HPBOSE: छठी से 8वीं कक्षा तक संस्कृत व्याकरण की पुस्तक, हर विषय में होगी प्रायोगिक परीक्षा

हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रतिनिधियों की बैठक हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में परिषद की ओर से शिक्षा एवं गुणवत्ता पर विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल ने बताया कि परिषद ने 21 सूत्रीय मांगपत्र शिक्षा बोर्ड को दिया था। इसमें एक-एक विषय पर विमर्श के साथ चर्चा की गई। कक्षा छठी से संस्कृत की नवीन पुस्तक को नए सत्र से शुरू करने पर सचिव ने कहा कि एनसीईआरटी की ओर से निर्मित नवीन पाठ्यपुस्तक कक्षा छठी से वर्ष 2026 से आरंभ की जाएगी। बोर्ड सचिव ने बताया कि कक्षा छठी के लिए कुछ विषयों की पुस्तकें तैयार कर ली गई हैं, जबकि कुछ पुस्तकें तैयार हो रही हैं। इन पुस्तकों को 2026 से ही पढ़ाया जाएगा। कक्षा छठी से आठवीं तक संस्कृत व्याकरण की पुस्तक लगाने के लिए शिक्षा बोर्ड सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि यद्यपि एनसीईआरटी की तरफ से पुस्तक निर्धारित नहीं है लेकिन विद्यार्थियों को इसकी आवश्यकता है। इसको देखते हुए बोर्ड इसे अपने स्तर पर तैयार करेगा। इसके लिए सचिव ने परिषद को जल्द प्रारूप बनाकर भेजने को कहा। परिषद ने आग्रह किया कि विभिन्न कक्षाओं में प्रश्नपत्रों में अनुवाद के कुछ व्यवहारिक वाक्य शामिल किए जाएं ताकि छात्र भाषा के व्यवहारिक पक्ष में भी निपुण बन सकें। इसके लिए भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की।
परिषद ने सचिव से पुस्तकों की पाठन शैली के प्रशिक्षण के संदर्भ में पाठ्यक्रम विभाजन एवं प्रश्नपत्र निर्माण पर शिक्षकों का प्रशिक्षण करवाने का प्रस्ताव रखा। इस पर भी सचिव ने सभी शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण भी करवाने की स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने प्रस्ताव रखा कि कक्षा 11वीं व 12वीं के पाठ्यक्रम विभाजन व उसमें व्याकरण का समरूप समायोजन किया जाना भी आवश्यक है। इसकी स्वीकृति भी बोर्ड सचिव ने प्रदान की। बैठक में परिषद ने मांग रखी कि कक्षा छठी से अष्टमी तक हिन्दी व्याकरण की एक पुस्तक है। लेकिन उसमें कक्षानुसार पाठ्यक्रम विभाजन नहीं है। इसे देखते हुए आवश्यक संशोधन कर कक्षानुसार छठी, सातवीं, आठवीं के लिए अलग-अगल निर्धारण किया जाए। जैसा कि अंग्रेजी के व्याकरण की पुस्तक में निर्धारित है। इसके साथ कक्षा नाैवीं व 10वीं तक हिंदी व्याकरण की एक पुस्तक है। लेकिन उसमें कक्षानुसार पाठ्यक्रम विभाजन नहीं है। इसमें भी आवश्यक संशोधन कर कक्षानुसार अलग-अलग निर्धारण किया जाए। इस पर भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की।
परिषद ने कहा कि कक्षा छठी से आठवीं तक हिमाचल की लोक संस्कृति और योग पुस्तक में बहुत संशोधन की आवश्यकता है। इसमें दी गई सामग्री में हिमाचल के इतिहास एवं संस्कृति की वास्तविकता अनुसार जानकारी को समायोजित किया जाना आवश्यक है। शीर्षक के अनुसार विषयों का सही समावेश तथा उचित अभ्यास कार्य जोड़ने की आवश्यकता है। इसके साथ योग विषय को उसमें दिए गए मंत्रों को शुद्ध रूप से जोड़ने तथा उनके वास्तविक अर्थ तथा भाव को समायोजित करने की आवश्यकता है। इस विषय पर भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की और यथाशीघ्र आवश्यक संशोधन बोर्ड को देने के लिए कहा। बैठक में परिषद ने प्रस्ताव रखा कि कक्षा नाैवीं व दसवीं के प्रश्नपत्र में आवश्यक संशोधन किया जाए। प्रश्नपत्र में पाठ्य-पुस्तकों को भी महत्त्व दिया जाए। क्योंकि प्रश्नपत्र में पाठ्यपुस्तक से समावेश कम हो रहा है। न्यूनतम 40 प्रतिशत पाठ्यपुस्तक से 40 प्रतिशत व्याकरण भाग एवं 20 प्रतिशत अपठित भाग का समावेश प्रश्नपत्र में हो। इस पर भी सचिव ने समीक्षा करने के बाद निर्णय लेने का आश्वासन दिया। पाठ्यपुस्तकों में द्रष्टव्य अशुद्धियों के संदर्भ में बोर्ड सचिव ने बताया कि यह कार्य एनसीईआरटी के अधिकार क्षेत्र में है। एक बार उनकी वेबसाइट पर प्राप्त पुस्तक को देखें। यदि वहां भी अशुद्धि है तब इस विषय में उनसे बात की जाएगी। यदि बोर्ड स्तर पर ही अशुद्धि है तब उसे ठीक कर लिया जाएगा। बैठक में अकादमी अधिकारी शालिनी, सहायक सचिव, अनुभाग अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के साथ परिषद् के महासचिव डॉ. अमित शर्मा, उपाध्यक्ष राकेश शर्मा, आईटी सचिव डॉ. विवेक शर्मा, कांगड़ा के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप शर्मा, मंडी अध्यक्ष लोकपाल, बिलासपुर के महासचिव डॉ. जितेंद्र कुमार सहित 15 प्रतिनिधि उपस्थित रहे।