हॉट सीट नई दिल्ली : 1998 से जो जीता वो ही बना सीएम !

- केजरीवाल को घेरने को भाजपा का माइक्रो मैनेजमेंट
- क्या संदीप दीक्षित बिगाड़ साकेत है केजरीवाल का खेल ?
नई दिल्ली वो विधानसभा सीट है जो विधायक ही नहीं सीएम भी बनाती है, पिछले छ चुनावों में ऐसा ही हुआ है। जो भी नई दिल्ली सीट से जीता वो ही दिल्ली का सीएम बना। पहले साल 1998 से 2008 तक यहाँ से शीला दीक्षित लगातार तीन चुनाव जीती और दिल्ली की सीएम भी बनी। हालांकि 2008 से पहले इस सीट को गोयल मार्किट के नाम से जाना जाता था। फिर 2013 से इस सीट से अरविन्द केजरीवाल लगातार जीत रहे है और तीनो मर्तबा जीतने के बाद वे दिल्ली के सीएम भी बने है। इस बार भी अरविन्द केजरीवाल इसी सीट से मैदान में है और आम आदमी पार्टी के सीएम फेस भी।
अरविन्द केजरीवाल के मुकाबले दोनों ही मुख्य पार्टियों, यानी कांग्रेस और भाजपा ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों को टिकट दिया है। भाजपा ने जहाँ साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है, वहीँ कांग्रेस ने शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है। वैसे एक दिलचस्प बात और है, ये दोनों ही एक्स सीएम पुत्र दो -दो बार सांसद भी रह चुके है। यानी नई दिल्ली सीट पर इस बार हाई वोल्टेज मुकाबला देखने को मिल सकता है।
कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित अपनी मां शीला दीक्षित द्वारा किये गए काम के नाम पर वोट मांग रहे है। माहिर मान रहे है कि अगर कांग्रेस का थोड़ा भी पुराना वोट उसके पास लौटता है तो केजरीवाल के लिए मुश्किल हो सकती है। उधर भाजपा ने भी पूरी ताकत झोंक दी है, प्रवेश वर्मा को हल्के में नहीं लिया जा सकता। वर्मा 'करो या मरो' के जज्बे से इस चुनाव को लड़ रहे है।
झुग्गी वालों को रिझाने में जुटे भाजपा और आप !
नई दिल्ली विधानसभा सीट के दायरे में झुग्गी बस्तियां भी आती है और ये वोट केजरीवाल की ताकत माना जाता है। इस वोट बैंक को साधने के लिए इस बार भाजपा ने विशेष रणनीति बनाई है। झुग्गियों में बड़े नेताओं का प्रवास हो या अमित शाह का झुग्गी बस्ती सम्मलेन, भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम आवास योजना के तहत झुग्गी वालों को घर दिए जाने का वादा भी भाजपा नेता जोर शोर से कर रहे है।
उधर, आम आदमी पार्टी ने झुगियों में फ्री बिजली-पानी तो दिया ही है, शौचालयों का निर्माण भी बड़े पैमाने पर हुआ है जिससे निसंदेह यहाँ रहने वाले लोगों का जीवन कुछ बेहतर हुआ है। पार्टी इसे तो भुना ही रही है, साथ ही केजरीवाल लगातार कह रहे है की यदि भाजपा आई तो झुग्गियों की जमीन उद्योगपतियों को दे दी जाएगी। यदि ये नैरेटिव बनता है, तो भाजपा को नुक्सान उठना पड़ा सकता है।
वहीँ बात अगर कांग्रेस की करें तो पार्टी जातिगत जनगणना के वादे के सहारे उम्मीद में है कि उसका परंपरागत वोटर वापस लौटेगा। झुग्गी क्षेत्रों में पार्टी के प्रचार में माइक्रो मैनेजमेंट नहीं दिख रहा।