अब मेडिकल कॉलेज टांडा में मिलेगी अंगदान को ट्रांसप्लांट करने की सुविधा
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कहते है अंगदान महादान होता है। हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कॉलेज टांडा में मृत व्यक्तियों द्वारा किए गए अंगदान को ट्रांसप्लांट करने की सुविधा अब शुरू हो जाएगी। अंगदान को ट्रांसप्लांट करने की सुविधा इससे पहले पीजीआई चंडीगढ़ में ही उपलब्ध थी लेकिन अब हिमाचल में भी इसकी शुरुआत की जा रही है। इस सुविधा के लिए पहली बार ग्रीन कोरिडोर बनाया जायेगा। ग्रीन कोरिडोर में ही टांडा अस्पताल से गगल स्थित कांगड़ा एयरपोर्ट तक अंग पहुंचाए जाएंगे। जैसे ही टांडा में अंग निकालने की प्रक्रिया पूरी होगी। टांडा से लेकर गगल तक ग्रीन कोरिडोर बनाकर तुरंत अंगों को गगल तक पहुंचाया जाएगा। गगल में विमान के माध्यम से अंगों को चंडीगढ़ एयरपोर्ट और वहां से पीजीआइ अस्पताल पहुंचाया जाएगा।
क्या है ग्रीन कॉरिडोर
ग्रीन कॉरिडोर एक तरह का रूट होता है, जो किसी भी मेडिकल इमरजेंसी परिस्थिति के लिए बनाया जाता है। इसके माध्यम से किसी भी एम्बुलेंस या जरूरी चिकित्सा से जुड़े मेडिकल वाहन को स्पेशल रूट उपलब्ध करवाया जाता है। यदि किसी मरीज की स्थिति काफी गंभीर होती है तो उसे एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाने के लिए इस ग्रीन कॉरिडोर को बनाया जाता है इसमें उनके लिए खास व्यवस्था की जाती है।
ग्रीन कॉरिडोर में एक विशेष रूट तैयार किया जाता है और सड़क पर ट्रेफिक से अलग एम्बुलेंस के लिए एक रास्ता बना दिया जाता है। इससे एम्बुलेंस ट्रैफिक में बिना फंसे मरीज को अस्पताल तक पहुंचा जा सकता है। जब किसी ट्रांसप्लांट के लिए किसी बॉडी पार्ट को एक जगह से दूसरी जगह भेजना होता है तो उसके लिए ग्रीन कॉरिडोर का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है। इससे सही वक्त पर मरीज का इलाज संभव हो पाता है। इस प्रक्रिया में शहर की पुलिस और अस्पताल मिलकर काम करते हैं और उसके बाद पुलिस कॉरिडोर बनाने का काम करती है। कई जगह तक एम्बुलेंस के लिए सड़क पर अलग लाइन भी होती है, जिसमें सिर्फ आपातकालीन गाड़ियां ही चलती है। इससे मरीज को सही समय पर मेडिकल हेल्प मिल जाती है।
इस प्रकार काम करता है ग्रीन कॉरिडोर
अस्पताल की ओर से जानकारी मिलने के बाद पुलिस ग्रीन कॉरिडोर बनाती है। इसमें या तो पुलिस किसी रोड़ का ट्रैफिक रोककर एम्बुलेंस को जगह देती है या फिर सड़क पर बैरिकेट्स के जरिए एक लेन सिर्फ एम्बुलेंस के लिए बुक कर देती है। ग्रीन कॉरिडोर कई तरह से काम करता है। इसके लिए कई जगह हाइटेक प्रोसेस का इस्तेमाल किया जाता है और एम्बुलेंस इमरजेंसी की जानकारी पुलिस को पहले ही मिल जाती है और उसके आधार पर ही पुलिस एम्बुलेंस की व्यवस्था कर देती है।