चारों तरफ पसरी रहती हैं बर्फ, पर शिकारी माता का मंदिर रहता हैं अछूता
हमारे देश में ऐसे कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं जिनके पीछे अद्भुत और रोचक रहस्य छुपे हुए हैं। आदिकाल के मंदिरों और देवी-देवताओं से सम्बंधित कई बातें आज के वैज्ञानिक युग में हमें रहस्यमय लगती हैं, पर आस्था के आगे विज्ञान कहाँ ठहरता हैं। ऐसा ही एक मंदिर जिला मंडी में है जहां माता की शक्ति के आगे कभी भी मंदिर में छत नहीं लग पाई। बारिश हो, आंधी हो, या तूफान हो, ये मां खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती हैं। हम बात कर रहे हैं शिकारी देवी मंदिर के बारे में। हिमाचल के मंडी में 2850 मीटर की ऊंचाई पर बना यह शिकारी माता का मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर अध्भुत चमत्कारों के लिए विख्यात है। सर्दियों के दौरान इस स्थान पर चारों तरफ बर्फ की चादर होती हैं, लेकिन मंदिर परिसर बर्फ से अछूता रहता हैं। हैरत की बात ये हैं कि इस मंदिर पर कोई छत नहीं है।
मंदिर से जुड़ी हैं कई पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि ने यहां सालों तक तपस्या की थी। उन्हीं की तपस्या से खुश होकर माता दुर्गा अपने शक्ति के रूप में इस स्थान पर स्थापित हुई।एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव अपना वनवास काट रहे थे तो वो इस क्षेत्र में आये और कुछ समय यहाँ पर रहे।एक दिन अर्जुन एवं अन्य भाईयों ने एक सुंदर मृग देखा तो उन्होंने उसका शिकार करना चाहा, मगर वो मृग उनके हाथ नहीं आया। सारे पांडव उस मृग की चर्चा करने लगे कि वो मृग कहीं मायावी तो नहीं। तभी आकाशवाणी हुई कि मैं इस पर्वत पर वास करने वाली शक्ति हूँ और मैनें पहले भी तुम्हें जुआ खेलते समय सावधान किया था, पर तुम नहीं माने। इसलिए आज वनवास भोग रहे हो। इस पर पांडवो ने उनसे क्षमा प्रार्थना की तो देवी ने उन्हें बताया कि मैं इसी पर्वत पर नवदुर्गा के रूप में विराजमान हूँ और यदि तुम मेरी प्रतिमा को यहाँ स्थापना करोगे तो तुम अपना राज्य पुन हासिल कर सकोगे। इस दौरान उन्होंने माता की पत्थर की मूर्ति तो स्थापित कर दी मगर पूरा मंदिर नहीं बना पाए। चूंकि माता मायावी मृग के शिकार के रूप में मिली थी इसलिये माता का नाम शिकारी देवी कहा गया।
एक अन्य मान्यता यह भी है कि इस वन क्षेत्र में शिकारी वन्य जीवों का शिकार करने आते थे। शिकार करने से पहले शिकारी इस मंदिर में सफलता की प्रार्थना करते थे और उनकी प्रार्थना सफल भी हो जाती था।इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया।
रोचक पहलु :-
- हिमाचल के मंडी ज़िले की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है माता शिकारी देवी का यह चमत्कारी मंदिर।
- हर साल यहाँ बर्फ तो खूब गिरती है मगर माता की पिंडियों पर कभी नहीं टिकती बर्फ।
- माता मंदिर में छत नहीं करती सहन, खुले आसमान के नीचे रहना चाहती है विराजमान।
- मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बेहद ही सुंदर हैं, चारों तरफ दिखती है हरियाली ही हरियाली ।
- सर्वोच्च शिखर होने के नाते इसे मंडी का क्राउन कहा जाता है।
- विशाल हरे चरागाह, मनोरंजक सूर्योदय और सूर्यास्त, बर्फ सीमाओं के मनोरम दृश्य प्रकृति प्रेमियों को अपनी और आकर्षित करते हैं।
- माता का दर्शन करने हर साल पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु।
करीब तीन माह बंद रहते हैं कपाट
माता शिकारी देवी मंदिर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। शिकारी देवी मंदिर परिसर में चौसठ योगनियों का वास है जो सर्व शक्तिमान है। मंडी जनपद में शिकारी देवी को सबसे शक्तिशाली माना जाता है।देवी के दरबार में प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु देवी के दरबार में शीश नवाने दूर-दूर से पहुंचते हैं।बर्फबारी में माता शिकारी देवी में कड़ाके की ठंड पड़ने से देवी के मंदिर के कपाट करीब तीन माह के लिए बंद हो जाते हैं। बर्फबारी में माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों पर प्रशासन प्रतिबंध लगाता है। मगर, माता के अनेक भक्त बर्फबारी में भी देवी से आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच जाते हैं।