मसला : नेताओं पर करम और जनता पर सितम !

क्या कोरोना की रोक थाम के लिए बनाए गए नियम कानून सिर्फ जनता के लिये है ? क्या हिमाचल के नेताओं को कोरोना नहीं होता ? नेता तीसरी लहर को आमंत्रित क्यों कर रहे है ? वर्तमान परिवेश में हर हिमाचल वासी के मुँह पर ये ही सवाल है। लम्बे समय तक घरो में बंद रहने के बाद और बहुत से अपनों को खोने के बाद हिमाचल प्रदेश बड़ी मुश्किल से कोरोना की चपेट से बाहर आ पाया था। परन्तु जिस तरह से अब हिमाचल में जनसंवाद, रोड शो और बड़ी रैलियां नेता कर रहे है हिमाचल की जनता को कोरोना की तीसरी लहर का खौफ सताने लगा है। नेता नेतागिरी के चक्कर में आम आदमी की जान को खतरे में डाल रहे है। बड़ी पार्टियां और अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे है, जहां मास्क पहनना ज़रूरी नहीं समझा जाता। हिमाचल में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे है। बता दें कि अब भी कोरोना के चलते सभी शिक्षण संस्थान बंद है। प्रदेश में प्रवेश के लिए भी सख्ती लागू की गयी है। बिना कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के हिमाचल में आने की अनुमति नहीं है। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क व सोशल डिस्टन्सिंग भी अनिवार्य है। पर शायद ये सभी नियम सिर्फ आम आदमी पर लागू होते है, इसीलिए नेता न तो सार्वजानिक स्थानों पर मास्क पहनते है न ही सोशल डिस्टन्सिंग का ख्याल रखते है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जन आशीर्वाद यात्रा में न तो कोई सोशल डिस्टन्सिंग देखने को मिली ओर न ही नियमों का पालन। जनसभा मंच से खुद अनुराग ठाकुर ने मास्क पहने के लिए लोगों को जागरूकता का पाठ पढ़ाया लेकिन उसी मंच पर उनके साथी बिना मास्क के दिखे थे। 5 दिन तक चली इस जनआशीर्वाद यात्रा में कैबिनेट के कई मंत्री भी मौजूद रहे और कोविड नियमों की खूब धज्जिया उड़ी। नियम कायदों का मखौल उड़ाने में महिला नेता भी पीछे नहीं है। बीते दिनों सोलन में भाजपा महिला मोर्चा ने रही सही कसर पूरी कर दी। यहां भाजपा की महिला नेताओं ने तीज का त्यौहार मनाया , खूब नाच गाना हुआ और सरेआम कोरोना को दावत दी गई। यहां दो गज की दुरी तो दूर, मास्क से भी दूरी दिखी। कांग्रेस भी पीछे नहीं है, बीते दिनों हुए कार्यक्रमों की तस्वीरों से ये स्पष्ट होता है। चाहे युवा कांग्रेस के कार्यक्रम हो या श्रद्धांजलि समारोह, चाहे मंडी हो या लाहौल स्पीति या कांगड़ा, कांग्रेस के कार्यक्रमों में भी कोरोना गाइडलाइन्स की जमकर धाज्जियाँ उड़ी है। आम जनता में नेताओं के ऐसे आचरण को लेकर ख़ासा रोष है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे है। सवाल उन पुलिस कर्मियों से भी है जो आम आदमी द्वारा मास्क न पहनने पर चालान करते है और ऐसे मामलों पर आँखें बंद कर लेते है। यदि बच्चों के स्कूल जाने से कोरोना हो सकता है तो क्या इन जनसभाओं में कोरोना नहीं हो सकता। बहरहाल सरकार को ख्याल रखना होगा की आम जनता की नारजगी गुस्से का रूप ले रही है और हाल ऐसा ही रहा तो ये गुस्सा कहीं मुखालफत में तब्दील न हो जाए।