हिमाचल प्रदेश करोड़ों देवी- देवताओं के वास के लिए प्रसिद्ध है और शायद यही वजह है कि स्थानीय लोगों सहित बाहरी राज्यों के लोगों में भी इन देवी- देवताओं के प्रति अपार श्रद्धा है। इन देवी- देवताओं से जुड़े हर मंदिरों में लोगों की गहरी आस्था है और आज ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। यह मंदिर है, तरंण्डा देवी मंदिर। हिमाचल प्रदेश जिला किन्नौर के एनएच-5 के किनारे स्थित इस मंदिर की मान्यता है कि यहां से गुज़रने वाले हर भक्त को मंदिर में माथा टेकना चाहिए,ऐसा न करने पर उसके साथ कुछ अनहोनी हो सकती है। यह मंदिर जिला शिमला रामपुर से करीब 40 किमी दूरी पर स्थित है। पौराणिक कथा कहा जाता है कि 1962 में जब भारत,चीन के बीच युद्ध हुआ तो सेना ने यहां के रास्ते से रोड़ बनाने की सोची ताकि बॉर्डर तक सेना को गोला बारूद और अन्य सामान पहुंचाया जा सके क्यूंकि पहले रोड़ सिर्फ रामपुर तक ही था। 1963 में सेना के GREF विंग ने यहां सड़क बनाने का काम शुरू किया लेकिन तरंण्डा के आगे रोड़ बनाना मुश्किल हो गया। उन दिनों यहां चट्टानें गिरने से आए दिन किसी न किसी मज़दूर की मौत हो जाती थी। ऐसे में परेशान सेना के लोग, गांव के लोगों के साथ गांव में बने मंदिर मां चंद्रलेखा के पास पहुंचे। सेना ने माता के समक्ष सारी व्यथा सुनाई। देवी ने बताया कि यहां पर किसी शक्ति का प्रकोप है। उससे बचने के लिए मुझे इस जगह स्थापित करो। मैं इस जगह स्थापित होना चाहती हूं। यहां मेरे नाम से मंदिर एक बनाओ सब कुछ ठीक हो जाएगा। बस फिर क्या था सेना के लोगों ने 1965 में मां का मंदिर यहां स्थापित करवाया और फिर सब कुछ ठीक हो गया। विशेषताएं यह मंदिर ज़िला शिमला के रामपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर किन्नौर ज़िले के एनएच-5 के किनारे स्थित है। मंदिर की देखरेख सेना करती है। सेना के जवान यहां पूजा-पाठ का काम संभालते हैं। यहां से गुजरने वाली हर गाड़ी मंदिर में रुकती है। सब लोग तरंण्डा मां के इस मंदिर में माथा टेकते हैं फिर आगे बढ़ते हैं ताकि कोई अनहोनी न हो। मंदिर बनने के बाद आज तक वह कोई अनहोनी नहीं हुई। यह मंदिर दिखने में बहुत ही आकर्षित लगता है। हर नवरात्रो में सेना द्वारा यहाँ भण्डारा दिया जाता है।
आज हम आपको उत्तरी भारत के इकलौते सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह मंदिर देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला रामपुर से 18 किलोमीटर दूर नीरथ गांव का एक प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। यह स्थान शिमला से रामपुर की ओर आते रास्ते में ही पड़ता है जो कि उत्तर भारत व हिमाचल प्रदेश का एकमात्र मंदिर है। पौराणिक कथा जानकारों की मानें तो जब भगवान परशुराम ने अपने पिता के आदेश पर माता रेणुका की हत्या कर दी थी। इसके बाद मातृ दोष से मुक्त होने के लिए उन्हें हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में पांच मंदिरों की स्थापना करने को कहा गया था। इसके बाद उन्होंने नीरथ में सूर्य नारायण मंदिर, करसोग में कामाक्षा देवी मंदिर और मवेल महादेव, दत्तनगर में दत्तात्रे स्वामी और निरमंड में अंबिका माता मंदिर की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक यह उत्तरी भारत का एक मात्र सूर्य नारायण मंदिर अपने गौरवमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। विशेषताएं यह मंदिर शिमला ज़िले के निरथ में स्तिथ है। यह मन्दिर उत्तर भारत का एकलौता सूर्य मन्दिर भी है। मंदिर की स्थापना सम्भवत: परशुराम ने की थी। इस मंदिर का उलेल्ख 1908 में मार्शल ने किया था। मंदिर के गर्भगृह में पाषाण सूर्य प्रतिमा 3 फुट ऊँची और 4 फुट चौड़ी है। मन्दिर में कई शिवलिंग भी है। मन्दिर का क्षेत्रफ़ल 300 वर्ग गज है। इस मंदिर में पत्थरों पर नक्काशी की गई है, जो शायद ही देश के दूसरे मंदिरों में होगी। मन्दिर के निर्माण में पत्थर व लकड़ी का मिलाजुला रुप दिखायी देता है। मंदिर में नृत्य मग्न गणेश,शिव-पार्वती और अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां है। मंदिर के बाहरी दीवार पर बारह अवतार,लक्ष्मी नारायण,आठ भुजाओं वाले गणेश और ब्रम्हा की मूर्तियां स्थापित हैं। मध्य भाग में चारों तरफ सूर्य की प्रतिमाएं और सिंह की प्रतिमाएं निर्मित है। प्रत्येक वर्ष शरद ऋतु के आरम्भ में यहाँ एक मेले का आयोजन किया जाता है। राहुल सांस्कृत्यान ने अपनी पुस्तक में इस मंदिर का उलेल्ख किया है।
Lavya Bags First Position in Bilingual Debate Expressing her views with panache, Lavya Bhasin from Pinegrove School Solan took the best speaker award in the 4th edition of the Mohinder Memorial Bilingual Turncoat Debate which was held at Pinegrove School, Dharampur. Sixteen teams from across India participated in the event to test and hone their intellectual, debating and oratory skills. The event was judged by a team of learned academicians. The judges for Hindi language were Dr. Mukesh Sharma and Mr. Hemank Kapil, and for English language were Dr. Harsh Vardhan Singh Khimta and Group Captain Sudhir Diwan. The topic for the finals was ‘Abrogation of Section 370 was right’. The representatives of various schools spoke vehemently on the issue and came up with their perspective regarding the same. They cited reasons and supported them with suitable examples from real life, to justify their stand. The speakers formally presented their arguments in a disciplined manner through logical consistency, factual accuracy and some degree of emotional appeal. The overall winner of the competition was Army Public School, Dagshai whereas the runners-up team was from The Scindia School, Gwalior. The second position was bagged by Shaurya Veer Singh of SelaQui International School, Dehradun while the third best speaker was taken by Shreya Singla of Yadavindra Public School, Mohali. Padma Shree, Prof. Dr. Pushpesh Pant, Former Professor of International Relations at JNU, Delhi was chief guest on the final day and gave away the prizes.xpressing her views with panache, Lavya Bhasin from Pinegrove School Solan took the best speaker award in the 4th edition of the Mohinder Memorial Bilingual Turncoat Debate which was held at Pinegrove School, Dharampur. Sixteen teams from across India participated in the event to test and hone their intellectual, debating and oratory skills. The event was judged by a team of learned academicians. The judges for Hindi language were Dr. Mukesh Sharma and Mr. Hemank Kapil, and for English language were Dr. Harsh Vardhan Singh Khimta and Group Captain Sudhir Diwan. The topic for the finals was ‘Abrogation of Section 370 was right’. The representatives of various schools spoke vehemently on the issue and came up with their perspective regarding the same. They cited reasons and supported them with suitable examples from real life, to justify their stand. The speakers formally presented their arguments in a disciplined manner through logical consistency, factual accuracy and some degree of emotional appeal. The overall winner of the competition was Army Public School, Dagshai whereas the runners-up team was from The Scindia School, Gwalior. The second position was bagged by Shaurya Veer Singh of SelaQui International School, Dehradun while the third best speaker was taken by Shreya Singla of Yadavindra Public School, Mohali. Padma Shree, Prof. Dr. Pushpesh Pant, Former Professor of International Relations at JNU, Delhi was chief guest on the final day and gave away the prizes.
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितम्बर सोमवार को मनाया जा रहा है। यह पर्व हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिन तक पूजन किया जाता है। नौ दिन बाद गाजे बाजे से श्री गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। कब शुरू हो रही है गणेश चतुर्थी तिथि इस साल गणेश चतुर्थी 02 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 9 बजकर 1 मिनट से शुरू होने जा रही है, जो 3 सितंबर सुबह: 6 बजकर 50 मिनट तक है। इस दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और 9 दिनों तक इसकी पूजा अर्चना करते हैं। और 10वें दिन धूमधाम के साथ भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन करते हैं। आपको बता दें कि इस बार गणेश विसर्जन की शुभ तारीख 12 सितंबर है। बता दें कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी और स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के वक्त की जाती है। गणेश चतुर्थी का महत्व हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है। कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्तुति के बिना अधूरा है। हिन्दुओं में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरुआत होती है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी यानी कि भगवान गणेश के जन्मदिवस को देश भर में पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाया जाता है। सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्कि भगवान गणेश का जन्म उत्सव पूरे 10 दिन यानी कि अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। पौराणिक जन्म कथा शिवपुराण के अन्तर्गत माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपालबना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। गणेश्वर!तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। मान्यता है चन्द्र-दर्शन निषिद्ध प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है। जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है।
In the beautiful woods of a small town in Himachal Pradesh resides the heavenly deity, Maa Tara. Himachal Pradesh is well known for its mesmerizing beauty, lush green forests and of course it is land of splendid mountains, a pristine place which feeds and provides solace to the mind and soul, a pious land which is associated with the supernatural . The enigma of a place which attracts people from every nook and corner of the world . Along being praised for its natural beauty Himachal is also referred as the "Dev-Bhoomi" which means the "abode of God." One can say that Himachal is the smaller and diversified version of India because various deities residing in this heavenly place . One of the most praised deity of Himachal is Maa Tara Devi. Tara devi temple is located in the mid of the thick forest of oak and rhododendron on Tarab hills in Shimla Himachal Pradesh. This temple is famous for its divine beauty and spiritual peace. Tara Devi Temple is situated at a height of 1851 meters above sea level. It is about 11 kilometers away from Shimla. Tara Devi Temple is accessible by rail, bus and car, but the best way to enjoy the magnificent beauty of the place is to follow the path of the Tarab trek . HISTORY The history of tara devi temple dates back about 250 years ago. It is believed that Maa Tara Devi was brought to Himachal from West Bengal. A King from the sen dynasty of Bengal once visited Himachal. He was in the habit of carrying the idol of his family in the upper torso of his arm. One day while hunting in the dark and dense forests of Juggar, Raja Bhupendra Sen fell asleep and had a dream; in the dream he saw his family deity Ma Tara and her consorts Dwarpal Bhairav and Lord Hanuman requesting him to unveil them before the common economically dis- empowered populace. Inspired by his dream, Raja Bhupendra Sen donated 50 bighas of land and sponsored the construction of a temple in the land. The first Idol was made of wood which was installed in accordance with Vaishnav traditions. Later generations of the Sen Dynasty gradually improved the structure. Raja Balbir Sen commissioned the 'Ashtadhatu' deity which is still seen today. THE TUNNEL WAY The trek start from taradevi railway station and runs up to the temple. You may continue the trek from the jungle above the railway station or from the railway track which will include tunnel 91 of the Kalka Shimla railway line. This is the second longest tunnel of the track 992 meters. There is a long story behind this tunnel too It is believed that as this tunnel was being built under the residence of a powerful goddes , the workers were scared of working there as they didn’t want to face the goddess’ wrath. Work had to be stopped for a little while when a breathing pipe was mistaken for a large snake sent by the goddess herself. The tunnel is very long and a bit narrow so its tough to cross it. You must ask station master before crossing it to assure that there is no train coming and you have plenty of time to cross it . According to locals many people committed suicide in that tunnel and some got accidently killed by the train while they passing through the tunnel . That tunnel is a bit haunted but would give you plenty of thrill for sure . After passing the tunnel the path continues along the railway trek and then you have to climb the hill covered by dense forest of oak and rhododendron to reach your destination . THE JUNGLE WAY This way totally involve a narrow path through a dense forest . One has to hike for about two hours to reach the temple . Through the dense forest of the pinewood, oak, Rhododendron , rich in flora and fauna, passing through the green meadows on the way, it is one of the most beautiful walks around Shimla. The meandering foot path, climbs gently to the top of the hill and it turns to be a tireless climb. On the way to the top there are various places which offer wide panoramic views of Shimla town with the Himalayas at back. Atmosphere of the hike rejuvenates the nature lovers and common tourists visiting this sacred temple, which provides excellent views. Pine – scented mild breeze on the way refreshes people beyond expectations. The trek starts from tara devi bus stand that is base of the mountain when you reach their you will realize that the world might have taken a leap of ten years, but the trees and the jungle still stand just the same. They stand tall, proud, looking down on all of us . The jungle beckons you . The total distance of the trek is 4 kms and most of it is uphill, and through a jungle trail. This trek can be undertaken around the year. Just be careful of the running streams in monsoon and the snowy trails in winter. On the whole trail will just see a handful of people otherwise it will just be the jungle and you . Not a soul around and almost pin drop silence. The first stretch of half an hour or so is a gradual slope that circles the mountain. Before you reach the half way mark the trail becomes more steeper, and a little tiresome . After you will complete half way , you will see the remains of a rain shelter with a broken hand pump . After walking a bit you will soon reach a place where you will see four mobile towers on the top of mountain . The view from that point will take you to another world , from there you can get the glimpse of whole Shimla . The jungle in this last stretch is mesmerizing, there are pockets which get very little sun and have huge ferns, in deep greens growing here . After this a walk of few more minutes through the woods and you will reach your destination . The jungle is fierce and interesting so definitely a place to visit . SHIV KUTIYA After visiting tara devi temple and tasting the divinity in the air you may now move further to Shiv Kutiya . A small temple of lord shiva located under the tara devi temple in the dense forest gives you the feel of Lord Shiva actually residing in Kailash. The temperature of the temple is naturally lower than other parts of the jungle. It is believed that many years ago a saint who used to meditate here He stayed here even at the worst of temperature , be it deepest of winters he could be found only in a langot with ash smeared all over him. He was believed to be from South India, and a qualified engineer from Merchant Navy. The only thing you will sense there is the extreme peace and divinity in the air .Temple has the Samadhi of one more saint who meditated here. There is a small room along the temple where you will see a log burning continuously most probably called baba g ka dhoona . It is believed that the babaji is in mediation here, and the ash from the log is supposed to be prasad for his followers. This temple is a feast for all the Lord Shiva bhakt .
कलराज मिश्र के स्थान पर बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक रविवार को पांच राज्यपालों की नियुक्ति और तबादले किए गए हैं। राष्ट्रपति भवन कार्यालय द्वारा रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का तबादला कर उन्हें राजस्थान की कमान सौंपी गयी है। इसी के साथ भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल, आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल, और डा . तमिलिसाई सुंदरराजन तेलंगाना के राज्यपाल के पद की जिम्मेदारी संभालेंगे । बता दें कि अभी कुछ ही समय पहले कलराज मिश्र को हिमाचल का राज्यपाल बनाया गया था और अब फिर उन्हें बदल दिया गया है।
किसी महानुभव ने कहा है कि विपक्ष को नसीहत देना सत्ता पक्ष का जन्मजात गुण होता हो और उसे न मानना ही विपक्ष को विपक्ष बनाता है। सही या गलत, पर भई हिंदुस्तान की राजनीति तो ऐसे ही चलती है। यहाँ विपक्ष का काम विरोध करना है और ये विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए ही होता है, और सत्ता पक्ष अक्सर उन्हें बेवजह विरोध न करने की नसीहत देता है। पर बेचारा विपक्ष भी क्या करें, आखिर धरना-प्रदर्शन और सत्ता विरोधी स्वर उठाकर ही नेता का पोर्टफोलियो मजबूत जो होता है। पर लगता है अपनी दुर्गति से तंग आ चुकी कांग्रेस अब इस परिपाटी को बदलना चाहती है। पार्टी की हालत वैसे भी डायनासौर की आखिर पीढ़ी जैसी है, ऐसे में कोंग्रेसियों ने निर्णय लिया है कि विकास के लिए वे सत्ता के कंधे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ेंगे। देर आयद दुरुस्त आयद ! इस बदलाव के नायक हिमाचल के कांग्रेसी विधायक है और दिलचस्प बात ये है इसकी शुरुआत भी उन्होंने अपने घर से की है। जब जयराम सरकार विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन संशोधन विधेयक, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष वेतन संशोधन विधेयक और मंत्रियों के वेतन और भत्ता संशोधन विधेयक सदन में लाई, तो बेवजह गरजने वाले कांग्रेसी शेरों ने चू तक नहीं की।आवाज निकली जरूर पर ध्वनि मत से बिल पास करने के लिए और विधानसभा में मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों के यात्रा भत्ता बढ़ाने को लेकर तीनों बिल फटाक से पास हो गए। पर एक आदमी इस बात को नहीं समझ रहा, पता नहीं क्यों हल्ला मचाया हुआ है ? ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने को पता नहीं आपत्ति क्यों है ? सिंघा को समझना चाहिए कि भई जनता के टैक्स से इन जनता के सेवकों के लिए इतना तो किया ही जा सकता है। खेर राकेश सिंघा कर भी क्या लेंगे ! अकेला चना भाड़ नहीं भोड़ता। कितना भी चिल्ला लो सिंघा महोदय पर अब इन जनसेवकों का यात्रा भत्ता मौजूदा 2.50 लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर 4 लाख होने जा रहा है। इस व्यवस्था से राजकोष पर वार्षिक 2.20 करोड़ का अतिरिक्त भार जरूर पड़ेगा, पर आखिर जनता भी कोई फर्ज होता है !
तहसील जुब्बल कोटखाई में मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर है। यह शिमला से लगभग 110 किमी की दूरी पर समुद्रतल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर पब्बर नदी के किनारे समतल स्थान पर है। मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 700-800 वर्ष पहले हुआ था। मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी, जहां पर पांडवों ने अपने गुप्त वास के कई वर्ष व्यतीत किए। माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी,राईनाला और पब्बर नदी के संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर स्थित है । मूलरूप से यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था,बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया। मंदिर के दक्षिण पश्चिम में चार छोटे शिखर शैली के मंदिर देखने को मिलते हैं। यह मुख्य अर्धनारिश्वरी मंदिर के अंग माने जाते हैं। मां हाटकोटी के मंदिर में एक गर्भगृह है जिसमं मां की विशाल मूर्ति विद्यमान है। यह मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। इतनी विशाल प्रतिमा न केवल हिमाचल में ही बल्कि भारत के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती। प्रतिमा किस धातु की है इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। यहां के स्थायी पुजारी ही गर्भगृह में जाकर मां की पूजा कर सकते हैं। कहा जाता है की यहाँ आने पर माता बीमारियों को दूर करती है। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के बाई ओर एक ताम्र कलश लोहे की जंजीर से बंधा है जिसे स्थानीय भाषा में चरू कहा जाता है। चरू के गले में लोहे की जंजीर बंधी है। यहां की मान्यता है कि सावन भादों में जब पब्बर नदी अत्यधिक बाढ़ से ग्रसित होती है, तब हाटेश्वरी मां का यह चरू सीटियां भरता है और भागने का प्रयास करता है। मंदिर के दूसरी ओर बंधा चरू नदी के वेग से भाग गया था, जबकि पहले को मंदिर पुजारी ने पकड़ लिया था। चरू पहाड़ी मंदिरों में कई जगह देखने को मिलते हैं। इनमें यज्ञ में ब्रह्मा भोज के लिए बनाया गया हलवा रखा जाता है। एक लोकगाथा के अनुसार इस देवी के संबंध में मान्यता है कि बहुत वर्षो पहले एक ब्राह्माण परिवार में दो सगी बहनें थीं उन्होंने अल्प आयु में ही सन्यास ले लिया और घर से भ्रमण के लिए निकल पड़ी। उन्होंने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव जाकर लोगों के दुख दर्द सुनेंगी और उसके निवारण के लिए उपाय बताएंगी। दूसरी बहन हाटकोटी गांव पहुंची जहां मंदिर स्थित है। उसने यहां एक खेत में आसन लगाकर ईश्वरीय ध्यान किया और ध्यान करते हुए वह लुप्त हो गई। वो जिस स्थान पर वह बैठी थी वहां एक पत्थर की प्रतिमा निकल पड़ी। इस आलौकिक चमत्कार से लोगों की उस कन्या के प्रति श्रद्धा बढ़ी और उन्होंने इस घटना की पूरी जानकारी तत्कालीन जुब्बबल रियासत के राजा को दी। जब राजा ने इस घटना को सुना तो वह तत्काल पैदल चलकर यहां पहुंचा और इच्छा प्रकट की कि वह प्रतिमा के चरणों में सोना चढ़ाएगा जैसे ही सोने के लिए प्रतिमा के आगे कुछ खुदाई की तो वह दूध से भर गया। उसके उपरांत खोदने पर राजा ने यहां पर मंदिर बनाने का निश्चय लिया। लोगों ने उस कन्या को देवी रूप माना और गांव के नाम से इसे 'हाटेश्वरी देवी' कहा जाने लगा।
-अब तक 6 नेता बने है हिमाचल के मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने अब तक के अपने सफर में 6 मुख्यमंत्री देखे है। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जहाँ पहली दफा मुख्यमंत्री बने है तो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 6 बार ये पद संभाल चुके है। जो 6 नेता अब तक मुख्यमंत्री बने है उनमें से तीन कांग्रेस से तो दो भजपा से रहे। जबकि शांता कुमार एक मर्तबा जनता पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो दूसरी मर्तबा भारतीय जनता पार्टी से। एक और इत्तेफ़ाक़ है कि जहाँ कांग्रेस के तीनों मुख्यमंत्रियों का ताल्लुख ऊपरी हिमाचल से रहा है तो भाजपा के तीन मुख्यमंत्री निचले हिमाचल से चुनकर आये। एक और दिलचस्प बात है।प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री ऐसे है जो मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा का चुनाव हारे है। 1990 के चुनाव में वीरभद्र सिंह ने जुब्बल कोटखाई और रामपुर सीटों से चुनाव लड़ा था। वीरभद्र रामपुर से तो जीत गए पर जुब्बल कोटखाई में उनसे पहले सीएम रहे ठाकुर रामलाल ने उन्हें पटखनी दे दी। इस बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में तब के मुख्यमंत्री शांता कुमार को भी जनता ने नकार दिया। वहीँ 2017 में दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रो प्रेम कुमार धूमल सीएम कैंडिडेट होने के बावजूद चुनाव नहीं जीत सके। सुजानपुर की जनता ने सीएम प्रत्याशी को ही घर बैठा दिया। पहले आम चुनाव से लेकर 1977 तक प्रदेश निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार सीएम रहे। उनके बाद ठाकुर रामलाल मुख्यमंत्री बने। रामलाल सरकार सिर्फ तीन माह में बर्खास्त कर दी गई और इसके बाद शांता कुमार के रूप में प्रदेश को पहला गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री मिला।1980 में तिगड़मबाज़ी के बुते ठाकुर रामलाल फिर मुख्यमंत्री बने। पर 1983 आते- आते भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देना पड़ा और हिमाचल की सियासत में एंट्री हुई वीरभद्र सिंह की। तब से अब तक जब भी कांग्रेस को सत्ता मिली सीएम वीरभद्र ही बने। इस दरमियान 1990 में एक बार फिर शांता कुमार सीएम बने। पर 1998 में जब भाजपा सत्ता में आई तो चेहरा शांता नहीं प्रो प्रेम कुमार धूमल थे। इसके बाद धूमल 2007 से 2012 तक भी सीएम रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भजपाईयों की बरात के दूल्हे धूमल ही थे, पर जनता ने उन्हें जीत का नेक नहीं दिया। भाजपा तो चुनाव जीत गई पर धूमल हार गए। इसके बाद एंट्री हुई वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की। ये सभी नेता जो हिमाचल का मुख्यमंत्री बन सके, इनके राजनैतिक सफर के बारे में रोचक पहलु जानने के लिए पढ़ते रहे हमारी ख़ास श्रंखला हिमाचल के मुख्यमंत्री।
सरकार ने पब्लिक सेक्टर 10 बैंकों के विलय की घोषणा की है। इन 10 बैंको के विलय से 4 बैंक बनेंगे। साथ ही सरकार ने इन सभी 10 बैंकों को 55,250 करोड़ रुपये दिये जाने की भी घोषणा की है , जिसमे से अकेले पंजाब नेशनल बैंक को 16,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। जिन बैंकों का विलय हो रहा है, वे समान तकनीकी प्लेटफॉर्म पर ऑपरेट होंगे। पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का एक में विलय होगा। इस तरह ये बैंक मिलकर देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाएंगे और इनका बिजनेस 17.95 लाख करोड़ होगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक मिलकर एक बैंक का गठन होगा, जो देश का पांचवां सबसे बड़ा पीएसयू बैंक होगा। इसका बिजनेस 14.59 लाख करोड़ होगा। इंडियन बैंक का विलय इलाहाबाद बैंक के साथ किया जाएगा और इस तरह यह देश का सातवां सबसे बड़ा पीएसयू बैंक बन जाएगा। इसका बिजनेस 8.08 लाख करोड़ होगा। केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का भी विलय किया जाएगा, जो देश का चौथा सबसे बड़ा पीएसयू बैंक होगा। इसका बिजनेस 15.20 लाख करोड़ होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन दस बैंकों के कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि विलय के कारण उनकी नौकरी नहीं जाएगी। इस तरह बंटेगा 10 बैंकों में कुल 55,250 करोड़ : पंजाब नेशनल बैंक- 16,000 करोड़ रुपये यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 11,700 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा- 7,000 करोड़ रुपये केनरा बैंक- 6,500 करोड़ रुपये इंडियन बैंक- 2,500 करोड़ रुपये इंडियन ओवरसीज बैंक- 3,800 करोड़ रुपये सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया- 3,300 करोड़ रुपये यूको बैंक- 2,100 करोड़ रुपये यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया- 1,600 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक- 750 करोड़ रुपये
हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी देवेश कुमार ने कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदाता सूचियों को अद्यतन करने के दृष्टिगत प्रथम सितंबर से 30 सितंबर, 2019 तक ‘मतदाता सत्यापन कार्यक्रम’ (ईवीपी) कार्यान्वित किया जाए। देवेश कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2020 तक मतदाता सूची एवं पंजीकरण में सुधार लाना तथा सभी पात्र मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ना है। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के उपरांत जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सोलन केसी चमन ने निर्वाचन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रथम सितंबर, 2019 को अवकाश वाले दिन जिला के समस्त बूथ स्तर के अधिकारी, पर्यवेक्षक तथा निर्वाचन से संबंधित कर्मचारी अपने-अपने बूथ पर उपस्थित रहेंगे ताकि मतदाता सूचियों को मतदाताओं की उपस्थिति में अद्यतन किया जा सके। उन्होंने कहा कि मतदाताओं की सहायता के लिए जिला एवं उपमंडल स्तर पर सामान्य सेवा केन्द्र स्थापित कर दिए गए हैं। यहां से मतदाताओं को इस संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कार्यालयों से समन्वय स्थापित करें ताकि जिला में मृतकों के संबंध में ईआरओ नेट पर सूची अद्यतन की जा सके। केसी चमन ने कहा कि मतदाता सत्यापन कार्यक्रम के विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए जिला स्तर, उपमंडल स्तर एवं खंड स्तर पर होर्डिंग स्थापित किए जाएंगे। ये होर्डिंग उपायुक्त कार्यालय सोलन, जिला के सभी उपमंडलाधिकारी कार्यालयों एवं खंड विकास कार्यालयों में स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि उचित स्तर पर इसका अनुश्रवण किया जाए और नियमित आधार पर फीडबैक प्राप्त की जाए। जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि जिला सोलन के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर के अधिकारियों का व्हट्सऐप ग्रुप बना दिया गया है जिसमें समय-समय पर चुनाव प्रक्रिया के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षकों को मतदाता सत्यापन कार्यक्रम से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है तथा बूथ स्तर के अधिकारियांे को ईवीपी प्रशिक्षण 30 अगस्त को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत कोई भी नागरिक भारतीय पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, राशन कार्ड, सरकारी, अर्ध सरकारी कर्मचारियों का पहचान पत्र, बैंक पासबुक, किसान पहचान पत्र की प्रति संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (उपमंडलाधिकारी) कार्यालय में जमा करवा कर मतदाता सूची में विद्यमान अपनी तथा अपने परिवार की जानकारी सत्यापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रथम सितंबर से 30 सितंबर, 2019 तक मतदाता हेल्पलाइन मोबाइल ऐप, एनवीएसपी पोर्टल, लोकमित्र केंद्र पर जाकर अपने विवरण को सत्यापित कर सकता है। मतदाता, उपमंडलाधिकारी कार्यालय में स्थापित मतदाता सुविधा केंद्र जाकर मतदाता सूची में कोई त्रुटि को सत्यापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग मतदाता इस सम्बन्ध में मतदाता हैल्पलाईन नंबर 1950 पर संपर्क कर सकते हैं। केसी चमन ने जिला के सभी मतदाताओं से आग्रह किया है कि वे प्रथम सितंबर, 2019 को अपने-अपने मतदान केन्द्र पर जाकर अपनी वोट के विषय में जानकारी प्राप्त कर लंे। त्रुटि अथवा संशोधन इत्यादि के संबंध में मतदान केन्द्र पर ही क्रिया पूरी की जा सकती है। इस अवसर पर तहसीलदार निर्वाचन राजेंद्र शर्मा, नायब तहसीलदार निर्वाचन महंेद्र ठाकुर सहित निर्वाचन विभाग के कर्मचारी उपस्थित थे।
ये नेता जब सीएम बना तो टिम्बर घोटाला हुआ, राज्यपाल बना तो लोकतंत्र की हत्या कर दी हिमाचल का ये नेता जब मुख्यमंत्री बना तो उसे देवदार के पेड़ खाने वाला सीएम कहा गया। यहीं नेता जब राज्यपाल बना तो उसे लोकतंत्र खाने वाला राज्यपाल कहा गया। हम बात कर रहे है ठाकुर रामलाल की। वही ठाकुर रामलाल जो 1957 से 1998 तक 9 बार जुब्बल कोटखाई से विधायक चुने गए। वहीँ ठाकुर रामलाल जिन्होंने 18 साल सीएम रहे डॉ यशवंत सिंह परमार की राजनैतिक विदाई का ताना बाना बुना और वहीँ ठाकुर रामलाल जिन्हें हिमाचल का तिकड़मबाज सीएम कहा गया। संजय गाँधी की पसंद से बने पहली बार सीएम 28 जनवरी 1977 को हिमाचल निर्माता और पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार इस्तीफा दे देते है। इसे डॉ परमार की समझ कहे या ठाकुर रामलाल की पोलिटिकल मैनेजमेंट, कि खुद डॉ परमार पार्टी आलाकमान का रुख भांपते हुए ठाकुर रामलाल के नाम का प्रस्ताव देते है। उसी दिन शाम को ठाकुर रामलाल पहली बार हिमाचल के सीएम पद की शपथ लेते है। ऐसा अकस्मात नहीं हुआ था। दरअसल इससे करीब एक सप्ताह पहले ठाकुर रामलाल 22 विधायकों की परेड प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के समक्ष करवा चुके थे। वैसे भी इमरजेंसी के दौरान ठाकुर रामलाल संजय गाँधी के करीबी हो चुके थे। रामलाल, डॉ परमार की कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री थे और उन्होंने संजय के नसबंदी अभियान को अपने क्षेत्र में पुरे जोर- शोर के साथ चलाया था। इसका लाभ भी उन्हें मिला। शांता को पता भी नहीं चला और उनके विधायक ठाकुर रामलाल के साथ हो लिए निर्दलीय विधायकों के सहारे बने तीसरी बार सीएम बतौर मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल का पहला कार्यकाल महज तीन माह का ही रहा। दरअसल इमर्जेन्सी के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया और मोरारजी देसाई की सरकार ने कई प्रदेशों की सरकारें डिसमिस कर दी और चुनाव करवा दिए।हिमाचल भी इन्हीं राज्यों में से एक था। चुनाव हुए और शांता कुमार अगले मुख्यमंत्री बने। पर शांता भी सत्ता का सुख ज्यादा नहीं भोग पाए।फरवरी 1980 में ठाकुर रामलाल ने एक बार फिर अपनी तिगड़मबाज़ी दिखाई और शांता कुमार के 22 विधायक ठाकुर के साथ हो लिए। इस बीच मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई और इंदिरा की सत्ता में वापसी हुई। इंदिरा ने भी वहीँ किया जो मोरारजी ने किया था। हिमाचल सहित कई प्रदेशों की सरकारों को डिसमिस किया। 1982 में फिर चुनाव हुए और हिमाचल में पहली बार किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस को 31 सीटें मिली जो बहुमत से चार कम थी और 6 निर्दलीय विधायक भी चुन कर आये थे। और एक बार फिर ठाकुर रामलाल की राजनैतिक करामात कांग्रेस के काम आई और 5 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से रामलाल तीसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। एक गुमनाम पत्र ने गिरा दी कुर्सी सीएम ठाकुर रामलाल के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। इसी बीच जनवरी 1983 में हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायधीश को एक गुमनाम पत्र मिलता है। पत्र में लिखा गया था कि ठाकुर रामलाल के दामाद पदम् सिंह, बेटे जगदीश और उनके मित्र मस्तराम द्वारा जुब्बल-कोटखाई व चौपाल इलाके में सरकारी भूमि से देवदार की लकड़ी काटी जा रही है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। न्यायधीश ने जांच बैठाई जिसके बाद ठाकुर रामलाल पर खुले तौर पर टिम्बर घोटाले के आरोप लगने लगे। शायद ठाकुर रामलाल इस स्थिति को भी संभाल लेते लेकिन उनसे एक और चूक हो गई जिसका खामियाजा उन्हें सीएम की कुर्सी गवाकर चुकाना पड़ा। दरअसल ठाकुर रामलाल ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता कर ये कह दिया कि उन्हें राजीव गाँधी ने आश्वासन दिया है कि उन्हें टिम्बर घोटाले को लेकर परेशान नहीं किया जायेगा। इसके बाद राजीव गाँधी पर आरोप लगने लगे कि वे भ्रष्टाचार के आरोपी का बचाव कर रहे है। नतीजन ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देना पड़ा। दिलचस्प बात ये रही कि जिस तरह डॉ यशवंत सिंह परमार ने इस्तीफा देकर ठाकुर रामलाल का नाम प्रतावित किया था, उसी तरह ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देकर वीरभद्र सिंह के नाम का प्रस्ताव देना पड़ा। राज्यपाल बनकर की लोकतंत्र की हत्या ठाकुर रामलाल के बतौर मुख्यमंत्री सफर पर तो वीरभद्र सिंह के सत्ता सँभालने के बाद ही विराम लग गया था, किन्तु अभी तो ठाकुर रामलाल द्वारा लोकतंत्र की हत्या होना बाकी था। कांग्रेस ने रामलाल को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेज दिया था। आंध्र में 1983 में चुनाव हुए थे जिसमें एन टी रामाराव मुख्यमंत्री बने थे। इसी दौरान अगस्त 1983 में एन टी रामाराव उपचार के लिए विदेश चले गए। ठाकुर रामलाल की राजनैतिक महत्वकांशा अभी बाकी थी, सो रामलाल ने कांग्रेस नेता विजय भास्कर राव को बिना विधायकों की परेड के ही सीएम बना दिया। वे इंदिरा के दरबार में अपनी कुव्वत बढ़ाना चाहते थे, पर हुआ उल्टा। एनटी रामाराव वापस वतन लौटे और व्हील चेयर पर बैठ दिल्ली में 181 विधायकों के साथ जुलूस निकाला। कांग्रेस की जमकर थू-थू हुई और रातों रात ठाकुर रामलाल के स्थान पर शंकर दयाल शर्मा को राज्यपाल बना दिया गया। इसके बाद रामलाल ने कांग्रेस छोड़ी, वापस भी आये पर स्थापित नहीं हो पाए। वीरभद्र को चुनाव हराने वाला नेता वीरभद्र सिंह से बड़े कद का नेता शायद ही हिमाचल की राजनीति में दूसरा कोई हो। वीरभद्र अपने राजनैतिक जीवन में सिर्फ एक चुनाव हारे है। 1990 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर रामलाल ने उन्हें जुब्बल कोटखाई से चुनाव हारकर साबित कर दिया था कि उस क्षेत्र में उनसे बड़ा कोई नेता नहीं हुआ।
भीमाकली मंदिर हिमाचल प्रदेश के सराहन में हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल स्थित है। देवी भीमाकली को समर्पित यह मंदिर लगभग 800 साल पहले बनाया गया माना जाता है। यह अपनी अनूठी वास्तुकला, जो हिंदू और बौद्ध स्थापत्य शैली का एक मिश्रण है, के लिए जाना जाता है। मंदिर परिसर के भीतर एक नया मंदिर 1943 में बनाया गया था। मंदिर में देवी भीमाकली की एक मूर्ति को एक कुंवारी और एक औरत के रूप में चित्रित निहित है। मंदिर परिसर में रघुनाथ और भैरों के नरसिंह तीर्थ को समर्पित दो मंदिर और हैं भीमाकली मंदिर भारत में सबसे महत्वपूर्ण 'शक्तिपीठ' या पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू देवता शिव की पत्नी सती, वैवाहिक जीवन के परम सुख और दीर्घायु की देवी, का बायाँ कान इस जगह गिर गया था। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी भीमाकली महान हिंदू ऋषि ब्रह्मगिरी के लकड़ी के स्टाफ में सबसे पहले दिखाई दी। यहाँ हर साल लोकप्रिय हिंदू त्योहार दशहरा के समारोह को धूमधाम से मनाया जाता है।
हॉकी के जादूगर को मिले भारत रतन वो दिन जब मेजर ध्यानचंद ने हिटलर का दर्प कुचल दिया साल 1936 की बात है और तारीख थी 15 अगस्त। बर्लिन ओलिंपिक के हॉकी फ़ाइनल मुकाबले में मेज़बान जर्मनी और भारत का मुकाबला चल रहा था। जर्मनी का तानाशाह एडॉल्फ़ हिटलर भी स्टेडियम में मौजूद था। खेल शुरू हुआ और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जादू सर चढ़कर बोलने लगा। बौखलायें जर्मन खिलाडी धक्का-मुक्की पर उतर आए। जर्मन गोलकीपर टीटो वॉर्नहॉल्त्ज से टकराने से ध्यानचंद के दांत टूट गए, पर जज्बा नहीं। ध्यानचंद की कप्तानी में भारत ने जर्मनी को 8-1 से रौंद डाला। मेजर ध्यानचंद ने उस दिन हिटलर का दर्प कुचल दिया। हिटलर ध्यानचंद से इस कदर प्रभावित हुआ कि उन्होंने ध्यानचंद को जर्मन नागरिकता और जर्मन सेना में कर्नल बनाने का प्रस्ताव दिया, पर ध्यानचंद ने उसे विनम्रता से ठुकरा दिया। हॉकी के मैदान में मेजर ध्यानचंद की ड्रिबलिंग इतनी लाजवाब थी कि कई बार तो गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपकी नजर आती थी। विपक्षियों की शिकायत के आधार पर कई दफे उनकी हॉकी स्टिक की जांच भी की गई।हॉलैंड में एक बार तो उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में तोड़ कर देखी गई थी। हॉकी में उससे बड़ा खिलाड़ी कोई नहीं हुआ और शायद हो भी ना। ध्यानचंद को भारत रत्न से बहुत पहले सम्मानित कर दिया जाना चाहिए था, पर ये विडम्बना का विषय है कि आज तक किसी भी हुकूमत ने ऐसा करने की जहमत नहीं उठाई। 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद की जयंती है और पूरा देश सरकार से उम्मीद कर रहा है कि देर से ही सही इसी दिन उन्हें भारत रत्न दिए जाने का एलान हो। अपने खेल करियर में 1000 और अंतरराष्ट्रीय मैचों में 400 गोल करने वाले मेजर ध्यानचंद निर्विवाद रूप से भारत रत्न के हकदार हैं।
-अंतिम समय में उनके बैक खाते में थे महज 563 रुपये और 30 पैसे वो 28 जनवरी 1977 का दिन था, प्रदेश निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार बतौर मुख्यमंत्री अपना त्याग पत्र दे चुके थे। जो शख्स चंद मिनटों पहले मुख्यमंत्री था, जिसने हिमाचल के निर्माण में अमिट योगदान दिया था या यूँ कहे जिसकी वजह से हिमाचल का गठन संभव हो पाया था, वो यशवंत सिंह परमार शिमला बस स्टैंड पहुँच, वहां खड़ी सिरमौर जाने वाली एचआरटीसी की बस में बैठे, टिकट लिया और अपने गांव बागथन के लिए रवाना हो गए। इस्तीफा देकर बस से वापस घर लौटने वाला सीएम, शायद ही हिन्दुस्तान में दूसरा कोई होगा। डॉ यशवंत सिंह परमार की ईमानदारी का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा, कि उनके अंतिम समय में उनके बैक खाते में महज 563 रुपये और 30 पैसे थे। प्रदेश निर्माण करने वाले मुख्यमंत्री ने न तो खुद के लिए कोई मकान नही बनवाया, न कोई वाहन खरीदा और न ही अपने पद और ताकत का गलत इस्तेमाल कर अपने परिवार के किसी व्यक्ति या रिश्तेदार की नौकरी लगवाई। जज की नौकरी त्यागी और प्रजामण्डल आंदोलन में हुए शामिल रजवाड़ाशाही के दौर में सिरमौर रियासत के राजा के वरिष्ठ सचिव हुआ करते थे शिवानंद सिंह भंडारी। भंडारी के घर चार अगस्त 1906 को एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम खुद राजा द्वारा यशवंत सिंह रखा गया।बचपन से ही यशवंत पढ़ाई में तेज थे। प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद यशवंत न नाहन से दसवी पास की और फिर बीए करने लाहौर चले गए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की।साथ ही डॉक्ट्रेट भी की। डॉक्ट्रेट का विषय था 'द सोशल एंड इक्नॉमिक बैक ग्राउंड ऑफ द हिमालयन पॉलिएड्री', यानी बहु पति प्रथा। खेर, शिक्षा पूर्ण करने के बाद परमार वापस अपने गृह क्षेत्र सिरमौर आ गए, जहां उन्हें सिरमौर रियासत में बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया। ये वो दौर था जब ब्रिटिश हुकूमत के दिन ढलने लगे थे और आज़ादी का आंदोलन प्रखर हो रहा था। परमार भी आजादी के मतवालो के संपर्क में आ गए। इस दौरान शिमला हिल स्टेट्स प्रजा मंडल का भी गठन हुआ, जिसमें परमार भी सक्रिय रूप से शामिल हो गए। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को हिन्दुस्तान स्वतंत्र हो गया, किन्तु पहाड़ी रियासतों का हिन्दुस्तान में विलय नहीं हुआ। 25 जनवरी, 1948 को शिमला के गंज बाजार मे प्रजा मंडल का विशाल सम्मेलन हुआ, जिसमे यशवंत सिंह की मुख्य भूमिका रही। इस सम्मलेन में प्रस्ताव पारित हुआ कि पहाड़ी क्षेत्रों मे रियासतों का वजूद समाप्त कर सभी रियासतों का विलय भारत में होना चाहिए। इसलिए कहलाते है प्रदेश निर्माता इसके बाद 28 जनवरी 1948 को सोलन के दरबार हॉल में 28 रियासतों के राजाओं की बैठक हुई जिसमें सभी ने पर्वतीय इलाको को रियासती मंडल बनाने का प्रस्ताव पारित कर इसे 'हिमाचल' का नाम अनुमोदित किया गया। हालांकि डॉ परमार प्रदेश का 'हिमालयन एस्टेट' नाम रखना चाहते थे किन्तु बघाट रियासत राजा दुर्गा सिंह व अन्य कुछ राजा 'हिमाचल' नाम पर अड़ गए, जिसके बाद प्रदेश का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया। ये नाम पंडित दिवाकर दत्त शास्त्री द्वारा सुजाहया गया था। बैठक के प्रजा मंडल का प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल से मिला और आखिरकार पहाड़ी रियासतो का हिन्दुस्तान में विलय हुआ। पर डॉ परमार का सपन अभी अधूरा था।डॉ. परमार हिमाचल को पूर्ण राज्य बनाना चाहते थे, जिसके लिए अब वह अपने साथियो के राजनीतिक संघर्ष में जुट गए। 1977 तक रहे सीएम देश के पहले आम चुनाव के साथ ही वर्ष 1952 में प्रदेश का पहला चुनाव हुआ, जिसके बाद डॉ परमार प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने और वर्ष 1977 तक मुख्यमंत्री रहे। इस बीच नवंबर 1966 में पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों का भी हिमाचल में विलय हुआ और वर्तमान हिमाचल का गठन हुआ। आखिरकार 25 जनवरी,1971 का दिन आया और डॉ परमार का स्वप्न पूरा हुआ। तब इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री थी और उस दिन काफी बर्फ़बारी हो रही थी। इंदिरा गांधी बर्फबारी के बीच शिमला के रिज मैदान पहुंची और हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की। हिमाचलियों के हितों की रक्षा के लिए लागू की 118 आजकल धारा 118 को लेकर हिमाचल में खूब बवाल मचा है। धारा 118 डॉ परमार की ही देन है। डॉक्टर परमार से कुछ ऐसे लोग मिले थे, जिन्होंने अपनी जमीन बेच दी थी और बाद में वे उन्हीं लोगों के यहां नौकर बन गए थे। इसके चलते उन्हें डर था कि अन्य राज्यों के धनवान लोग हिमाचल में भूस्वामी बन जाएंगे और हिमाचल प्रदेश के भोले भाले लोग अपनी जमीन खो देंगे। इसलिए 1972 में हिमाचल प्रदेश में एक विशेष कानून बनाया गया था ताकि ऐसा न हो। हिमाचल प्रदेश टेनंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स ऐक्ट 1972 में एक विशेष प्रावधान किया गया ताकि हिमाचलियों के हित सुरक्षित रहें। इस ऐक्ट के 11वें अध्याय ‘कंट्रोल ऑन ट्रांसफर ऑफ लैंड’ में आने वाली धारा 118 के तहत ‘गैर-कृषकों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक’ है। संजय गाँधी की राजनीति में फिट नहीं बैठे डॉ परमार डॉ यशवंत सिंह परमार प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी के करीबी थे। किन्तु कहा जाता है संजय गाँधी की राजनीति में वे फिट नहीं बैठे। वहीं इमरजेंसी के दौरान ठाकुर रामलाल संजय के करीबी हो गए, ऐसा इसलिए भी था क्यों कि संजय के नसबंदी अभियान में ठाकुर रामलाल ने बढ़चढ़ कर योगदान दिया था। इमरजेंसी हटने के बाद ठाकुर रामलाल ने अपने समर्थक विधायकों की परेड दिल्ली दरबार में करवा दी। इसके बाद डॉ परमार भी समझ गए कि अब बतौर मुख्यमंत्री उनका सफर समाप्त हो चूका है और उन्होंने इस्तीफा दे दिया।2 मई 1981 को डॉ परमार ने अपनी अंतिम सास ली।
समूचा हिमालय शिव शंकर का स्थान है और उनके सभी स्थानों पर पहुंचना बहुत ही कठिन होता है। चाहे वह अमरनाथ हो, केदानाथ हो या कैलाश मानसरोवर। इसी क्रम में एक और स्थान है, श्रीखंड महादेव का स्थान। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊंचाई पर चढ़ना होता है। स्थान से जुड़ी मान्यता : स्थानीय मान्यता अनुसार यहीं पर भगवान विष्णु ने शिवजी से वरदान प्राप्त भस्मासुर को नृत्य के लिए राजी किया था। नृत्य करते करते उसने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया और वह भस्म हो गया था। मान्यता है कि इसी कारण आज भी यहां की मिट्टी और पानी दूर से ही लाल दिखाई देते हैं। कैसे पहुंचे : दिल्ली से शिमला, शिमला से रामपुर और रामपुल से निरमंड, निरमंड से बागीपुल और बागीपुल से जाओं, जाओं से श्रीखंड चोटी पहुंचे। दिल्ली से कुल 553 किलोमीटर दूर। यात्रा मार्ग के मंदिर : यह स्थान हिमाचल के शिमला के आनी उममंडल के निरमंड खंड में स्थित बर्फीली पहाड़ी की 18570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड की चोटीपर स्थित है। 35 किलोमीटर की जोखिम भरी यात्रा के बाद ही यहां पहुंचते हैं। यहां पर स्थित शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 72 फिट है। श्रीखंड महादेव की यात्रा के मार्ग में निरमंड में सात मंदिर, जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, जोताकली, बकासुर वध, ढंक द्वार आदि कई पवित्र स्थान है। यात्रा के पड़ाव : यहां की यात्रा जुलाई में प्रारंभ होती है जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है। यह ट्रस्ट स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी कई सुविधाएं प्रशासन के सहयोग से उपलब्ध करवाया है। सिंहगाड, थाचड़ू, भीमडवारी और पार्वतीबाग में कैंप स्थापित हैं। सिंहगाड में पंजीकरण और मेडिकल चेकअप की सुविधा है, जबकि विभिन्न स्थानों पर रुकने और ठहरने की सुविधा है। कैंपों में डॉक्टर, पुलिस और रेस्क्यू टीमें तैनात रहती हैं। यात्रा के तीन पड़ाव हैं:- सिंहगाड़, थाचड़ू, और भीम डवार। ।
प्रदेश में बारिश से हो रहे नुकसान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठ़ौर ने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की। राठ़ौर ने मुख्यमंत्री को नुकसान का आकलन करने और राहत कार्यों में तेजी लाने के बारे में एक ज्ञापन दिया। ज्ञापन में राठ़ौर ने कहा कि प्रदेश में भारी बारिश हुई है जिससे फसलों के साथ-साथ अन्य संसाधनों का भारी नुकसान हुआ है। शिमला जिला में अधिकतर सड़कें ध्वस्त हुई हैं। वहीं लोक निर्माण विभाग इन सड़कों को अभी तक चालू नहीं कर पाया है। इस वजह से यहां के किसानों और बागवानों को भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश के बागवान विशेषकर शिमला जिला के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान सहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से राज्य सरकार के पास वर्तमान में कोई योजना या मशीनरी नहीं है जो ऐसी आपदा में किसानों और बागवानों को फोरी राहत प्रदान कर सकें। कुलदीप राठौर ने पत्र में सूचित किया कि भारी बारिश के कारण अधिकतर बागवान अपनी फ़सल प्रदेश से बाहर नहीं भेज सकते। चूंकि संपर्क सड़कें यातायात के लिए पूरी तरह बहाल नहीं हो सकीं। प्रदेश में हुए नुकसान का जायजा लेने भी अभी तक कोई केंद्रीय टीम यहां नहीं आई, जो इस नुकसान का आंकलन करती और प्रभावित लोगों और प्रदेश को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाती। उन्होंने आग्रह किया जल्द इन सभी बातों पर ग़ौर किया जाए, ताकि किसानों को राहत मिल सके। ग़ौरतलब है कि कुलदीप सिंह राठौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद मंगलवार को पहली बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से उनके सरकारी निवास ओक ओवर में मिले। इस दौरान दोनों नेताओं ने बड़े सोहार्दपूर्ण ढंग से एक दूसरे के साथ गर्मजोशी से अनेक मुद्दों पर बातचीत भी की।
राज्य महिला आयोग शिमला का एक दिवसीय कैम्प कोर्ट आज जिलाधीश कार्यालय सोलन के न्यायालय कक्ष में आयोजित किया गया। कैम्प कोर्ट की अध्यक्षता महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. डेजी ठाकुर ने की। कैम्प कोर्ट के लिए घरेलू हिंसा सहित अन्य प्रकार की प्रताड़ना के 27 मामलों में समन जारी किए गए थे, जिसमें से 17 मामलों की, पक्षों की उपस्थिति में सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान 9 मामलों का निपटारा कर दिया गया तथा शेष मामलों में दोबारा समन जारी किए गए।
रॉयल एस्टेट ग्रुप अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के फॉर्म स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) में मिलना शुरू हो गए है। ये स्कीम ग्रेटर मोहाली ( Greater Mohali ) में प्लाट खरीदने का एक सुनहरा अवसर है। ख़ास बात ये है कि ये योजना एसबीआई द्वारा एप्रूव्ड है ( Approved by SBI ). साथ ही ये योजना पंजाब सरकार द्वारा भी मान्यता प्राप्त है। GMADA (Greater Mohali Area Devlopment Authority ) द्वारा भी ये योजना Approved है और इसमें विभिन्न साइज के 187 प्लाट बिक्री के लिए उपलब्ध है। जाने इस स्कीम के बारे में: इन प्लॉट्स में SBI के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में SBI की सभी जिला मुख्यालय ब्रांचों में इसके फॉर्म उपलब्ध है। योजना में आवेदन करने के लिए फॉर्म के साथ 11 हज़ार रुपए आवेदन शुल्क जमा करवाना होगा, जो रिफंडेबल है। साथ ही फॉर्म का शुल्क 100 रुपये भी अदा करना होगा, जो नॉन रिफंडेबल है। ये योजना 26 अगस्त को शुरू होगी और 11 सितम्बर तक चलेगी। 22 सितम्बर को ड्रा निकाले जायेगे जिसके बाद प्लाट आवंटित होंगे। जो लोग पहली बार मकान खरीदेंगे वे निर्माण कार्य हेतु सब्सिडी का लाभ भी उठा सकते है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2 .67लाख तक की सब्सिडी का लाभ उठाया जा सकता है। योजना के तहत आवंटित किये जाने वाले सभी 187 प्लाटो पर एक्सटर्नल डेवलोपमेन्ट शुल्क ( External Devlopment Charges ) व रजिस्ट्रेशन शुल्क ( Registration Charges ) की रियायत दी जा रही है। खरीददार को सिर्फ 16450 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड की दर से भुगतान करना होगा। आवेदन हेतु आय मापदंड ( INCOME CRETERIA ) आर्थिक पिछड़ा वर्ग - 3 लाख से कम सालाना आय ओपन/ सामान्य वर्ग - 6 लाख से कम सालाना आय आरक्षित वर्ग - Govt / Semi Govt ./ Defence / Sports / Disabled / Persons Settled Abroad ( कोई आय सीमा नहीं ) ये है कीमत : 80 Sq Yard 21 प्लाट 1316000 90 Sq Yard 51 प्लाट 1480500 100 sq Yard 65 प्लाट 1645000 110 sq Yard 29 प्लाट 1809500 120 sq Yard 21 प्लाट 1974500
The Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni, and Satluj Jal Vidyut Nigam Foundation have joined hands to improve the skill set of Himachal farmers. The two organisations have inked a Memorandum of Understanding (MoU) for one year for Rs 55 lakh under which UHF will organize 32 farmer trainings at its main campus and different stations located in the state. The MOU was signed between Dr Rakesh Gupta, Director Extension Education and Awadhesh Prasad, Senior AGM (HR), SJVN in the presence of Dr Parvinder Kaushal, Vice-Chancellor of the university. Dr JN Sharma, Director Research, Rajeev Kumar, Registrar, Dr Raj Kumar Thakur, Joint Director (Communication), Dr Mai Chand, Joint Director (Training) and Harsh Jain, Deputy Manager (HR) from SJVN were also present on the occasion. The MOU is part of SJVN’s Corporate Social Responsibility under which they have set themselves a target for training over 6000 farmers in the latest farm techniques by 2022. Over the next year, the university will conduct six-day residential skill development programmes in farm technology for 800 farmers from different districts of the state including SJVN’s project areas. The SJVN Foundation will bear the total cost of these trainings. It is worthwhile to mention that over 2100 farmers have already benefitted from 86 camps organized by the university under this agreement since 2016. The participants will be trained on the various aspects of agriculture and horticulture including the usage of modern technologies in these fields. The skill development would be under the areas of natural farming, fruit, vegetable and mushroom production, floriculture, post-harvest technology, beekeeping, medicinal and aromatic plants and nursery production of horticulture and forestry crops. Topics like Agripreneurship, plant protection, organic farming and environment impact assessment would also be covered. Besides, to promote Swachh Bharat activities, special reference to awareness on bio-diversity, conversion of bio-waste into compost and usage of wastewater for agriculture. Speaking on the occasion, Dr Parvinder Kaushal said that university would focus on enhancing the practical aspect so that farmers gain the most out of these trainings and look towards starting their enterprises in the agricultural sector. Every year, the university trains thousands of farmers from Himachal and other states in the country at the main campus, research stations and Krishi Vigyan Kendras located in the different agroclimatic zones. Here it is worthwhile to mention that SJVN undertakes its CSR and Sustainability projects in six verticals namely, Health and Hygiene, Education and Skill Development, Sustainable Development, Infrastructural and Community Development, Assistance during natural disasters, Promotion of Culture and Sports. SJVN is also active in the development of Panchayat Ghar, Mahila Mandal, playgrounds and in the past few years more than 200 community assets have been created.
करीब बीते एक माह में दिल्ली से जुड़े तीन राजनीति के दिग्गजों का निधन हुआ है। 20 जुलाई को 15 वर्ष तक दिल्ली की सीएम रही शीला दीक्षित का निधन हुआ। इसके बाद 6 अगस्त को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज दुनिया को अलविदा कह गई। अब शनिवार (24 अगस्त) को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन का समाचार आया है, जिनका दिल्ली की राजनीति में काफी दखल रहा है। वे कई बार दिल्ली के सीएम दावेदार भी माने जाते रहे लेकिन शीला दीक्षित के राज में 15 साल तक दिल्ली में कमल नहीं खिला।वे लंबे समय से टीशू कैंसर से जूझ रहे थे और नौ अगस्त से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे। 13 साल तक रहे DDCA अध्यक्ष अरुण जेटली 1999 से 2012 तक दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (Delhi and District Cricket Association) के अध्यक्ष भी रहे। 2014 की मोदी लहर में हारे अरुण जेटली ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में केवल एक बार 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा। मोदी लहर के बावजूद अरुण जेटली को अमृतसर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अमरिंदर सिंह के हाथों एक लाख से ज्यादा मतों से हार का सामना करना पड़ा था। बावजूद उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के मेधावी विद्यार्थी और शोधार्थी हिमाचली टोपी या केसरियां पगड़ी पहनकर डिग्री लेंगे।यूनिवर्सिटी ने 20 सितंबर को प्रस्तावित पांचवें दीक्षांत समारोह के लिए ड्रेस कोड तय किया है।ये कोड डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों के लिए तय किया गया है। इसके अलावा सफेद रंग का पूरी बांहों वाला कुर्ता डिग्री लेने वाले मेधावियों को दीक्षांत समारोह में पहनना होगा। केंद्रीय विवि के पांचवे दीक्षांत समारोह वर्ष 2017 और 2018 के लगभग 650 से अधिक छात्रों को डिग्री दी जाएगी। मेधावी अंगवस्त्र और हिमाचली टोपी विवि की सहकारी समिति के कार्यालय से खरीद सकते हैं। इसके लिए कुछ राशि जमानत के रूप में जमा करनी होगी।
सरकार ने अनुबंध कर्मियों को करारा झटका दिया है। अनुबंध कर्मियों को अब वरिष्ठता में अनुबंध सेवाकाल का लाभ नहीं मिलेगा। जब वे नियमित होंगे, तभी से वरिष्ठता गिनी जाएगी। सरकार के इस निर्णय से अनुबंध कर्मियों में निराशा है। वर्तमान में करीब 40 हजार अनुबंध कर्मी हैं। सरकार की नीति के अनुसार ये तीन साल के सेवाकाल के बाद नियमित होते हैं। पीटीए शिक्षकों का तीन साल का कार्यकाल पिछले साल पूरा हो गया था, लेकिन वे अभी तक नियमित नहीं हो पा रहे हैं। सरकार का कहना है कि सरकारी सेवा में कार्यरत सभी कर्मचारियों को वरिष्ठता उनकी नियमितीकरण की तिथि से दिए जाने का प्रावधान है। नियमित के विपरीत अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों पर विभिन्न सेवा संबंधित नियम लागू नहीं होते हैं। कन्ट्रेक्चुअल अप्वाइंटमेंट की शर्तो के अनुसार यह एक अस्थायी व्यवस्था है, जिसे हर साल सशर्त बढ़ाया जाता है। अनुबंध पर दी गई सेवा अवधि को वरिष्ठता लाभ दिया जाना प्रशासनिक रूप से तर्कसंगत नहीं है। अनुबंध नियमित कर्मचारी संघ हिमाचल प्रदेश ने इसे निराशाजनक बताया है। संघ का कहना है कि सरकार ने विभिन्न कर्मचारियों को लाभ देने के लिए कई बार नियमों में संशोधन किया है, पर जब बात अनुबंध और अनुबंध से नियमित कर्मचारियों की आती है तो नियमों का हवाला देकर टाल दिया जाता है।
प्रदेश में पर्यटन को पंख लगाने के लिए हिमाचल के हर हलके में एक हेलीपैड बनाया जायेगा होगा और छह स्थानों पर हेलीपोर्ट बनाए जाएंगे। सीएम जयराम ठाकुर ने बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू के सवाल पर जानकारी दी कि अभी प्रदेश में 64 हेलीपैड हैं। जल्द सरकार द्वारा 11 विधानसभा हलकों में हेलिपैड का निर्माण किया जायेगा। इनमे नादौन, बड़सर, इंदौरा, जसवां परागपुर, सुलह, बल्ह, गगरेट, हरोली, कुटलैहड़, नाहन व पांवटा शामिल है। इसके अतिरक्त सरकार उड़ान दो योजना के अंतर्गत हिमाचल में छह हेलीपोर्ट बनाएगी। इनके निर्माण के लिए पवन हंस लिमिटेड कंपनी द्वारा विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई है। इस पर लगभग 28.80 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। - सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि रामपुर और झाकड़ी में 20 किलोमीटर के दायरे में दो हेलीपोर्ट का निर्माण करना सही नहीं है। एक हेलिपैड किसी अन्य जिले के मुख्यालय में बनाना चाहिए। - पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी ने हेलीपैड के निर्माण में सिरमौर को प्राथमिकता देने की मांग उठाई। - विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने नाहन में हेलीपैड स्थापित करने की मांग उठाई। यहाँ बनेंगे हेलीपोर्ट( अनुमानित लागत) बनरेड़ू (संजौली-ढली बाईपास शिमला) 10 करोड़ रामपुर, (शिमला) 3,59,16,082 झाकड़ी (शिमला) 3,16,02,490 कांगनीधार (मंडी) 5,25,18,539 बद्दी (सोलन) 2,73,29,340 मनाली (सासे कुल्लू) 3,34.41.780
बाबा भलखू रेल स्मृति साहित्य संवाद-2 के सफल आयोजन के बाद अब लेखक उनके गाँव झाझा(चायल) की साहित्यक यात्रा करेंगे। ये यात्रा आगामी 25 अगस्त को प्रस्तावित है। हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के अध्यक्ष और लेखक एस आर हरनोट ने जानकारी दी कि ये यात्रा शिमला के पुराने बस स्टेशन से सवेरे 9 बजे शुरू होगी जिसमें शिमला व सोलन के 25 से अधिक लेखक-साहित्यकार शामिल होंगे। यात्रा का पहला पड़ाव शिमला से 45 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक चायल पैलेस और बाबा भलकू संग्रहालय का भ्रमण होगा जहाँ साहित्यकार चायल साहित्य परिषद् और ग्रामीणों से मुलाकात करेंगे। इसके उपरांत साहित्यिक गोष्ठी होगी। एसआर हरनोट ने बताया की इस यात्रा का दूसरा और महत्वर्ण चरण बाबा भलखू के गाँव झाझा का भ्रमण होगा जो चायल से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस यात्रा के सहयोगी ग्राम पंचायत प्रधान मान सिंह, स्थानीय निवासी वरिष्ठ लेखक, रंगकर्मी और शिमला आकाशवाणी के पूर्व एनाऊंसर बी आर मेहता, एकांत होटल के मालिक देवेंद्र वर्मा और बाबा भलकू परिवार के युवा गगन दीप रहेंगे। यात्रा के दौरान झाझा गाँव में लेखक बाबा भलखू का पुस्तैनी मकान भी देखेंगे और उनके परिवार तथा ग्रामीणों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद स्थानीय लोगों के साथ साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। कालका शिमला रेल लाइन को झाझा गाँव तक बढ़ाया जाये इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य हिमाचल तथा केंद्र सरकार और रेलवे मंत्रालय का इस और ध्यान आकर्षित करना है कि कालका शिमला रेल लाइन को चायल के झाझा गाँव तक बढाया जाये। साथ ही बाबा भलकू के पुश्तैनी माकन को धरोहर भवन के रूप में संरक्षित करके उनके परिवार को हर संभव सहयोग प्रदान किया जाए।
हिमाचल प्रदेश में दो दिन हुई बारिश के कारण 23 लोगों की मौत हो गई है।इस साल बारिश से अब तक 43 लोगों की मौत हाे चुकी है व 574 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। प्रदेश में 800 से ज्यादा सड़कें व 13 राष्ट्रीय राजमार्ग बंद है।कुल्लू में दो पुल टूट गए हैं। मौसम विभाग ने जिला मंडी, कांगड़ा, शिमला, सोलन, सिरमौर व बिलासपुर में रेड अलर्ट ज़ारी किया है। फिलहाल राहत कार्यों के लिए सरकार ने 15 करोड़ रुपये जारी किए हैं। जिला मंडी में ब्यास अपना रौद्र रूप दिखा रही है। जिला सोलन में भारी बारिश के कारण अब तक पांच लोगों की मौत हो गई है। बिलासपुर जिला के कठलग गांव में जमीन धंसने से सात घर जमींदोज हो गए। शिमला में आठ लोगों की मौत हो गई है। 12 से लोग घायल हो गए हैं। जिला चंबा के मैहला विकास खंड की बंदला पंचायत में मकान की दीवार गिरने से मलबे में दबकर दादा-पोती की मौत हो गई। जिला चंबा में मौसम के बिगड़े तेवरों के चलते उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। बर्फवारी के बाद लाहुल-स्पीति की चंद्रताल झील के आसपास करीब 127 लोग यहां फंस गए थे, जिन्हें रेस्क्यू कर लिया गया है। कोकसर के पास पगलनाला में आई बाढ़ से कोकसर में 50 से अधिक सेना के वाहन भी फंसे हुए हैं।
सूबे में ऐसी कई पंचायतें हैं जिनके आधे लोग एक विधानसभा क्षेत्र तो आधे दूसरे हलके में आते हैं। इसके चलते काफी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने नई पंचायतों के गठन का निर्णय लिया है। इससे कई विधानसभा क्षेत्रों में ब्लॉकों, जिला परिषदों, पंचायत समिति वार्डों और पंचायतों की सीमाओं में फेरबदल होगा। ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने मंगलवार को विधांनसभा में नई पंचायतों के गठन की जानकारी दी। लाहुल स्पीति में फंसे कृषि मंत्री विधानसभा सत्र के पहले दिन कृषि मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कंडेय हिस्सा नहीं ले पाए है। दरअसल कृषि मंत्री लाहुल स्पीति में फंसे हुए हैं।सरकार द्वारा कृषि मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कंडेय को सत्र के लिए लाने की व्यवस्था की जा रही है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली रहीं 1,954 सीटें प्रदेश के सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में इस साल 1954 सीटें खाली रही हैं। तकनिकी शिक्षा मंत्री बिक्रम सिंह ने वधानसभा सत्र के दौरान यह जानकारी दी।विदित रहे कि बीते तीन वर्षों में जेईई मेन्स और एचपीसीईटी की मेरिट समाप्त होने पर रिक्त सीटें जमा दो कक्षा के आधार पर भरने के बाद भी सीटें खाली रह रही हैं। ऊना में पकड़े ड्रग्स के 106 मामले जिला ऊना में 1 अप्रैल 2018 से 31 जुलाई 2019 तक सिंथेटिक ड्रग्स चिट्टा, चरस, अफीम के 106 मामले पकड़े गए। चिट्टा के 60, चरस के 41, अफीम के 5 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि अवैध शराब बेचने के 201 मामले दर्ज हुए हैं। सीएम द्वारा ये जानकारी सदन में दी गई है।
ज़िला शिमला के नेरवा से 4 किलोमीटर दूर केडी गांव में सोमवार को सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस को 2 शव बरामद हुए हैं। मृतकों में दो नेपाली मूल के बच्चे हैं, जिनकी उम्र 9 वर्ष और 6 वर्ष बताई जा रही है। ज्ञात हो कि नेरवा स्थित फावला गांव में रविवार को बादल फटने के कारण काफी नुक्सान हुआ था। इस दौरान एक मकान के अंदर मलबा घुसने से मकान में रह रही एक महिला और उसका बेटा मलबे में दब गया। सोमवार को इन्हें भी काफी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। गनीमत ये रही कि दोनों माँ -बेटे की साँसे चल रही थी। फिलहाल दोनों का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। इस क्षेत्र में बादल फटने के कारण 10 से 12 मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। वहीं रविवार को केडी गांव में आसमानी बिजली गिरने के कारण घायल हुए लोगों को भी स्थानीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है।
World Photography Day on 19th august of every year. This day is not only for the people who work in photography but for all the people of different professions to show their emotions from the art of photography and understand its true meaning. It is celebrated to promote photography as a hobby. Many contests are also held during the time of this day to encourage people. Any photo related to architecture, travel, wildlife, home, etc. can be used by people to show their interests by photography. The winners get the awards after the completion of the contests. This day has a history that will surely amaze you. The first day of a photograph was made on the 19 August 1939 in France. The first online global gallery was hosted on the 19th of August 2010. Around 270 photographers shared their ideas on that day. The day is celebrated so that people from various countries and cultures come forward under the same roof and organise competitions, workshops, seminars, etc. This is also to inspire the next generation to get complete guidance from the professionals and scholars in the field.
हिमाचल विधानसभा का मॉनसून सत्र सोमवार दोपहर 2 बजे से शुरू हो गया। सदन की कार्यवाही पण्डित शिव लाल, चौधरी विद्या सागर व शिव कुमार उपमन्यु के निधन पर शोकोदगार से शुरू हुई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी के चच्योट से विधायक रहे पंडित शिव लाल को याद किया। 80 वर्षीय शिव लाल 1985 से 90 तक हिमाचल विधानसभा में सदस्य रहे। चौधरी विधा सागर कांगड़ा 1982 , 85 , 90 व 1998 में विधायक रहे। इसमें एक बार राज्य स्वास्थ्य मंत्री रहे,साथ में 1998 में कृषि मंत्री रहे। उनका ओबीसी समाज के लिए बहुत सम्मान था।उन्होंने इस बिरादरी के लिए बहुत काम किया। मुख्यमंत्री ने हिमाचल के पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित शिव कुमार उपमन्यु के निधन पर शोक व्यक्त किया। 92 वर्षीय उपमन्यु सरकारी नौकरी में रहने के बाद 1977 में चम्बा के भटियात से पहली बार हिमाचल विधानसभा पहुंचे।1982 में दूसरी बार जीते व उद्योग मंत्री बने। 1990 में तीसरी बार विधानसभा सदस्य बने। केंद्रीय मंत्री रही बीजेपी की तेज तर्रार नेता सुषमा स्वराज व दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के निधन पर भी मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया। भारी बारिश की वजह से हिमाचल में हुई मौतों पर भी दुःख व्यक्त किया व उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी सभी नेताओं के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया व उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की। साथ ही प्रदेश में विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों के प्रति भी दुःख ज़ाहिर किया। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार, सीपीआईएम ठियोग के विधायक राकेश सिंघा, कांग्रेस के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी शोकोदगार में अपने आप को शामिल किया। विक्रम जरियाल ने दो वर्ष पूर्व मृत्यु को प्राप्त हुई चम्बा की रानी पदमा देवी के निधन पर शोक व्यक्त किया। चम्बा की पहली महिला विधायक रही। सदन दो साल पहले किसी कारणवश उनको याद नही कर पाया था। 2013 में हिमाचल विधानसभा में उनको जीवन पर्यंत बेहतर सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया गया था।
एक बच्ची अब भी लापता, मां के साथ निकली थी , मां का शव बरामद भारी बारिश और भूस्खलन के चलते अब तक 8 अधिक लोगो की मौत हो चुकी है और अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों के घायल होने का समाचार है। शिमला के आरटीओ आफिस के पास रविवार सुबह भूस्खलन में एक मकान के चपेट में आने से एक परिवार की दो बेटीयों की मौत हो गयी। साथ ही एक आदमी के इस हादसे में घायल होने की सूचना है। इसी तरह जिला शिमला के हाटकोटी में शनिवार देर रात एक ट्रक पर पत्थर गिरने से उसमें मौजूद एक व्यक्ति की मौत हो गई। जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया। बताया जा रहा है कि ट्रक जालंधर से सेब भरने को सावड़ा आया था। एक अन्य मामले में जुब्बड़हट्टी के शाल-चनोग रोड पर सुगना गांव में एक गोशाला भूस्खलन के चपेट में आ गई, जिसमें एक 40 वर्षीय महिला की मौत हो गई। इसी तरह ठियोग की थथल खड़ में भारी पानी आने से वहां से गुजर रही एक महिला अपनी बेटी के साथ बह गई। हादसे में पूर्णा नामक महिला की मौत हो गई जिसकी आयु 53 वर्ष थी, जबकि उसकी बेटी की तलाश जारी है। शिमला के कुमारसैन में भी एक पेड़ के गिरने से नेपाली मूल के दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई।
जिस न्यूज एंकर को देखकर हम बड़े हुए, वो न्यूज एंकर अब हमारी बीच नहीं रहीं। हम बात कर रहे हैं दूरदर्शन की मशहूर एंकर नीलम शर्मा की। दूरदर्शन की पत्रकार और मशहूर एंकर नीलम शर्मा का निधन हो गया है। इस बात की जानकारी दूरदर्शन ने ट्वीट कर दी। नीलम शर्मा दूरदर्शन का एक जानामाना चेहरा थीं, बताया जा रहा है कि वो कैंसर से पीड़ित थीं। इस साल मार्च माह में नीलम शर्मा को 'नारी शक्ति सम्मान' से सम्मानित किया गया था। नीलम दूरदर्शन का एक जाना माना चेहरा रहीं।बताया जा रहा है कि नीलम शर्मा कैंसर से पीड़ित थीं। 'नारी शक्ति' सम्मान के अलावा नीलम को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। दूरदर्शन पर चलने वाला उनका तेजस्विनी प्रोग्राम करोड़ों लोगों की पसंद रहा हैं। नीलम शर्मा हमीरपुर जिला के भोरंज तहसील के भलवानी गांव से सम्बंध रखतीं थीं। उनकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में ही हुईं थी लेकिन उनका अपने पैतृक गांव से ख़ासा जुड़ाव था और वे नियमित अपने गांव आया-जाया करतीं थीं। उनके निधन से उनके गांव में शौक का माहौल है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चार बड़े एलान किये है। कर्मचारियों को तोहफा : मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ते का ऐलान किया है। इससे सरकार के खजाने पर 260 करोड़ का सालाना बोझ पड़ेगा। छात्रों को निशुल्क किताबें: मुख्यमंत्री ने नौंवीं और दसवीं के बच्चों को मुफ्त किताबें देने का ऐलान भी किया है। प्रदेश के 65 हजार छात्रों को 1500 रुपये तक की किताबें निशुल्क दी जाएंगी। महिलाओं के लिए परीक्षा शुल्क माफ: लोक सेवा आयोग और दूसरे बोर्डों की ओर से की जाने वाली भर्तियों में महिलाओं के लिए परीक्षा शुल्क माफ किया गया है। सैनिकों की विधवाओं को मदद: भूतपूर्व सैनिकों की विधवाओं और आश्रितों की सालाना वित्तीय मदद भी दस हजार से बढ़ा कर 20 हजार कर दी गई है।
Prime Minister Narendra Modi has announced the creation of a chief of defence staff (CDS) as head of the tri-services. PM Modi promotes 'lets make India plastic free’ PM says, our aim is to reach among first 50 nations in ease of doing business. Tackling water crisis is a huge priority for Government: PM Modi India can become a global hub of tourism. "Can we think of visiting at least 15 tourist destinations in India before 2022”, PM says. 'One nation, one constitution': PM Modi says on scrapping of Article 370 The fundamentals of our economy are strong. Reaching $5-trillion-economy mark by 2024 is achievable: PM Modi India Will invest Rs 100 lakh crore in infrastructure building: PM Population growth is a huge challenge. Small family also contribute to the development of the nation. It's a form of patriotism: PM
प्रतियोगिता के ग्रैंड फिनाले में प्रतियोगियों ने अपनी प्रतिभा के दम पर खूब बटोरी तालियां ग्रैंड फिनाले में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की सचिव डॉo पूर्णिमा चौहान ने की बतौर मुख्यातिथि शिरकत हुनरबाज़ हिमाचल का ग्रैंड फिनाले शिमला के क्योंथल हॉल में आयोजित किया गया। इसमें प्रदेशभर से हुनरबाज़ों ने अपना दम खम दिखाया।कार्यक्रम में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की सचिव डॉ पूर्णिमा चौहान ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।प्रतियोगिता के ग्रैंड फिनाले में डांस में जूनियर वर्ग यावनिका, अक्षिता, चहक, पलक, कृतिका, मन्नत शर्मा, वंशिका, मेघा, श्रेया, यशोर्धन, तमन्ना, दिविता, गीतांजलि, अदवे, अवनिशा, अंकिता, अक्षरा, जिनिया, शिवंशी, शियोना, सुप्रिया वही सीनियर वर्ग में अनिता, सुजल, इशिता, बिपाशा, जाखन, कविता ने अपनी प्रस्तुति दी। ग्रुप डांस में बीट बस्टर ग्रुप, सन बीन इंटरनेशनल स्कूल जुब्बल, लूज़र क्रू पौंटा साहिब व निरितयांगन ग्रुप सोलन ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।वही संगीत मुकाबले में सीनियर वर्ग में दिनेश कुमार बेदी, अंजलि भाटिया, श्वेता सूद, अंजलि शांडिल, सुमित सूद, विक्की, चरण सिंह, प्रज्ञा ठाकुर, तेजस्वनी, पूजा, नेहा शर्मा, युगल रावत ने अपने जलवे बिखेरे वही जूनियर वर्ग में विवान गुप्ता, दिव्यांशी, ईशा ठाकुर, ओजश्वी शर्मा, आर्यन शर्मा, क्षितिज ने अपनी प्रस्तुतियां दी। वही योग में निधि डोगरा व भूपेंदर ने अपनी प्रस्तुति दी और सभी को योग के माध्यम से स्वस्थ रहने का संदेश दिया। ग्रैंड फिनाले के फाइनल संगीत मुकाबले में निर्णायक मंडल में प्रसिद्ध लोक गायक अच्छर सिंह परमार, राष्ट्रपति अवार्ड जिया लाल ठाकुर, एकमात्र बेंजो वादक व प्रसिद्ध गायक अश्वनी शर्मा, मशहूर रंगकर्मी भूपेंदर शर्मा, मशहूर गायक कुमार साहिल व राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला की सँगीत विषय की प्राध्यापक डॉ कल्पना मौजूद रही। नृत्य मुकाबले के निर्णायक मंडल में मशहूर नृत्य शिक्षक रिंकू खान, बॉम्बे डांस कम्पनी से जानवी हाडी व सेक्रेट हार्ट स्कूल शिमला की नृत्य शिक्षिका हिमांशी मारवाड़ी मौजूद रही। हुनरबाज हिमाचल के ग्रैंड फिनाले में मंच ने हिमाचल की विभूतियों को भाषा एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ पूर्णिमा चौहान के हाथों से देवभूमि शिखर सम्मान से भी नवाजा। इसमें प्रसिद्ध लोकगायक व हिमाचली संस्कृति को कई लोकगीत प्रदान करने वाले सोम दत्त बट्टू, प्रसिद्ध लोकगायक व वरिष्ठ रंगकर्मी अच्छर सिंह परमार, कला सम्मान से सम्मानित इल्ला पांडे, मशूहर लोक गायक व रचयता ज्वाला प्रसाद, प्रदेश में सूफी कलाम को जिंदा रखे हुए व हिमाचल के सुप्रसिद्ध गायक अश्वनी शर्मा, आई टी बी पी में बतौर डिप्टी कमांडेंट तैनात व बाकमाल चित्रकार कमल कुमार व वरिष्ठ रंगकर्मी व फ़िल्म जगत से जुड़े भूपेंद्र शर्मा को देवभूमि शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। वही कार्यक्रम में कांगडा से सोनू भोलू सूद, प्रसिद्ध कलाकार टिंकू विहान, हिमाचल के सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी किंग प्रिंस गर्ग, निर्देशक व थिएटर आर्टिस्ट एकलव्य सेन, मशहूर मॉडल भारती अत्री, मशहूर लोक गायक ऐ सी भारद्वाज, हिम स्टार ग्रुप के संस्थापक चेतन प्रकाश, समाजसेवी रोबॉट रॉय, हिलीवुड स्टूडियो से विनोद भारद्वाज, समाजसेवी सुरेश ओबरॉय, हिमाचल एकता मंच के संस्थापक दीपलाल भारद्वाज, प्रिसिद्ध लोक गायक दोत राम पहाड़िया, संगीतकार अनिशा भारद्वाज, सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल की प्रधानाचार्या अमिता भारद्वाज, हिमाचल फ़िल्म सिनेमा के संस्थापक ठाकुर के सी परिहार, मंच संचालक मुनीष नंदन, हिमाचल की शान पूनम नेगी बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहे। ग्रैंड फिनाले में कड़ी टक्कर होने के बाद परिणाम घोषित किये गए जिसमें सीनियर ग्रुप में पहले स्थान पर तेजस्वनी रही ।वही दूसरे स्थान पर अनिता, तीसरे स्थान पर सुजल, चौथे स्थान पर प्रज्ञा ठाकुर और पांचवे स्थान पर इशिता रही।जबकि जूनियर वर्ग में पहले स्थान पर अवनिशा, दूसरे स्थान पर दिव्यांशी, तीसरे स्थान पर आर्यन, चौथे स्थान पर गीतांजलि और पांचवे स्थान पर जेनिया रही। ग्रुप डांस में सीनियर में पौण्टा साहिब से लूज़र क्रू ने प्रथम स्थान हासिल किया जबकि जूनियर वर्ग में सोलन के नृत्यआंगन ग्रुप ने प्रथम स्थान हासिल किया।
Sonia returns for making ground for her daughter Priyanka ! The Congress Working Committee failed in picking a chief outside the Nehru-Gandhi family that has led it for most of its 130 year old history. As per the sources, many names were discussed for the name of new party chief, but end result was as expected. Now the party said it will pick a new president when its plenary session is held later this year. The return of Sonia Gandhi as interim congress president indicates that next congress president will from Gandhi family only, probably Priyanka Gandhi. Right now Priyanka is the general secretary of congress and she has not resigned from her post when her brother Rahul took responsibility of Lok Sabha election defeat and resigned as Congress chief. Captain Amarinder Singh called it the best decision in current circumstances. CWC requested Rahul Gandhi to continue as party chief, but he refused. Sonia Gandhi was requested to take over as interim president. Five committees representing the east, north-east, south, west and north zones were constitutes to elect new president. The return of Sonia as interim chief comes ahead of a string of state elections later this year.
सुप्रसिद्ध संगीतकार परमजीत पम्मी ने भैरवी स्टूडियो में बनाई धुन,युवा निर्देशक अभिषेक डोगरा ने किया वीडियो का निर्देशन हिमाचल प्रदेश का दिल कहे जाने वाले बिलासपुर ने एक और नई उपलब्धि हासिल की है स्थानीय युवा भजन गायक अभिषेक सोनी का कृष्ण भक्ति में लीन एक वीडियो गीत आज रिलीज किया जा रहा है। बिलासपुर में इस गीत की वीडियो शूटिंग युवा रंगकर्मी अभिषेक डोगरा ने गोविंद सागर झील तथा आसपास के मनोहारी क्षेत्रों में की है वहीं सुप्रसिद्ध संगीतकार परमजीत पम्मी ने इस का म्यूजिक दिया है। भैरवी स्टूडियो से शनिवार को यह गीत शाम पांच बजे रिलीज होगा । बिलासपुर में पत्रकारों से बात करते हुए इस वीडियो गीत के गायक अभिषेक सोनी ने बताया कि श्री कृष्ण जी को समर्पित इस गीत में भक्ति, श्रद्धा और समर्पण भाव है। पहले नवरात्रे को रिलीज किए गीत के टीजर और पोस्टर को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। साथ ही पंजाबी और हिमाचली गायकों ने भी "साँवरा" का टीजर पसंद किया है। प्रसिद्ध पंजाबी गायक लखविंदर बड़ाली, आवाज पंजाब दी फेम कुमार साहिल, नाटी किंग कुलदीप शर्मा व हिमाचली गायक काकू राम ठाकुर सहित कई संगीत जगत से जुड़ी हस्तियों ने गीत के टीजर की जमकर तारीफ की है। गीत में बिलासपुर की बाल कलाकार सृष्टि शर्मा बाल कृष्ण रूप में नजर आएंगी। उन्होंने बताया कि इस गीत को बिलासपुर की अलग-अलग जगहों पर शूट किया गया है। हालांकि इस गीत को पहले वृंदावन में शूट किए जाने की योजना थी। लेकिन बिलासपुर को प्रमोट करने के उद्देश्य से सांवरा की टीम ने इसे बिलासपुर में ही शूट करने का निर्णय लिया। इस गीत के माध्यम से बिलासपुर की हसीन वादियां और खूबसूरत नज़ारा भी देश दुनिया के लोगों को देखने के लिए मिलेगा। इस अवसर पर निशांत कपूर, अभिषेक डोगरा,जावेद इकबाल, नवीन सोनी, पंकज कुमार व रामहरि मौजूद रहे।
1195 पटवारियों समेत विभिन्न विभागों में 1500 से ज्यादा पद भरने को मंजूरी कैबिनेट में 1195 पटवारियों समेत विभिन्न विभागों में 1500 से ज्यादा पद भरने को भी मंजूरी दी गई है। कैबिनेट ने 1195 उम्मीदवारों का पटवारी प्रशिक्षण के लिए चयन का निर्णय लिया है। इनमें 933 उम्मीदवारों को मोहाल, जबकि 262 को बंदोबस्त का प्रशिक्षण मिलेगा। शिमला और कांगड़ा में बंदोबस्त विभाग में 17 चेनमैन का चयन कर प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद इन्हें पांच साल के भीतर चरणबद्ध तरीके से नियुक्ति दी जाएगी। जेएंडके में बढ़ते तनाव के बीच सरकार ने कश्मीर से लगते चंबा और लाहौल-स्पीति ज़िले में तैनात साढ़े पांच सौ विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) के मानदेय को 6000 रुपये से बढ़ाकर 7000 रुपये प्रतिमाह कर दिया है। कैबिनेट ने मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना के तहत परित्यक्त महिलाओं और विधवाओं को 18 वर्ष से कम आयु के दो बच्चों के पालन-पोषण के लिए प्रति बच्चा प्रति वर्ष सहायता राशि छह हजार रुपये कर दी है। प्रदेश में 25 हजार से ज्यादा महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो रही है। लाभ पाने के लिए इन महिलाओं की वार्षिक आय 35,000 से कम होनी चाहिए।
हिमाचल में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अब प्रदेश से बाहर के लोगों को आसानी से नौकरी नहीं मिल सकेगी। गुरुवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में इन श्रेणी के भर्ती नियमों को कड़ा करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश में अब तृतीय श्रेणी के पदों के लिए 10वीं-12वीं और चतुर्थ श्रेणी के लिए आठवीं और 10वीं की परीक्षा हिमाचल के स्कूलों से पास करना जरूरी होगा। ये शर्तें हिमाचल के मूल निवासियों पर लागू नहीं होंगी। वहीं जिन भर्तियों की प्रक्रिया शुरू या पूरी हो चुकी है, उन्हें छोड़कर अब नई भर्तियों को संशोधित भर्ती नियमों के तहत ही किया जाएगा। बता दें कि जयराम सरकार में प्रदेश सचिवालय में विभिन्न पदों पर भर्तियां हुईं, इनमें बिहार और झारखंड तक के अभ्यर्थी चयनित हो गए।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पांचवीं व आठवीं के छात्र अब फेल होंगे। सरकार ने पांचवीं-आठवीं दोनों कक्षाओं के लिए डिटेंशन पॉलिसी लागू कर दी है। खास बात यह है कि प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड पांचवीं व आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्र तैयार करेगा। सरकार ने आरटीआई के नियमों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया है कि बोर्ड दोनों कक्षाओं के लिए प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिकाएं ही उपलब्ध करवाएगा। इसके अलावा परीक्षाओं को करवाने की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन व उपनिदेशकों की होगी। अब पांचवीं व आठवीं के छात्रों को पास होने के लिए 33 प्रतिशत अंक लेना भी अनिवार्य किया गया है, अगर इससे कम नंबर लिए, तो ऐसे में छात्रों को फेल किया जाएगा। गुरुवार को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। हालांकि सरकार ने डिटेंशन पॉलिसी भले ही लागू की है, पर बोर्ड इन छात्रों की परीक्षाओं को चैक नहीं कर पाएंगे। सरकार ने यह जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के ऊपर ही डाली है। सरकार ने फैसला लिया है कि पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए छात्रों को दूसरे स्कूल में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। छात्र उसी स्कूल में परीक्षा देंगे, जहां पर वह पड़ते हैं। इसके अलावा इन दोनों कक्षाओं के छात्रों के पेपर दूसरे स्कूल के शिक्षक चैक करेंगे। बता दें कि प्रदेश सरकार शैक्षणिक सत्र 2019-20 से नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त करने की तैयारी काफी समय से कर रही थी। प्रदेश सरकार इस संदर्भ में केंद्र सरकार से आदेश जारी होने का इंतजार कर रही थी। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद शुक्रवार को सरकार ने कैबिनेट ने इस फैसले को मंजूर कर दिया। गौर हो कि राज्यसभा ने आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में संशोधन वाले विधेयक को काफी समय पहले मंजूरी दे दी थी। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए काफी समय से यह मांग की जा रही थी, कि पांचवीं व आठवीं के छात्रों को फेल किया जाएगा।
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की हालत में सुधार पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तबीयत में अब सुधार है। गुरुवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आईजीएमसी पहुंचकर वीरभद्र सिंह का कुशलक्षेम जाना। हालांकि अभी उन्हें आईजीएमसी से डिस्चार्ज नहीं किया गया है, लेकिन डॉक्टर्स टीम का कहना है कि कुछ जरूरी टेस्ट किए गए हैं। रिपोर्ट ठीक आने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। डॉक्टरों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के खून संबंधित कुछ टेस्ट गुरुवार को लिए गए थे, जिसमें कई ठीक पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि सांस की तकलीफ के कारण उन्हें बुधवार को अस्पताल लाया गया था, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर दिया गया।
डिपुओं की मशीने खराब ,उपभोक्ता हुए परेशान प्रदेश में राशन डिपुओं की मशीनें फिर हांफ गई हैं। पिछले माह भी ये शिकायतें खाद्य आपूर्ति विभाग से की गई थीं, लेकिन अब फिर मशीनों में दिक्कत आ गई है। इससे कई जिलों के उपभोक्ताओं को समय पर राशन नहीं मिल रहा है। इसके चलते खाद्य आपूर्ति विभाग अब प्रदेश के सभी राशन डिपुओं की जांच करने वाला है। प्रदेश खाद्य आपूर्ति विभाग ने इन मशीनों को जांचने के आदेश जारी किए हैं। गौर हो कि इसको लेकर सबसे पहले उपभोक्ता जियानंद शर्मा ने शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि डिपुओं में लगी पॉश मशीनें कार्डधारकों के साथ डिपो होल्डर्ज के लिए भी जी का जंजाल बन रही हैं। वहीं मशीनें फिंगर प्रिंट नहीं उठा रही है, इससे उपभोक्ताओं को खासी परेशानी का सामना करना पद रहा है।
साहित्यिक गोष्ठी बाबा भलखू की स्मृति और सम्मान को समर्पित विश्व धरोहर के रूप में विख्यात शिमला-कालका रेल में 11, अगस्त रविवार को बाबा भलकु की स्मृति में गत वर्ष की तरह दूसरी अनूठी साहित्यिक गोष्ठीआयोजित की जाएगी। यह आयोजन हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा किया जा रहा है। इसमें हिमाचल के तैंतीस रचनाकार व संस्कृतकर्मी भाग ले रहे हैं। इस साहित्यिक गोष्ठी को बाबा भलखू की स्मृति और सम्मान को समर्पित किया गया है। भलखू के सहयोग से शिमला कालका रेलवे लाइन के निर्माण में हो पाए सफल भलखू चायल के समीप झाझा गाँव का एक अनपढ़ लेकिन विलक्षण प्रतिभा संपन्न ग्रामीण था। इसकी सलाह और सहयोग से अंग्रेज इंजीनियर शिमला कालका रेलवे लाइन के निर्माण में सफल हो पाए थे। हरनोट ने शिमला में जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी बताया कि हिंदुस्तान तिब्बत रोड के निर्माण के वक्त भी बाबा भलकू के मार्गनिर्देशन में न केवल सर्वे हुआ बल्कि सतलुज नदी पर कई पुलों का निर्माण भी हुआ था। इसके लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा ओवरशीयर की उपाधि से नवाजा गया था। गिनीज बुक में इस रेल लाइन को उत्कृष्ट नैरो गेज इंजीनीयरिंग का दर्जा हासिल है। इस रेलवे लाइन का निर्माण ब्रिटिश इंजिनीयर हर्बर्ट हेरिंगटन की देखरेख में 20 अप्रैल,1855 के दिन शुरू होकर 11 नवम्बर, 1903 को पूर्ण हुआ और पहली रेल शिमला के लिए चलायी गयी। इस लाइन पर 20 स्टेशन, 103 सुरंगें, 912 मोड़ और 969 छोटे-बड़े पुल हैं। यूनेस्को ने इस लाइन को 8 जुलाई, 2008 विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया था। भलखु की स्मृति में शिमला पुराने बस स्टेशन के साथ भारत सरकार के रेलवे विभाग ने एक म्यूजियम भी स्थापित किया है। हरनोट ने शिमला में जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी जानकारी हरनोट के अनुसार यह यात्रा सुबह 10 :40 बजे शिमला से शुरू होगी और बड़ोग तक चलेगी। वहां दोपहर के भोजन और ठहराव के बाद तीन बजे पुन: शिमला की और रवाना होगी। रेल यात्रा के दौरान जाते हुए और लौटते हुए भी स्टेशनस के नाम पर कविता, ग़ज़ल, कहानी और संस्मरण के सत्र रखे गए हैं जो शिमला से बड़ोग तक समरहिल, तारादेवी, कैथलीघाट, कंडाघाट, कनोह और बड़ोग के नाम पर होंगे। लेखकों का मार्गदर्शन समरहिल स्टेशन के अधीक्षक संजय गेरा करेंगे। 33 वरिष्ठ और युवा लेखक तथा संस्कृतिकर्मी होंगें शामिल इस सृजन संवाद में जो 33 वरिष्ठ और युवा लेखक तथा संस्कृतिकर्मी शामिल होंगे उनमें सुदर्शन वशिष्ट, एस आर हरनोट, हेम राज कौशिक, मिनाक्षी पाल, सतीश रतन, बद्री सिंह भाटिया, कुल राजीव पन्त, आत्मा रंजन, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, विद्या निधि, राकेश कुमार सिंह, विनोद बिट्ठल, भारती कुठिआला, सुमन धनन्जय, दिनेश शर्मा,देव कन्या ठाकुर, सीताराम शर्मा, मोनिका छट्टू, मधु जी शर्मा, नरेश देयोग, कुलदीप गर्ग तरुण, दीप्ति सारस्वत, प्रियम्बदा शर्मा, देविना अक्ष्यवर, कौशल मुंगटा, उमा ठाकुर, कल्पना गांगटा, शांति स्वरुप शर्मा, अश्वनी कुमार, आनंद शर्मा, वंदना राणा और किरण गुलेरिया शामिल हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भारत सरकार की ओर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया है। इससे जम्मू और कश्मीर के लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक जन-जीवन और विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इससे राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता भी सुदृढ़ होगी। राष्ट्र के सर्वोच्च हित में लिए गए इस निर्णय की सराहना करते हुए जयराम ने कहा कि इस ऐतिहासिक पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से केंद्र में भाजपा सरकार की सुदृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का पता चलता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उठाए गए इस कदम से जम्मू और कश्मीर में शांति, प्रगति तथा समृद्धि के नए अध्याय का सूत्रपात होगा। विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल और मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा ने भी इस फैसले का स्वागत कर इसे ऐतिहासिक बताया है। वहीं, प्रदेश भाजपा ने सोमवार को पूरे हिमाचल में जश्न मनाया। जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बनाने पर पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद किया। जगह-जगह पर नाच-गाना भी हुआ। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच मिठाई बांटी गई। शिमला में मंडल भाजपा की ओर से नाज के पास जश्न मनाया गया। राज्य भर में भाजपा के अलग-अलग मंडलों में भी इसी तरह खुशी मनाई गई। ज़िला मुख्यालयों पर भी मोदी और शाह की जय-जयकार होती रही। प्रदेश भाजपा कार्यालय में भी जश्न का माहौल रहा।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद तनाव के मद्देनजर हिमाचल में सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है। प्रदेश में रह रहे कश्मीरियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस और प्रशासन हाई अलर्ट पर है। खासकर जम्मू से सटे चंबा, कांगड़ा और लाहौल में निगरानी बढ़ाई गई है। शक्तिपीठों-मंदिरों और बिजली प्रोजेक्टों में भी सतर्कता बरती जा रही है। नाकों पर चेकिंग हो रही है। इसी बीच, हिमाचल पथ परिवहन निगम ने सोमवार को जम्मू, कटड़ा और उधमपुर जाने वाली तेरह बसें पठानकोट में ही रोक दीं। हालात सामान्य होने तक जम्मू के लिए बस सेवा बंद कर दी है। एचआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक पंकज चड्ढा ने कहा कि निदेशालय से आगामी निर्देशों के बाद ही बसें पठानकोट से आगे जम्मू के लिए भेजी जाएंगी। निगम के मंडलीय प्रबंधक (ट्रैफिक) पंकज सिंघल ने भी इसकी पुष्टि की है। बटालियनों को स्टैंडबाय रहने के निर्देश उधर, केंद्र के निर्देश पर प्रदेश में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों और कश्मीरी बस्तियों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सूबे के सभी विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के प्रबंधनों को भी एहतियात बरतने के लिए कहा गया है। निर्देश दिए हैं कि अगर किसी भी तरह की हरकत महसूस हो तो तत्काल स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। पुलिस मुख्यालय ने सभी बटालियनों को स्टैंडबाय रहने के निर्देश दिए हैं। उन्हें किसी भी जरूरत पर तत्काल ड्यूटी पर भी प्रदेश के किसी भी हिस्से में भेजा जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में मौसम फिर से रौद्र रूप दिखाएगा। राज्य के मैदानी इलाकों सहित शिमला, कुल्लू, सोलन, सिरमौर, मंडी व चंबा के कुछ स्थानों पर तीन व चार अगस्त को भारी बारिश होगी। विभाग ने राज्य के इन क्षेत्रों में भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग की मानें तो राज्य मे सात अगस्त तक मौसम खराब बना रहेगा। इस दौरान राज्य के अनेक स्थानों पर बारिश होगी। जो राज्य में जनता की दिक्कतों को बढ़ा सकता है। बारिश से अधिकतम तापमान में एक से चार डिग्री तक की गिरावट रिकार्ड की गई है। सोलन के अधिकतम तापमान में सबसे अधिक चार डिग्री की गिरावट आंकी गई है। नाहन, भुंतर के तापमान में तीन, चंबा, डलहौजी, सुदंरनगर, ऊना व केलांगं के तापमान में एक डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के निदेशक डा. मनमोहन सिंह ने बताया कि राज्य के मैदानी व मध्यम ऊचांई वाले क्षेत्रों में तीन व चार अगस्त को भारी बारिश होगी। सात अगस्त तक मौसम खराब बना रहेगा।
Assorted minds, big and small, continue to rack their brains to interpret the results of the 2019 Lok Sabha elections. There is virtually a spate of opinions which widely diverge. Undoubtedly the BJP, led by the Narendra Modi-Amit Shah duo, had a cake-walk in these elections. Its landslide victory in large parts of the country is unprecedented in ways more than one. So far no non-Congress government was ever repeated; it has taken a quantum jump this time. Jubilation in its ranks is fully justified. Let there be no mistake about it. Let us not miss the wood for the trees: the Hindu Rashtravadi forces, spearheaded by the RSS of which the BJP is the political wing, are in absolute control of the state power at the level of the Union of India, that is, Bharat. As is well-known, the RSS, since its inception in 1925, has been striving first to “Militarise Hindus, Hinduise India” and later establish a Hindu Rashtra in the country. It was exactly at that period in the history of our country when Mahatma Gandhi had emerged as the undisputed leader of the Indian National Congress founded four decades earlier. Under his leadership the party was able to bring together all sections of the people, irrespective of religion, creed, colour, caste, region etc. It became the mainstream organisation to lead the masses to achieve independence from the British colonial rule. Nationalism was its pantheon which commanded unqualified loyalty and dedication of all and sundry in the party. Right from the beginning, the RSS was, of course, successful in dividing the Hindus in particular along Sanghi Hindus and non-Sanghi Hindus. But non-Sanghi Hindus were not necessarily anti-Sanghi ones. That was true of some of the prominent leaders in the Indian National Congress also. The glaring examples are Madan Mohan Malaviya and Lala Lajpat Rai. Both of them happened to be the Presidents of the Indian National Congress at one point of time. Such leaders continued to be present even under the stewardship of Jawaharlal Nehru and Indira Gandhi. What was actually needed was the projection of such stalwarts as the Nationalist Hindus against Hindu Nationalists. Nationalism in post-independence India required an altogether different orientation for the reconstruction of the country and the rejuvenation of her people. Jawaharlal Nehru did his best to accomplish that during his lifetime. His successors, however, forgot his warning that the RSS was the biggest threat to the unity and integrity of the nation. What we witnessed in the 2014 and 2019 elections did not happen all of a sudden. Its formal beginning had been made in 1967 when Samyukt Vidhayak Dal governments were formed in more than half of the then existing States of the Union of India. The SVDs were constituted of mainly the Bharatiya Jan Sangh, the earlier version of the BJP, the Socialists and the Communists. This experiment was done at the call of Dr Rammanohar Lohia, a strong Socialist leader. As a matter of fact it was he who propounded the theory of anti-Congressism. Later it became the most popular political line of all the major parties. It suited most the Jan Sanghis but the Communists were not left behind because a trend among them had been visible since 1942 during the period of the ‘Quit India’ movement and later followed by B.T. Ranadive, one-time CPI General Secretary, in 1948. In the meantime there was hardly any political party which did not join hands with the BJP to defeat the INC. Just like the BJP the Communists of all hues regarded the Congress as the main enemy. To cite a couple of examples: The CPM-led Left Front and BJP joined hands to install the Janata Dal-led V.P. Singh Government in 1989 while in 2012, not far from 2014, the CPIs, CPM and BJP’s top leaders were seen embracing one another at Jantar Mantar, New Delhi during a protest rally against the INC-led UPA Government of Dr Manmohan Singh. This cooperation continued until the BJP Government was placed safely at Delhi. The Indian National Congress can be held guilty for inadequate appreciation of the RSS threat and inept leadership to combat it. That was why it continued to yield space to Right reactionary nationalism and miserably failed to prevent the BJP from coming to power at the Centre. It did make efforts to wean away some of the parties from the anti-Congress line and did succeed also.The example of the UPA Government between 2004-2014 is an example in point. The Communists, nonetheless. were the real facilitators of the process throughout their history. There was, however, one exception. The United Communist Party of India, rather the Unknown Communist Party of India, formed in 1989 under the leadership S.A. Dange and Mohit Sen, had consistently maintained that the RSS was the real enemy of our country and her people. With the decimation of the Congress and the elimination of the Communists, the BJP might feel safe and secure but the country is on the brink of disintegration. The nation is facing that future both horizontally and vertically. The concept of a Hindu Rashtra is self-destructive. A part claiming to be the total whole is deceptive and illusory while the part poised against the whole is suicidal. Besides nobody can stop the claim of Sikh Rashtra, Christian Rashtra and another Muslim Rashtra et al. There is definitely space for preventing the BJP from reaching its goal of establishing a Hindu Rashtra if, and this is a big IF, the nationalists transcending all political boundaries join heads and constitute a Front from the Panchayat and Municipal to the National level to expose the implications of the Hindu Rashtra in general and the way Rashtravad is being pushed by the Hindu Samrat, Narendra Modi. Nationalists everywhere have ample material knowledge and material to do so. No political party, the least, the Indian National Congress, alone can save the country from the menace posed by the Mohan Bhagwat-Narendra Modi-Amit Shah trio. Hargopal Singh is a Member, Political Committee, United Communist Party of India. This article is written by him and it is his personal opinion.
प्रदेश सरकार ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गम्भीर रोग की स्थिति में त्वरित सहायता पंहुचाने के उद्देश्य से ‘सहारा’ योजना आरम्भ हो गई है। योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के रोगियों को शीघ्र सहायता प्रदान की जाएगी। सहारा योजना पूरे प्रदेश में 15 जुलाई, 2019 से आरम्भ कर दी गई है। योजना के तहत कैंसर, पार्किंसनस रोग, लकवा, मस्कुलर डिस्ट्राफी, थैलेसिमिया, हैमोफिलिया, रीनल फेलियर इत्यादि ये ग्रस्त रोगियों को वित्तीय सहायता के रूप में 2000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे। योजना के तहत किसी भी आयुवर्ग का इन रोगों से ग्रस्त रोगी आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवार से सम्बन्धित रोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। रोगी को अपना चिकित्सा सम्बन्धी रिकाॅर्ड, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, फोटोयुक्त पहचान पत्र, बीपीएल प्र्रमाण पत्र अथवा पारिवारिक आय प्रमाण पत्र तथा बैंक शाखा का नाम, अपनी खाता संख्या, आईएफएससी कोड से सम्बन्धित दस्तावेज प्रदान करने होंगे। चलने-फिरने में असमर्थ रोगी के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। सहारा योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र रोगी को अपना आवेदन सभी दस्तावेजों सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाना होगा। आशा कार्यकर्ता व बहुदेशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी रोगी के सभी दस्तावेज खण्ड चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। खण्ड चिकित्सा अधिकारी इन दस्तावेजों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को प्रेषित करेंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेेदन पत्र जिला स्तर के अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा हेल्थ वेलनेस केन्द्रों में 03 अगस्त, 2019 से उपलब्ध होंगे। जिला चिकित्सा अधिकारी सोलन डाॅ. आर.के. दरोच ने सहारा योजना के विषय में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से जिला के सभी लोगों को अवगत करवाने के लिए विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर जागरूक बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सहारा योजना के तहत पात्र रोगियों को 2000 रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आरटीजीएस के माध्यम से ही उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि सहारा योजना के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करें ताकि आवश्यकता के समय विभिन्न गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगियों के परिजनोें को जानकारी देकर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन के कार्यालय के कक्ष संख्या 132 में योजना के सम्बन्ध में सम्पर्क किया जा सकता है। डाॅ. आर.के. दरोच ने कहा कि सहारा योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने एवं उनकी देखभाल की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
राज्यसभा में बुधवार को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हो गया। यह न केवल एक मोटर वाहन अधिनियम है, बल्कि एक सड़क सुरक्षा बिल भी है। इस बिल का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है, इसके लिए नियमों को और कड़ा किया गया है। वहीं जुर्माने में भी वृद्धि की गई है। जानिए क्या है मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 में यातायात नियमों और विनियमों के उल्लंघन के लिए न्यूनतम जुर्माना 100 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया है। कई अपराधों के लिए अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपए तय किया गया है। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के मामले में जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए कर दिया गया है। सीट बेल्ट नहीं पहनने पर 1,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह अब तक केवल 100 रुपए था। शराब पीकर वाहन चलाने के मामलों में जुर्माना 2,000 रुपए से 10,000 रुपए तक का है। खतरनाक ड्राइविंग के लिए जुर्माना 5,000 रुपए है। इमरजेंसी वाहनों को पास नहीं देने पर 10 हजार रुपए जुर्माना के रूप में लगेगा। पिछले कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। ओवर-स्पीडिंग के मामलों में चालक को हल्के मोटर वाहनों जैसे कारों के लिए 1,000 रुपए और भारी वाहनों के लिए 2,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। रेसिंग में लिप्त पाए जाने पर चालक को 5,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। यदि आपके वाहन का बीमा कवरेज समाप्त हो गया है और आप अभी भी इसे चला रहे हैं, तो आपको 2,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। जुर्माने में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। मौजूदा कानून के तहत हिट-एंड-रन मामलों में क्षतिपूर्ति 25,000 रुपए है। इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है। चोटों के मामलों में, मुआवजा 12,500 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है। सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज और सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक मोटर वाहन दुर्घटना निधि बनाई जाएगी।
प्रदेश के स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को अब साइबर सुरक्षा का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। केंद्र सरकार के आदेश पर शिक्षा विभाग ने अगले सत्र से साइबर सुरक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। नौवीं से बारहवीं और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशालय ने स्कूल शिक्षा बोर्ड, एससीईआरटी सोलन और कॉलेज प्रिंसिपलों को इस बाबत आदेश जारी किए हैं। साइबर विशेषज्ञ की मदद से स्कूलों-कॉलेजों में नियमित तौर पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। विद्यार्थियों को इंटरनेट पर आपराधिक गतिविधियों के बारे में जानकारी देकर बचाव के उपाय बताए जाएंगे। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि वर्तमान में साइबर क्राइम के कई मामले सामने आ रहे हैं। विद्यार्थी एटीएम कार्ड, मोबाइल इंटरनेट और अन्य डिजिटल संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें ठगी से बचने के लिए उपायों की जानकारी होनी चाहिए। इसी वजह से केंद्र ने सभी राज्यों को साइबर सुरक्षा का पाठ पढ़ाने के दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा के कुछ पाठ तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में विशेषज्ञों को बुलाकर विद्यार्थियों को जागरूक किया जाएगा।