सुरों से दिल जीतता पुलिस बैंड 'हारमनी ऑफ़ द पाइन्ज़'
हिमाचल प्रदेश पुलिस बैंड यानी 'हारमनी ऑफ़ द पाइन्ज़' सिर्फ हिमाचल ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बना चूका है l समय के साथ साथ राज्य भर में कई महोत्सवों में परफॉर्म करने के बाद बैंड को पहचान मिलने लगी, लेकिन कलर्स चैनल के रियलिटी शो हुनरबाज-देश की शान ने पुलिस जवानों की आर्केस्ट्रा टीम "हारमनी आफ द पाइन्स " को बुलंदियों तक पहुंचा दिया। बेशक आर्केस्ट्रा टीम इस खिताब से चूक गई, लेकिन लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रही है। आज देशभर में हिमाचल पुलिस की इस टीम ने खास पहचान बनाने के साथ साथ प्रदेश का नाम रोशन किया है l
आज देशभर में हॉर्मनी ऑफ पाइन्स प्रसिद्ध है, हालांकि इसका वजूद 1996 से है, जब आर्केस्ट्रा पहली बार अस्तित्व में आया। 1996 में हिमाचल में पुलिस के जवानों की ड्यूटी के तनाव को कम करने के इस बैंड को बनाया गया। शुरूआत में टीम में सिर्फ छह सदस्य थे। उस वक्त बैंड छोटे-मोटे पुलिस कार्यक्रमों में प्रस्तुति दिया करते थे। तब बैंड के पास अच्छे संगीत उपकरण या साज भी नहीं थे। तब अपना हुनर निखारने के लिए पुलिस बैंड ने दिल्ली जा कर अभ्यास किया और साथ ही पश्चिमी संगीत भी सीखा और आज ये देश के सबसे ज़बरदस्त बैंड्स में से एक है l
-बतौर डीजीपी संजय कुंडू ने दिखाई दिलचस्पी तो फिरे दिन
"द हारमनी ऑफ़ पाइनस " की सफलता के पीछे डीजीपी संजय कुंडू का विशेष योगदान रहा है। दरअसल बैंड को तब काफी प्रोत्साहन मिला, जब संजय कुंडू ने पुलिस महानिदेशक का कार्यभार संभाला। संजय कुंडू की हॉर्मनी ऑफ पाइन्स में विशेष दिलचस्पी थी। उस समय संजय कुंडू ने बतौर डीजीपी बैंड के अभ्यास के लिए बेहतरीन उपकरण उपलब्ध करवाए। कुंडू चाहते थे कि हिमाचल के लोगों में पुलिस की छवि ज्यादा मानवीय और मददगार की बने। उन्हें एहसास हुआ कि आर्केस्ट्रा में पुलिस की दोस्ताना, प्यारी छवि बनाने और जागरूकता फैलाने की काबिलियत है। आर्केस्ट्रा के मुताबिक, डीजीपी कुंडू ने उन्हें एक मंच दिया और राष्ट्रीय टीवी पर परफॉर्म करने को प्रोत्साहित किया। बैंड को अभ्यास के लिए भी ज्यादा वक्त मिलने लगा। बतौर डीजीपी संजय कुंडू ने पाइन्स के लिए हफ्ते में पांच दिन आठ घंटे अभ्यास का समय मुकर्रर किया।
- बैंड के कप्तान है विजय कुमार
हिमाचल पुलिस के बैंड ‘हारमनी आफ द पाइन्स’ की कप्तानी राजगढ़ उपमंडल के करगाणु के रहने वाले सब इंस्पेक्टर विजय कुमार कर रहे हैं। वहीं, सैनधार की नहर स्वार पंचायत के रहने वाले मनमोहन शर्मा सुर बिखेर रहे हैं। 1999 में पुलिस विभाग में बतौर कांस्टेबल कैरियर शुरू करने वाले विजय कुमार का शौक म्यूजिक में ही था। बचपन से ही गरीबी का सामना करने वाले बैंड के प्रभारी विजय कुमार ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। एक ऐसा वक्त भी था, जब रहने के लिए घर नहीं था। खैर, पुलिस में भर्तीे होने के बाद आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। म्यूजिक में विशारद की डिग्री करने वाले सब इंस्पेक्टर विजय कुमार ने कड़ियां जोड़कर पुलिस का आर्केस्ट्रा तैयार किया। 2016 में आधिकारिक तौर पर इसे पुलिस का आर्केस्ट्रा घोषित तो किया गया, लेकिन सुधार की काफी गुंजाइश थी। तब बतौर पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने इस बैंड की तस्वीर ही बदल कर रख दी।
- मिल चूका है दादा साहेब फाल्के अवार्ड
यह देश का पहला मान्यता प्राप्त पुलिस आर्केस्ट्रा है। अपने हुनर से नरबाज पुलिस जवानों ने देशभर में बड़ी छाप छोड़ी है। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश के पुलिस बैंड हारमनी ऑफ द पाइंस को मुंबई में दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल बेस्ट परफार्मर बैंड अवार्ड से नवाजा गया है। दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड 2023 के दौरान यह पुरस्कार हिमाचल प्रदेश पुलिस के बैंड दल को मिला है।
- 6 से 17 तक हो गयी है टीम की संख्या
"द हारमनी ऑफ़ पाइनस " टीम में शुरूआत में सिर्फ छह सदस्य थे। अब यह संख्या 17 हो गई है। मौजूदा समय में सब इंस्पेक्टर विजय कुमार, एएसआई ठाकुर दास, हेड कांस्टेबल नरेश, राजेश कुमार, कांस्टेबल कार्तिक शर्मा, मंजीत सिंह, मनमोहन शर्मा, हितेश भारद्वाज, आशीष कुमार, दलीप शर्मा, कमल थापा, प्रशांत घोष और कशिश शांडिल, कांस्टेबल कृतिका तंवर और दीपिका मुस्कान पुलिस बैंड टीम का हिस्सा हैं।