बांका हिमाचल: हिमाचल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है एम्स
- स्वास्थ्य मंत्री रहते जेपी नड्डा ने दी थी सौगात
हिमाचल में बेहतर और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधा के स्वप्न को उस समय मूर्त रूप मिला जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना को मंजूरी दी। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के कार्यकाल के दौरान 2 अक्टूबर, 2017 को बिलासपुर जिला के कोठीपुरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस अस्पताल का शिलान्यास किया गया था। तब से कार्य ज़ारी है। बिलासपुर जेपी नड्डा का गृह नगर है और यहां बन रहा एम्स हिमाचल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के कोठीपुरा में बनाया जा रहा है। इस अस्पताल का निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत किया जा रहा है। 250 एकड़ भूमि पर लगभग 1500 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले इस अस्पताल से जहाँ पुरे हिमाचल प्रदेश को लाभ मिलेगा, वहीं पुरे प्रदेश को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं भी प्राप्त होगी। न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि हिमचाल के साथ सटे राज्यों को भी इसका लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में विश्वस्तरीय अस्पताल न होने से आपात स्तिथि में लोगों को पीजीआई चंडीगढ़ जाना पड़ता था पर अब बिलासपुर में बन रहे एम्स से हिमाचल वासियों को राज्य में ही बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी।
जून में प्रधानमंत्री मोदी करेंगे जनता को समर्पित :
इस अस्पताल के निर्माण को पूरा करने में 4 साल का लक्ष्य रखा गया था किन्तु वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर मज़दूरों ने पलायन किया जिस कारण निर्माण कार्य में कुछ देरी हुई पर अब स्तिथि कुछ सामान्य होने के बाद इसी वर्ष जून तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे आम जनता को समर्पित करेंगे। एम्स में ओपीडी शुरू हो चुकी है।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल:
बिलासपुर में बन रहा एम्स अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इसमें विशेष सुविधाओं से लैस 750 बिस्तर उपलब्ध होंगे। इसमें 30 ट्रॉमा बेड, 80 आईसीयू बेड, 20 ऑपरेशन थियेटर, 20 स्पेशियलिटी और सुपर स्पेशिएलिटी विभाग के साथ अत्याधुनिक उपकरण जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई, कैथ लैब इत्यादि होंगे। परिसर में आवासीय छात्रावास जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
इसी परिसर में आयुष भवन भी स्थापित होगा। इसमें मरीजों का गैर एलोपैथी विधाओं से भी इलाज किया जाएगा। आयुर्वेद , होम्योपैथी और यूनानी प्रणालियों के माध्यम से मरीजों का इलाज होगा। आयुष चिकित्सा पद्धति के लिए 30 बेड का एक वार्ड बनाया जा रहा है।
मेडिकल काॅलेज में 100 सीटों का प्रावधान:
हिमाचल प्रदेश के पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान में एक मेडिकल कॉलेज भी होगा, जिसमें प्रति वर्ष 100 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। संस्थान में नर्सिंग कॉलेज भी होगा, जिसमें प्रति वर्ष बीएससी (नर्सिंग) पाठ्यक्रम में 60 लोगों को प्रवेश दिया जाएगा। इस संस्थान में एमबीबीएस के पहले सत्र की कक्षाएं जनवरी माह से शुरू हो चुकी है। यानी आने वाले समय में हर वर्ष बेहतरीन चिकित्सक एवं अन्य चिकित्सा कर्मी यहां से निकलेंगे जो न सिर्फ हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरी दुनिया में सेवाएं देंगे। निश्चित तौर पर बिलासपुर जिला में स्थापित हो रहा एम्स संस्थान पुरे प्रदेश के लिए एक उत्तम, उन्नत एवं अत्याधुनिक उपचार सुविधाओं का केन्द्र बनेगा तथा लोगों को उपचार के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
बिलासपुर के विकास को मिलेगी रफ़्तार :
बिलासपुर में एम्स बनने से जिला के विकास को नए आयाम मिलेंगे। अभी से एम्स के आसपास के क्षेत्र में जमीनों के भाव आसमान छू रहे है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले वक्त में इस क्षेत्र का विकास किस कदर रफ़्तार पकड़ने वाला है। निसंदेह इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बिलासपुर के लिए एम्स किसी बहुमूल्य सौगात से कम नहीं है।