पालमपुर : पशुओं के रोग निदान पर वैज्ञानिकों को 21 दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण आरम्भ
पालमपुर : भाकृअनुप-आईवीआरआई, क्षेत्रीय स्टेशन, पालमपुर द्वारा "पशुधन क्षेत्र के सतत विकास के लिए पशु चिकित्सा अनुसंधान में प्रगति" पर 21 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन बुधवार से आरम्भ हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. डॉ. हरेंद्र कुमार चौधरी, कुलपति सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने किया। उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के साथ-साथ देश में पशुपालन की समस्याओं पर प्रकाश डालते आयुर्वेद द्वारा पशुओं की भलाई के लिए प्राचीन काल में प्रचलित पशु चिकित्सा परंपराओं का वर्णन किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की गद्दी बकरियों के संपूर्ण मांस प्रोफाइल का अध्ययन करने और आवारा पशुओं की आबादी से निपटने के लिए सेक्स्ड सीमेन तकनीक अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आयोजकों को बधाई दी जो समय की मांग है और कार्यक्रम की शानदार सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। उद्घाटन समारोह के दौरान, पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. सुदेश राडोत्रा ने प्रशिक्षण के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने डॉ. त्रिवेणी दत्त, निदेशक, आईसीएआर-आईवीआरआई, बरेली (यूपी) को उनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष व संयुक्त निदेशक विस्तार शिक्षा आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर डॉ. हरिंदर कुमार आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर की उपलब्धियों के बारे में बताया और क्षेत्रीय स्टेशन, पालमपुर द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। डॉ. अमरेश चंद्रा, निदेशक भाकृअनुप-भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी, डॉ. ए. साहू, निदेशक राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र, बीकानेर, राजस्थान और डॉ. अनिल कुमार निदेशक, केंद्रीय कृषि महिला संस्थान भुवनेश्वर, ओडिशा ने इस दौरान विशिष्ट अतिथि के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। उद्घाटन में निदेशक अनुसंधान सीएसके एचपीएयू, पालमपुर और सह-पाठ्यक्रम निदेशक, डॉ रिंकू शर्मा, डॉ देवी गोपीनाथ, डॉ गौरी जैरथ और डॉ अजयता रियाल ने भाग लिया। अंत में डॉ. रिंकू शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, आईवीआरआई, क्षेत्रीय स्टेशन, पालमपुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।बारामूला, जम्मू-कश्मीर संघ शासित प्रदेश समेत 150 से अधिक शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने पंजीकरण कराया है और पशुधन क्षेत्र के क्षेत्र में अपने ज्ञान और कौशल को अद्यतन करके लाभान्वित होंगे। कार्यशाला में भारत भर के विभिन्न क्षेत्रों और विशेषज्ञताओं और विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ वक्ता व्याख्यान देंगे।
