रफ़ी...जब याद आये, बहुत याद आये
सुरों के सरताज मोहम्मद रफी की आज 39वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1980 को रफ़ी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, पर रफ़ी आज भी करोड़ों दिलों पर राज़ करते है। जानते है मोहम्मद रफी के बारे में रोचक किस्से:
'शाम फिर क्यों उदास है दोस्त, तू कहीं आसपास है दोस्त'...फिल्म 'आस-पास' का ये गाना उनका आखिरी गाना था। इसे रफी साहब ने अपनी मृत्यु से बस कुछ घंटे पहले रिकॉर्ड किया था। इसके चंद घंटों बाद उनका निधन हो गया, जिसके बाद इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ उठी थी।
पाकिस्तान में रह गई पहली बीवी
13 साल की उम्र में रफी की पहली शादी उनके चाचा की बेटी बशीरन बेगम से हुई थी लेकिन कुछ साल बाद ही उनका तलाक हो गया था। इस शादी से उनका एक बेटा सईद हुआ था। उनकी इस शादी के बारे में घर में सभी को मालूम था लेकिन बाहरी लोगों से इसे छिपा कर रखा गया था। दरअसल, उनकी पहली बीवी ने बटवारें के बाद पाकिस्तान में रहना पसंद किया और रफ़ी हिंदुस्तान में आ गए।
बिलकिस के साथ की दूसरी शादी
1944 में 20 साल की उम्र में रफी की दूसरी शादी सिराजुद्दीन अहमद बारी और तालिमुन्निसा की बेटी बिलकिस के साथ हुई। जिनसे उनके तीन बेटे खालिद, हामिद और शाहिद व तीन बेटियां परवीन अहमद, नसरीन अहमद और यास्मीन अहमद हुईं।
6 साल बात नहीं की रफ़ी- लता ने
रफी साहब और लता मंगेशकर के बीच 6 सालों तक बातचीत बंद रही। कारण था प्लेबैक सिंगर को रॉयल्टी मिलने की। लता मंगेशकर इसके हक में थीं और रफी खिलाफ थे। बाद में संगीतकार जयकिशन ने सुलह कराई, फिर एसडी बर्मन म्यूजिकल नाइट में उन्होंने एक साथ स्टेज पर गाया।
बाबुल की दुआएं गीत के मिला नेशनल अवार्ड
फिल्म 'नील कमल' के गाने 'बाबुल की दुआएं लेती जा' के लिए रफी साहब को नेशनल अवार्ड मिला था। इस गीत को गाते समय कई बार उनकी आंखें नम हुईं। दरअसल, इस गीत को रिकॉर्ड करने से एक दिन पहले उनकी बेटी की सगाई हुई थी और कुछ दिन में शादी थी इसलिए वो काफी भावुक थे।
हज़ारों लोग उमड़े थे जनाजे में
मोहम्मद रफी का निधन रमजान के महीने में हुआ था। उनकी अंतिम विदाई के दिन मुंबई में जोरों की बारिश हो रही थी। बावजूद इसकेउनकी अंतिम यात्रा में 10000 से भी ज्यादा लोग सड़कों पर थे। तब मशहूर एक्टर मनोज कुमार ने कहा था, 'सुरों की मां सरस्वती भी अपने आंसू बहा रही हैं आज'।
रफी साहब को पतंग उड़ाने का शौक था। रिकॉर्डिंग करने के बाद वे पतंग उड़ाया करते थे।
रफ़ी द्वारा गाया गया फिल्म सूरज का गाना 'बहारों फूल बरसाओ' आज भी कई शादियों में इस गाने को बड़े ही शौक से बजाया जाता है।
रफ़ी ने अपने जीवन काल में 18 भाषाओँ में करीब 26 हजार गीत गाये।