भाजपा ने ठंडे बस्ते से निकाली चार्जशीट, तो कांग्रेस नई चार्जशीट को तैयार

चार्जशीट हिमाचल के दोनों मुख्य राजनीतिक दलों का पसंदीदा सियासी पैंतरा बनता जा रहा है। जो भी दल विपक्ष में होता है वो सत्ता पक्ष के खिलाफ सियासी चार्जशीट लाता है। इस बहाने सरकार पर आरोप लगाए जाते है, पत्रकार वार्ताएं होती है, प्रदर्शन कर सरकार विरोधी माहौल बनाने के प्रयास किया जाता है।चुनाव के बाद जब सरकार बनती है तो तैयार की गई चार्जशीट काे जांच के लिए सरकारी जांच एजेंसी विजिलेंस काे सौंप दिया जाता है। विजिलेंस की टीम जांच में जुटी रहती है, लेकिन आरोप साबित नहीं हो पाते। आज तक ऐसा ही होता आया है। जितनी भी चार्जशीट आई, उसमें किसी भी बड़े नेता काे आरोपी साबित नहीं किया गया और न ही एफआईआर दर्ज हुई। तो क्या अब ऐसा होगा, फिलवक्त ये बड़ा सवाल है ?
दरअसल बीते दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ओकओवर शिमला में विजिलेंस अधिकारियों की बैठक बुलाई और उनके साथ वर्ष 2016 में भाजपा द्वारा तत्कालीन वीरभद्र सरकार के खिलाफ जारी की गई चार्जशीट के आधार पर चली विभिन्न जांच पर मंत्रणा की। चार्जशीट में कांग्रेस के 40 से ज्यादा नेताओं और अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। तब एक तरफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार के चार साल के कार्यकाल का जश्न धर्मशाला में मनाया जा रहा था, ताे दूसरी ओर बीजेपी एक चार्जशीट लेकर आई, जिसका शीर्षक था ‘सरकार में अली बाबा और चालीस चोर’। उस वक्त भाजपा ने 75 पेज की चार्जशीट प्रदेश के राज्यपाल काे साैंपी थी। 2017 में भाजपा ने सत्ता भी हासिल की और अब कार्यकाल का चौथा साल भी खत्म होने को आया, लेकिन चार्जशीट की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई। इधर भाजपा सरकार 2016 वाली चार्जशीट की जांच बढ़ाने के संकेत दे रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस वर्तमान की जयराम सरकार के खिलाफ चार्जशीट लाने की तैयारी में है। इसका ज़िम्मा वरिस्ठ नेता राजेश धर्माणी को सौपा गया है। बताया जा रहा कि कांग्रेस सभी 68 विधानसभा क्षेत्राें की अलग-अलग चार्जशीट लेकर आएगी।
ऐसी थी 2016 में भाजपा की चार्जशीट
भाजपा ने 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सिंह, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, 10 मंत्रियों, 6 सीपीएस और 10 बोर्ड-निगम-बैंकों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों समेत कुल 40 नेताओं और एक अफसर पर चार्जशीट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उस चार्जशीट में पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनीराम शांडिल को छोड़कर सभी मंत्रियों को लपेटा गया था। भाजपा का आरोप था कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निजी आवास हाेली लॉज में खुद रहने के बावजूद कागजों में एक हाइड्रो पावर कंपनी को किराए पर दे दिया। लाहौल स्पीति में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट लगाने के लिए 25.69 करोड़ लिए बिना पर्यावरण क्लीयरेंस दे दी। हॉली लॉज में गेस्ट हाउस बनाने के लिए हरे पेड़ काटने की अनुमति देकर अनियमितता की। भाजपा का आरोप था कि पूर्व सीएम के सुरक्षा अधिकारी की दो शादियों के आरोप के बावजूद गलत तरीके से प्रमोशन दिया। नियमों में विशेष छूट देकर बेटियों को सहकारी बैंकों में नियुक्ति और पत्नी को पुलिस विभाग में पदोन्नति दे दी। ब्रेकल कॉरपोरेशन पर 1800 करोड़ का जुर्माना माफ कर दिया और 200 करोड़ रुपये की अपफ्रंट मनी जब्त करने के बजाय लौटा दी। सोरंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को बनाने वाली कंपनी को प्रोजेक्ट विदेशी कंपनी को बेचने के लिए 20 करोड़ की अपफ्रंट मनी लिए बिना ही कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। उक्त चार्जशीट में तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर काम जल्द पूरा कराने के नाम पर ठियोग कोटखाई हाटकोटी रोहडू सड़क का ठेका चीनी कंपनी को देने के बाद निरस्त कर दो भागों में बांटकर चड्ढा एंड चड्ढा कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया गया था। इसके अलावा आरोप था कि वर्ष 2013-14, 2014-15 में पीडब्ल्यूडी के रोहड़ू, चौपाल, रामपुर मंडलों में बर्फ हटाने के नाम पर करोड़ों रुपये की लूट अपने चहेते ठेकेदारों से कराई। यही नहीं, बल्कि भाजपा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे, जिसकी जांच आज भी पूरी नहीं हो सकी। अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और विजिलेंस अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद कयास लग रहे है कि जल्द जांच में कुछ तेजी देखने को मिल सकती है।
2012 में कांग्रेस लाई थी हिमाचल फाॅर सेल वाली चार्जशीट
2012 में जब प्रदेश में प्रो प्रेम कुमात्र धूमल की सरकार थी, ताे कांग्रेस ने हिमाचल फाॅर सेल नाम से एक चार्जशीट तैयार की थी। विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आई और चार्जशीट की जांच के लिए विजिलेंस काे ज़िम्मा भी साैंप दिया गया। पर पांच साल का कार्यकाल बीतने पर भी जांच में कुछ नहीं निकला।