बिलासपुर: सिंथेटिक ग्रास पिच वाला लूहणू बना देश का दूसरा स्टेडियम
हिमाचल प्रदेश के लुहणू का क्रिकेट मैदान सिंथेटिक ग्रास (ग्रास स्टिचिंग) पिच वाला देश का दूसरा मैदान बन गया है। मैदान की दो मुख्य पिचों और चार अभ्यास पिचों पर इंग्लैंड और हॉलैंड के विशेषज्ञों ने आधुनिक मशीन से ग्रास स्टिचिंग का काम पूरा कर लिया है। इससे पहले धर्मशाला क्रिकेट मैदान की पिचों पर ग्रास स्टिचिंग की जा चुकी है। यह तकनीक इंग्लैंड से लाई गई है। देश में इस तकनीक को अभी तक हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ की ओर से ही अपनाया गया है। ग्रास स्टिचिंग की पिचों में विशेषज्ञ फाइबर के रेशों को मशीन की मदद से रोपते हैं। यह रेशे पिच पर मौजूद घास की लंबाई के समान ही रहते हैं। ऐसी पिचों में लाइफ ज्यादा होती है। यानी यह जल्दी खराब नहीं होती है।
बीसीसीआई सीनियर टूर्नामेंट सेलेक्शन कमेटी सदस्य एवं बिलासपुर क्रिकेट संघ के सचिव विशाल जगोता ने बताया कि पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री एवं सांसद अनुराग सिंह ठाकुर के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे से राज्य में क्रिकेट का सूर्योदय हुआ है। हिमाचल का क्रिकेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना चुका है। इसी कड़ी में धर्मशाला के बाद बिलासपुर क्रिकेट मैदान की पिचों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का प्रयास शुरू हो गया है। इस विदेशी मशीन के माध्यम से जमीन के करीब नौ इंच तक की प्राकृतिक घास को आर्टिफिशल घास के साथ बांध दिया जाता है। इससे पिच सदाबहार हरी रहती है। इन पिचों पर 10 दिनों तक लगातार खेल कराया जा सकता है, जबकि सामान्य पिच दूसरे-तीसरे दिन खराब होने लग जाती है। ऐसी पिच को कम मरम्मत की आवश्यकता होती है। फाइबर रेशों के कारण उपयोग के बाद पिचें अधिक तेजी से ठीक हो जाती हैं। इन पिचों पर गेंद का उछाल भी एक बराबर रहता है। यह पिच बल्लेबाज और बॉलर दोनों को बराबर फायदेमंद रहती है।