33 लेखक करेंगे कालका-शिमला धरोहर रेल में भलकु स्मृति साहित्यिक सम्वादयात्रा
साहित्यिक गोष्ठी बाबा भलखू की स्मृति और सम्मान को समर्पित
विश्व धरोहर के रूप में विख्यात शिमला-कालका रेल में 11, अगस्त रविवार को बाबा भलकु की स्मृति में गत वर्ष की तरह दूसरी अनूठी साहित्यिक गोष्ठीआयोजित की जाएगी। यह आयोजन हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा किया जा रहा है। इसमें हिमाचल के तैंतीस रचनाकार व संस्कृतकर्मी भाग ले रहे हैं। इस साहित्यिक गोष्ठी को बाबा भलखू की स्मृति और सम्मान को समर्पित किया गया है।
भलखू के सहयोग से शिमला कालका रेलवे लाइन के निर्माण में हो पाए सफल
भलखू चायल के समीप झाझा गाँव का एक अनपढ़ लेकिन विलक्षण प्रतिभा संपन्न ग्रामीण था। इसकी सलाह और सहयोग से अंग्रेज इंजीनियर शिमला कालका रेलवे लाइन के निर्माण में सफल हो पाए थे। हरनोट ने शिमला में जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी बताया कि हिंदुस्तान तिब्बत रोड के निर्माण के वक्त भी बाबा भलकू के मार्गनिर्देशन में न केवल सर्वे हुआ बल्कि सतलुज नदी पर कई पुलों का निर्माण भी हुआ था। इसके लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा ओवरशीयर की उपाधि से नवाजा गया था। गिनीज बुक में इस रेल लाइन को उत्कृष्ट नैरो गेज इंजीनीयरिंग का दर्जा हासिल है। इस रेलवे लाइन का निर्माण ब्रिटिश इंजिनीयर हर्बर्ट हेरिंगटन की देखरेख में 20 अप्रैल,1855 के दिन शुरू होकर 11 नवम्बर, 1903 को पूर्ण हुआ और पहली रेल शिमला के लिए चलायी गयी। इस लाइन पर 20 स्टेशन, 103 सुरंगें, 912 मोड़ और 969 छोटे-बड़े पुल हैं। यूनेस्को ने इस लाइन को 8 जुलाई, 2008 विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया था। भलखु की स्मृति में शिमला पुराने बस स्टेशन के साथ भारत सरकार के रेलवे विभाग ने एक म्यूजियम भी स्थापित किया है।
हरनोट ने शिमला में जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी जानकारी
हरनोट के अनुसार यह यात्रा सुबह 10 :40 बजे शिमला से शुरू होगी और बड़ोग तक चलेगी। वहां दोपहर के भोजन और ठहराव के बाद तीन बजे पुन: शिमला की और रवाना होगी। रेल यात्रा के दौरान जाते हुए और लौटते हुए भी स्टेशनस के नाम पर कविता, ग़ज़ल, कहानी और संस्मरण के सत्र रखे गए हैं जो शिमला से बड़ोग तक समरहिल, तारादेवी, कैथलीघाट, कंडाघाट, कनोह और बड़ोग के नाम पर होंगे। लेखकों का मार्गदर्शन समरहिल स्टेशन के अधीक्षक संजय गेरा करेंगे।
33 वरिष्ठ और युवा लेखक तथा संस्कृतिकर्मी होंगें शामिल
इस सृजन संवाद में जो 33 वरिष्ठ और युवा लेखक तथा संस्कृतिकर्मी शामिल होंगे उनमें सुदर्शन वशिष्ट, एस आर हरनोट, हेम राज कौशिक, मिनाक्षी पाल, सतीश रतन, बद्री सिंह भाटिया, कुल राजीव पन्त, आत्मा रंजन, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, विद्या निधि, राकेश कुमार सिंह, विनोद बिट्ठल, भारती कुठिआला, सुमन धनन्जय, दिनेश शर्मा,देव कन्या ठाकुर, सीताराम शर्मा, मोनिका छट्टू, मधु जी शर्मा, नरेश देयोग, कुलदीप गर्ग तरुण, दीप्ति सारस्वत, प्रियम्बदा शर्मा, देविना अक्ष्यवर, कौशल मुंगटा, उमा ठाकुर, कल्पना गांगटा, शांति स्वरुप शर्मा, अश्वनी कुमार, आनंद शर्मा, वंदना राणा और किरण गुलेरिया शामिल हैं।