भारतीय लोकतंत्र के लीविंग लीजेंड है श्याम शरन नेगी
स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव का पहला वोटर होने का श्रेय हिमाचल प्रदेश के श्याम सरन नेगी को जाता है। श्याम सरन नेगी, मूलतः किन्नौर (कल्पा) के निवासी है। आज उनकी उम्र करीब 105 वर्ष है। नेगी के चेहरे में तजुर्बे की झुर्रियां और क्षीण आवाज़ के बावजूद जब भी जिक्र मतदान को लेकर होता है तो उनके चेहरे की रौनक यह बयां करती है कि मतदाता देश की रीढ़ की हड्डी है। श्याम सरन नेगी का जन्म 1 जुलाई 1917 को हिमाचल प्रदेश के कल्पा में हुआ। वह एक रिटायर्ड स्कूल मास्टर हैं। स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता के तौर पर मशहूर नेगी को भारतीय लोकतंत्र का लीविंग लीजेंड भी कहा जाता है।
1947 में ब्रिटिश राज के अंत के बाद देश के पहले चुनाव फरवरी 1952 में हुए लेकिन सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी की संभावनाओं की वजह से किन्नौर के मतदाताओं को पांच महीने पहले ही वोट करने का मौका दिया गया था। 71 वर्ष पूर्व आजाद भारत का प्रथम चुनाव हुआ था। स्वतंत्र भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त थे आईसीएस सुकुमार सेन, जिन्होंने 1951-52 और 1957 का चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराया था। पहले चुनाव ने देश को बहुत कुछ दिखाया, सिखाया और साबित भी किया।
बता दें कि सर्वप्रथम इसी अक्टूबर महीने की 25 तारीख को 1951 की सुबह आजाद भारत में मतदान की शुरुआत हुई थी। हिमाचल प्रदेश अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने वाला पहला राज्य बना था। तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ने 68 चरणों में चुनाव की योजनाएं बनाई थी। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के कल्पा गांव निवासी स्कूल टीचर श्याम शरन नेगी को अपने गांव से अलग प्रशासन द्वारा मतदान केंद्र प्रभारी बनाया गया था। नेगी एक वोट के मूल्य को समझते थे। वे मतदान शुरू होने से एक घंटे पहले यानि सुबह 6:00 बजे ही अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय के मतदान केंद्र पर पहुंच गए। वहां उन्होंने अधिकारियों को बताया की उन्हें जल्द अपने स्कूल भी पहुंचना है। तैनात अधिकारी ने उन्हें 6:30 बजे मतपत्र दिया और नेगी पहले मतदाता बन गए। श्याम सरन नेगी ने 1951 के बाद से हर आम चुनाव में मतदान किया है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गूगल ने नेगी पर एक फिल्म बनाई थी- प्लेज टू वोट यह फिल्म इंटरनेट पर खूब वायरल हुई थी, इसे फिल्मों के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन सहित तमाम दूसरे ब्रैंड एंबैसडरों ने भी देखा था।