शिमला : परवाणू-शिमला हाईवे की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त, एनएचएआई को फटकार

शिमला-सोलन-परवाणू राष्ट्रीय राजमार्ग पर जनता की परेशानियों को देखते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने एनएचएआई की कार्यप्रणाली पर कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि प्रीमियम हाईवे की हालत बद से बदतर है, और इसकी अनदेखी से आम जनता और राज्य की अर्थव्यवस्था दोनों को गहरा नुकसान हो रहा है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने मामले में क्षेत्रीय अधिकारी को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत तौर पर पेश होने और ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने साफ कहा कि सिर्फ कागजी दावे नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत सामने रखनी होगी।
कोर्ट ने एनएचएआई के हलफनामे को भ्रामक करार दिया। एनएचएआई ने दावा किया था कि हाईवे पर स्टोन क्रशर महज़ 20 मीटर क्षेत्र में है, लेकिन मौके पर यह दायरा 200 मीटर से भी कम नहीं पाया गया। इससे न केवल सड़क की चौड़ाई घटी बल्कि यातायात भी लगातार प्रभावित हुआ। अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के फैसलों की तरह सनवारा टोल प्लाजा बंद करने का आदेश दिया जा सकता है। साथ ही, अदालत ने वर्ष 2017 से अब तक वसूले गए टोल टैक्स का पूरा ब्योरा मांगा है।
वही सेब सीजन का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि बागवानों को लगातार ट्रैफिक जाम से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जुलाई-अगस्त में चक्की मोड़ पर सड़क तीन से अधिक बार बंद रही, जिससे पांच किलोमीटर तक लंबा जाम लगा।
हाईकोर्ट ने परवाणू से सोलन-कैथलीघाट तक काम करने वाले सभी ठेकेदारों का पूरा विवरण मांगा है, ताकि यह पता चल सके कि कहीं ठेके देने में गड़बड़ी या सांठगांठ तो नहीं हुई। अदालत ने सलोगड़ा में अपोलो टायर्स के पास बन रहे पुल की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठाए। पाया गया कि एक पिलर की ऊंचाई मानकों पर खरी नहीं उतर रही है। जिसके बाद कोर्ट ने इस पुल पर अब तक खर्च की गई राशि का पूरा हिसाब और ठेकेदारों के खिलाफ हुई कार्रवाई का ब्यौरा भी मांगा है।
अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी। अदालत ने साफ संकेत दे दिए हैं कि अगर एनएचएआई ने जिम्मेदारी नहीं निभाई, तो टोल बंद करने जैसे कड़े कदम उठाए जाएंगे।