दोनों तरफ हाथ ही मिल रहे है, दिल नहीं !

मंडी सदर यूँ तो एक विधासभा सीट है पर हिमाचल की सियासत में ये सीट बेहद ख़ास है। कारण है इसका सम्बन्ध पंडित सुखराम के परिवार से होना। पिछले 12 विधानसभा चुनाव में से 10 बार यहाँ से सुखराम परिवार ने चुनाव लड़ा है और हर बार जीत मिली है। यानी यहाँ अब तक यहाँ से पंडित जी का परिवार अपराजित है। खुद पंडित सुखराम यहाँ से 6 बार जीते है तो चार बार उनके पुत्र अनिल शर्मा। पार्टी चाहे कोई भी हो, कांग्रेस, भाजपा या हिमाचल विकास कांग्रेस मंडी सदर वालों ने सुखराम परिवार का साथ नहीं छोड़ा। पर अब स्थिति भी बदल गई है और समीकरण भी। पंडित सुखराम पोते आश्रय शर्मा सहित कांग्रेस का हाथ थामे हुए है और उनके बेटे अनिल शर्मा भाजपा में अटके -लटके है। पर माहिर मानते है की दोनों तरफ हाथ ही मिल रहे है, दिल नहीं। ऐसे में 2022 विधानसभा से पहले उठापठक तो तय है।
बेशक भाजपा में होते हुए भी अनिल शर्मा कई मौकों पर खुलकर गीले शिकवे करते रहे है लेकिन सियासी चश्मे से देखे तो मिलाप की गुंजाईश बरकरार रखी गई है, अनिल की तरफ से भी और खुद सीएम की तरफ से भी। उधर कांग्रेस में आश्रय न तो कभी असरदार दिखे और न ही एक नेता के तौर पर अब तक अपनी विशिष्ट छाप छोड़ पाए है। शायद पार्टी में पिता अनिल शर्मा का साथ मिला होता तो कुछ और बात होती। अब अनिल कांग्रेस में घर वापसी करेंगे या भाजपा में पैर जमाने का प्रयास करेंगे, ये बेहद जटिल सवाल है। दरअसल यहाँ मसला कांग्रेस-भाजपा का ही नहीं है, निजी तौर पर भी ये सुखराम परिवार के लिए वर्चस्व का प्रश्न होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में आश्रय की करारी हार के बाद एक और प्रतिकूल नतीजा पंडित सुखराम का सियासी तिलिस्म ध्वस्त कर सकता है।
2017 में झटका दिया, 2019 में लगा
2017 विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका था और 9 नवंबर को मतदान होना था। मिशन रिपीट की तैयारी कर रही कांग्रेस को चुनाव से ठीक पहले 14 अक्टूबर को झटका लगा। पंडित सुखराम अपने बेटे और वीरभद्र सरकार के मंत्री अनिल शर्मा के साथ भाजपा में शामिल हो गए। अनिल शर्मा को भाजपा ने मंडी सदर से टिकट दिया और उन्होंने शानदार जीत भी दर्ज की और जयराम कैबिनेट में मंत्री भी बन गए। असल झटका लगा कांग्रेस को, मंडी सदर सहित जिला मंडी में सभी 10 सीटें कांग्रेस हार गई। वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कौल सिंह ठाकुर और प्रकाश चौधरी भी चुनाव हार गए। तब पंडित सुखराम और अनिल शर्मा के भाजपा में जाने से पुरे जिला में भाजपा की हवा बन गई थी।
2017 में कांग्रेस को झटका देने वाले पंडित सुखराम परिवार को 2019 में बड़ा झटका लगा। पंडित सुखराम अपने पोते और अनिल शर्मा के पुत्र आश्रय शर्मा के लिए लोकसभा का टिकट चाहते थे। भाजपा में दाल नहीं गली तो पंडित जी पोते सहित कांग्रेस में लौट गए और टिकट भी ले आये। पर इस बार पंडित सुखराम का जादू नहीं चला, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हारी। अनिल शर्मा तब खुलकर बोलते रहे की ये उनका फैसला नहीं है पर न बेटे के खिलाफ प्रचार कर सकते थे और न पार्टी के खिलाफ। इस पर मंत्री पद भी चला गया। तब से अनिल तकनीकी तौर पर भाजपा के विधायक है, पर भाजपा से उनकी राह जुदा-जुदा दिखी है। असल परेशानी ये है कि कांग्रेस ने भी अनिल को लेकर कभी बड़ा दिल नहीं दिखाया। ऐसे में अनिल शर्मा के राजनैतिक भविष्य को लेकर सबका अपना -अपना विशेलषण है।
अनिल का नपा-तुला वार, सीएम का सादगीभरा पलटवार
बीते दिनों पंडित सुखराम के गढ़ यानी मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र के कोटली में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रैली करने पहुंचे और वही हुआ जो अपेक्षित था। पंडित सुखराम के सुपुत्र व भाजपा के सदर विद्याक अनिल शर्मा और सीएम जयराम ठाकुर के बीच मंच पर ही सियासी तकरार हो गई। पहले भाषण देने की बारी अनिल शर्मा की आई तो उन्होंने बेबाकी से पूरी टसक कसक भरे मंच जाहिर की। उद्घाटन और शिलान्यास पट्टिकाओं से उनका नाम गायब करने पर सवाल उठाये, थोड़ी व्यथा और पीड़ा भी जताई, और सधे हुए अंदाज में ताकत भी जता दी। अनिल बोले यह क्षेत्र पंडित सुखराम की कर्मभूमि है, कुछ नहीं बोलूंगा, राजनीति में उतार चढ़ाव संभव हैं। जनता सब देख रही है। पर तोल मोल कर अनिल बोल सब कुछ गए। इस बीच समर्थकों ने भी खूब नारेबाजी की और अनिल ने हिदायत दी, बोले एक निर्वाचित विधायक हूं, व्यवधान पैदा नहीं करना चाहता। व्यवधान हुआ भी नहीं पर भरी सभा में अनिल के तेवरों से ये जरूर तय हो गया कि वे बैठने वाले नहीं है। मंच पर जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह भी मौजूद थे, तो ये कैसे मुमकिन था कि अनिल उन्हें बक्श देते। अनिल ने कहा कि कभी वह गाड़ी चलाते थे और महेंद्र सिंह साथ में बैठते थे। अनिल ने याद दिलाया कि कोटली बस स्टैंड बना तो महेंद्र सिंह ही बरसे थे कि नाले में बस स्टैंड बना दिया, अब जनसभा भी तो यहीं हो रही है। अनिल शर्मा ने कहा की उनका भविष्य सदर की जनता तय करेगी। अगर जनता घर बैठने को कहेगी तो वे घर बैठने के लिए भी तैयार हैं। सीएम साहब बातों का बुरा मान जाते हैं, लेकिन सरकार करने पर आए तो कुछ भी कर सकती है और ऐसी उम्मीद उन्हें जयराम ठाकुर से भी है। भाषण समाप्त करते करते अनिल ऐसी बातों के लिए माफी भी मांग गए जिससे किसी को बुरा लगा हो।
वार अनिल ने किया तो पलटवार सीएम जयराम ठाकुर ने, वो भी अपने सादगी भरे अंदाज में। सीएम ने कहा कि सारी इच्छाएं पूरी नहीं हो सकतीं, अनिल शर्मा हमें दोष न दे। बोला था - साथ चलो, मंडी के सम्मान के लिए साथ रहो। सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा कि महेंद्र सिंह और अनिल शर्मा साथ थे, शायद गुरु-चेले थे। अनिल बोल रहे हैं - महेंद्र जी को गाड़ी सिखाई। ठीक है स्टीयरिंग कभी इधर उधर हो जाता है। महेंद्र जहां भी रहते हैं, खूब काम करते हैं और अब भाजपा में भी कर रहे हैं। उन्होंने अनिल का नाम लेते हुए कहा कि कई बार किस्मत में यही लिखा होता है। राजनीति में ऐसे दौर आते रहते हैं। अब हम साथ हैं। इसे समझो, संभलो और एकजुट होकर काम करो। न आप बुरा मानो और न हम बुरा मानेंगे, अब फिर से साथ चलकर काम करते हैं।
मंडी सदर में अब तक अपराजित है सुखराम परिवार
वर्ष विजेता पार्टी
1967 : पंडित सुखराम कांग्रेस
1972: पंडित सुखराम कांग्रेस
1977: पंडित सुखराम कांग्रेस
1982: पंडित सुखराम कांग्रेस
1985: दुर्गा दत्त कांग्रेस
1990: कन्हैया लाल भारतीय जनता पार्टी
1993: अनिल शर्मा कांग्रेस
1998: पंडित सुखराम हिमाचल विकास कांग्रेस
2003: पंडित सुखराम हिमाचल विकास कांग्रेस
2007: अनिल शर्मा कांग्रेस
2012: अनिल शर्मा कांग्रेस
2017 अनिल शर्मा भारतीय जनता पार्टी