पिता और पुत्र दोनों रहे वीरभद्र कैबिनेट का हिस्सा

पंडित संतराम और उनके पुत्र सुधीर शर्मा, दोनों अलग -अलग दौर में वीरभद्र सरकार में रहे मंत्री
सुधीरअब भाजपाई, लेकिन उनके गुरु आज भी वीरभद्र सिंह
छ बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की छत्रछाया में सैकड़ों नेताओं ने राजनीति के गुर सीखे। उनकी कैबिनेट में कई पीढ़ियों के नेता शामिल रहे है। दिलस्चप बात ये है कि इनमे एक पिता-पुत्र की जोड़ी भी शामिल है, पंडित संतराम और उनके बेटे सुधीर शर्मा।
8 अप्रैल 1983 को वीरभद्र सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। तब पंडित संतराम ठाकुर रामलाल की कैबिनेट में बतौर शिक्षा मंत्री शामिल थे। वीरभद्र सरकार में भी उनका मंत्रिपद बरकरार रहा। फिर साल 1985 में वीरभद्र सरकार के रिपीट होने के बाद वे अगले पांच साल तक कृषि मंत्री रहे। 1993 में वीरभद्र सिंह जब वापस सत्ता में लौटे तो पंडित संतराम को वन मंत्री का दायित्व दिया गया। उस दौरे में हिमाचल प्रदेश की राजनीति में पंडित संत राम की तूती बोला करती थी और पंडित जी, वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी थे। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की जब 30 जून 1998 को पंडित संतराम का निधन हुआ तो वीरभद्र सिंह ने कहा था कि संतराम का निधन ऐसा है, जैसे उनके शरीर से बाजू का अलग हो जाना। पंडित संत राम की गिनती वीरभद्र सिंह के खास सिपहसालारों में में होती थी।
पंडित संतराम के निधन के बाद उनकी सीट बैजनाथ से किस्मत आजमाई उनके पुत्र सुधीर शर्मा ने। हालांकि शुरुआत हार से हुई लेकिन सुधीर ने इसके बाद पीछा मुड़ कर नहीं देखा। 2003 और 2007 में बैजनाथ से विधायक चुने गए और ये सीट आरक्षित होने के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में धर्मशाला जाकर चुनाव लड़ा और जीता भी। पिता पंडित संतराम की तरह ही सुधीर भी वीरभद्र सिंह के करीबी हो गए और 2012 में जब सरकार बनी तो कैबिनेट मंत्री भी बन गए। तब वीरभद्र सरकार में सुधीर को नंबर दो माना जाता था।
हालांकि वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस में बहुत कुछ बदला। इस बीच सुधीर भी अब निष्ठा बदल कर भाजपाई हो चुके है। हालांकि भाजपा में जाने के बावजूद सुधीर अब भी वीरभद्र सिंह को अपना राजनैतिक गुरु मानते है।