अब तक जय जयकार, आगे का सफर तलवार की धार

तख्त पलट चुका है और सीएम पद का ताज अब सुखविंदर सिंह सुक्खू के सर पर है। कांग्रेस के वादों पर जनता ने ऐतबार किया और अब इन वादों को पूरा करने की बारी कांग्रेस की है। कांग्रेस की सत्ता वापसी की पटकथा रणनीतिकारों ने उन दस गारंटियों की बिसात पर लिखी थी जिन्हें अब पार्टी को पूरा करना होगा। पहली गारंटी यानी पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। अब जल्द प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। पर नौ गारंटियां अभी बाकी है, सुक्खू सरकार का बड़ा इम्तिहान अभी बाकी है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू बार- बार दोहरा रहे है कि चुनाव के दौरान कांग्रेस द्वारा दी गई हर गारंटी पूरी होगी। पर सीएम ये याद दिलाना भी नहीं भूलते कि तमाम वादे पांच साल के लिए किये गए है। यानी स्पष्ट है कि सरकार इन वादों को पूरा करने की मंशा तो रखती है लेकिन उन्हें पूरा करने में वक्त लग सकता है। दरअसल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति भी इन वादों को जल्द पूरा करने में बाधा है। प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज है और करीब 11 हजार करोड़ कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इस 86 हजार करोड़ के अतिरिक्त अब ओपीएस लागू करने से भी सरकार पर करीब 900 करोड़ का भार बढ़ा है। ऐसे में जाहिर है सरकार को वादे पूरे करने है तो आय भी बढ़ानी होगी। इसका असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा। मसलन डीजल पर तीन रुपये प्रति लीटर वेट बढ़ाकर सरकार ने ओपीएस का प्रबंध किया है, ऐसा खुद सीएम का कहना है। आगे भी सरकार कड़े फैंसले लेगी, इसका इशारा भी सीएम दे चुके है। यानी अब सुक्खू सरकार के लिए ये तलवार की धार पर चलने के समान है। ये देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह सुक्खू सरकार जनता की नाराजगी मोल लिए बिना इन वादों की कसौटी पर खरा उतरती है।
कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले कई वादे किए थे, ये सिर्फ वादे नहीं थे, गारंटियां थी। इन्हीं गारंटियों के बूते कांग्रेस के प्रचार प्रसार को हवा मिली और पार्टी सत्ता कब्ज़ाने में कामयाब रही। एक गारंटी पूरी जरूर हुई है मगर अभी नौ शेष है। विधानसभा चुनाव तो पार्टी इन वादों के बूते जीत चुकी है मगर आने वाले लोकसभा चुनाव में भी इन वादों का असर दिख सकता है। यानी इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि सुक्खू सरकार का कामकाज और पूरी हुई गारंटियों का नंबर तय करेगा कि कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में बेहतर कर पाती है या फिर भाजपा का डंका बजता है। ऐसे में जाहिर है सुक्खू सरकार भी चाहेगी कि जल्द से जल्द, अधिक से अधिक गारंटियां पूरी हो।
सुक्खू सरकार को अभी डेढ़ महीना भी नहीं हुआ है और सरकार पुरानी पेंशन का वादा पूरा कर चुकी है। इसी के साथ-साथ दो अन्य गारंटियों के लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन भी हो चुका है। सरकार ने पहली कैबिनेट की बैठक में महिलाओं को 1500 देने व युवाओं को रोज़गार देने के लिए सब कमेटी का गठन किया गया है। महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने के लिए चौधरी चंद्र कुमार, कर्नल धनीराम शांडिल और अनिरुद्ध सिंह के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी 30 दिन में इस वादे को पूरा करने के लिए ब्लू प्रिंट सौपेंगी। वहीं माना जा रहा है कि इसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है। इसके साथ एक अन्य कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया गया है जो प्रदेश की नई रोजगार नीति बनाने के लिए आगामी 30 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। यानी एक गारंटी पूरी हो चुकी है और बाकी दो गारंटियों के लिए सरकार तैयारी कर चुकी है।
इन तीन गारंटियों के अलावा भी प्रदेश की जनता से कई बड़े वादे किये गए है। इनमें 300 यूनिट बिजली मुफ्त देना, दो रूपए किलो गोबर खरीदना, बागवानों द्वारा फलों की कीमत तय करने का वायदा, युवाओं के लिए 680 रुपये करोड़ का स्टार्ट-अप फंड बनाना, हर गांव में मोबाइल क्लीनिक से मुफ्त इलाज करवाना, हर विधानसभा में 4 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना ,गाय-भैंस पालकों से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदने जैसे वादे पेंडिंग है। आगामी 25 जनवरी को हिमाचल का पूर्ण राज्यत्व दिवस समारोह भी होना है और उस दौरान प्रदेश की जनता को सरकार क्या देती है इसपर भी निगाहें रहेगी। माहिर मान रहे है कि स्टार्ट अप फण्ड और 300 यूनिट फ्री बिजली के वादे को लेकर जल्द कोई ऐलान हो सकता है।
सुक्खू सरकार का आगाज अच्छा है...
सुक्खू सरकार एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ काम करती दिख रही है। प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति पर सीएम सुक्खू खुलकर बोल रहे है और इसे स्वीकार भी कर रहे है। आर्थिकी की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए सीएम खुलकर जनता से समर्थन मांग रहे है और हर वादे को पूरा करने का संकल्प भी बार -बार दोहरा रहे है। सुखाश्रय कोष की स्थापना हो और चयन आयोग को सस्पेंड करने का निर्णय, सक्खू सरकार के इन फैसलों को अच्छा जन समर्थन मिला है। ओपीएस लागू कर सीएम सुक्खू फिलहाल कर्मचारियों के हीरो भी बन चुके है। डी नोटिफाई के मुद्दे पर भी सीएम सुक्खू ने आर्थिक स्थिति के तर्क के साथ जनता के बीच अपना पक्ष मजबूती से रखा है। वहीं करीब चार साल बाद देश के किसी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी है, ऐसे में जाहिर है पार्टी आलाकमान भी चाहेगा कि सुक्खू सरकार हर वादे की कसौटी पर खरा उतरे। बहरहाल आगाज अच्छा है, पर आगे डगर कठिन जरूर है। ऐसे में सीएम सुक्खू किस तरह जन अपेक्षाओं पर खरा उतारते है, ये देखना दिलचस्प होगा।