राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को लिखा पत्र

राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने कहा कि उन्होंने दिनांक 31 दिसम्बर 2024 को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखकर पवित्र मणिमहेश यात्रा के इंतज़ामों के बारे में पहले ही चेताया था। इसके बावजूद समय रहते आवश्यक इंतजाम नहीं किए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि सरकार ने समय रहते आवश्यक तैयारियाँ की होतीं तो आज श्रद्धालुओं को इस आपदा और कठिनाइयों का सामना न करना पड़ता।
उन्होंने कहा कि मणिमहेश एक पवित्र तीर्थ स्थल है और पूरे भारत वर्ष से लाखों श्रद्धालु दर्शन एंव स्नान के लिए यहां आते हैं। लेकिन बग्गा से भरमौर के बीच संकरी सड़क होने के कारण दर्शनार्थियों को 14 से 15 घंटे जाम का सामना करना पड़ता है। यही हाल बग्गा से हड़सर के आगे पैदल मार्ग का भी है। श्रद्धालु हड़सर तक ही मोटर वाहन से आ सकते है। लेकिन, इसके आगे श्रद्धालु यात्रियों को पैदल मार्ग का ही रूख करना पड़ता है। रास्ता खराब होने के कारण भारी भीड़ होने से चम्बा प्रशासन की प्रबंधकीय व्यवस्था भी चरमरा गई है।
इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भरमौर से हड़सर के बीच गाड़ी पार्किंग करने के लिए स्थान चिन्हित कर बहुमंजिला पार्किंग के साथ-साथ सराय भवन, रैन बसेरा इत्यादि निर्माण की भी आवश्यकता है। इससे दर्शनार्थियों के लिए यात्रा भी सुगम होगी, और चम्बा जिला अति पिछड़ा होने के कारण यहाँ के स्थानीय बेरोजगार लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान होगें। साथ ही सांसद हर्ष महाजन ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए, ताकि आगामी वर्ष 2025 में होने वाली पवित्र मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके।
लेकिन दुर्भाग्यवश मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिसका असर स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से पवित्र मणिमहेश के दर्शन करने पहुंचे यात्रियों पर भी पड़ा अब सांसद हर्ष महाजन ने एक बार फिर प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए समय रहते ठोस कदम उठाए जाएँ, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके |
महाजन ने पत्र में उल्लेख किया है कि मणिमहेश यात्रा देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन एवं स्नान के लिए पहुँचते हैं। यात्रा के दौरान संकरी सड़कों के कारण श्रद्धालुओं को 14–15 घंटे तक जाम का सामना करना पड़ता है। हेलिकॉप्टर सेवा के अलावा श्रद्धालुओं को हडसर तक मोटर मार्ग और उसके आगे पैदल मार्ग से यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन खराब रास्तों और प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।