10 दिनों तक नंगे पांव करते हैं सफर, लोगों को सुनाते हैं गुगा जी की अमर कथा
हम कितनी भी पश्चात्य रंग में डूब जाएं लेकिन आज भी कुछ लोग अपनी परंपराएं जीवित रखने के लिए 10 दिनों तक बिल्कुल नंगे पांव लोगों तक गुगा जाहर की कथाएं पहुंचाने से गुरेज नहीं करते। हम बात करते हैं,ग्राम पंचायत दावटी के गांव फांजी के गुगा जाहर छड़ी के संचालक व कथा वाचकों की जो पिछले बहुत सालों से रक्षाबंधन से गुगा नवमी तक क्षेत्र में लोगों के घरों में जाकर गुगा की अमर कथाएं सुनाकर पुण्य के भागी बनते हैं। विशेषकर रक्षाबंधन से गुगा नवमी तक क्षेत्र में हर घर में लोग रात को गुगा जी की अमर कथा सुनते हैं व कई लोगों की मन्नतें पूरी होने पर भी वे लोग गुगा जी की छड़ी अपने घर में एक रात के लिए बुलाते हैं व कथावाचक गुगा जी की कथा सुना कर सुबह दूसरे घरों की ओर प्रस्थान करते हैं। गुगा के गीतों को गाने वाले गुगा छड़ी को लेकर डमरू की ताल से गुगा के गीत गाकर इन 10 दिनों में बिल्कुल नंगे पांव सफर करते हैं। छड़ी संचालक दीप राम शर्मा ने कहा कि जब से होश संभाला है तब से गुगा छड़ी के साथ चलता हूं, इन 10 दिनों में हमें कोई थकान नहीं होती और और न ही कोई परेशानी होती है। वही छड़ी के साथ चलने वाले सबसे बुजुर्ग लगभग 80 वर्षीय लच्छीराम शर्मा ने कहा की मुझे 40 वर्षों से ऊपर छड़ी के साथ चलते हो गया और गुगा जाहर की दया दृष्टि से आज तक हमें कोई भी परेशानी नहीं आई व हमें इस परंपरा को आने वाली पीढ़ी को भी देना होगा। वही बलदेव, मुकेश, नरेश, मदन सुभाष, परसराम, सुरेंद्र, जगदीश ने कहा की इन 10 दिनों में हम गुगा जाहर की कथा श्रवण कर और सुना कर अपने संस्कृति व परंपरा को कायम रख रहे हैं। वह आजकल की पीढ़ी को भी यही संदेश देना चाहते हैं कि अपनी संस्कृति से शर्म न कर उसे बढ़ावा देना चाहिए ताकि हमारी संस्कृति और परम्पराओं का अस्तित्व बचा रहे।