धूमल की बढ़ती सक्रियता लेगी राणा का असल इम्तिहान

प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफ प्रेम कुमार धूमल के एक्टिव होने के बाद पिछले चुनाव में उन्हें पटकनी देने वाले राजिंदर राणा भी प्रोएक्टिव हो गए है। विधानसभा क्षेत्र के दौरों ने गति पकड़ ली है और जन संपर्क अभियान भी ज़ोर शोर से चल रहा है। हालाँकि धूमल की लगातार बढ़ती सक्रियता के बाद अब ये जनसम्पर्क और मीठा स्वभाव राणा की नैया पार लगाता है या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता, मगर मेहनत पूरी की जा रही है। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा लगातार सक्रीय है और कई कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे है। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के ऊटपुर में महिला मंडलों के लिए आयोजित सम्मान समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि वे राजनीति नहीं समाजसेवा करने आए हैं। राणा ने सुजानपुर को अपना परिवार बताया और क्षेत्र के विकास में कोई कसर न छोड़ने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
पहले प्रथम पंक्ति में थे, अब पीछे दौड़ रहे राणा
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस में मुख्य चेहरे को लेकर जंग छिड़ी हुई है। उनके जाने बाद कोंग्रेसियों की दबी हुई महत्वकांक्षाएं अब साफ़ तौर पर बाहर आ रही है। इस रेस में कई नेता है, कुछ प्रथम पंक्ति में है बाकि पीछे दौड़ रहे है। सबका लक्ष्य एक ही है हिमाचल के मुख्यमंत्री की कुर्सी। कुछ समय पहले तक राजिंदर राणा भी प्रथम पंक्ति के नेताओं में से एक माने जा रहे थे। जिस तरह राजिंदर राणा ने बतौर चुनाव प्रभारी सोलन नगर निगम चुनाव में लुप्त हुई कांग्रेस को दोबारा उठाकर जीत हासिल करवाई, सब राणा के कायल हो गए। प्रदेश की राजनीति में उनकी सक्रियता देखने वाली थी। मगर फिर एक छोटी सी भूल ने सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। सोलन के जीते हुए पार्षदों के बीच चल रही उठापठक सुलझाने राणा दोबारा सोलन आए, मगर फिर उनके बुलाने पर अधिकतर पार्षद नहीं पहुंचे और भ्रम टूट गया। मुख्यमंत्री की रेस का तो फिलवक्त मालूम नहीं मगर धूमल के दोबारा सक्रीय होने के बाद राणा के विधानसभा हलके में भी उनके लिए खतरा बढ़ गया है। अब राणा दोबारा कोई चमत्कार कर ज़बरदस्त वापसी कर पाते है या नहीं इसपर सबकी निगाहें टीकी हुई है।