कुल्लू: कचरा प्रबंधन को लेकर NGT ने प्रदेश सरकार को लगाई फटकार
हिमाचल प्रदेश सरकार को कुल्लू जिले में कचरा प्रबंधन की बदहाल स्थिति को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने फटकार लगाई है। अधिकरण ने राज्य के मुख्य सचिव को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के पालन से संबंधित विस्तृत शपथपत्र दो माह के भीतर दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वीरवार को यह सुनवाई न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डा. अफरोज अहमद की पीठ के समक्ष हुई। हिमाचल के महाधिवक्ता अनूप रतन ने तर्क दिया कि इस मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय ने पहले ही स्वयं संज्ञान याचिका संख्या 36/2025 के रूप में सुनवाई शुरू कर दी है। इस पर एनजीटी ने स्पष्ट किया कि पर्यावरणीय मामलों में दोनों संस्थाएं समानांतर रूप से कार्रवाई कर सकती हैं और यदि किसी आदेश में टकराव होता है, तो उच्च न्यायालय का आदेश प्रभावी रहेगा।
प्राधिकरण ने कुल्लू और कसोल में कचरे की भयावह स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए प्रतिवादी संख्या पांच को निर्देश दिया कि वह जिला पर्यावरण समिति से परामर्श कर वैकल्पिक प्रबंधन व्यवस्था तैयार करे। समिति को दो माह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है, जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 की प्रत्येक धारा के अनुपालन का विवरण सारणीबद्ध रूप में दिया जाए। एनजीटी ने साथ ही हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव को प्रतिवादी संख्या छह, जबकि शहरी विकास और ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिवों को क्रमशः प्रतिवादी संख्या सात और आठ के रूप में मामले में शामिल किया है।
प्राधिकरण ने निर्देश दिया कि मुख्य सचिव स्वयं या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी के माध्यम से यह रिपोर्ट दाखिल करें और राज्य में लागू जन विश्वास अधिनियम 2023 के तहत पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में किए गए संशोधनों के अनुपालन का ब्योरा दें। यह भी आदेश दिया कि मुख्य सचिव राज्य के सभी विभागों को निर्देश जारी करें, ताकि निर्णायक अधिकारी स्वयं संज्ञान लेकर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने वाले सरकारी अधिकारियों या निजी पक्षों पर जुर्माना लगा सकें। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को तय की गई है। सभी संबंधित पक्षों को एक माह के भीतर अपने अतिरिक्त उत्तर दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।
