हाइड्रोपोनिक्स तरीके से खेती कर युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बने नवीन
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पालमपुर के रहने वाले नवीन शर्मा ने आत्मनिर्भर बनने के लिए आधुनिक तरीके से खेती की शुरुआत की है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) हमीरपुर से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद 42 वर्षीय नवीन शर्मा ने कारपोरेट सेक्टर में देश के बड़े शहरों में काम किया। लेकिन मन में अपना काम करने की इच्छा हुई तो ऐसे में ऐहजू में अपनी जमीन पर उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स तरीके से खेती की शुरुआत की। 500 वर्ग मीटर में फैले उनके पालीहाउस में आज वह लैट्यूस चैरी, टमाटर, शिमला मिर्च, स्ट्राबेरी, धनिया, मिर्च इत्यादि फसलें नियमित अंतराल के बाद तैयार कर रहे हैं।
नवीन शर्मा की फसलें पालमपुर, कांगड़ा, धर्मशाला, मैक्लोडगंज में अच्छे दाम पर बिक रही हैं। लैट्यूस 400 से 450 रुपये प्रति किलोग्राम, चैरी टोमेटो 300 से 350, बेसिल तुलसी 400 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दाम प्राप्त हो रहे हैं। इसके अलावा स्ट्राबेरी तथा शिमला मिर्च व धनिया इत्यादि के भी अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं।
क्या है हाइड्रोपोनिक्स :
हाइड्रोपोनिक एक आधुनिक खेती की तकनीक है। इसमें बिना मिट्टी के सिर्फ पानी का इस्तेमाल करते हुए जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती है। पानी के साथ थोड़े बालू या कंकड़ की जरूरत पड़ सकती है। इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है, साथ ही पारंपरिक खेती के मुकाबले हाइड्रोपोनिक्स से पानी की लगभग 90 फीसद तक बचत भी होती है। पौधों की नर्सरी तैयार होने के बाद जब पौधे तैयार होते है तो उन्हें स्थापित पाइपों में रोप दिया जाता है। इसके बाद पाइपों के माध्यम से पानी की सप्लाई द्वारा सभी तरह के पोषक तत्व पौधों को दिए जाते हैं।
इस तरह की जाती है आधुनिक खेती :
हाइड्रोपोनिक तकनीक में खेती पाइपों के जरिए की जाती है। इनमें पाइपों के ऊपर की तरफ से छेद किए जाते हैं और उन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते हैं। पाइप में पानी होता है और पौधों की जड़ें उसी पानी में डूबी रहती हैं। इस पानी में वो हर पोषक तत्व घोला जाता है, जिसकी पौधे को जरूरत होती है। यह तकनीक छोटे पौधों वाली फसलों के लिए बहुत अच्छी है। इसमें गाजर, शलजम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा,, अजवाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं।
हाइड्रोपोनिक्स खेती के फायदे :
इस खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें करीब 90 फीसदी पानी की बचत की जा सकती है। ऐसे इलाके जहां पानी की कमी होती है, वहां पर हाइड्रोपोनिक खेती की जा सकती है। इसका दूसरा बड़ा फायदा ये है कि छोटी नस्ल वाले फलों या सब्जियों की खेती करने में बेहद कम जगह में बहुत अधिक फसल पाई जा सकती हैं। इस खेती में सिर्फ 100 वर्ग फुट में ही 200 पौधे लगाए जा सकते हैं। वहीं बाहरी वातावरण से आने वाले कीटों से भी फसल को सुरक्षा मिलती है। हाइड्रोपोनिक सिस्टम के जरिए इंडोर यानी घर के अंदर खेती करना काफी आसान हो गया है। इसमें घर के अंदर कमरे के हिसाब से एक हाइड्रोपोनिक सिस्टम तैयार किया जा सकता है।
पिछले तीन वर्षों से कर रहे है आधुनिक खेती:
नवीन का कहना है कि बेशक कंपनी में उन्हें अच्छा पैकेज मिल रहा था लेकिन उन्होंने स्वरोजगार से आगे बढ़ने का निर्णय लिया। साथ ही उनका कहना है कि जो शांति हमें यहां मिलती है, वह बाहर नहीं मिल सकती। इसलिए वह पिछले तीन वर्षों से इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हाइड्रोपोनिक सेटअप के लिए कुल 10 लाख रुपये की लागत आई है। इसके अलावा पॉलीहाउस की सोलर युक्त बाड़बंदी को भी सरकार ने 80 प्रतिशत की दर से 1.35 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया है। आने वाले समय में अपने इस कार्य में और विस्तार करेंगे।
युवाओं के लिए बने प्रेरणा
एसडीएम जोगेंद्रनगर डाक्टर मेजर विशाल शर्मा का कहना है कि नवीन शर्मा ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती का कार्य शुरू किया है, जो इस उपमंडल के हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का काम करेगा। इससे जुडक़र न केवल युवा घर बैठे अच्छी कमाई कर सकते हैं, बल्कि रोजगार की तलाश में उन्हें प्रदेश के बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा।