हिमाचल : ओबीसी प्रमाण पत्र की वैधता में बदलाव, अब वित्तीय वर्ष तक मान्य

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी प्रमाणपत्रों की वैधता को लेकर चली आ रही अस्पष्टता को समाप्त कर दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ ने रेशम बनाम हिमाचल प्रदेश मामले में ओबीसी प्रमाणपत्रों को वैध मानते हुए याचिकाकर्ता को प्रयोगशाला तकनीशियन के पद पर नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए 21 दिसंबर 2024 के उस कार्यालय आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया था। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि प्रमाणपत्र के शीर्ष पर उल्लेखित 1 वर्ष की वैधता (जनवरी से दिसंबर) के बजाय प्रमाणपत्र में वित्तीय वर्ष के लिए उल्लेख की गई वैधता ही मान्य होगी।
कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता के 29 मार्च 2023 के ओबीसी प्रमाण पत्र को 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए वैध मानें और चार हफ्ते में उनके परिणामों के आधार पर कार्रवाई करें। अदालत ने सरकारी विभागों को त्रुटि रहित प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादियों ने विज्ञापन की शर्तों और 9 जनवरी 2012 की अधिसूचना की गलत व्याख्या की है। अधिसूचना स्पष्ट रूप से कहती है कि ओबीसी सहित सभी अन्य प्रमाणपत्र संबंधित वित्तीय वर्ष की प्रासंगिक अवधि तक वैध रहेंगे।
याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में अनुबंध के आधार पर प्रयोगशाला तकनीशियन के पदों की भर्ती के लिए 19 सितंबर 2022 को जारी विज्ञापन के तहत आवेदन किया था। विज्ञापन में शर्त थी कि ओबीसी उम्मीदवारों को 9 जनवरी 2012 के राजपत्र में प्रकाशित हिमाचल सरकार राजस्व विभाग के अधिसूचना के अनुसार वैध ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। रेशम ने ओबीसी उम्मीदवार के रूप में आवेदन किया और 22 जुलाई 2021 को जारी अपना ओबीसी प्रमाणपत्र अपलोड किया जो वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए था। दस्तावेज सत्यापन के समय उन्होंने 29 मार्च 2023 को एक और ओबीसी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया। जो वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वैध था। प्रतिवादियों ने रेशम की उम्मीदवारी को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि 2 अक्टूबर 2022 तक कोई वैध प्रमाणपत्र नहीं था।