हिमाचल प्रदेश बेरोजगार कला अध्यापक संघ ने नई ट्रेनी नीति पर जताया विरोध

हिमाचल प्रदेश बेरोजगार कला अध्यापक संघ ने प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई ट्रेनी पॉलिसी का विरोध करते हुए इसे अन्यायपूर्ण और तर्कहीन बताया है। संघ का कहना है कि यह नीति युवाओं को भ्रमित करने और उन्हें मानसिक तनाव में डालने का कार्य कर रही है।
संघ के अनुसार, यह कैसी नीति है जिसमें पहले अभ्यर्थी को कमीशन द्वारा परीक्षा पास करनी होगी और फिर नियुक्ति के बाद पुनः एक और परीक्षा देकर नियमित नियुक्ति प्राप्त करनी होगी। इस प्रकार की व्यवस्था से न केवल युवा तनाव में रहेंगे, बल्कि वह आर्थिक रूप से भी असुरक्षित हो जाएंगे और अपने परिवार का भरण-पोषण करना कठिन होगा।
संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार समय-समय पर नई-नई घोषणाएं कर बेरोजगार युवाओं को केवल भ्रमित कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि वर्षों से नई भर्तियाँ नहीं निकाली जा रही हैं। तीन वर्षों में सरकार का बेरोजगारी के प्रति रवैया पूरी तरह से निराशाजनक रहा है।
संघ ने कहा कि इससे पूर्व जो भी मुख्यमंत्री हुए हैं, उन्होंने बेरोजगारों की मांगों पर ध्यान दिया है। लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री के कार्यकाल में बेरोजगारों की अनदेखी की गई है और उनकी समस्याओं का उपहास उड़ाया गया है।
चुनावों के समय युवाओं को रोजगार देने के वादे किए गए थे, लेकिन अब सरकार उन्हीं वादों के विपरीत कार्य कर रही है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी को इसका गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त संघ ने कहा है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को पत्र लिखकर इस अन्यायपूर्ण नीति की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्कूलों को हिमाचल प्रदेश में बंद किया गया है, उसकी पूरी सूची भी उन्हें भेजी जाएगी ताकि उन्हें वास्तविक स्थिति का ज्ञान हो सके।
अंत में संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि नई ट्रेनी नीति को अविलंब रद्द किया जाए और बेरोजगार युवाओं को स्थायी एवं न्यायसंगत रोजगार की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए।