2022 से पहले कांगड़ा में ये जीत जरूरी
15 विधानसभा क्षेत्रों वाला जिला कांगड़ा हिमाचल में सत्ता का रुख तय करता है। जिसने कांगड़ा जीता प्रदेश की सत्ता भी उसी को मिलती है और ये सिलसिला 1985 से चला आ रहा हैं। विधानसभा चुनाव में अभी एक वर्ष का समय है पर जिला कांगड़ा की फतेहपुर सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। ऐसे में दोनों दल कांगड़ा के सियासी समीकरण साधकर चलने का प्रयास करते दिख रहे है। कांग्रेस की बात करें तो 2017 केविधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी का लोकसभा चुनाव में भी सफाया हो गया था। फिर जिला परिषद में भी स्थिति कुछ खास नहीं थी। हालांकि नगर निगम चुनाव में जरूर पार्टी ठीक करने में कामयाब रही। ऐसे में फतेहपुर सीट बरकरार रखना कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है। वहीँ यदि भाजपा फतेहपुर उपचुनाव जीत जाती है तो निसंदेह ये पार्टी की बड़ी कामयाबी होगी। ऐसे में 2022 के लिहाज से ये उपचुनाव जिला में हवा बनाने बिगाड़ने का काम कर सकता है।
पिछला उपचुनाव जीती थी कांग्रेस
करीब 12 साल बाद एक बार फिर फतेहपुर में उप चुनाव होने जा रहा हैं। इससे पहले 2009 में तत्कालीन विधायक डॉ राजन सिंह सुशांत के सांसद बनने के चलते उप चुनाव हुआ था। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और प्रो प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे। बावजूद इसके भाजपा उप चुनाव हार गई थी और सुजान सिंह पठानिया के दम पर कांग्रेस ने कमाल कर दिखाया था।
पीएम मोदी की रैली भी रही थी बेअसर
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फतेहपुर से कृपाल परमार को टिकट दिया था, पर तब बागी हुए बलदेव ठाकुर और राजन सुशांत ने पुरा खेल बिगाड़ दिया था। तब खुद पीएम मोदी ने फतेहपुर में जनसभा की थी लेकिन बाजी कांग्रेस मार ले गई। अब फिर भाजपा पर दबाव है। 2007 का विधानसभा चुनाव छोड़ दे तो फतेहपुर का वोटर अर्से से भाजपा पर मेहरबान नहीं दिखा है।