हिमाचल के शिलाजीत की देश भर में डिमांड
आयुर्वेद में शिलाजीत को अमृत माना गया है और हिमाचल के चट्टानों में पाया जाने वाला शिलाजीत लौह तत्व से परिपूर्ण होता है। शिलाजीत शिलाओं को चीरकर यानी शिलाओं को जीत कर निकलने वाला द्रव्य है। हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले शिलाजीत की देश भर में डिमांड है। शिलाजीत आयुर्वेद की दृष्टि से अनेक औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। शिलाजीत हिमालयी क्षेत्र के ऊंची एवं विकट चट्टानों से बाहर निकलता है। विकट चट्टानों के मध्य निकलने के कारण इसे निकालने के लिए चट्टानों में रस्सियों और लंबी-लंबी सीढ़ियां बनाकर पहुंचते है। चट्टानों के अंदर से बाहर निकले द्रव को पत्थर के टुकड़ों के साथ तोड़ कर निकाला जाता है और उसके बाद इसे दो विधियों द्वारा शोधित किया जाता है, अग्नि तापी और दूसरा सूर्य तापी। पत्थरो के टुकड़ो में लिपटे शिलाजीत को पानी के बर्तन में घोला जाता है। उस के बाद कपड़े से बार-बार तक तक छाना है जब तक पूरी तरह से शुद्ध न हो। उस के बाद अग्नि तापी को रख कर आग में सुखाया जाता है जबकि सूर्यतापी को सूर्य की किरणों से सुखाया जाता है।
लाखों की कीमत और औषधीय गुणों से युक्त है शिलाजीत..
शिलाजीत गहरा भूरे रंग में हिमालय क्षेत्रों की चट्टान से निकलता है और आमतौर पर इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है. बाजार में लाखों की कीमत का ये बल पुष्टिकारक औषधीय के सही सेवन से नर्वस सिस्टम सही काम करता है। वहीं मानसिक थकान, तनाव में भी ये लाभकारी है। इतना ही नहीं मधुमेह कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में शिलाजीत लाया जाता है तो अल्जाइम और दिल को स्वस्थ रखने में भी ये गुणकारी है। औषधीय गुणों से युक्त शिलाजीत की इन दिनों मांग बढ़ गई है। इसके चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने पहाड़ों से शिलाजीत निकालने का काम तेज कर दिया है। विकट पहाड़ों से पसीने के रूप में निकलने वाला यह पदार्थ आयुर्वेद के अनुसार त्रिदोष शामक है। यानी वात, पित्त और कफ के दोष को दूर करता है।