224 बिजली परियोजनाएं लंबित, कोरोना काल में सस्ती बिकी बिजली
ऊर्जा राज्य हिमाचल से हर साल गर्मियों में बाहरी राज्य बिजली खरीदते है, जिससे प्रदेश काे खासा राजस्व मिलता है। मगर पिछले साल मार्च महीने से लेकर अब तक काेराेना काल में बिजली से मिलने वाली आर्थिक पर भी संकट आया। बाहरी राज्याें काे बिजली बेची तो गई, पर सस्ती। यही वजह है कि बीते एक साल में बिजली बेच कर हिमाचल ने मात्र 700 करोड़ का राजस्व कमाया, जबकि 2018-19 में यही बिजली करीब 11 साै करोड़ में बिकी थी। हिमाचल में कुछ छोटे और बड़े विद्युत प्राेजेक्ट्स लंबित हैं, जिन्हें शुरू करने के लिए जयराम सरकार निजी कंपनियों काे राहत देने की बात कर रही है। प्रदेश में नए प्राेजेक्ट्स के लिए नियमों काे सरल बनाने की भी बात जयराम सरकार कर रही है। दूसरी ओर बिजली बाेर्ड प्रबंधन के खिलाफ कुछ कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। एक और दिलचस्प बात ये है कि ऊर्जा राज्य होने के बावजूद हिमाचल को सर्दियों में बाहरी राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ती हैं। ऐसे कुछ ज्वलंत मुद्दाें पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से बात की जिस पर मंत्री ने सीधे जवाब दिए। पेश है मंत्री से बातचीत के अंश...
सवाल: काेराेना काल में हिमाचल को बिजली बेचने से कितना राजस्व प्राप्त हुआ ?
जवाब: कोरोना संकट के दौरान बाहरी राज्यों काे बिजली बेची तो गई, लेकिन बहुत कम। हर साल के टारगेट की तरह काेराेना काल में राजस्व लक्ष्य पूरा नहीं हाे पाया। पिछले साल बिजली बेच कर हिमाचल काे 700 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि उससे पहले 2018-19 में रिकॉर्ड 1100 करोड़ का राजस्व मिला। इस बार हमने 1 हजार कराेड़ राजस्व हासिल करने का टारगेट रखा है। काेराेना काल की बात करें ताे बिजली सस्ती बिकी, जिस कारण राजस्व भी कम आया।
सवाल: हर साल कितनी बिजली बेची जाती है? क्या हिमाचल भी अन्य राज्यों से बिजली खरीदता है?
जवाब: बिजली बेचने और खरीदने का कोई फिक्स टारगेट नहीं हैं। हिमाचल से बाहरी राज्य गर्मियों में ही बिजली खरीदते हैं, जबकि बाहरी राज्यों से हिमाचल सर्दियाें में बिजली खरीदता है। ऊर्जा राज्य हिमाचल में 19 हजार मिलियन यूनिट बिजली पैदा होती है, जिसमें से हम करीब 8 हजार मिलियन यूनिट बेचते हैं। हम बाहरी राज्यों काे ऋण प्रणाली के आधार पर बिजली बेचते हैं। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड राज्य काे बिजली बेची जाती है। यह भी कहना चाहूंगा कि हिमाचल में इस वक्त 3639 मेगावाट बिजली पैदा होती है, जिसमें से विद्युत बोर्ड को 748 मेगावाट फ्री दी जाती है।
सवाल: क्या कारण है कि कई वर्षों से प्रस्तावित बिजली प्राेजेक्ट्स का काम शुरू नहीं हाे पाया, क्या सरकार की ओर से कुछ राहत मिलेगी ?
जवाब: हिमाचल प्रदेश में सालों से अपने प्रोजेक्टों पर काम शुरू नहीं कर पाए ऊर्जा उत्पादकों को राहत देने के लिए सरकार ने योजना बनाई है, जिसका लाभ उठाने ऊर्जा उत्पादक आगे आए हैं। अभी 224 उत्पादकों में से 192 उत्पादकों ने सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। इनके साथ जल्दी ही नए सिरे से एमओयू होंगे और इनको एक तय अवधि दी जाएगी जिसमें प्रोजेक्ट का काम करना होगा। प्रोजेक्ट निर्माण में सालों लग रहे हैं क्योंकि समय पर एनओसी नहीं मिल पा रही। एनओसी दिलाने के लिए नीतियों को कुछ सरल बनाने के बारे में सरकार सोच रही है जिस पर जल्दी फैसला होगा। इसके साथ जिन उत्पादकों ने आवेदन किए हैं उनको यहां पर वन टाइम एमिनिटी के माध्यम से राहत दी जाएगी और सरकार अब प्रयास करेगी कि उनके प्रोजेक्ट जल्द बन जाएं। 40 साल के बाद परियोजना वैसे भी राज्य सरकार को मिल जाएगी जो एमओयू में शर्त रहती है। बीओटी आधार पर यहां बिजली की परियोजना मिलती है। अभी प्रोजेक्ट समय पर नहीं लगने से सरकार को भी बड़ा नुकसान हो रहा है। समय पर उसे रॉयल्टी भी नहीं मिलेगी, क्योंकि प्रोजेक्ट नहीं लग पाया। ऐसी 224 छोटी व बड़ी बिजली परियोजनाएं हैं जिनका काम शुरू ही नहीं हो सका क्योंकि एनओसी नहीं मिल पाए।
सवाल: ऊर्जा उत्पादकों काे राहत देने से से सरकार काे क्या लाभ होगा ?
जवाब: एक बड़ी योजना यहां पर ऊर्जा उत्पादकों को राहत देने के लिए सरकार ने बनाई है जो सही तरह से सिरे चढ़ती है तो सरकार को भी फायदा होगा। अभी प्रोजेक्ट न बन पाने से सरकार का भी करोड़ों रुपए का नुकसान है। सालों पहले जिन शर्तों के आधार पर उत्पादकों ने प्रोजेक्ट हासिल किए थे, उनको भी वर्तमान समय की जरूरतों को ध्यान में रखकर बदला जाएगा। इस समय बाजार में बिजली का रेट भी देखा जाएगा। इसमें से सरकार की वन टाइम एमिनिटी योजना के तहत 192 ऊर्जा उत्पादकों ने आवेदन किया है। हिम ऊर्जा के पास ऐसे 168 आवेदन आए हैं जिनमें ऊर्जा उत्पादक सरकारी योजना का लाभ लेना चाहते हैं। इसी तरह से ऊर्जा निदेशालय के पास 24 आवेदन हैं जो बड़े प्रोजेक्ट हैं और वह भी चाहते हैं कि उनके साथ नए सिरे से एमओयू हो।
सवाल: बिजली बोर्ड के कर्मचारी प्रबंधन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, इस बारे जानकारी है?
जवाब: प्रदेश सरकार ने कभी भी कर्मचारियों के खिलाफ नीति नहीं बनाई। हर बार बजट में राहत देने का प्रयास किया गया। बावजूद इसके बिजली बोर्ड के कर्मचारी प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन की धमकी देते हैं, जो सही नहीं हैं। जहां तक भ्रष्टाचार के आरोप की बात है, इस बारे काेई सूचना नहीं हैं। ऐसा है जिसकी बात कर्मचारी कर रहे हैं, वह इससे पहले चीफ इंजीनियर थे और बाद में प्रमोशन भी दी गई। ताे उस वक्त कहां था भ्रष्टाचार। मैं कर्मचारियाें से आग्रह करता हूं कि बेवजह आरोप लगाना बंद करें।
सवाल: जंगी-थोपन बिजली परियोजना के लिए सर्वे काे काम चला हुआ है, निर्माण कार्य कब से शुरू होगा?
जवाब: जंगी-थोपन बिजली परियोजना का निर्माण एसजेवीएन के तहत होना है। कार्य शुरु होने में अभी समय लग सकता हैं। प्रदेश में बिजली प्राेजेक्ट्स स्थापित हाेने से राज्यों काे राजस्व लाभ ही मिलेगा। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि बिजली परियोजना स्थापित होने से प्राकृतिक जल स्रोत खत्म हाे जाएंगे, ऐसा नहीं हाेगा। जहां पर भी बिजली परियोजनाओं का काम चल रहा है या चलने वाला है, वहां पर पूरी तरह साइंटिफिक तरीके से निर्माण कार्य हाेंगे। आज पूरे देश में हिमाचल काे ऊर्जा राज्य के रूप में जाना जाता है। हर प्रस्तावित परियोजना वैज्ञानिक तरीके से ही लगेगी।