20 या 21 सितंबर? सर्वपितृ अमावस्या कब, जानें डेट व शुभ मुहूर्त

पितृ पक्ष के अंतिम दिन को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह की अमावस्या इस बार 21 सितंबर को 12:16 am बजे शुरू होगी और 22 सितंबर को 1:23 am बजे ख़त्म होगी। इस वजह से इस साल सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को ही मनाई जाएगी। सर्वपितृ अमावस्या के बारें में ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए कार्य से सबसे अधिक फल मिलता है। इसी वजह से इस दिन को विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है।
इस साल पितृपक्ष 7-21 सितंबर तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध के 2 तरह के होते हैं। पहला श्राद्ध वो जो हर वर्ष व्यक्ति की मृत्यु कि तिथि पर किया जाता है और दूसरा वो जो पितृ पक्ष में किया जाता है।
यह दिन उन लोगों के लिए ज्यादा ही महत्वपूर्ण होता है, जो किसी वजह से अपने पूर्वजों का श्राद्ध या तर्पण नहीं कर सके हैं। वे अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण करते हैं। मान्यता है कि इस समय पितर धरती पर आते हैं। इसीलिए इस दिन पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार इन कार्यों के करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख -समृद्धि बनी रहती है। वैसे इस दिन लोग स्नान-दान करते हैं और पितरों के लिए ब्राह्मणों को भोजन भी कराते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या पर किनका श्राद्ध
पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर ही तर्पण होता है। लेकिन जिनकों पितरों के मृत्यु तिथि का पता नहीं हो तब वे अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण करते हैं।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए सर्वपितृ अमावस्या का उपाय
ऐसी मान्यता है कि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सर्वपितृ अमावस्या पर दान जरूर करना चाहिए और साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
तर्पण और पिंडदान के शुभ मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त- सुबह 11:50 am बजे से दोपहर 12:38 pm बजे तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12:38 pm बजे से 1:27 pm बजे तक
इस दिन करें ये शुभ कार्य
सुबह सबेरे स्नान करके पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करें
विधि विधान से पिंडदान और तर्पण करें
गाय, कुत्ते, कौवे और देवताओं के लिए भोजन जरूर निकालें
ब्राह्मणों को भोजन कराएं
महत्वपूर्ण क्यों
शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए श्राद्ध से सभी पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है और उन्हें मोक्ष भी मिल जाता है। इसी वजह से इसे “सर्वपितृ अमावस्या” कहा गया है।