ओपीएस या एनपीएस चुनने के लिए 60 में मांगा विकल्प
सुक्खू सरकार ने अपना वादा पूरा कर दिया है l करीब 20 साल बाद प्रदेश के कर्मचारियों को उनके बुढ़ापे का सहारा यानी पुरानी पेंशन लौटा दी गई है l छत्तीसगढ़ को आधार बनाकर हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दी गई है और अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। एक लम्बे संघर्ष पर विराम लगा है और प्रदेश के कर्मचारी लगातार सरकार का धन्यवाद कर रहे है। विधानसभा चुनाव के दौरान ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करना कांग्रेस की दस में से पहली गारंटी थी। इस गारंटी से कांग्रेस कर्मचारियों को अपनी तरफ करने में कामयाब रही थी और कांग्रेस को चुनाव में इसका फायदा भी मिला। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहली ही कैबिनेट बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का फैसला लिया। इसके बाद सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना जारी की गई। नगर निगम चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद प्रदेश सरकार ने इसकी एसओपी भी जारी कर दी।
ओल्ड पेंशन को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विस पेंशन रूल्स 1972 में संशोधन किया है। इसके प्रावधानों के अनुसार एनपीएस से ओल्ड पेंशन स्कीम में आने वाले कर्मचारियों को एनपीएस में दिया अपना कंट्रीब्यूशन पूरा मिलेगा, लेकिन राज्य सरकार का कंट्रीब्यूशन और उस पर कमाया गया डिविडेंड वापस लौटाना होगा। राज्य सरकार इसे अलग हेड में जमा करेगी। जो कर्मचारी एनपीएस में रिटायर हो गए हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है, वे भी ओल्ड पेंशन के हकदार होंगे, लेकिन आवेदन करने के बाद। यानी इन्हें पिछली पेंशन या एरियर नहीं मिलेगा। साथ ही इन्हें भी एनपीएस का गवर्नमेंट कंट्रीब्यूशन सरकार को वापस करना होगा।
15 मई, 2003 से 31 मार्च, 2023 तक रिटायर हो चुके एनपीएस कर्मचारियों के लिए हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विसेस कंट्रीब्यूटरी पेंशन रूल्स 2006 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन से एनपीएस में रिटायर हो चुके या मृत्यु को प्राप्त हो चुके कर्मचारियों के परिवारों को भी कुछ शर्तों के साथ ओल्ड पेंशन मिल जाएगी। हिमाचल सरकार ने ओल्ड पेंशन लागू करने के फैसले को ऑप्शनल रखा है। यानी कर्मचारियों को इसके लिए 60 दिन के भीतर अपना विकल्प देना होगा। एक बार दिया हुआ विकल्प बदला नहीं जा सकेगा। इससे 1.36 लाख एनपीएस कर्मचारियों को सीधे तौर पर राहत मिल गई है।
ऐसे में कर्मचारी पेंशन लेने का नहीं होगा हकदार :
अगर कोई कर्मचारी ओपीएस में आना चाह रहा है, लेकिन इस अंशदान और लाभांश को सरकारी खाते में जमा करने में असफल होगा और अगर वह इस राशि को ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट और जीआईएस के विरुद्ध जमा करने में भी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाता है, तो ऐसा कोई भी कर्मचारी केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियमों के तहत किसी पेंशन को लेने का हकदार नहीं होगा।