शिमला : धवाला ने घेरी अपनी ही सरकार, जयराम बोले धवाला टेक्निकल आदमी हैं, अच्छा होता सुझाव भी देते

फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला
जैसा लगभग तय सा था विधानसभा का बजट सत्र हंगामेदार अंदाज में गुजर रहा है। विपक्ष का वाकआउट जारी है और सरकार भी कई सालों से बचती दिख रही है। बदस्तूर बरसते विपक्षी बाणों से तो जयराम सरकार किसी तरह बचने के प्रयास में है ही मगर अब तो अपने भी सवालों के शोले बरसाने में लगे है। मानों सरकार के अपने भी अब बैरी हो गए है। ज्वालामुखी से भाजपा विधायक रमेश धवाला एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ बरसने से गुरेज नहीं कर रहे। शनिवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान निगमों और बोर्डों के घाटे पर उन्होंने अपनी ही सरकार को घेरा।
धवाला ने घाटे से जूझ रहे निगमों और बोर्डों के सरप्लस कर्मचारियों को अन्य उपक्रमों में भेजने की मांग उठाई। धवाला खूब बोले और कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि निगमों-बोर्डों में करीब चार हजार करोड़ के घाटे की बात सामने आई है और प्रदेश के 70 फीसदी निगम-बोर्ड घाटे में हैं। व्यवस्था पर तंज कस्ते हुए धवाला ने कहा कि परिवहन निगम में चालकों और परिचालकों से अधिक अफसर हैं। इसी तरह बिजली बोर्ड में जरूरत से अधिक चीफ इंजीनियर नियुक्त हैं। उन्होंने कहा कि सरप्लस स्टाफ को अन्य उपक्रमों में भेजने के लिए नीति बनाई जानी चाहिए।
रमेश धवाला की बारी पूरी हुई, तो जवाब देने को मोर्चा संभाला खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सीएम ने कहा रमेश धवाला टेक्निकल आदमी हैं, अच्छा होता घाटा दूर करने के सुझाव भी देते। साथ ही सीएम ये बताने से भी नहीं चूके कि बेशक हिमाचल में 11 निगम और एक बोर्ड घाटे में है, किंतु दूरदराज क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए घाटे वाले उपक्रमों को चलाना भी जरूरी है। इन्हें बंद करने का सुझाव कुछ जगह व्यावहारिक नहीं है।
मसलन जनहित में बिजली बोर्ड और एचआरटीसी को बंद नहीं किया जा सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए कई रूट घाटे में चलाने पड़ते हैं। इसी तरह दुर्गम क्षेत्रों में बिजली की मेंटेनेंस करनी पड़ती है। पिछड़े वर्गों के लिए भी उपक्रम बनाए गए हैं, जिन्हें नफे-नुकसान की दृष्टि से नहीं आंका जा सकता। सरप्लस स्टाफ को लेकर सीएम ने कहा कि जानकारी जुटाने के बाद आगामी फैसला लिया जाएगा।