सत्ता में आए बाइडेन, क्या अमेरिकी-चीनी रिश्तों में पड़ेगा कोई असर

20 जनवरी को डेमोक्रेट जो बाइडेन ने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की। वहीं भारतीय मूल की कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही दुनिया के कई देशों की नज़रें अमेरिका पर टिक गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं की ट्रंप के जाने के बाद अमेरिका में कूटनीति का नया अध्याय शुरू हो सकेगा। विशेषज्ञों की मानें तो व्हाइट हाउस में सत्ता हस्तांतरण की काफी जरूरत थी और सिर्फ यही एक तरीका था जो देश में स्थिरता को लौटा सकता था। अब बाइडेन के व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद सबकी नजरें अमेरिका और चीन के रिश्तों पर भी होंगी जो ट्रंप प्रशासन के बाद सबसे मुश्किल दौर में पहुंच गए थे।
विशेषज्ञों की मानें तो जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद भी अमेरिकी-चीनी रिश्तों में कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख के मुताबिक चीनी एक्सपर्ट फिलहाल दोनों देशों के बीच के रिश्ते को लेकर सतर्क हैं। उनके मुताबिक व्यापार और अन्य मुद्दों को लेकर नए अमेरिकी प्रशासन की तरफ से भी कठोर बयानबाजी जारी रहेगी, लेकिन कुछ खास व्यापार के मामलों में चीन में ट्रंप प्रशासन से पहले के सामान्य हालात बहाल हो सकते हैं। विशेषज्ञों की यह राय नामित मंत्रालयों के प्रमुख के बयान के बाद आया है। अमेरिका के भावी रक्षा मंत्री जनरल लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि चीन पहले ही ‘क्षेत्रीय प्रभुत्वकारी शक्ति’ बन चुका है और अब उसका लक्ष्य ‘नियंत्रणकारी विश्वशक्ति’ बनने का है।' उन्होंने क्षेत्र और दुनिया भर में चीन के ‘डराने-धमकाने वाले व्यवहार’ का उल्लेख करते हुए अमेरिकी सांसदों से ये बातें कहीं।
ऑस्टिन ने कहा, ‘वह (चीन) पहले ही क्षेत्रीय प्रभुत्वकारी ताकत है और मेरा मानना है कि उनका अब लक्ष्य नियंत्रणकारी विश्व शक्ति बनने का है। वह हमसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए काम कर रहे हैं और उनके प्रयास नाकाम करने के लिए पूरी सरकार को एक साथ मिल कर विश्वसनीय तरीके से काम करने की जरूरत होगी।’
ऑस्टिन ने कहा, ‘हम चीन या किसी भी आक्रामक के समक्ष पुख्ता प्रतिरोधी क्षमता पेश करना जारी रखेंगे। उन्हें बताएंगे कि यह (आक्रामकता) सचमुच एक बुरा विचार है।’ चीन के बारे में ऑस्टिन ने कहा कि चीन मौजूदा समय में प्रभावी खतरा है क्योंकि वह उभार पर है जबकि रूस खतरा है लेकिन वह उतार पर है।
उधर, अमेरिका के भावी विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका को इस चुनौती का सामना ‘मजबूती की स्थिति से करना चाहिए न कि कमजोरी की स्थिति से।’ सीनेट की विदेश मामलों की समिति में अपनी नियुक्ति की पुष्टि के लिए हुई सुनवाई में ब्लिंकेन ने कहा, ‘जब हम चीन को देखते हैं तो इसमें कोई शक नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर वह हमारे हितों, अमेरिकी लोगों के हितों के लिए सबसे अधिक चुनौती पेश कर रहा है।’