उपमंडल के अंधेरी गांव में श्रीमती यशोदा देवी तथा पिता गुमान सिंह के घर हुआ। विवेक की शिक्षा वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ददाहू, जवाहर नवोदय विद्यालय नाहन, स्नातकोत्तर महाविद्यालय नाहन से हुई। 2012 में विवेक ने सीआईएसएफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन किया तथा 2015 में विवेक प्रतिनियुक्ति पर एनएसजी में चले गए। यहां विवेक को पर्वतारोहण दल में शामिल किया गया। विवेक का कहना है कि युवाओं को जीवन में एक लक्ष्य लेकर दृढ़ता से आगे बढऩा चाहिए तथा नशे से दूर रहना चाहिए।
विद्यानंद सरैक को मिला डॉ परमार सम्मान
सिरमौर की धरती लोक साहित्य, संस्कृति की अजस्त्र स्त्रोत हैं। इस माटी के गर्भ में लोक संस्कृति के बहुत से स्वरूप मौजूद हैं। लोक संस्कृति-साहित्य कला संवाहकों से समृद्धि पाती है-ऐसे ही एक कलाकार हैं विद्यानंद सरैक। विद्यानंद सरैक का जन्म 25 जून 1941 को माँ मुन्नी देवी तथा पिता गणेश राम के घर देवठी मझगांव के वास-खुन्न में हुआ। विद्यानंद अपनी गायिका माँ को ही अपना गुरु मानते हैं। सरैक ने बीए तक की शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा ग्रहण के बाद शिक्षा विभाग में नौकरी की। वहीं कला-साहित्य-संस्कृति के लिए 1976 में नौकरी त्याग दी।
सरैक ने करियाला, नृत्य-गायन, अभिनय, लेखन-निर्देशन से अपनी प्रतिभा को निखारा। मृतहरी, गीता, गीतांजली, दुर्गा सप्तशति, सत्य नारायण कथा का पहाड़ी (सिरमौरी) में अनुवाद किया, जो श्रम साध्य और महनीय कार्य है। ठोडा, सिंहटू, भड़ाल्टू, देव-पूजाएं-पाजड़, लोक-दंत कथाओं पर कार्य किया। 1000 पहाड़ी गीतों की रचना की, जिन्हें सिरमौर की सभी प्रतिष्ठित आवाजों ने सुर दिया। टर्की, बुल्गारिया, मेसोडोनिया, ग्रीस आदि देशों में कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी है। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनेकों लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कारों से आपको नवाजा गया है। 2018 में देश के प्रतिष्ठितम पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से विद्यानंद को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा नवाजा गया। ये सिरमौर ही नहीं प्रदेश के लिए गौरव के क्षण थे। लोक-गाथाओं, हार-वार, साके-प्वाड़े, पाजड़े, भारथो पर विद्यानंद निरंतर काम कर रहे हैं।