सिटींग सीएम वीरभद्र सिंह भी हार गए थे चुनाव !
बहुत कम लोगों को मालूम है कि हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भी एक बार विधानसभा चुनाव हार गए थे। 1990 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं, खुद वीरभद्र सिंह भी जुब्बल-कोटखाई से चुनाव हार गए। लेकिन इसके बावजूद वे विधानसभा पहुंचे। कैसे? आइए जानते हैं...
इस चुनाव में वीरभद्र सिंह ने एक नहीं, बल्कि दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा—शिमला जिले के रोहड़ू और जुब्बल-कोटखाई। इसे हार का डर कहें या अपनी लोकप्रियता पर भरोसा, लेकिन यह हिमाचल प्रदेश की राजनीति का दिलचस्प दौर था। रोहड़ू सीट पर वीरभद्र सिंह ने एकतरफा जीत दर्ज की, लेकिन जुब्बल-कोटखाई में उन्हें मात्र 1500 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। दिलचस्प बात ये है की वीरभद्र सिंह को हराने वाले कोई और नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल थे—वही ठाकुर रामलाल, जिन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाकर वीरभद्र सिंह पहली बार सीएम बने थे।
दरअसल, मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद ठाकुर रामलाल को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया था, जिससे वे प्रदेश की राजनीति से दूर हो गए। समय के साथ ठाकुर रामलाल और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ीं और उन्होंने जनता दल का दामन थाम लिया। 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए ठाकुर रामलाल ने जुब्बल-कोटखाई से वीरभद्र सिंह को हराया।
इसी चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार शांता कुमार ने भी दो सीटों से चुनाव लड़ा—सुलह और पालमपुर। दिलचस्प बात यह रही कि वे दोनों सीटों से चुनाव जीत गए।