बांका हिमाचल:हिमाचली रेशम से बन रही बनारसी साड़ियां।
हिमाचल में बन रहा रेशम भारतीय सभ्यता का प्रतीक माने जानी वाली सिल्क साड़ियों में इस्तेमाल हो रहा है। हिमाचल में तैयार रेशम का इस्तेमाल पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी बनारसी साड़ियों में भी हो रहा है। हिमाचल का कोकून सबसे बेहतर माना जाता है, जिससे बढ़िया रेशम का उत्पादन किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में कुल 79 केंद्रों में रेशम कीट पालन हो रहा है तथा सिरमौर, कांगड़ा, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर के कांगू व नादौन में इस व्यवसाय से सैकड़ों परिवार जुड़े हैं। इसके साथ-साथ प्रदेश के ऊना, सिरमौर, बिलासपुर, कांगड़ा इत्यादि जिलों में रिलिंग यूनिट कार्य कर रहे हैं। रेशम पालक शहतूत के पत्तों से कीट के माध्यम से कोकून को रिलिंग यूनिट तक पहुंचाते हैं। इन इकाइयों में कोकून से धागा तैयार करके अन्य राज्यों में स्थापित सिल्क उद्योगों को भेजा जाता है। इन उद्योगों में सिल्क के विश्व स्तरीय परिधान तैयार किए जाते हैं।
भारत में सिर्फ तीन बीज केंद्र, एक पालमपुर में :
सेरीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए भारत में ऐसे तीन ही केंद्र स्थापित है जहां से पूरे देश के किसानों को रेशम कीट के बीज मुहैया करवाए जाते है। इन तीन केंद्रों में उत्तराखंड का देहरादून, कर्नाटक का मैसूर व हिमाचल का पालमपुर शामिल हैं। रेशम कीट के बीज से लेकर प्रदेश में ऐसे कई स्थान है जहां रेशम कीट का उत्पादन भी किया जाता है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ,मंडी, हमीरपुर ,काँगड़ा, ऊना सिरमौर जिला में रेशम का उत्पादन किया जाता है। रेशम उत्पादन में जिला बिलासपुर के बाद मंडी जिला पुरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर आता है।
बिलासपुर के करीब 3 हजार परिवार रेशम कीट पालन से जुड़े :
कोरोना काल में रेशम कीट पालन हजारों परिवारों की रोटी का सहारा बना। इस दरमियान प्रदेश में रेशम का 60 फीसदी उत्पादन बिलासपुर में ही हुआ। आपदा में जब कई युवाओं का रोजगार छिन गया तो यह व्यवसाय इनके काम आया। बिलासपुर जिले में तैयार हो रहा रेशम का धागा बाहरी राज्यों में भी निर्यात हो रहा है। दो रिलिंग यूनिटों में हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये का धागा रिलिंग कर बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई भेजा जा रहा है। जिला बिलासपुर के करीब तीन हजार परिवार रेशम कीट पालन से जुड़े हैं।
1287.51 बीघा में हो रही शहतूत की खेती :
प्रदेश के 1287.51 बीघा में शहतूत की खेती की जाती है। प्रदेश में वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 2 लाख 23 हजार शहतूत के पौधे वितरित किए गए हैं और 238 मीट्रिक टन कोकून का उत्पादन किया गया।
79 कीट पालन केंद्र व 11 रिलिंग यूनिट :
हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में 11 रिलिंग यूनिट हैं। इन यूनिट्स में धागा तैयार किया जाता हैं। जिला बिलासपुर, ऊना, कांगड़ा व सिरमौर में ये सभी रिलिंग यूनिट स्थित है। जबकि सेरीकल्चर का अधिकांश कार्य जिला हमीरपुर में होता है। खासतौर से हमीरपुर के नादौन व कांगू में काफी परिवार रेशम कीट पालन से जुड़े है। प्रदेश में कुल 79 केंद्रों में रेशम कीट पालन हो रहा है।