मिशन रिपीट पर बोले जयराम ठाकुर
'गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले' हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव के बाद मुख्यमंत्री बदलने को लेकर कई तरह के कयास लगाए गए। गुजरात और उत्तराखंड के मॉडल्स पर चर्चे हुए, ये कहा गया की उपचुनाव में भाजपा को मिले शून्य के बाद सरकार के सरदार को बदल दिया जाएगा। बातें तो खूब हुई पर फिल्वक्त मुख्यमंत्री भी जयराम ठाकुर ही है और अब तो संगठन में भी उनकी ही छाप दिख रही है। बदलाव सिर्फ ये हुआ है की उपचुनाव की हार के बाद भाजपा अपनी गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। जयराम ठाकुर एक्शन में है और घोषणाओं पर घोषणाएं की जा रही है। हर वर्ग हर तबके को साधने का प्रयत्न भी हो रहा है और जनता से सीधा संवाद भी। ऐसा लग रहा है कि मिशन रिपीट से पहले मुख्यमंत्री विपक्ष के हर बड़े मुद्दे को खत्म करने के मिशन पर है। सरकार के मुखिया तो जयराम है ही पर अब संगठन पर भी उनकी मजबूर पकड़ दिख रही है। खुद मुख्यमंत्री ब्लॉक स्तर पर सीधा कार्यकर्ताओं से जुड़कर संगठन को धार दे रहे है। इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। सरकार के कार्यकाल का ये आखिरी वर्ष है मगर कई चुनौतियां अब भी शेष है। भाजपा के मिशन रिपीट का सपना कैसे साकार होगा और अंतिम वर्ष में जनता को ये सरकार क्या सौगात देगी, इसको लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने मुख्यमंत्री के साथ विशेष चर्चा की। पेश है उस बातचीत के कुछ मुख्य अंश
सवाल: उपचुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन भाजपा का रहा है उसे देखकर प्रदेश में ये कयास लग रहे है की मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा, क्या ऐसा कुछ हो सकता है ?
जवाब: उपचुनाव के पश्चात इस तरह के जो कयास मीडिया या लोगों के माध्यम से लगाए जा रहे है, अब तक इसमें कोई सार्थकता नहीं दिखी। ये पार्टी का अंदरूनी मामला है। जो भी करना होगा, पार्टी उचित समय पर निर्णय लेगी। मंत्रिमंडल में परिवर्तन करना हो या संगठन में, बेहतर करने के लिए जो भी पार्टी उचित समझेगी वो किया जाएगा। आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है इसलिए मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता। जो पार्टी हित में होगा वो किया जाएगा। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फिलवक्त पांच राज्यों के उपचुनाव में व्यस्त है, आने वाले समय में जो भी स्थिति बनेगी तब की बात तब ही की जा सकती है।
सवाल: पूर्ण राज्यत्व दिवस के दिन आपने कर्मचारियों को कई बड़ी सौगातें दी है, इसके बावजूद भी कई कर्मचारी असंतुष्ट है। कर्मचारियों के जो मसले लंबित है वो कब तक पूरे होंगे ?
जवाब: मैं मानता हूँ कि सभी को संतुष्ट करना काफी कठिन और जटिल काम है, लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि हर वर्ग का विकास हो। कर्मचारियों की बहुत अहम भूमिका है और हम इस बात को बखूबी समझते है। सरकार की सभी योजनाएं कर्मचारियों व अधिकारियों के जरिये ही आम जनता तक पहुंच पाती है। इसलिए कर्मचारियों को कार्य करने के लिए एक अच्छा और पॉज़िटिव माहौल मिलना चाहिए और हम इसका समर्थन करते है। इसीलिए हमने हर वर्ग के कर्मचारियों का ध्यान रखने की कोशिश की है और सभी की समस्याओं के निवारण के लिए हम प्रयास करते रहते है। नया वेतनमान जब लागू किया गया तो कर्मचारियों ने कहा कि इसमें काफी सुधार व परिवर्तन करने की ज़रुरत है। हमने उनकी मांग को सुना, वास्तविकता को समझा और परिवर्तन किये। इसके बाद भी जो कमियां है उसमें भी हमने सुधार की बात कही है। दोनों तरफ से चर्चा के बाद, वो हमारा पक्ष सुनेंगे हम उनका और सामंजस्य बिठा कर जो बदलाव करना होगा वो हम करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है की साल के अंत तक कर्मचारियों के मन में नाराज़गी के कोई भी मुद्दे नहीं रहेंगे।
सवाल: कर्मचारियों के मुद्दों की बात करें तो सबसे ऊपर पुरानी पेंशन की मांग आती है। पांच राज्यों में इस वक्त चुनाव हो रहे है वहां भी ये मुद्दा पूरे ज़ोर शोर से गूँज रहा है। आपसे आपकी राय जानना चाहेंगे क्या आप प्रदेश में कर्मचारियों की ये मांग पूरी करेंगे ?
जवाब: मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगा कि पूरे देश भर में पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पुरानी पेंशन दी जाती है। आप वहां के हालात देखिये, वहां तीन - तीन महीने तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलती , पेंशन नहीं मिलती। हिमाचल प्रदेश की अगर बात करें तो 2003 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई और हिमाचल प्रदेश की सरकार वो पहली सरकार बनी जिसने एनपीएस को स्वीकार किया। केंद्र ने ऑप्शन भेजा और यहां इनकी सरकार ने स्वीकार किया। मुझे ये बहुत विचित्र लगता है की कांग्रेस अब ये कह रही है कि हम पुरानी पेंशन बहाल करेंगे। मैं उनसे पूछता हूँ की कैसे करेंगे ? मैं बता दूँ कि कांग्रेस इस सवाल का जवाब देने की परिस्थिति में नहीं है। पंजाब में चुनाव हो रहे है। वहां कांग्रेस की सरकार है। कर्मचारियों को लुभाने के लिए वहां की सरकार ने कई मांगें पूरी की, कई घोषणाएं की, पर क्या वहां कांग्रेस पुरानी पेंशन दे पाई ? क्या कांग्रेस के पास इस बात का जवाब है। ऐसी स्थिति में इस मसले का हल निकालने की ज़रूरत है। मैं मानता हूँ ये कर्मचारियों की जायज़ मांग है। मगर इस पर कोई रास्ता निकलने की ज़रूरत है। कर्मचारी जो अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे है उसका समाधान करने के लिए हम पूरी कोशश कर रहे है। इस समस्या के समाधान के लिए हमने एक कमेटी बनाने के लिए कहा है जिसके माध्यम से हम कोशिश करेंगे कि समस्या जल्द हल हो। मूल्यांकन करेंगे, आंकलन करेंगे , इसकी फाइनेंशियल इम्प्लीकेशन जांचेंगे और इस सब के बाद जो बन पाएगा वो करेंगे। लेकिन ये इतना सरल कार्य नहीं है, बहुत ही कठिन और जटिल कार्य है। मुझे नहीं लगता कि आज की स्थिति में कोई भी प्रदेश वापस पुरानी पेंशन देने की स्थिति में है।
सवाल: विरोधी और विपक्ष अक्सर आप पर आरोप लगाते है कि आपकी अफसरों पकड़ नहीं है और सरकार पर अफसरशाही हावी है। क्या ये वास्तविकता है ? आपको नहीं लगता ये छवि चुनाव में आपके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है ?
जवाब: मैं नहीं मानता कि इन चीज़ों का कोई अभिप्राय है। जनता में अजीब धारणाएं बनाने के लिए विपक्ष के लोग कुछ भी कहते रहते है। देखिये हिमाचल देवभूमि है, सहजता और सरलता यहां का गहना है। मैं मानता हूँ कि जो काम सहजता और सरलता से कर सकते है वो हम लाठी मार कर नहीं कर सकते। कर्मचारी और अधिकारी काम में सहयोग करते है। हाँ जहां कहीं भी कुछ गलत हुआ है, उसके लिए हमारे पास एक नहीं अनेक उदाहरण है जहां हमने कठोर कार्रवाई की है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम कर्मचारियों और अधिकारियों को हर समय गाली देते रहे, ये हिमाचल की संस्कृति नहीं है। विपक्ष कहता है कि, फलाना नेता प्रशासन बहुत अच्छे से चलाते थे, क्या वो सफल हुए। क्या वो सरकार रिपीट कर पाए ? देवभूमि के लोगों को नेताओं को देवभूमि की संस्कृति के हिसाब से ही चलना चाहिए, ये ही उचित है।
सवाल: इस सरकार के कार्यकाल को चार वर्ष पूरे हो चुके है, इस अंतिम वर्ष में क्या कोई बड़ी सौगात केंद्र की ओर से प्रदेश को मिलेगी ?
जवाब: हम केंद्र सरकार के बहुत आभारी है कि हर संकट की घड़ी में केंद्र सरकार ने प्रदेश की सहायता की है। केंद्रीय वित्त मंत्री का भी हम धन्यवाद करना चाहेंगे क्यूंकि उनका भी विशेष सहयोग रहा है। स्पेशल ग्रांट के तौर पर हमें 400 करोड़ की राशि पहले प्रदान की गई थी और 200 करोड़ अभी दिया गया है। छोटा राज्य होने के बावजूद हमें ग्रांट मिल पाई है। अभी जो बजट प्रस्तुत किया गया है इसमें बहुत सारी संभावनाएं निकल कर आई है। हमें लगता है कि इस बार बहुत ही अच्छा बजट हिमाचल को मिलेगा, चाहे हम रेल कनेक्टिविटी की बात करें, चाहे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की बात करें। मैं बता दूँ कि 6 प्रतिशत की वृद्धि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में की गई है। साथ ही हिमाचल के साथ जो तिब्बत - चीन का बॉर्डर एरिया लगता है, वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में भी वाइब्रेंट विलेज का जो नया कांसेप्ट लाया गए है वो बहुत बेहतरीन है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो सुविधाएं और कनेक्टिविटी देने की बात कही गई है वो एक बेहतरीन पहल है। इसी के साथ उन क्षेत्रों में जहां रोड बनाना संभव नहीं है, जहां पैसा ज़्यादा लगेगा, समय ज़्याद लगेगा या पर्यावरण को नुक्सान होगा वहां के लिए रोपवेस की नई योजना केंद्र सरकार लाई है। ये बहुत बड़ा सराहनीय कदम है और इसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री और वित मंत्री जी का धन्यवाद करना चाहूंगा। हमने इस कांसेप्ट को उनके सामने रखा था कि जहां सड़क पहुंचाने में कठिनाई है वहां आप रोपवे दीजिये। उन्होंने इसे स्वीकार किया और बजट में इसका प्रावधान भी किया, जिसके लिए हम उनके आभारी है।
सवाल: मुख्यमंत्री जी आप तो धन्यवाद कर रहे है लेकिन विपक्ष का कहना है कि ये बजट दिशाहीन है ?
जवाब: देखिये विपक्ष खुद ही दिशाहीन है। इनका क्या कर सकते है, पूरे देश में इनके पास कोई दिशा नहीं है। परिहास का विषय बनी हुई है कांग्रेस पार्टी। मैं इतना ही कहना चाहूंगा की जब आने वाले समय में इस बजट का इम्पैक्ट आप देखेंगे तो कांग्रेस को भी मालूम हो जाएगा की देश किस दिशा में जा रहा है।
सवाल: मिशन रिपीट का सपना भाजपा संजोए हुए है मगर किसी से भी भाजपा की गुटबाज़ी छिपी नहीं है, दो धड़ों में पार्टी बंटी हुई है ऐसे में पार्टी रिपीट कैसे कर पाएगी ?
जवाब: मैं मानता हूँ कि गुटबाज़ी बिलकुल भी नहीं है। ये सारी बातें बनाई जाती है, बनाने की कोशिश की जाती है। भाजपा आज तक के इतिहास में सबसे मज़बूत नेतृत्व के हाथ में है। आदरणीय मोदी जी हमारे नेता है, देश के प्रधानमंत्री है। अमित शाह जी के पास लम्बे समय तक संगठन को संभालने का अनुभव है। साथ ही हमारे लिए गर्व की बात है कि हिमाचल से संबंध रखने वाले जगत प्रकाश नड्डा जी पार्टी के अध्यक्ष है। हिमाचल क्या पूरे देश में गुटबाज़ी की गुंजाइश नहीं है। आने वाले समय में आप देखेंगे कि भाजपा के सभी नेता एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे ,काम करेंगे और आपके सामने ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बार फिर सत्ता में आएगी।