जयराम ठाकुर की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी की अटकलें !

**क्या बिंदल को जाना होगा? नेता प्रतिपक्ष का पद कांगड़ा के हिस्से?
हिमाचल भाजपा का चेहरा जयराम ठाकुर हैं—इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन क्या अब वे प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी संभालेंगे? यह सवाल हिमाचल की सियासत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। लंबे समय से भाजपा के संभावित प्रदेश अध्यक्षों की कई नामों की सूची सियासी गलियारों में घूम रही थी। कोई कह रहा था कि डॉ. राजीव बिंदल को एक्सटेंशन मिलेगा, कोई कांगड़ा लॉबी की पैरवी कर रहा था, तो किसी को नड्डा के करीबी को इस पद पर देखने की उम्मीद थी। लेकिन अब इस दौड़ में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का नाम भी शामिल हो गया है।
कुछ समय पहले तक उनकी दावेदारी पर चर्चा नहीं हो रही थी, लेकिन हालिया घटनाक्रमों ने समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। हाल ही में भाजपा हाईकमान ने जयराम ठाकुर और डॉ. राजीव बिंदल को दिल्ली बुलाया, जहां उनकी मुलाकात भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई। इससे पहले, दोनों नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी अलग-अलग मिले थे। इन बैठकों के बाद से ही अटकलें तेज हो गई हैं कि भाजपा आलाकमान संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है और 2027 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जयराम ठाकुर का नाम आगे आ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, भाजपा अभी जयराम को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है, जिससे उन्हें संगठन पर पूरी पकड़ बनाने का मौका मिलेगा, और फिर 2027 चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया जा सकता है। हाल के दिनों में जयराम ही हिमाचल में पार्टी का नेतृत्व करते नजर आए हैं—सरकार पर हमलावर भी वही होते हैं और पार्टी के भीतर समीकरण साधने की भूमिका भी वही निभाते हैं।
अगर जयराम ठाकुर प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं, तो इससे कई अन्य राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। सबसे बड़ा बदलाव नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर होगा, जो स्वाभाविक रूप से खाली हो जाएगा। ऐसे में कांगड़ा से किसी नेता को इस पद पर बिठाया जा सकता है। विपिन परमार और बिक्रम ठाकुर जैसे नाम इस दौड़ में आगे हो सकते हैं, जबकि सतपाल सत्ती भी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।
बहरहाल, भाजपा हाईकमान का फैसला जो भी हो, लेकिन इतना तय है कि हिमाचल की सियासत में यह बदलाव नए राजनीतिक संकेत लेकर आएगा। अब देखना यह होगा कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठता है और उसके बाद पार्टी में शक्ति संतुलन किस दिशा में जाता है।