संगीत शब्द में गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य,तीनों कलाओं का समावेश : संजय संधू
गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य,तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है। तीनो स्वतंत्र कला होते हुए भी एक दूसरे की पूरक है। यह बात हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी सुप्रसिद्ध संगीत कलाकार संजय संधू ने कही। हाल ही में ' शिव विवाह, पर यू ट्यूब पर आयोजित उनके गाने को लेकर उन्होंने बताया कि आज तक उन्होंने लगभग 100 से भी ज्यादा गाने प्रसुस्त कर चुके है और संगीत उनके कण्ठ में बसा है । जब वह पांचवी कक्षा में पढते थे तभी से स्कूल में आयोजित प्रत्येक कार्यक्रम में वह गाते थे या व नाटक में भी भाग लेते थे परन्तु जैसे ही 10 स्वी कक्षा में पहुंचे तो निर्णय ले लिया कि वह संगीत की दुनिया मे ही आगे जाएंगे व 12 वी कक्षा में पहुंचते ही उनके पिताजी दर्शन संधू ने उनके सपने को पूरा करने के लिए चंडीगढ़ में सुप्रसिद्ध संगीत डायरेक्टर मदन सोनी से मिलाया जिन्होंने उन्हें संगीत की दुनिया मे मार्ग दर्शन दिया और पहली एलबम माता की भेंट पर निकाली गई। जिसके बाद संगीत की दुनिया मे उनका पहला कदम बहुत ही सराहनीय रहा। संगीत अध्यन में उन्होंने पीएचडी भी किया है। उन्होंने बहुत सी पहाड़ी गीतों पर एलबम भी निकाली है और संगीत प्रेमियों ने उनके गानों को पसंद भी किया। उन्होंने बताया कि समय के साथ टेक्नोलॉजी चेंज होने के बाद अब उनके बहुत से गाने यूट्यूब पर प्रस्तुत हुए है औऱ हाल ही में उन्होंने शिव विवाह पर यूट्यूब पर भजन की एलबम निकाली है । जिसमे उनके सहयोगी अमदाद अली,प्रीत बलिहार,सतीश कपूर ने काम किया है।