** संजय पराशर कर रहे हैं भरपूर प्रयास ** हिमाचली बेटियां समुद्री नाविक बनकर मर्चेंट नेवी में बनाएं करियर: संजय पराशर हाई सैलरी, दुनिया भर में यात्रा करने का मौका और समुद्र के रोमांच का आकर्षण...बेशक मर्चेंट नेवी में नौकरी करने के लिए ये बातें प्रदेश व क्षेत्र के युवाओं को लंबे समय से आकर्षित करती रही हैं। बावजूद इस क्षेत्र में करियर कैसे बनाया जाए, उसे लेकर भी युवा पर्याप्त गांइडेंस न मिलने के कारण असमंजस में रहा। वहीं जिला मंडी के गांव कोटली व विभिन्न स्थानों पर आयोजित मार्गदर्शन शिविर के दौरान इंटरनेशनल मैरीटाइम इंस्टीट्यूट संस्थान द्वारा सेमिनार आयोजित किए गए। करियर विशेषज्ञ दलीप ने कहा कि संजय पराशर राेजगार और महिला सशक्तीकरण को लेकर विजन के तहत कार्य कर रहे हैं। अगले वर्ष में युवतियों को मर्चेंट नेवी में अधिक से अधिक राेजगार उपलब्ध हों, इसके लिए रोड़ मैप तैयार किया गया है। इस बारे में युवतियों को अपने क्षेत्र में ही मर्चेंट नेवी के बारे में पर्याप्त जानकारी मिले और इस नौकरी को पाने के लिए बाहर की दौड़ न लगानी पड़े, इसी कारण संजय पराशर के सानिध्य में ऐसे मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।इंटरनेशनल मैरीटाइम इंस्टीट्यूट , नोएडा में सीसीएमसी का कोर्स कर रही छात्रा पलक ने सेमिनार में आई छात्राओं से अनुभव शेयर किए और कहा कि बेटियों के लिए मर्चेंट नेवी में कैरियर के सुनहरे अवसर हैं लड़कियां खुद को व अपने परिवार को आर्थिक रूप से सदृढ़ बना सकतीं हैं। इस क्षेत्र में व्यापक अनुभव रखने वाले कैप्टन संजय पराशर प्रदेश में रोजगार सृजन के साधनों को लेकर गंभीर व क्रियाशील हुए तो उन्हाेंने बेटियों के लिए नौकरियों का भंडार लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदेश के बेटियों को अब मर्चेंट नेवी में नौकरी हासिल करने के लिए बाहर के प्रदेशों में दौड़ नहीं लगानी पड़ रही है। उन्हें पराशर द्वारा घर-द्वार पर इस फील्ड के लिए उचित मार्गदर्शन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, इस मार्गदर्शन शिविर में ज़िला मंडी के गांव आलग और कोटली के क्षेत्रों की युवतियों ने विशेष रूचि दिखाई। आलग कोटली के स्कूल सर्वोदय इंटरनेशनल स्कूल में 70 के लगभग युवितयों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ताे कोटली में गवर्मेंट कॉलेज में युवितयों की संख्या का आकंड़ा करीब 70 रहा। व कोटली के आलोक भारती के 70 छात्र छात्राओं ने भाग लिया।सेमीनार में पहुंची कई युवतियों ने मर्चेंट नेवी में करियर को लेकर सवाल किए, जिनका माैके पर ही विशेषज्ञों द्वारा जबाव दिया गया। शिविर में भाग लेने पहुंची लड़कियों सीमा, प्रिया, नेहा, पूजा, शिवानी, निशा, आरती, भारती, ज्योति, दीपिका ,इंदु, सुनिधि ने बताया कि सेमीनार में उन्हें करियर बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज वर्चुअल माध्यम से लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए विभिन्न जिलों में चल रहे निर्माण कार्यों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न कार्यों के लिए आवंटित किए गए बजट को समयबद्ध खर्च किया जाए, ताकि अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होने पर सरकार के ध्यान में यह मामला लाया जा सके। उन्होंने अधिकरियों को कार्यों की प्रगति रिपोर्ट का विवरण दो दिनों के भीतर अपडेट करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अनुमति एवं बिना बजट प्रावधान के कोई भी निर्माण कार्य न किया जाए। यदि ऐसा हुआ तो जिम्मेदार अधिकारियों की जबावदेही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि एफआरए के अंतर्गत किसी निर्माण कार्य में बाधा आ रही है तो संबंधित अधिकारियों को तुरंत अवगत करवाया जाए। उन्होंने निविदा प्रक्रिया में भी तेजी लाने के निर्देश दिए। बैठक में लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अभिषेक जैन, प्रमुख अभियंता एन.पी. सिंह, मुख्य अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग सुरेश कपूर और सभी जिलों से मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और अधिशाषी अभियंता भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने प्रैसवार्ता में कहा कि प्रदेश के भाजपा नेता दूसरे राज्यों में चुनावों के दौरान प्रदेश की छवि को धूमिल करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता अपनी राजनीतिक महत्वकाक्षाओं के चलते बिना तथ्यों के गलत ब्यानबाजी कर प्रदेश के लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता सहित अन्य भाजपा नेता देश में प्रदेश की छवि को बनाने की जगह निरतंर बिगाड़ने का कार्य कर रही ह, जबकि भाजपा नेताओं को प्रदेश हित में आगे आकर सरकार का साथ देना चाहिए ताकि मुख्यमंत्री के राज्य को आत्म निर्भर बनाने के संकल्प को मजबूती मिल सके। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से एक पुराने मामले में आए आदेशों में दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने के संबंध में भाजपा नेता तथ्यों से परे ब्यानबाजी कर रही है उन्होंने कहा कि यह मामला वर्ष 2009 का भाजपा सरकार के कार्याकाल से जुड़ा हुआ है तथा इस संबंध में प्रदेश के लोगों को भ्रमित कर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से इस प्रकार के आदेश पूर्व भाजपा सरकार के कार्याकाल में भी आते रहे है। उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि पूर्व सरकार के कार्याकाल में किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिलने की स्थिति में ऊना रेलवे स्टेशन को अटैच करने के आदेश दिए जा चुके है। उन्होंने कहा कि माननीय हाईकोर्ट द्वारा 64 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम भुगतान मामले के संबंध में दिए गए आदेश भी इसी प्रकार का एक मामला है। उन्होंने इस मामलेे को लेकर विपक्ष के नेता पर तथ्यहीन ब्यानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि हम इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, जिसमें हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया गया था। सरकार के पास कानूनी कदम उठाने के विकल्प खुले हैं। उन्होंने कहा कि किन्नौर स्थित 960 मेगावाट की जंगी-थोपन और थोपन-पोवारी जलविद्युत परियोजनाओं के एक मामले में भी, मेसर्ज अडानी पावर लिमिटेड ने 280 करोड़ रुपये का अग्रिम प्रीमियम वापस करने के लिए अदालत का रुख किया था और इस मामले में भी एकल पीठ के फैसले को डबल बेंच ने खारिज कर अग्रिम प्रीमियम जब्त करने को सही करार दिया था। नरेश चौहान ने कहा कि इस मामले में भी सरकार सभी पहलुओं पर विचार कर रही है और कानूनी रास्ता अपनाएगी। उन्होंने कहा कि एचपीटीडीसी के 18 होटलों को लेकर उच्च न्यायलय के आदेशों का भी राज्य सरकार गहनता से अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा कि निगम के होटलों की स्थिति को जांचने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा एक सेवानिवृत आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की गई है। इस कमेटी की रिपोर्ट व सुझावों का भी राज्य सरकार अध्ययन करेगी। प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने पूर्व भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके कार्याकाल के दौरान निगम के होटलों को साजिस के तहत निजी हाथों में लीज पर देने की पूरी तैयारी कर ली गई थी और मामला विधानसभा में भी पहुंच चुका था। उन्होंने कहा कि विधानसभा में विरोध होने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उस, मामले का भी गहनता से अध्ययन करेेगी। उन्होेेंने कहा कि होटलों का यह मामला वर्तमान सरकार के दो वर्षो का नहीं है बल्कि पिछली भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है। उन्होंने कहा कि भाजपा देश भर में कांग्रेस की चुनी हुई राज्य सरकारों को निरंतर अस्थिर करने का प्रयास कर रही है लेकिन प्रदेश की जनता इससे भलीभान्ति परिचित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जनहित ने अनेक निर्णय लिए है। सुख-आश्रय योजना लाकर प्रदेश के लगभग 6 हजार बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट घोषित किया है और इस संबंध में कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश, देश का पहला राज्य बना है। उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष इस मामले में चुप क्यों है? उन्होंने भाजपा से सवाल किया है कि इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान योजना, राजीव गांधी स्टार्ट अप योजना, सभी सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में अंग्रेजी माध्यम शुरू करने जैसे फैसलों और कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर भाजपा चुप क्यों है? उन्होंने भाजपा नेताओं को सलाह देते हुए कहा कि वे लोगों को भ्रमित करने के बजाए प्रदेश हित में राज्य सरकार के पक्ष को दिल्ली में भारत सरकार के समक्ष मजबूती से रखने में सहयोेग करें।
** न्यूनतम फीस की मंजूरी के लिए सरकार को भेजा हैं प्रस्ताव शिमला: आईजीएमसी अस्पताल में बुधवार को कार्यकारी समिति की बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में फैसला लिया गया कि अस्पताल में जो टेस्ट मरीजों के निशुल्क होते हैं। उन टेस्टों की न्यूनतम फीस लेने का प्रस्ताव बैठक में तैयार किया गया। 133 मेडिकल टेस्ट हैं निशुल्क: IGMC में मरीजों के 133 मेडिकल टेस्ट निशुल्क करवाए जाते हैं। इन टेस्टों की न्यूनतम फीस लेने के प्रस्ताव को अब मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा। इसके साथ ही अस्पताल में अब डॉक्टरों व कर्मचारियों को पार्किंग शुल्क भी देना होगा। बैठक में इस प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है। डॉक्टरों व कर्मचारियों को 250 रुपये पार्किंग का मासिक शुल्क देना होगा। इसके साथ ही डॉक्टरों व कर्मचारियों को अपने दस्तावेज जमा करवाने होंगे. इसके बाद ही वह पार्किंग में अपनी गाड़ी को पार्क कर पाएंगे। बता दें कि इससे पहले किसी भी तरह का कोई भी पार्किंग शुल्क कर्मचारियों व डॉक्टरों से नहीं लिया जाता था। आईजीएमसी में ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाने का काम किसी तकनीकी टीम को दिया जाएगा। लोक निर्माण विभाग ने इस काम को करने से मना कर दिया है। अस्पताल तकनीकी टीम को बुलाएगा। इसके बाद अस्पताल में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हो सकता है। अस्पताल में जो भी कंपनी पहले से सफाई का काम कर रही है। उस कंपनी को ही सफाई का काम फिर से दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश में विधवा महिलाओं को मकान बनाने के लिए चार लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ऐसी विधवा महिलाओं के लिए मकान बनाने में मदद करेगी, जो भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत हैं। भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत सभी पात्र महिलाओं को मकान बनाने के लिए चार लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार विधवाओं, दिव्यांग महिलाओं और एकल नारियों को उनके मकान बनाने के सपने को साकार करने के लिए वित्तीय मदद देने की पहल कर रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड, विवाह के लिए वित्तीय सहायता, मातृत्व लाभ, शिक्षा सहायता, चिकित्सा देखभाल, पेंशन, विकलांगता पेंशन, दाह संस्कार व्यय, आकस्मिक मृत्यु के लिए राहत, छात्रावास सुविधाएं और विधवा पेंशन सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी वर्गों के उत्थान के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। मकान बनाने के लिए आर्थिक मदद में घर के लिए तीन लाख रुपए और रसोई, शौचालय और स्नानघर जैसी आवश्यक सुविधाओं के लिए एक लाख रुपए की अतिरिक्त मदद भी शामिल होगी। इसका फायदा उठाने के लिए महिलाओं को बोर्ड में पंजीकृत होना चाहिए। पिछले 12 महीनों में कम से कम 90 कार्य दिवस पूरे करने चाहिए और उनकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपए से कम होनी चाहिए। पात्र महिलाओं को जरूरी कागजों समेत श्रम अधिकारी के जरिए इस योजना के लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए स्वीकृति मिलने के बाद वित्तीय मदद सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
हिमाचल प्रदेश सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर बिलासपुर में आयोजित होने वाली आभार रैली की तैयारियों के लिए कैबिनेट मंत्रियों की कमेटी बनाई जाएगी। आयोजन के प्रभारी नियुक्त किए गए राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि जल्द कमेटी का गठन कर दिसंबर के पहले सप्ताह में बैठक की जाएगी। दो साल पूरे होने पर कांग्रेस सरकार नई योजनाओं को भी लाॅन्च करेगी। पुरानी योजनाओं से भी अवगत कराया जाएगा। हर विभाग की सफल योजनाओं का प्रदर्शनी के माध्यम से प्रचार भी करेंगे। नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने का समारोह 11 दिसंबर को बिलासपुर में मनाया जाएगा। समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए कैबिनेट मंत्रियों को शामिल कर एक कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी सदस्यों को आयोजन के लिए जिम्मेवारियां सौंपी जाएंगी।
हिमाचल प्रदेश में नशे का कारोबार फैलता जा रहा है। खासकर राजधानी शिमला नशे का गढ़ बनती जा रही है। शिमला जिले में नशा कारोबारियों का खात्मा करने लिए पुलिस द्वारा मिशन क्लीन शुरू किया गया है। इसके तहत शिमला पुलिस आए दिन नशा तस्करों पर शिकंजा कस रही है। ताजा मामले में शिमला पुलिस ने चार आरोपियों को एनडीपीएस के दो मामलों में गिरफ्तार किया है। इसमें दो हरियाणा के तस्कर भी शामिल हैं। एसपी शिमला संजीव गांधी ने बताया कि पहले मामले में शिमला पुलिस की स्पेशल सेल टीम संकट मोचन बालूगंज में गश्त पर मौजूद था। इस दौरान पुलिस को सूचना मिली कि बधाई में मां तारा आंचल काटेज बीएंडबी में रह रहे 2 युवक चिट्टा बेच रहे हैं, जिसके बाद पुलिस ने बीएंडबी की तलाशी ली और 2 युवकों के पास से 25.880 ग्राम चिट्टा बरामद किया। आरोपियों की पहचान सुखविंद्र और सुमित के रूप में हुई है। दोनों आरोपी हरियाणा के जिला कैथल के मटौर कलयाथ गांव के रहने वाले हैं। वहीं, दूसरे मामला ढली थाना के तहत सामने आया है। ढली थाने के तहत आने वाले फागू और कुफरी के साथ एनएच-5 चीनी बंगलों विभाजन और रेडिसन होटल के पास पुलिस की टीम गश्त पर था। ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पुलिस ने यहां दो युवकों की तलाशी ली और उनसे 6.010 ग्राम चिट्टा बरामद किय। आरोपियों की पहचान रोशन सिंह (उम्र 26 साल) और सुरेंद्र कुमार (उम्र 28 साल) के तौर पर हुई है। दोनों ही शिमला जिले के ननखड़ी के रहने वाले हैं। एसपी शिमला संजीव गांधी ने बताया, "दो मामलों के तहत पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। नशा तस्करों से पुलिस पूछताछ कर रही है कि ये चिट्टा वो कहां से लाए और कहां ले जा रहे थे। पुलिस द्वारा आगामी कार्रवाई की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने निगम के 18 होटलों को ‘सफेद हाथी’ करार देते हुए इन्हें बंद करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने एचपीटीडीसी कर्मचारियों द्वारा दायर एक सिविल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि बार-बार अदालती हस्तक्षेप और विस्तृत निर्देशों के बावजूद निगम इन परिसंपत्तियों को पुनर्जीवित करने या उन्हें लाभकारी बनाने में विफल रहा है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक संसाधनों को ऐसे उपक्रमों पर बर्बाद नहीं किया जा सकता जो लगातार वित्तीय रूप से घाटे में चल रहे हैं। चैल में प्रतिष्ठित पैलेस होटल, धर्मशाला में होटल धौलाधार और मनाली में होटल लॉग हट्स सहित प्रमुख पर्यटन स्थलों की 18 संपत्तियों में पिछले कुछ वर्षों में आश्चर्यजनक रूप से होटलों के अधिकतर कमरे खाली पड़े रहे। अदालत ने एचपीटीडीसी के प्रबंध निदेशक को 25 नवंबर तक इन इकाइयों को तत्काल बंद करने का निर्देश दिया, और अनुपालन के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा, रखरखाव के लिए केवल आवश्यक कर्मचारियों को ही रखा जाएगा, जबकि बाकी को अन्य कार्यशील इकाइयों में जनशक्ति की कमी को दूर करने के लिए फिर से तैनात किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने एक अलग मामले में दिल्ली में स्थित हिमाचल भवन को भी जब्त करने का आदेश दिया है। जिससे एक बिजली कंपनी को नीलामी के माध्यम से अपना बकाया वसूलने की अनुमति दी गई है। जिन 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं उनमे, द पैलेस होटल चायल, होटल गीतांजलि, डलहौजी, होटल बाघल दाड़लाघाट, होटल धौलाधार धर्मशाला, होटल कुणाल धर्मशाला, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल एप्पल ब्लॉसम फागू, होटल चंद्रभागा केलोंग, होटल देवदार खजियार,होटल गिरीगंगा खड़ापत्थर,होटल मेघदूत कियारीघाट, होटल सरवरी कुल्लू , होटल लॉग हट्स मनाली, होटल हडिम्बा कॉटेज मनाली, होटल कुंजुम मनाली,होटल भागसू मैक्लोडगंज, होटल द कैसल नग्गर, होटल शिवालिक परवाणू शामिल हैं।
प्रदेश सरकार प्रवक्ता स्कूल न्यू कैडर में अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों के लिए वरिष्ठता लाभ लागू करेगी। सरकार ने भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी) नियमों में उल्लिखित प्रक्रिया का पालन करते हुए अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए प्रत्यक्ष भर्ती कर्मचारियों के लिए वरिष्ठता लाभ लागू करने का निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय की ओर से ताज मोहम्मद एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य शीर्षक से सीडब्ल्यूपी संख्या 2004/2017 पर आए फैसले के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। फैसले के तहत स्कूल-न्यू कैडर के कर्मचारियों सहित ऐसे कर्मचारियों के लिए वरिष्ठता का दावा स्वीकार किया गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्कूल-न्यू कैडर में कई याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर मामले में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए प्रत्यक्ष भर्ती कर्मचारियों की वरिष्ठता स्थिति पर सवाल उठाया गया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी प्रारंभिक अनुबंध नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता को मान्यता देने की मांग की थी। उच्च शिक्षा निदेशालय ने अब एक कार्यालय आदेश जारी कर स्पष्ट किया है कि लेक्चरर (स्कूल-न्यू) कैडर की वरिष्ठता को फैसले के अनुरूप संशोधित किया जाएगा। इसमें 2014 से 2023 के बीच पदोन्नत और सीधी भर्ती वाले दोनों शामिल हैं। शिक्षा निदेशक के अनुसार इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनुबंध नियुक्तियों और पदोन्नतियों दोनों के लिए नियुक्ति के वर्ष को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठता सूची का अंतराल है। लेक्चरर (स्कूल-न्यू) कैडर जिसे 2019 में पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) कैडर से फिर से नामित किया गया था, अपने 50 फीसदी पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से और अन्य 50 फीसदी टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) कैडर से पदोन्नति के माध्यम से भरता है। लेक्चरर कैडर के लिए वरिष्ठता को पहले 31 दिसंबर 2013 तक अंतिम रूप दिया गया था। लगभग 11,000 प्रवक्ताओं की सूची इस दौरान तैयार हुई थी। अदालत के फैसले के बाद वरिष्ठता सूची को अब 2014 के बाद से सीधी भर्ती वाले लोगों को शामिल करने के लिए संशोधित किया जाएगा। इस कदम से टीजीटी कैडर की वरिष्ठता पर भी असर पड़ने की संभावना है, जो लेक्चरर पदों के लिए फीडर कैडर के रूप में कार्य करता है। टीजीटी की वरिष्ठता न्यायालय के आदेश द्वारा निर्धारित नए दिशा-निर्देशों के साथ संरेखित करने के लिए संशोधनों से गुजर सकती है, जिससे पदोन्नति के क्रम में संभावित परिवर्तन हो सकते हैं। निदेशालय के कार्यालय आदेश के अनुसार वरिष्ठता को समायोजित किया जाएगा, लेकिन अंतिम वरिष्ठता सूची संबंधित पक्षों की उचित आपत्तियों को शामिल करने के बाद ही जारी की जाएगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने आज ऐतिहासिक रिज पर भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर उन्हें पुष्पाजंलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने राष्ट्र निर्माण में इंदिरा गांधी के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी निर्णयों ने भारत को मजबूत आधार प्रदान कर सशक्त बनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि सुधार और बैंकों का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी की दूरदर्शी नीतियों का प्रमाण हैं, जिससे आम आदमी लाभान्वित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इस अवसर पर उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक हरीश जनारथा, रंजीत सिंह राणा, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, पार्षद, उपायुक्त अनुपम कश्यप और अन्य लोग उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को सस्ती बिजली का प्रबंध करने के लिए सरकार बड़ा कदम उठा सकती है। हालांकि अभी तक यह केवल एक सुझाव है, लेकिन सामने आया है कि उद्योगों को बिजली देने के लिए अलग से नई कंपनी का गठन किया जाए। इसमें बिजली बोर्ड से ही उन पुराने प्रोजेक्टों को वापस लिया जाए, जो 40 साल से ज्यादा समय से उत्पादन में है। क्योंकि एक शर्त राज्य सरकार की निजी कंपनियों के लिए भी है कि 40 साल पुराने प्रोजेक्ट वह सरकार को सौंप देंगी। लिहाजा इसे बिजली बोर्ड पर भी लागू करने की सोच है। सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा बनाई गई कैबिनेट सब-कमेटी के सामने इस तरह का सुझाव आया है और उसने आगे सीएम से भी इस बात पर चर्चा की है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसको नकार दिया है और उनका मानना है कि बोर्ड के ढांचे से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, परंतु आने वाले समय में इस मामले को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है, क्योंकि कुछ अधिकारी भी इस हक में है। अधिकारियों का मानना है कि इससे उद्योगों के लिए सरकार एक अलग व्यवस्था कर सकेगी और जो निवेशक यहां पर बिजली को लेकर अब परेशान हो रहे हैं, उनकी दिक्कत दूर हो सकती है। क्योंकि उद्योगों को अब दूसरे राज्य भी सस्ती बिजली देने लगे हैं और यहां पर बिजली का टैरिफ बढ़ रहा है, जिससे उद्योगपतियों में नाराजगी है। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए यदि सरकार बिजली क्षेत्र की नई कंपनी उद्योग क्षेत्रों में ही स्थापित कर दे और उसके माध्यम से केवल उद्योगों के लिए बिजली का वितरण करे, तो इससे उद्योगों को सस्ती बिजली का इंतजाम हो सकता है। वैसे यह इतना ज्यादा आसान नहीं है, परंतु फिर भी कैबिनेट सब-कमेटी अपनी ओर से सरकार के सामने इस तरह का सुझाव जरूर रखेगी। इसको लेकर सब-कमेटी ने काफी मंथन भी किया है। मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ रविवार को अभियंताओं व कर्मचारियों के ज्वाइंट फ्रंट की जो बैठक हुई है, उसमें भी यह मुद्दा उठा है, मगर इस पर कोई बात नहीं बन पाई। क्योंकि बिजली बोर्ड में कर्मचारियों पर लगने वाली लागत काफी ज्यादा है और पेंशनरों का बड़ा खर्र्च बोर्ड पर है। उससे यहां बिजली के टैरिफ पर असर पड़ रहा है। बिजली का टैरिफ इससे महंगा हो गया है और अब उद्योगों को सरकार उस कद्र सस्ती बिजली नहीं दे पा रही है जितनी उसे देनी चाहिए। पिछले दिनों एक रूपए सबसिडी इसमें सरकार ने कम की थी, जोकि 100 किलोवॉट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करने वाले उद्योगों पर लागू हुई थी, मगर इस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी, जिससे भी सरकार फंस गई है। हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को भी सस्ती बिजली देना जरूरी है। बिजली बोर्ड के चार ऐसे प्रोजेक्ट बताए जा रहे हैं, जो 40 साल से ऊपर हो चुके हैं और उनसे उत्पादन हो रहा है। उनकी पूरी बिजली का इस्तेमाल बिजली बोर्ड ही करता है और उससे सरकार को कोई लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में अब कैबिनेट सब-कमेटी के सुझावों को सरकार मानती है या नहीं, यह देखना होगा।
शिमला: हिमाचल में पिछले कई महीनों से कमर तोड़ महंगाई की समस्या से जूझ रहे लाखों लोगों को डिपुओं में भी राहत नहीं मिल रही है। हालत ये है कि नवंबर महीना बीतने को है, लेकिन प्रदेश भर के 4500 से ज्यादा डिपुओं में उपभोक्ताओं को इस महीने सरसों के तेल सहित तीन दालों का कोटा उपलब्ध नहीं हुआ है, जिसके चलते बाजार से महंगे रेट पर खाद्य वस्तुएं खरीद कर रसोई चलाने को उपभोक्ता मजबूर हैं। पिछले महीने फेस्टिव सीजन में लोगों का पहले ही जेब खर्च ज्यादा हुआ है। ऐसे में डिपुओं में तेल और दाल का कोटा न मिलने से लोगों की जेब और टाइट हो गई है। वहीं, प्रदेश के अधिकतर डिपुओं में तो उपभोक्ताओं को पिछले महीने भी सरसों का तेल नहीं दिया गया है, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। वहीं, डिपुओं में सरसों का तेल और दालों का कोटा कब तक उपलब्ध होगा? इस बात की भी उपभोक्ताओं को कोई जानकारी नहीं मिल रही है। उचित मूल्यों की दुकानों से कोटा गायब होने से लाखों परिवार अब बाजार से 200 रुपए लीटर सरसों का तेल और 100 से 120 रुपए किलो दालें खरीदने के लिए मजबूर है। हालात ये है कि मंडी समेत अन्य जिलों में तो उपभोक्ताओं को पिछले कई महीने भी डिपुओं में सरसों का तेल और दालों का कोटा नहीं मिला है, जिससे उपभोक्ता पिछले दो महीनों से बाजार से महंगे भाव पर सरसों का तेल और दालें खरीदने को विवश हैं। खुले बाजार में सरसों के तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, लेकिन डिपुओं में उपभोक्ताओं को सस्ते रेट पर दिए जाने वाले सरसों के तेल के भाव में पिछले करीब तीन महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ हैं। हिमाचल सरकार उपभोक्ताओं को एक राशन कार्ड पर अधिकतम दो लीटर सरसों का तेल दे रही है। इसमें एपीएल और बीपीएल उपभोक्ताओं को 123 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से सरसों का तेल उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, टैक्स पेयर कार्ड धारकों को यही सरसों का तेल 129 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दिया जा रहा है। पिछले महीने त्योहारी सीजन में सरकार ने उपभोक्ताओं को डिपुओं में जाकर जरूरत के मुताबिक सरसों का तेल खरीदने की सुविधा भी दी थी, लेकिन सरकार का ये दावा कुछ ही दिनों में ही हवा हो गया था। हिमाचल में डिपुओं में उपभोक्ताओं को दालें भी सस्ते भाव पर उपलब्ध करवाई जाती हैं। इसमें बीपीएल परिवारों को उड़द की दाल 58 रुपए किलो के हिसाब से दी जाती है। एपीएल परिवारों को उड़द की दाल 68 रुपए किलो मिलती है। इसके अलावा टैक्स पेयर को डिपुओं में 93 रुपए किलो उड़द की दाल उपलब्ध कराई जाती है। इसी तरह से बीपीएल परिवारों को मलका की दाल 56 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दी जाती है। एपीएल परिवारों को मलका दाल 66 रुपए किलो और टैक्स पेयर के लिए मलका की दाल का भाव अभी 91 रुपए तय किया गया है। डिपुओं में एपीएल परिवारों को चना दाल अभी तक 48 रुपए किलो दी जाती है। वहीं, बाजार में इन तीनों ही दालों का भाव 100 से 120 रुपए प्रति किलो है। हिमाचल प्रदेश में कुल राशन कार्ड धारकों की संख्या 19 लाख 65 हजार 589 है। जो 4500 से ज्यादा डिपुओं के जरिए सस्ते राशन की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। डिपुओं के जरिए उपभोक्ताओं को आटा, चावल, तीन अलग-अलग किस्म की दालें, सरसों का तेल और नमक बाजार से सस्ते रेट पर उपलब्ध करवाया जाता है। महंगाई के कारण डिपुओं में सरसों के तेल की अधिक मांग रहती है। सरसों के तेल के कोटे को कोई भी उपभोक्ता नहीं छोड़ता है। ऐसे में प्रदेश में हर महीने डिपुओं में 34 लाख लीटर तेल की खपत रहती है, जिस पर सरकार सब्सिडी के तौर पर लाखों रुपए खर्च करती है।
** कहा, अब देश भर में एक ही गारंटी है वह है मोदी की गारंटी ** जयराम ठाकुर ने झारखंड और महाराष्ट्र में बेनकाब किया कांग्रेस का झूठ शिमला: महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार करके हिमाचल वापस आए पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पूरे देश में हिमाचल प्रदेश की ‘सुख की सरकार' के नाकामियों के चर्चे हो रहे हैं। विभिन्न प्रकार के मीडिया के माध्यम से हिमाचल की जो खबरें देश भर में जा रही हैं वह प्रदेश की छवि के खिलाफ रही हैं। पूरे भारत में हिमाचल शांत और प्रगतिशील राज्य के रूप में जाना जाता है। कांग्रेस के दो साल के कार्यकाल ने हिमाचल की इस छवि को भी नुकसान पहुंचाने का काम किया है। कांग्रेस की नीतियों की वजह से हिमाचल प्रदेश विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गया है जिसकी भरपाई आसान नहीं है। जयराम ठाकुर ने कहा कि झारखंड और महाराष्ट्र के लोगों को हिमाचल की कांग्रेस की सरकार की नाकामियों के बारे में पता है। दोनों जगह पर भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के बीच जबर्दस्त माहौल है। झारखंड में लोग भ्रष्टाचार और घुसपैठ को मिल रहे सरकारी समर्थन से लोग तंग आ रहे हैं और अब हिमाचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में साथ डबल इंजन की सरकार में रहना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी द्वारा पूर्व के चुनाव में की गई घोषणाओं के अक्षरश: से पूरा करने की निति ने देश की राजनीति को एक नई दिशा दिखाई है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी अपने हर चुनावी संकल्प को निर्धारित समय में पूरा करती है। जिसके कारण अब देश के लोग सिर्फ और सिर्फ एक ही गारंटी पर भरोसा करते हैं और है मोदी की गारंटी। जो अपने चुनावी घोषणा पत्र को एक पवित्र दस्तावेज की तरह देश में बिना किसी भेदभाव के लागू करती है। आज देशभर का हर बुजुर्ग जिनकी उम्र 70 साल से अधिक है उन्हें बिना किसी शर्त के आयुष्मान जैसी योजना के तहत ₹5 लाख का मुफ्त इलाज मिल रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि पूरे देश में राजनीति में गारंटी के नाम पर लोगों को धोखा देने की प्रथा कांग्रेस ने शुरू की थी। यहां कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता छोटी बड़ी स्वभाव से लेकर बड़े-बड़े मंचों पर खड़े होकर खुलेआम बड़े-बड़े वादे करते थे और जनता को झांसे में लेकर वोट लेने की पैंतरे आजमाते थे। कांग्रेस द्वारा हिमाचल में इसी धोखे से सत्ता हासिल की गईं। लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद सरकार सरोकारों से दूर चली गई और तानाशाही पूर्ण रवैए से शासन करना शुरू कर दिया। सरकारी निरंकुशता का आलम यह रहा कि कांग्रेस अपनी दी हुई गारंटी को पूरा करना तो दूर गारंटियों के विपरीत ही काम करना शुरू कर दिया। प्रदेश के 12000 से ज्यादा युवा नौकरी से निकाले गए और 1200 के लगभग चलते-फिरते संस्थान बंद कर दिए गए। हिमाचल कांग्रेस सरकार का मॉडल सत्ता की असफलता और झूठ बोलकर सत्ता हासिल करने का 'परफेक्ट' मॉडल है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस सरकार की नाकामी और तानाशाही ने कांग्रेस के गारंटी मॉडल की हवा निकाल दी। सबसे सुखद बात यह है कि हिमाचल ही नहीं पूरे देश ने कांग्रेस के झूठे गारंटी मॉडल को नकार दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देश भर के अलग अलग चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस द्वारा झूठ प्रचारित किया कि उनके द्वारा दी गई गारंटियां हिमाचल में अक्षरश: पूरी की गई हैं। ऐसे में नेता विपक्ष के कारण यह हमारा धर्म है कि हम प्रदेश के हालात देश के लोगों को बताए और कांग्रेस के झूठी गारंटियों की गाड़ी की हवा निकालें। एक विपक्ष के नेता के नाते यह हमारा दायित्व है कि एक भी देशवासी कांग्रेस की झूठी गारंटियों का शिकार न होने पाए। इसलिए हमने देश भर में सुक्खू सरकार के झूठ को बेनकाब कर उनकी जनविरोधी सोच को देशवासियों के सामने उजागर किया। कांग्रेस का झूठ भाजपा देश में कहीं भी चलने नहीं देगी।
शिमला में पिछले वर्ष पहली बार विंटर कार्निवल का आयोजन किया गया था जो 7 दिन तक चला था, जिससे पर्यटन कारोबार को चार चाँद लगे थे। इसलिए इस बार इसे 10 दिनों का किया जा रहा है ताकि पर्यटन कारोबार को बढ़ावा मिले और देश विदेश से लाखों पर्यटक जो शिमला पहुंचते है उन्हें हिमाचल की संस्कृति का पता चले। इस दृष्टि से शिमला के मेयर ने एसपी DC व अन्य अधिकारियो के साथ बैठक की, जिसमें आगामी कार्यक्रम को लेकर चर्चा की गई। नगर निगम के महापौर सुरेन्द्र चौहान ने कहा कि लोगों और सैलानियों में कार्निवल को लेकर पिछले साल काफी उत्साह दिखा था। इसलिए इस बार भी कार्निवल का आयोजन किया जा रहा है, जिसे अब 7 दिन के बजाय 10 दिन मनाया जाएगा। इसके आयोजन से शहर के कारोबार को भी नई रफ्तार मिलेगी। इस बार क्या नए आयोजन किए जा सकते है इसको लेकर अधिकारी योजना बना रहे है। पूरे 10 दिन के कार्यक्रमों की योजना तैयार कर जल्द ही मुख्यमंत्री से भी मंजूरी ली जाएगी। महापौर ने कहा कि जल्द ही एक और बैठक कर कार्निवल की तैयारियों, कार्यक्रमों को लेकर अधिकारियों की जिम्मेदारियां भी तय की जाएंगी। नगर निगम इस बार कार्निवल के उपलक्ष्य पर एक सोविनियर भी प्रकाशित करने जा रहा है। इसमें शिमला शहर के इतिहास, नगर निगम के प्रतिनिधियों के बारे में आम जनता को जानकारी मिलेगी।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद में जिला अदालत में अगली सुनवाई अब 22 नवंबर को होगी। नगर निगम शिमला कमिश्नर कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में याचिका दाखिल की हुई है। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही वक्फ बोर्ड से एक एफिडेविट भी तलब किया है। सोमवार की सुनवाई में एमसी शिमला की तरफ से भी वकील पेश हुए। संजौली में मस्जिद के ऊपरी 3 फ्लोर को हटाने के लिए नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत ने आदेश दिए हैं। एमसी अदालत के इसी निर्णय के खिलाफ ऑल हिमाचल मुस्लिम एसोसिएशन ओर से शिमला जिला अदालत में याचिका दी गई थी। कोर्ट में मामले में सुनवाई की और मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी की याचिका पर फैसले को सुरक्षित रखा है। 5 अक्टूबर को शिमला एमसी कोर्ट द्वारा दिए फैसले पर जिला अदालत ने वक्फ बोर्ड से एफिडेविट मांगा हैं। कोर्ट ने पूछा कि संजौली मस्जिद कमेटी प्रधान मोहमद लतीफ मस्जिद प्रधान के तौर पर वक्फ बोर्ड से ऑथराइज्ड था या नहीं? अब मामले में 22 नवंबर को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज की कोर्ट फैसला सुनाएगी। गौरतलब है कि ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेशनाइजेशन के प्रमुख नजाकत अली ने शिमला एमसी आयुक्त द्वारा 5 अक्टूबर को दिए गए फैसले को जिला कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया कि एमसी आयुक्त कोर्ट का फैसला डिफेक्टिड है। उन्होंने यह फैसला संजौली मस्जिद कमेटी द्वारा दिए हलफनामे के आधार पर सुनाया है। आज मामले में हुई बहस मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा पूरे मामले को एमसी कमिश्नर को दोबारा भेजा जाए, ताकि ध्यान से इस मामले को सुना जा सके।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार एक नई करुणामूलक रोजगार नीति बनाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सेवा के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले लोगों को रोजगार देने के लिए प्रदेश सरकार उदार और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आवेदकों का विभागवार ब्यौरा संकलित कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अधिक से अधिक आवेदकों को लाभान्वित करने के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विधवाओं और अनाथों को अनुकंपा के आधार पर रोजगार प्रदान करने में प्राथमिकता देकर आश्रितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। पहली कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है ताकि सेवानिवृत्ति के बाद वह सम्मानजनक जीवन जी सकें। उन्होंने कहा कि सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल के भीतर सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को 11 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया गया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार सचिव एम. सुधा देवी, राकेश कंवर और सचिव विधि शरद कुमार लग्वाल भी बैठक में उपस्थित रहे।
हिमाचल में अब 70 साल से ज्यादा के बुजुर्गों का घरद्वार पर ही उपचार होगा। स्वास्थ्य विभाग को फोन पर सूचना देने के बाद मोबाइल एंबुलेंस घर जाएगी। इसमें एक डॉक्टर, फार्मासिस्ट और नर्स होंगी। इस एंबुलेंस में दवाइयां, ऑक्सीजन सिलिंडर और अन्य जरूरी उपकरण भी रहेंगे। मौके पर उपचार करने के बाद डॉक्टर को लगे कि मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है तो उन्हें साथ ही लाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मरीजों के घर-द्वार पर ही टेस्ट भी होंगे। इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन घर भेजी जाएगी। इसके लिए मरीज या उनके तीमारदारों का मोबाइल नंबर लिया जाएगा। सीएम सुक्खू ने स्वास्थ्य विभाग को इस योजना को जल्द शुरू करने को कहा है। जिलों में नजदीकी अस्पताल से लोगों के घरों में स्वास्थ्य विभाग की टीमें भेजी जाएंगी। यह सुविधा अभी उन क्षेत्रों व पंचायतों में होगी जहां सड़क सुविधा रहेगी। उपचार और दवाएं निशुल्क दी जाएंगी।मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि सीएम सुक्खू ने विभाग को इस दिशा में काम करने को कहा है।
हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की पहली पायलट भर्ती की सीबीटी परीक्षा का नतीजा निकालने का पेच सुलझ गया है। अब आयोग को ट्रेजरी से कोड मिलने के बाद एडसिल एजेंसी को करीब 36 लाख के भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। कोष विभाग से नवगठित आयोग के नामित कर्मचारी को ट्रेजरी कोड मिलने के बाद जल्द ही अब एजेंसी को भुगतान होगा। परीक्षा के आयोजन का 36 लाख का बिल कोष विभाग को भेजा गया है। हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को अपना जीएसटी नंबर भी मिल गया है। ऐसे में परीक्षाओं के आयोजन से लेकर तमाम वित्तीय गतिविधियों को पूरा करने में दिक्कत पेश नहीं आएगी। हिमाचल प्रदेश नवगठित आयोग की ओर से ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंट (ओटीए) पोस्ट कोड 1073 के 162 पदों की कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) का आयोजन बीते मार्च में किया गया था। सीबीटी के तहत पायलट आधार पर यह पहली भर्ती राज्य आयोग की ओर से एडसिल एजेंसी के जरिये करवाई गई थी। इस भर्ती को करवाने की एवज में एजेंसी ने आयोग को 36 लाख का बिल दिया था। इस बिल के भुगतान को लेकर पिछले सात माह से पेच फंसा हुआ था। आयोग का ट्रेजरी कोड सृजित नहीं होने से बिल नहीं बन पा रहा था। भंग कर्मचारी चयन आयोग में साल 2022 में इस भर्ती को विज्ञाप्ति किया गया था। पेपरलीक के चलते आयोग भंग हो गया था। नवगठित राज्य आयोग ने 30 मार्च 2024 को इसकी सीबीटी परीक्षा करवाई। इस भर्ती को पायलट भर्ती के तौर पर एडसिल एजेंसी के माध्यम से करवाया गया। दो साल बाद अभ्यर्थियों का परिणाम का इंतजार जल्द ही खत्म होगा। प्रदेश सरकार के कोष विभाग से किसी भी विभाग को फंड जारी करने के लिए विभाग अथवा सरकारी संस्था का ट्रेजरी कोड सृजित किया जाता है। उस संस्था के एक कर्मचारी को इस कोड को संचालित करने के लिए नामित किया जाता है। बाकायदा आईडी और पासवर्ड कर्मचारी के बनाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग में यह औपचारिकताएं अब पूरी कर ली गई है। सीबीटी के परिणाम के बाद होगा दस्तावेजों का मूल्याकंन ओटीए की भर्ती की सीबीटी भर्ती के परीक्षा परिणाम को आउटसोर्स एजेंसी की ओर से घोषित किया जाएगा, लेकिन अंतिम परिणाम हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की ओर से ही जारी किया जाएगा। आयोग के सचिव विक्रम महाजन ने कहा कि आयोग ने कोष विभाग के समक्ष ओटीए भर्ती के आयोजन का बिल प्रस्तुत कर दिया है। आयोग को अपना जीएसटी नंबर भी मिल गया है।
सिरमौर: कहते हैं कि मां जैसा इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं है। एक मां अपने जिगर के टुकड़े के लिए कुछ भी कर सकती है या यूं कहे कि किसी भी हद तक जा सकती है। अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए वो खुशी-खुशी मौत को भी गले लगा सकती है। मां की मामता का भावुक कर देने वाला एक मामला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला से सामने आया है। मां का रिश्ता सभी रिश्तों से अनमोल यूं ही नहीं है। कई ऐसे उदाहरण हैं जब मां ने अपने लाल का जीवन बचाने के लिए हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया हो। ऐसा ही उदाहरण जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र में सामने आया है। कांडो भटनोल पंचायत के गांव बोहल में शनिवार को रंगड़ों के हमले से मां ने अपने तीन साल के मासूम को बचाते हुए अपनी जान दे दी। जानकारी के अनुसार अनु (28) अपने घर के पास ही घास काटने गई थी। वह बेटे को भी साथ ले गई थी। अचानक घासन में खड़ीक के पेड़ पर बने छत्ते से रंगड़ों ने मां-बेटे पर हमला कर दिया। अनु ने अपने सिर से ढाठू उतारकर बेटे को ढका और अपनी आगोश में ले लिया। इससे बेटा बच गया, लेकिन रंगड़ों ने अनु को बुरी तरह काटा। उसने शिमला में मजदूरी कर रहे अपने पति को फोन के माध्यम से इसकी जानकारी दी। चीखने की आवाजें सुनकर आसपास के लोग पहुंचे महिला के चीखने की आवाजें सुनकर आसपास के लोग पहुंचे और उपचार के लिए उसे शिलाई अस्पताल ले जाया गया। यहां से महिला व बच्चे को हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। बच्चे का नाहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उपचार चल रहा है। वह खतरे से बाहर है।
** महापौर-उपमहापौर सहित अन्य लोगों ने लाला लाजपत राय को किया याद शेर-ए-पंजाब लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि पर शिमला मॉल रोड स्थित लाजपत राय की प्रतिमा पर महापौर नगर निगम शिमला सुरेन्द्र चौहान पुष्पांजलि अर्पित कर देश के प्रति उनके योगदान को याद किया। स्वतंत्रता आंदोलन में महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के साहस की गाथा देश वासियों के लिए सदैव स्मरणीय रहेगी। इस मौके पर नगर निगम महापौर सुरेंद्र चौहान ने बकहा कि लाला लाजपत राय उन महान सपूतों में से एक थे जिनकी बदौलत हम आज आजाद भारत में खुली हवा में सांस ले रहे हैं। इसलिए देश के महान सपूतों को याद करना हमारा कर्तव्य भी है। कार्यक्रम के दौरान सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के कलाकारों ने देश भक्ति गीतों व भजन गायन की प्रस्तुति दी।इस अवसर पर उप-महापौर नगर निगम शिमला उमा कौशल, पार्षदगण, उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप सहित अन्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।
** आश्रम को हुआ नुक्सान, पुलिस बल तैनात शिमला के संजौली मस्जिद के बाद अब राम कृष्ण मंदिर पर विवाद हो गया जहां मंदिर पर कब्जा करने में शनिवार देर रात एक बजे को ब्रह्मों समाज और रामकृष्ण मिशन के बीच जम कर मारपीट और तोड़फोड़ हुई। देर रात ब्रह्मों समाज के लोग पूजा और ध्यान करने पहुचे थे वही राम कृष्ण मिशन के लोग भी वहां पहुचे ओर पहले दोनों तरफ से नारेबाजी करने लगे उंसके बाद आंदोलन पर उतर आए। आंदोलनकारियों ने आश्रम के प्रबंधकों पर कब्जा करने का आरोप लगाया है, जिसके बाद माहौल काफी तनावपूर्ण हुआ और दोनों तरफ से टकराव शुरू हो गया जिसमें कई लोगो को चोटें आई और आश्रम को भी काफी नुकसान हुआ है।वही भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं दूसरी ओर रामकृष्ण मिशन आश्रम शिमला के सचिव स्वामी तन्महीमानंद का कहना है कि वह पिछले करीब 14 वर्षों से मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है।उन्होंने बताया कि देर रात मिशन की प्रॉपर्टी में कुछ लोग भक्त बन कर घुसे और आंदोलन करने लगे। उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है। यह मंदिर होटल लैंडमार्क शिमला के समीप रामकृष्ण मिशन के नाम से प्रसिद्ध है। यह एक संपत्ति विवाद बन रहा है जिसको प्रशासन एवं पुलिस सुलझाने का प्रयास कर रही है। ब्रह्मों समाज और रामकृष्ण मिशन का विवाद धीरे-धीरे बढ़ता दिखाई दे रहा है। दोनों इस सम्पति पर अपना हक जमा रहे है। पुलिस प्रशासन की ओर से एएसपी शिमला नवदीप पुलिस टीम के साथ मौके पर हैं।
** सूखे की मार झेल रहे किसानों को मिलेगी राहत पर्यटन भी पकड़ेगा गति लंबे अरसे बाद मौसम ने करवट बदली है। शनिवार को रोहतांग सहित शिंकुला व बारालाचा दर्रे में बर्फ के फाहे गिरे हैं। बादल छा जाने से रोहतांग के निकटवर्ती स्थलों में भी हिमपात की उम्मीद बढ़ गई है। लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे किसानों व पर्यटन कारोबारियों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। शनिवार को बर्फ की उम्मीद लिए रोहतांग दर्रे में पांच सौ से अधिक पर्यटक वाहनों में लगभग चार हजार पर्यटक पहुंचे। बर्फ न पडऩे से उन्हें निराशा हुई, लेकिन ठंडा मौसम देख पर्यटक खासे उत्साहित हुए। देर शाम को दर्रे में बर्फ के फाहे गिरे। शनिवार को शिंकुला व बारालाचा दर्रे में बर्फ के फाहे गिरे, लेकिन लेह लद्दाख सहित जंस्कार घाटी की ओर वाहनों की आवाजाही सुचारू रही। देश भर के पर्यटक मनाली में हिमपात होने का इंतजार कर रहे हैं।
किन्नौर जिले के शोंग-टोंग प्रोजेक्ट की निमार्णाधीन रली एडिट टनल-2 से पानी लीक हो गया। इसके कारण रिकांगपिओ-रामपुर एनएच पर मलबा आने की सूचना है। बताया जा रहा है कि टनल से बड़ी मात्रा में पानी आने से एनएच पर यातायात बंद कर दिया गया है। इसके कारण एनएच के दोनों ओर गाड़ियों की कतारें लग गईं।एचपीसीएल की शोंग-टोंग टनल का पटेल कंपनी की ओर से निर्माण किया जा रहा है। शनिवार रात करीब 10 बजे प्रोजेक्ट में बड़ी मात्रा में लीकेज हो गया। इस वजह से एडिट टनल से बड़ी मात्रा में पानी एनएच पर आ गया। इसके कारण सड़क पर मलबा गिर गया। सड़क बंद होने के कारण एनएच से आवाजाही बंद है। बताया जा रहा है कि टनल के अंदर काम कर रहे सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकल लिया है। पानी लीक होने की सूचना मिलते ही प्रशासन ने एनएच बहाली के लिए मौके पर मशीनें भेज दी हैं। प्रशासन ने टापरी से रिकांगपिओ और रिकांगपिओ से टापरी की ओर आ-जा रहे लोगों को वाया कड़छम-शीलती सड़क से जाने की अपील की है। उधर बताया जा रहा है कि जैसे ही स्थानीय लोगों को इस बात की सूचना मिली तो वे भी मदद के लिए माैके पर पहुंच गए। उन्होंने इस बारे में स्थानीय प्रशासन को भी सूचित किया।
हिमाचल प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों की 7,600 पदों की आउटसोर्स भर्तियों पर ब्रेक लग गई है। राज्य हाईकोर्ट के फैसले के बाद इलेक्ट्राॅनिक्स काॅरपोरेशन ने भर्ती प्रक्रिया बंद कर दी है। शिक्षा विभाग में 6,200 प्री प्राइमरी शिक्षकों सहित एनएचएम में नर्स, ओटी टैक्नीशियन और फार्मासिस्ट सहित अन्य श्रेणियों की 1400 पदों पर भर्तियां होनी हैं। दरअसल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग ने इन भर्तियों का इलेक्ट्राॅनिक्स काॅरपोरेशन को जिम्मा सौंपा है। अब कोर्ट ने काॅरपोरेशन के माध्यम से भर्तियाें पर रोक लगा दी है।सरकार भर्तियों को शुरू करने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने की तैयारियों में जुट गई है। 21 नवंबर को इस मामले की सुनवाई होनी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कॉरपोरेशन के तहत पंजीकृत सभी कंपनियों का डाटा बेवसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। जब तक सभी कंपनियों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड नहीं होगा, तब तक आउटसोर्स भर्तियों पर रोक लगाई गई है। इस कारण इन दिनों काॅरपोरेशन के तहत होने वाली भर्तियों को लेकर प्रक्रिया थम गई है। शिक्षा विभाग ने बीते दिनों काॅरपोरेशन को 6200 प्री प्राइमरी शिक्षकों से संबंधित नियम तैयार कर भेजे थे। काॅरपोरेशन ने इन पदों पर भर्ती के लिए आउटसोर्स कंपनियों का चयन शुरू करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इसी बीच हाईकोर्ट की रोक के चलते यह काम बंद हो गया है। वहीं राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास करने पर शिक्षा विभाग ने हिंदी विषय के 113 और फिजिक्स विषय के 45 नए स्कूल प्रवक्ताओं को नियुक्तियां दे दी हैं। शनिवार को उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से नियुुक्ति आदेश जारी किए गए। प्रवक्ताओं को 25,800 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा। इनकी नियुक्ति अनुबंध आधार पर की गई है। तय कार्यकाल को पूरा करने के बाद इन्हें नियमित किया जाएगा। सभी नवनियुक्त प्रवक्ताओं को दस दिनों के भीतर पद ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने आज अध्यक्ष सुमन ठाकुर के नेतृत्व में यहां मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भेंट की तथा उन्हें अपनी सेवाओं को नियमित करने सहित विभिन्न मांगों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार विधि विभाग की राय लेने के पश्चात उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी तथा उनके हितों को ध्यान में रखते हुए उचित कार्यवाही की जाएगी। सुमन ठाकुर ने कहा कि वे पिछले 24 वर्षों से सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार को उनकी सेवाओं को नियमित करने का आग्रह किया। इस अवसर पर सचिव शिक्षा राकेश कंवर, संघ के राज्य समन्वयक अजीत धीमान तथा संघ के अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
शिमला: जिला में कोटखाई तहसील के कल गोहाच गांव में तेंदुआ दिखने से लोग सहमें हुए हैं। तेंदुआ रात के घर के बाहर आंगन में दहाड़ता हुआ नजर आया। तेंदुए को एक व्यक्ति ने अपने फोन के कैमरे में कैद कर लिया। तेंदुआ घर के आंगन में बैठा है और जोर से दहाड़ रहा है। दहाड़ने की आवाज सुनकर आस-पास के लोगों ने खिड़की से झांक कर देखा तो घर के आंगन में तेंदुआ नजर आया। जानकारी के अनुसार घटना शुक्रवार देर रात साढ़े आठ बजे के आस पास कोटखाई क्षेत्र के गोहाच गांव की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि तेंदुए ने गांव में कुत्तों पर भी हमला किया। तेंदुए दिखने के बाद पूरे गांव के लोग दहशत में हैं। लोग सुबह शाम अंधेरे में घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं। लोगों ने वन विभाग से तेंदुए को पकड़ने की गुहार लगाई है। गौरतलब है सर्दियों का मौसम शुरू शिमला शहर और निचले क्षेत्रों में तेंदुए दिखाई देने के मामले सामने आते रहते हैं। शिमला के आस-पास के क्षेत्रों में तेंदुआ कई बार बच्चों, पालतू और आवारा कुत्तों को भी अपना निशाना बना चुका है। अब एक बार फिर कोटखाई क्षेत्र में तेंदुआ दिखने से लोगों में डर का माहौल है।
** 3 दिन में स्कूल ज्वाइन करने के निर्देश शिमला: धरने पर गए वोकेशनल शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। कंपनी की ओर से शिक्षकों को ये नोटिस जारी किए गए हैं, साथ ही इन्हें 3 दिन में स्कूल ज्वाइन करने के भी निर्देश दिए गए हैं। शिक्षकों को लिखित में इसका जवाब देना होगा। नोटिस के जरिये शिक्षकों से पूछा गया है कि वह 11 दिन तक स्कूलों से किसकी परमिशन से गायब रहे। यदि इस दौरान शिक्षकों ने छुट्टी ली थी तो इसका भी कंपनी ने प्रमाण मांगा है। इसके साथ ही स्कूलों से शिक्षकों की अटैंडैंस भी मांगी गई है। शिक्षक 11 दिन से धरने पर थे। सूत्रों की मानें तो एमओयू के मुताबिक यदि वोकेशनल शिक्षक 10 दिन तक बिना बताए स्कूल से गायब रहते हैं तो उनकी सेवाओं को समाप्त किया जा सकता है, ऐसे में सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की ओर से शिक्षकों को स्कूलों से गायब रहने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। गौर हो कि शिक्षक सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को बाहर करने व उन्हें विभाग में समायोजित करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे, ऐसे में 11 दिनों से स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा ठप्प पड़ी थी। मामले पर आज यानि 16 नवम्बर को प्रदेश वोकेशनल टीचर वैल्फेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक से मिलेंगे। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया था कि शिक्षकों के आंदोलन की अवधि को रैगुलराइज किया जाएगा। ऐसे में एसोसिएशन सरकार से इन 11 दिनों को छुट्टियों को रैगुलराइज करने की मांग करेगी। बताया जा रहा है कि उनके मामले पर शिक्षा मंत्री 18 नवम्बर को बैठक बुला सकते हैं। इस दौरान यदि वोकेशनल शिक्षक बिना परमिशन से छुट्टियों पर पाए गए तो उनका वेतन भी कट सकता है। नियम के अनुसार बिना परमिशन के छुट्टी पर जाने से वेतन काटा जाता है। शिक्षक 11 दिनों से धरने पर थे, ऐसे में शिक्षकों पर यह कार्रवाई हो सकती है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार विपक्ष के दुष्प्रचार से विचलित नहीं होगी और प्रदेश की जनता की भलाई के लिए काम करती रहेगी। रामपुर के दत्तनगर में हिमाचल के सबसे बड़े मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट के लोकार्पण अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की मदद के बिना प्राकृतिक आपदा से प्रभावित 23 हजार परिवारों का पुनर्वास किया। सीएम ने कहा कि प्रदेश के किसानों से लिए जाने वाले दूध के दाम सरकार अगले साल के बजट में और बढ़ाएगी। अभी सरकार किसानों से गाय का दूध 45 रुपये और भैंस का दूध 55 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से खरीद रही है। पूर्व जयराम सरकार ने बिना बजट और पर्याप्त स्टाफ के शिक्षण और स्वास्थ्य संस्थान खोले। चुनावी लाभ के लिए 5,000 करोड़ की रेवड़ियां बांटीं। सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पशुपालन विभाग में 900 पशु फार्मासिस्टों की भर्ती करने जा रही है, ताकि पशुपालकों को घरद्वार पर बेहतर सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार के कार्यों के कारण ही हिमाचल गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं देने में देशभर में पिछड़ गया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार देवी-देवताओं और जनता के आशीर्वाद से हर चुनौती पर विजय प्राप्त कर रही है। राजनीतिक चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करते हुए कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या फिर से 40 हो गई है।
हिमाचल में सैलानियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वीकेंड पर एक साथ तीन छुट्टियों के चलते हिमाचल में टूरिस्ट की संख्या बढ़ी हैं। शिमला, कुफरी, कसौली, चायल, नारकंडा, मनाली और धर्मशाला में बड़ी संख्या में टूरिस्ट उमड़े हैं। प्रदेश के होटलों में ऑक्यूपेंसी बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गई है। रोहतांग सहित प्रदेश की ऊंची चोटियों पर हल्की बर्फबारी के बाद सैलानियों का आकर्षण बढ़ा है। विंटर टूरिस्ट सीजन से पहले हिमाचल में सैलानियों की संख्या बढ़ने से पर्यटन कारोबारी उत्साहित हैं। रोहतांग में हुई बर्फबारी के बाद बाहरी राज्यों के सैलानियों ने मनाली का रुख करना शुरू कर दिया है। बीते एक सप्ताह में मनाली पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है। शिमला, कसौली, चायल, कुफरी और नारकंडा में भी वीकेंड पर टूरिस्टों की आवाजाही बढ़ गई है। शिमला के रिज मैदान और मालरोड पर शुक्रवार को सैलानियों की खूब चहलपहल रही। कुफरी में सैलानियों ने घुड़सवारी का लुत्फ उठाया। नारकंडा की हाटू पीक पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई है। शुक्रवार को कसौली में सैलानियों की संख्या बढ़ने से ट्रैफिक जाम की समस्या पेश आई। फेडरेशन ऑफ ऑल हिमाचल होटल एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि लांग वीकेंड पर हिमाचल के पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार हो गए हैं। विंटर टूरिस्ट सीजन से पहले वीकेंड पर टूरिस्टों की संख्या बढ़ने से आने वाले दिनों में अच्छे कारोबार की उम्मीद है। रोहतांग में हुई बर्फबारी के बाद मनाली में सैलानियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वीकेंड पर तीन दिन की छुट्टियों के पैकेज के चलते भारी संख्या में सैलानी हिमाचल पहुंचे हैं। होटलों में ऑक्यूऐंसी 50 फीसदी तक पहुंच गई है। अच्छी बर्फबारी हाेने पर सैलानियों की संख्या में बूम आएगा
शिमला: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हाईकोर्ट में सीपीएस की नियुक्तियां निरस्त होने के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल की आज बैठक होगी। शिमला स्थित प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली मंत्रिमंडल की इस बैठक में हाईकोर्ट में सीपीएस की नियुक्तियां निरस्त होने पर चर्चा हो सकती है। वहीं, प्रदेश की सुक्खू सरकार का दो साल का कार्यकाल 11 दिसंबर को पूरा होने जा रहा है। ऐसे में कैबिनेट की मीटिंग में दो साल का कार्यकाल पूरा होने को लेकर मनाए जाने वाले जश्न को लेकर भी चर्चा हो सकती है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में करुणामूलक आधार पर नियुक्ति देने से संबंधित विषय को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिशों पर बैठक में चर्चा होने की संभावना है। इसी तरह से विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी होना है, जिस पर भी कैबिनेट की चर्चा हो सकती है। हिमाचल में आगामी बजट को लेकर सरकार ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी है। इसको लेकर मुख्यमंत्री पहले ही मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं, जिसमें मंत्रियों से अपने-अपने विभागों से संबंधित प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है, ताकि इसे बजट में शामिल करके आम जनता को फायदा पहुंचाया जा सके। हिमाचल में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। प्रदेश में साल 2022 हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की भी गारंटी दी थी। हर बार कैबिनेट की मीटिंग में सरकार का नए पदों को सृजित कर इन्हें भरे जाने का प्रयास रहता है। ऐसे में आज आयोजित होने वाली कैबिनेट की बैठक में विभिन्न विभागों में और भी नए पद सृजित किए जा सकते हैं। इसको देखते हुए युवाओं को कैबिनेट की मीटिंग से काफी उम्मीदें रहती है। सीएम सुक्खू की अध्यक्षता में पिछली कैबिनेट बैठक 22 अक्टूबर को आयोजित हुई थी, जिसमें मंत्रिमंडल ने वन विभाग में 2,061 वन मित्रों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इसी तरह से कैबिनेट ने मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना के तहत प्रदेश के पशु चिकित्सालय में सालों से सेवाएं दे रहे GPVA को नियमित करने के लिए 964 पद सृजित किए थे। वहीं, कैबिनेट ने लोक निर्माण विभाग में वर्क इंस्पेक्टर के 100 पदों को भरने की भी मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा सुक्खू कैबिनेट ने डॉ. राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, हमीरपुर में 150 स्टाफ नर्स के पद भरने का भी फैसला लिया था। इसी तरह से मंत्रिमंडल ने चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर में सामान्य चिकित्सा, शिशु रोग, सामान्य शल्य चिकित्सा, अस्थि रोग, एनेस्थीसिया और रेडियोलॉजी विभागों में छह एसोसिएट प्रोफेसर के पद और 10 सहायक प्रोफेसर पद सृजित कर भरने का भी फैसला लिया गया था।
हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में स्टेट काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एससीवीटी) की परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने का फैसला लिया है। इसके कारण जहां कागजों की बचत होगी तो वहीं परिणाम भी समय पर निकाला ज सकेगा। बता दें कि तकनीकी शिक्षा बोर्ड की ओर से हर वर्ष औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में एससीवीटी परीक्षा ऑफलाइन मोड पर करवाई जाती है। इस प्रणाली में समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। लिहाजा, अब बोर्ड ने बदलाव करते हुए परीक्षा का संचालन ऑनलाइन मोड पर करवाने का फैसला लिया है। इसके लिए बोर्ड की ओर से पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। इस बार से अब ऑनलाइन ही परीक्षाएं करवाई जाएंगी। एससीवीटी की परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने के लिए सितंबर में ट्रायल हुआ था। प्रदेश भर में स्थापित 15 केंद्रों पर ऑनलाइन मोड पर 23 ट्रेडों की परीक्षाएं करवाई गई थीं। ट्रायल सफल रहा था। सिर्फ दो ट्रेडों की परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं हो पाई थीं, क्योंकि उन विषयों का अधिकतर भाग थियोरी पर आधारित था। ऑनलाइन आयोजित हुई परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों से एमसीक्यू प्रश्न पूछे गए थे। ऑनलाइन परीक्षा के दौरान टाइमर कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा, जिसके चलते अभ्यर्थियों को समय का भी साथ-साथ पता चलता रहेगा। ऑनलाइन परीक्षा का एक फायदा यह भी होगा कि अगर परीक्षा के दौरान विद्युत आपूर्ति बाधित होती है तो परीक्षा का समय भी रुक जाएगा। जैसे ही फिर बिजली आएगी, तो परीक्षा का टाइम वहीं से शुरू होगा, जहां से बिजली गुल हुई थी। हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड ने एससीवीटी परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक नई पहल की है। इस बार से ट्रेड शुरु होने के दौरान ली जाने वाली एससीवीटी परीक्षाओं का आयोजन कंप्यूटर आधारित परीक्षण (सीबीटी) के तहत लिया गया है। इससे जहां कागज की की बचत हुई है, वहीं अन्य भी कई प्रकार के लाभ मिले हैं हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर ने दिसंबर व जनवरी माह में प्रस्तावित परीक्षाओं के लिए परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि 16 नवंबर तक बढ़ाई है। पूर्व में आवेदन के लिए 12 नवंबर तक का समय प्रदान किया गया था, परंतु कुछेक विद्यार्थी निजी कारणों से आवेदन नहीं कर पाए थे। अब तिथि बढ़ने से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के नियमित सेमेस्टर और रि-अपीयर के विद्यार्थी 16 नवंबर तक बिना विलंब शुल्क के ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भर सकते हैं। तकनीकी विवि के परीक्षा नियंत्रक कमल देव सिंह कंवर ने कहा कि दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में प्रस्तावित परीक्षा की संभावित तिथियां भी घोषित कर दी हैं। विद्यार्थी उपरोक्त तिथि तक ऑनलाइन माध्यम से परीक्षा फॉर्म भर सकते हैं।
शिमला के रोहड़ू के अन्द्रेव्ठी गांव की रहने वाली शिव्या बालनाटाह ने बनाया विश्व रिकॉर्ड । एक असाधारण उपलब्धि में, रविकांत बालनाटाह की पोती और अभय बालनाटाह और आकांक्षा बालनाटाह की बेटी, बेबी शिव्या बालनाटाह ने विश्व रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया है। केवल 1 साल, 11 महीने और 20 दिन की छोटी सी उम्र में, उन्होंने 40 देशों के झंडों और उनकी राजधानियों की पहचान सिर्फ 1 मिनट 45 सेकंड में की। यह असाधारण उपलब्धि को आधिकारिक तौर पर विश्व रिकॉर्ड बुक द्वारा मान्यता दी गई है। शिव्या बालनाटाह को 12 नवंबर, 2024 को इंदौर, मध्य प्रदेश में आयोजित विश्व रिकॉर्ड बुक सम्मेलन में सम्मानित किया गया। शिव्या की इस विश्व रिकॉर्ड की यात्रा बहुत जल्दी शुरू हो गई थी। उनके माता-पिता ने उनकी सहज जिज्ञासा और तेज बुद्धि को पहचानते हुए उन्हें झंडों और राजधानियों की दुनिया से परिचित कराया। एक मजेदार सीखने की गतिविधि के रूप में शुरू हुआ, यह जल्द ही एक जुनून में बदल गया, क्योंकि शिव्या ने जानकारी को याद रखने और याद करने की अद्भुत क्षमता प्रदर्शित की। उनके समर्पण और लगातार अभ्यास, साथ ही उनके माता-पिता के अटूट समर्थन ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल किया। यह शिव्या की पहली मान्यता नहीं है। इस साल की शुरुआत में, उन्हें आकृतियों, वस्तुओं, जानवरों और मानवीय भावनाओं की पहचान करने सहित असाधारण संज्ञानात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए प्रतिष्ठित केवल 1 साल 6 महीने की आयु मे 'आईबीआर अचीवर' खिताब से सम्मानित किया गया था। उनका हालिया विश्व रिकॉर्ड उनकी एक बाल प्रतिभा के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करता है। शिव्या की कहानी माता-पिता और शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा है। यह प्रारंभिक बचपन शिक्षा के महत्व और हर बच्चे में निहित क्षमता को उजागर करती है। उनकी जिज्ञासा को पोषित करके और उन्हें उत्तेजक सीखने के अनुभव प्रदान करके, हम उनकी पूरी क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं। जैसे-जैसे शिव्या बढ़ती और सीखती जाती है, दुनिया उनकी अगली उपलब्धि का बेसब्री से इंतजार कर रही है। उनकी यात्रा मानव क्षमता की शक्ति और आगे बढ़ने वाली असीम संभावनाओं का प्रमाण है।
हिमाचल में 15 नवंबर से मौसम करवट बदल सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार पश्चिमी हिमालय में 14 नवंबर से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है। हालांकि इस दौरान अधिक वर्षा व हिमपात के आसार नहीं हैं। कांगड़ा व कुल्लू में हल्की वर्षा, लाहुल स्पीति, चंबा व कुल्लू के ऊपरी क्षेत्रों में बर्फ के हल्के फाहे गिर सकते हैं। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में वर्षा व हिमपात की संभावना नहीं है। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में सुबह कोहरा पड़ना जारी है। ऊना जिला में 10 दिन तक घना कोहरा पड़ने की संभावना है। मंडी, कांगड़ा व हमीरपुर जिले शिमला से अधिक ठंडे है। बुधवार को शिमला का न्यूनतम तापमान 10.6, मंडी का 9.3 और कागंडा व हमीरपुर का 9.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है। मौसम विभाग ने हमीरपुर, मंडी व बिलासपुर के कई क्षेत्रों में 17 नवंबर तक कोहरे को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है। कोहरे के कारण प्रदेश में सुबह और शाम ठंड काफी बढ़ गई है। दोपहर को धूप लोगों को परेशान कर रही है। करीब डेढ़ माह से वर्षा न होने से किसान व बागवान परेशान हैं। आने वाले दिनों में वर्षा नहीं हुई तो किसानों व बागवानों की मुश्किल बढ़ सकती है। प्रदेश में शुष्क ठंड से फिलहाल राहत नहीं मिलने वाली है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अगले चार दिन तक मंडी, बिलासपुर, ऊना और कुछ अन्य स्थानों पर सुबह व शाम घना कोहरा छाया रहेगा। इससे यातायात सेवाएं प्रभावित होंगी। 15 व 16 नवंबर को एक-दो ऊंचे क्षेत्रों में हिमपात और वर्षा की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुख्य संसदीय सचिवों के सचिवालय में कार्यालय खाली कराने के आदेश जारी कर दिए गए हैं और कुछ दफ्तर खाली भी कर दिए गए हैं। सीपीएस के साथ लगाया गया स्टाफ भी वापस बुला दिया गया है। गाड़ियां इनसे वापस ले ली गई हैं। प्रदेश सरकार ने बुधवार शाम को ही यह आदेश जारी किए। यहीं नहीं इन सीपीएस को सरकार की ओर से दी गई सभी सुख सुविधाएं भी हट जाएंगी। सरकारी कोठियां भी खाली करनी होंगी। बुधवार को हाईकोर्ट के फैसले के बाद सचिवालय में सीपीएस के कमरों में सन्नाटा पसरा रहा। कई भी सीपीएस सचिवालय में नहीं देखे गए। सात मंत्रियों के साथ ही इन सीपीएस ने गोपनीयता की शपथ ली थी। सक्खू सरकार में मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा को विधि विभाग, संसदीय कार्य विभाग और बागवानी विभाग, रामकुमार को नगर नियोजन विभाग, उद्योग विभाग और राजस्व, आशीष बुटेल को शहरी विकास विभाग के साथ शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के साथ अटैच किया गया। वहीं, मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल को पशुपालन विभाग, ग्रामीण विकास के साथ पंचायती राज विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई। संजय अवस्थी को स्वास्थ्य जनसंपर्क और लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर को ऊर्जा, वन, परिवहन और पर्यटन विभाग विभाग का जिम्मा सौंपा गया। यह छह मुख्य संसदीय सचिव अलग-अलग विभागों के मंत्रियों की काम में मदद करने का जिम्मा दिया गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव से स्टाफ हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। वरिष्ठ निजी सचिव भूरी सिंह राणा, तहमीना बेगम और विशेष निजी सचिव सत्येंद्र कुमार सहित अन्य स्टाफ को वापस बुलाया गया है। अब कार्मिक विभाग की ओर से इनकी अलग से नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएंगे। राज्यपाल से मंजूरी के बाद यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने सीपीएस के स्टाफ के कर्मचारी यानकी देवी, सुनीता ठाकुर, उत्तम चंद, चेतन, संदीप, चंद्र, धर्मपाल, रविंद्र, नेत्र सिंह, मोहिंद्र, विनोद, टिक्कम राम, नीरज और भूपिंद्र को वापस बुलाने के आदेश जारी किए हैं।हिमाचल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि प्रदेश में सीपीएस/पीएस की नियुक्ति का कानून फैसला आने तक लागू था। अयोग्यता अधिनियम 1971 के तहत सीपीएस/ पीएस की नियुक्तियों को संरक्षण दिया गया था, लेकिन इस फैसले के बाद मुख्य संसदीय सचिवों व संसदीय सचिवों की नियुक्ति को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट माना जाएगा। एेसे में यदि अब सीपीएस नियुक्त होते हैं, तो उनकी विधायकी भी जाएगी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्तियों के सांविधानिक दर्जे पर बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने सीपीएस एक्ट को निरस्त कर दिया है। इसके तहत सीपीएस को दी जा रही सभी सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है। अब छह मुख्य संसदीय सचिव अब सिर्फ विधायक के ताैर पर ही कार्य करेंगे। कोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियों को असांविधानिक बताया है। इस मामले में अदालत में पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से वर्ष 2016 में याचिका दायर की गई थी। अदालत में दूसरी याचिका कल्पना और तीसरी भाजपा नेता पूर्व सीपीएस सतपाल सत्ती सहित अन्य 11 भाजपा के विधायकों की ओर से दायर की गई थी। इन तीनों याचिकाओं में मूल प्रश्न हिमाचल प्रदेश में 2006 में बनाया गया एक्ट है। इसके तहत पहले भाजपा सरकार ने अपने विधायकों को सीपीएस बनाया था। अब कांग्रेस सरकार ने छह विधायकों को सीपीएस बनाया है। सरकार ने इस मामले में बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किए। भाजपा की ओर से दी गई याचिका में कहा गया है कि सीपीएस पद का संविधान में प्रावधान नहीं है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत प्रदेश में 15 प्रतिशत से ज्यादा मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सकता, जिससे हिमाचल में संख्या 12 ही हो सकती है। सीपीएस बनाने के बाद यह संख्या 17-18 पहुंच जाती है। अब हाईकोर्ट ने सीपीएस नियुक्ति एक्ट को निरस्त कर दिया है। वर्तमान कांग्रेस सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव है। सुक्खू सरकार ने अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सीपीएस बनाया है। प्रदेश में सीपीएस का मूल वेतन 65 हजार रुपये है। भत्ते मिलाकर ये वेतन 2.20 लाख रुपये प्रति महीना पहुंच जाता है। इसके अलावा सीपीएस को गाड़ी, स्टाफ अलग भी मुहैया करवाया जाता है। विधायकों और सीपीएस के वेतन में 10 हजार रुपये का अंतर है। विधायकों का वेतन और भत्ते प्रति माह 2.10 लाख रुपये है। कुल मिलाकर सीपीएस को मिलने वाले सुविधाओं पर ही सवाल उठते रहे हैं। वैसे सीपीएस की नियुक्ति पर सियासी संग्राम देश के तमाम राज्यों में होता आया है। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में 10 सीपीएस नियुक्त किए थे। प्रेम कुमार धूमल ने वर्ष 2007 में दूसरी बार सत्ता में आए तो उनके नेतृत्व वाली सरकार ने 18 महीने के कार्यकाल के बाद 2009 में तीन सीपीएस की नियुक्ति की थी। इनमें सतपाल सिंह सत्ती, वीरेंद्र कंवर व सुखराम चौधरी शामिल थे। हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम 2006 के मुताबिक सीपीएस को मंत्री की तरह कार्य करने की पहले से ही मनाही है। इसके तहत ही सीपीएस नियुक्तियां होती आई हैं। हालांकि, असम और हिमाचल प्रदेश में सीपीएस के लिए बनाए नियमों में भिन्नता है।
** दो-दो घंटे देर से पहुंच रहे घर, परिजन परेशान राजधानी शिमला में जाम आम हैं। सुबह और शाम जाम से स्कूली बच्चों और आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है। RKMV से भराड़ी सड़क पर बेतरतीब पार्किंग की वजह से लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ रहा हैं। यहां तक कि पैदल चलने वाले लोगों को भी पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय व्यक्ति सुभाष ठाकुर ने बताया कि इस सड़क पर हर रोज लोग यहां सड़क पर गाड़ियां खड़ी कर देते हैं जिस वजह से जाम लग जाता हैं। स्कूल की बसें यहां से गुजरती है जो जाम में फंसी रहती हैं। स्कूल के बच्चे जाम की वजह से प्रताड़ित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह स्वयं कई बार ट्रैफिक पुलिस को जाम के बारे में अवगत करवाते हैं उसके बाद जाम खुल पाता है। लेकिन दोबारा यही स्थिति देखने को मिल रही है। वहीं भराड़ी स्थित एक निजी स्कूल के शिक्षक जय गौतम ने कहा कि जाम के कारण स्कूल के बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती हैं। इस बारे में कई बार पुलिस प्रशासन को अवगत करवाया गया। शिकायत भी दी गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती हैं। यहां स्कूल में शोधी टूटू और कई किलोमीटर दूर से बच्चे आते है जो शाम को सात बजे तक घर पहुंच पाते हैं जिससे बच्चे ओर अभिभावक दोनों परेशान हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो यह सड़क वन वे है लेकिन इसमें दोनों तरफ गाड़ियां पार्क की जाती है जिस वजह से जाम लगता हैं। वहीं जाम में फंसे HRTC बस के ड्राइवर ने बताया कि इस सड़क पर हर रोज जाम लगता है। बस को यहां से निकालना मुश्किल हो जाता हैं। पुलिस को कई बार शिकायत दी गई है लेकिन जाम की समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया हैं। ऑकलैंड से भराड़ी सड़क मार्ग पर भी यही स्थिति देखने को मिलती है हालांकि सड़क को चौड़ा कर दिया गया है लेकिन इस मार्ग पर भी सड़क के किनारे गाड़ियां पार्क की गई होती हैं जिससे ट्रैफिक जाम लगता हैं। उन्होंने कहा कि उनके अलावा अनेक लोगों ने भराड़ी के पास स्थायी रूप से यातायात व्यवस्था को बनाने की मांग कर चुके है, लेकिन अब तक इसका निराकरण नहीं हो पा रहा है। गौरतलब है कि शिमला वासियों के लिए लंबे समय से सड़क जाम एक प्रमुख ज्वलंत समस्या बनी हुई है। आम से लेकर खास तक इससे परेशान रहते हैं। लचर यातायात व्यवस्था, सिकुड़ती सड़कें एवं वाहनों के बढ़ते बोझ के आगे यहां ट्रैफिक व्यवस्था आए दिन लड़खड़ाती रहती है। यही कारण है कि वीआइपी से लेकर आम तक की गाड़ी को यहां अक्सर दो-चार होना पड़ता है। शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है। सड़कों से अतिक्रमण हटना एवं फिर लगना यहां के लिए आम बात है। प्रशासनिक तंत्र भी इस पर ठोस निर्णय नहीं ले पा रहा है, जिसके कारण जनमानस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
** ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी, मैदानी क्षेत्रों में धुंध का अलर्ट जारी हिमाचल प्रदेश में फ़िलहाल मौसम शुष्क चल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार कल से लाहौल- स्पीति, चंबा, कांगड़ा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है, जिससे इन क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी भी हो सकती है। इसके अलावा मंडी, बिलासपुर और हमीरपुर में घनी धुंध का येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा है कि पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के चलते आने वाले दिनों में कुछ एक जिलों में तापमान तीन डिग्री तक गिर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 14 और 15 नवंबर को उतरी भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके चलते चंबा, कांगड़ा, लाहौल-स्पीति में हल्की फुल्की बारिश और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने के आसार बन रहे हैं। मानसून अलविदा होने के बाद से प्रदेश में न के बराबर बारिश हुई है, जिसके चलते अक्टूबर में 95 फीसदी कम बारिश आंकी गई है और नवंबर में भी अभी तक कोई बारिश नहीं हुई है ।
शिमला: हिमाचल में 80 फीसदी से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है, जिनकी आजीविका खेतीबाड़ी पर निर्भर है, लेकिन पिछले कुछ सालों में जंगली जानवरों की लगातार बढ़ती समस्या के कारण बहुत से किसानों ने खेती बाड़ी के पारंपरिक पेशे को छोड़ना शुरू कर दिया है और अब रोजी रोटी की तलाश में शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं। ऐसे में सुक्खू सरकार ने किसानों की पीड़ा को समझते हुए नई पहल की है, जिसके तहत अब सरकार सोलर फेंसिंग की जगह कांटेदार तार व जाली से बाड़बंदी को बढ़ावा दे रही है। इस तरीके से की गई बाड़बंदी ज्यादा मजबूत और लंबे समय तक टिकेगी। कांटेदार तार व जाली से बाड़बंदी के लिए सुक्खू सरकार किसानों को 70 फीसदी की सब्सिडी का लाभ देगी। बाकी का पैसा किसानों को अपनी जेब से खर्च करना होगा। वहीं, अब सरकार ने सोलर फेंसिंग के लिए सब्सिडी नहीं देने का फैसला लिया है। ऐसे में जिन किसानों व बागवानों ने पहले ही सोलर फेंसिंग के लिए आवेदन किया है। अब उन्हें भी नए सिरे से कांटेदार तार व जाली के लिए एप्लिकेशन देनी होगी। कृषि विभाग के सभी उप निदेशकों व अन्य फील्ड स्टाफ को इसको लेकर किसानों के बीच प्रचार व प्रसार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए लोक मित्र केंद्र से अपना आवेदन कर सकते हैं। किसानों को बाड़बंदी के लिए आवेदन करते समय कई दस्तावेज लगाने जरूरी हैं। इसमें आधार कार्ड, जमीन के खाता खतौनी, बैंक पासबुक के पहले पन्ने की फोटोकॉपी, जाति प्रमाण पत्र और बाढ़ लगाने का एस्टीमेट होना आवश्यक है। बाड़बंदी के लिए 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर स्वीकृति दी जाएगी। वहीं, लोहे के एंगल के साथ 6 फुट ऊंची कांटेदार तार बाड़ लगाने के लिए 416 रुपए की जगह 291 रुपए प्रति मीटर की दर से अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह से लोहे के एंगल के साथ जालीदार तार की बाड़ लगाने पर 640 की जगह 448 रुपए प्रति मीटर की दर से अनुदान मिलेगा। हिमाचल में अभी भी 80 फीसदी से ज्यादा की ग्रामीण आबादी कृषि और बागवानी पर निर्भर है। प्रदेश में 9.97 लाख परिवार खेती बाड़ी के पारंपरिक पेशे से जुड़े हैं। इनमें 1 हेक्टेयर से कम जमीन वाले सबसे अधिक 7.15 लाख मार्जिनल किसान है। इसी तरह से 1 से 2 हेक्टेयर जमीन होल्डिंग वाले लघु किसानों की संख्या 1.74 लाख है। 2 से 4 लैंड होल्डिंग सेमी मीडियम किसानों की संख्या 0.82 लाख है। इसके अलावा 4 से 10 हेक्टेयर मध्यम किसानों की संख्या 0.26 लाख है। वहीं, 10 हेक्टेयर से अधिक लैंड होल्डिंग वाले किसानों की संख्या सबसे कम 0.03 लाख है।
स्वास्थ्य फिटनेस सर्टिफिकेट न देने वाले जिले के स्कूलों में तैनात मिड-डे-मील वर्करों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसकी शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार और विभाग ने यह निर्णय लिया है। हर छह माह बाद सरकारी स्कूलों में कार्यरत मिड-डे-मील वर्करों को फिटनेस सर्टिफिकेट देना होगा। इसकी जांच के लिए जल्द शिक्षा विभाग की टीम भी स्कूलों का निरीक्षण कर जांच करेंगी। स्कूलों में मिड-डे मील के तहत तैनात कर्मियों को हर छह माह बाद अपने स्वास्थ्य की जांच करवानी होगी। इससे स्पष्ट होगा कि खाना बनाने वाले कर्मी किसी गंभीर बीमारी की चपेट में तो नहीं हैं। मिड डे मील वर्करों का एनएफएसए के तहत मेडिकल होगा। यह फैसला स्वच्छ भोजन को लेकर लिया गया है। इसके अलावा खाना बनाते समय टोपी, ग्लब्स समेत अन्य स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा। स्कूल एमडीएम प्रभारी को भी स्वच्छता समेत अन्य व्यवस्था का ध्यान रखना होगा। फिटनेस सर्टिफिकेट या गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर स्कूल मुखिया के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा राशन की निगरानी का जिम्मा स्कूल मुखिया और मिड डे मील इंचार्ज को सौंपा है। राशन की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर स्कूल मुखिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें कितने बच्चों ने दोपहर का भोजन खाया इसकी भी एसएमएस से जानकारी देनी होगी। जिला नोडल अधिकारी एमडीएम राज कुमार पराशर ने बताया कि जिले के स्कूलों में कार्यरत मिड-डे-मील वर्करों और सहायकों के लिए स्वास्थ्य फिटनेस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य किया है। इसमें हर छह माह बाद कर्मी को स्वास्थ्य की जांच करवानी होगी। इसके अलावा रसोईघर में स्वच्छता समेत अन्य व्यवस्थाओं का ध्यान रखने के भी निर्देश दिए है। इसके लिए जल्द स्कूलों का निरीक्षण कर जांच की जाएगी।
हिमाचल हाईकोर्ट ने बीआरसीसी के लिए एक कार्यकाल से ज्यादा आवेदन करने के मामले में दायर जेबीटी और टीजीटी की याचिका खारिज कर दी है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने याचिका खारिज करते हुए सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा है कि जेबीटी और टीजीटी की नियुक्ति का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है। सरकार की ओर से अदालत में कहा गया था कि प्रदेश के स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं, ऐसे में उन्हें दोबारा बीआरसीसी नियुक्त नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने सरकार की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। अधिसूचना में कहा गया था कि जो एक बार बीआरसी के रूप में काम कर चुके हैं वह इन पदों के लिए फिर से आवेदन नहीं कर सकते हैं। बीआरसीसी नियुक्त किए अध्यापकों का मुख्य कार्य छात्रों को पढ़ना है। याचिकाकर्ता विभिन्न स्कूलों में जेबीटी शिक्षक के रूप में नियुक्त किए गए थे। वर्ष 2017 में जेबीटी शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति के दौरान उन्हें बीआरसी के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।
** 90 अंकों की लिखित परीक्षा, निगेटिव मार्किंग हिमाचल प्रदेश में 1,088 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती के लिए करीब 1.15 लाख आवेदन पहुंचे हैं। राज्य लोकसेवा आयोग के पास ऑनलाइन आवेदन करने का अभ्यर्थियों के पास मंगलवार को आखिरी दिन था। बीते दिनों आवेदन करने में तकनीकी समस्याएं आने पर आयोग ने तारीख बढ़ाई थी। पहले आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 अक्तूबर तय की गई थी। इस दौरान तक 92 हजार आवेदन हुए थे। अब कुल आवेदनों की संख्या बढ़कर 1.15 लाख पहुंच गई है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पुरुषों के लिए 708 और महिलाओं के लिए 380 पद आरक्षित हैं। लिखित परीक्षा पास करने वालों की पुलिस विभाग शारीरिक दक्षता परीक्षा लेगा। पुलिस विभाग में यह भर्ती विशेष कांस्टेबल पदनाम में की जा रही है। चयनित विशेष पुलिस कांस्टेबलों को नशे की रोकथाम का काम दिया जाएगा। भर्ती परीक्षा पास करने वालों का डोप टेस्ट भी होगा। 18 से 25 वर्ष की आयु के अभ्यर्थी भर्ती के लिए पात्र हैं। चयनित विशेष पुलिस कांस्टेबलों को लेवल तीन में 20200-64000 रुपये के पे बैंड में वेतन मिलेगा। शारीरिक मानक परीक्षण और शारीरिक दक्षता परीक्षण से युक्त शारीरिक परीक्षण हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग की ओर से निर्धारित और संचालित किया जाएगा, जो आयोग को ऊंचाई के लिए दिए गए अंकों के साथ योग्य उम्मीदवारों की सूची प्रदान करेगा। शारीरिक परीक्षण में सफल अभ्यर्थियों को आयोग की ओर से करवाई जाने वाली दो घंटे की अवधि की ऑफलाइन बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रकार की लिखित परीक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। लिखित परीक्षा में 90 अंक होंगे और निगेटिव मार्किंग होगी। शारीरिक परीक्षण और लिखित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को पुलिस विभाग की ओर से किए जाने वाले दस्तावेज सत्यापन के लिए आयोग के कार्य नियमों के अनुसार विचार के क्षेत्र के अनुसार शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। वे दस्तावेज सत्यापन के दौरान उम्मीदवारों को एनसीसी प्रमाण पत्र के अंक भी प्रदान करेंगे।
शिमला: हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला लौट आए हैं। वह सिरमौर दौरे पर थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला में 7वें राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष नन्द लाल का कुशलक्षेम जाना। नन्द लाल अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। सीएम सुक्खू ने उनके जल्द स्वास्थ्य होने की कामना की। मुख्यमंत्री ने आईजीएमसी अस्पताल में मरीजों को दी जा रही विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने नवनिर्मित ट्रामा वार्ड में जाकर मरीजों से बातचीत करते हुए उन्हें उपलब्ध करवाए जा रहे भोजन की गुणवत्ता और चिकित्सकों व नर्सों से मिल रहे स्वास्थ्य उपचार एवं परामर्श के बारे में जानकारी हासिल की। वहीं, सीएम सुक्खू ने नर्सों के साथ संवाद भी किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सकों, नर्सों और मरीजों के अनुपात के मुताबिक डॉक्टरों और नर्सों की भर्ती कर रही है ताकि मरीजों को बेहतर उपचार सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें। इसके लिए जल्द ही अस्पतालों में चिकित्सकों और नर्सों के खाली पदों को भरा जाएगा। सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का सुधार किया जा रहा है। वहीं, स्टाफ की कमी को भी प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जा रहा है ताकि लोगों के प्रदेश के अंदर ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ कांगड़ा सहकारी प्राथमिक कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष राम चन्द्र पठानिया भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला में 7वें राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष नन्द लाल का कुशल-क्षेम जाना। नन्द लाल अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। मुख्यमंत्री ने इसके उपरान्त अस्पताल में दी जा रही विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं का निरीक्षण भी किया। उन्होंने नवनिर्मित ट्रॉमा वार्ड में मरीजों से बातचीत करते हुए उन्हें उपलब्ध करवाए जा रहे भोजन की गुणवत्ता और चिकित्सकों व नर्सों से मिल रहे स्वास्थ्य उपचार एवं परामर्श के बारे में जानकारी प्राप्त की। नर्सों के साथ संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सकों, नर्सों और मरीजों के अनुपात के दृष्टिगत चिकित्सकों और नर्सों की भर्ती कर रही है ताकि मरीजों को बेहतर उपचार सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें। मुख्यमंत्री के साथ कांगड़ा सहकारी प्राथमिक कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष रामचंद्र पठानिया मौजूद रहे।
** 1200 को मिलेगा रोजगार हिमाचल में निवेशकों ने 24 नए उद्योग स्थापित करने के लिए उद्योग विभाग के पास आवेदन किया है। कई बड़े औद्योगिक घराने करीब 600 करोड़ रुपये का निवेश कर यहां अपने उद्योग लगाएंगे। इन उद्योगों में प्रदेश के करीब 1,200 लोगों को रोजगार मिलेगा। राज्य एकल खिड़की स्वीकृति एवं निगरानी प्राधिकरण (सिंगल विंडो) की बैठक में निवेशकों के आवेदनों को मंजूरी मिलेगी। जिन नए उद्याेगों के लिए आवेदन आए हैं उनमें फार्मा, पैकेजिंग, फूड और हेल्थकेयर से संबंधित उद्योग शामिल हैं। सिंगल विंडो की बैठक मुख्यमंत्री सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित होती है। उद्याेग विभाग ने बैठक के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से समय मांगा है। सीएम सेे समय मिलने के बाद बैठक होगी। 23 जुलाई को सिंगल विंडो की बैठक हुई थी। इसमें नए उद्योग स्थापित करने और मौजूदा इकाइयों के विस्तार को 25 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। उसके बाद चार महीनों से बैठक नहीं हुई है। निर्वाना कंकरीट लिमिटेड ने भी हिमाचल में निवेश को लेकर दिलचस्पी दिखाई है। कंपनी प्रबंधन के अधिकारियों ने सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मुलाकात की। बैठक में हिमाचल में सीमेंट उद्योग स्थापित करने की संभावनाओं पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। आने वाले दिनों में निर्वाना कंकरीट लिमिटेड के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भी मुलाकात करने वाले हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने वर्ष 2025-26 सत्र से एनईपी-2020 के तहत चार वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए कवायद तेज कर दी है। एचपीयू ने यूजी कोर्स का एक साल का पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है। शेष बचे पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए कमेटी गठित की गई है। विवि ने एक साल के पाठ्यक्रम को बोर्ड ऑफ स्टडीज, फैकल्टी और एकेडमिक काउंसिल से एक माह में मंजूरी दिलवाने का लक्ष्य रखा है। विवि का दावा है कि पाठ्यक्रम का 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। अब इसे एकेडमिक काउंसिल से मंजूरी दिलवाना बाकी है। इसके बाद इसे विवि की ईसी से भी मंजूरी जरूरी है। एनईपी के तहत चार वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू होने से फिर से सेमेस्टर सिस्टम लागू होना है। इसके लिए विवि में फिर से परीक्षा प्रणाली सहित बड़ा बदलाव किया तय है। पूरे देश में सेमेस्टर सिस्टम के तहत ही विश्वविद्यालयों ने एनईपी को यूजी में लागू किया है। इससे पहले रूसा के लागू किए जाने पर 2012-13 से 2017 तक विवि में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया था। वर्ष 2017 में फिर से वार्षिक परीक्षा प्रणाली शुरू हुई थी। अभी विवि पिछले सेमेस्टर सिस्टम और वर्तमान वार्षिक प्रणाली दोनों के तहत परीक्षाएं संचालित कर रहा है। चार वर्षीय यूजी डिग्री कोर्स शुरू होने पर परीक्षा प्रणाली के साथ-साथ एकेडमिक शेड्यूल में बड़ा बदलाव होना है। विवि पाठ्यक्रम को मंजूरी दिलवाने और आर्डिनेंस में नए रेगुलेशन लागू करने जैसी आवश्यक प्रक्रिया को कम से कम समय में पूरा करने का काम शुरू कर चुका है। इसके लिए एक माह की समय सीमा तय की गई है।एनईपी-2020 के तहत यूजी का चार वर्षीय डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए बनी कमेटी में शामिल कॉलेज प्राध्यापक नए सिस्टम को सेमेस्टर की जगह वार्षिक प्रणाली में लागू करने की मांग कर रहे है। कॉलेज प्राध्यापक संघ की अध्यक्ष डॉ. वनिता सकलानी और सचिव संजय कांगो ने कहा कि सभी कॉलेजों में चार साल के डिग्री कोर्स के लिए मूलभूत सुविधाएं कम हैं। डिग्री कोर्स रिसर्च के साथ चरणबद्ध तरीके से बड़े कॉलेजों में चरणों में लागू किया जाए। छोटे कॉलेजों में तीन साल की डिग्री ही जारी रहे। प्रदेश में 48 के करीब कॉलेज ऐसे हैं जहां सिर्फ पांच शिक्षक भी पूरे नहीं हैं। करीब 20 कॉलेज ऐसे हैं जहां बहुत ठंड होने से तीन से चार महीने भी कक्षाएं संभव नहीं हैं, ऐसे में वहां पढ़ाई जारी रखना, परीक्षाएं करवाने समेत खेल गतिविधियों करवाना भी मुश्किल होता है।
हिमाचल में आपदा राहत राशि कहां खर्च की गई, इसको लेकर सरकार ने सभी उपायुक्तों से रिपोर्ट तलब की है। कई जगह राहत राशि का सही उपयोग नहीं होने की शिकायतें मिलने पर राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। जिस काम के लिए राशि जारी की गई है, क्या मौके पर काम हुआ है या नहीं? इसकी रिपोर्ट सरकार ने डीसी से मांगी है। हाल ही में सचिवालय में डीसी और एसपी के साथ बैठक में भी राशि के दुरुपयोग का मामला उठा था। इस पर मुख्यमंत्री ने डीसी से रिपोर्ट तलब कर दी। राशि उन लोगों को दी गई, जिनके आपदा में घर ढह गए थे। कइयों की जमीन बाढ़ के चलते बह गई। सरकार आर्थिक तंगी के बावजूद हिमाचल में भारी बरसात से प्रभावित लोगों के लिए 4,500 कराेड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज लाई थी। इसमें 3,500 करोड़ रुपये सरकार ने अपने संसाधनों से खर्च किया, जबकि 1,000 करोड़ मनरेगा के तहत व्यय किया गया। सरकार ने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 3,500 मकानों के निर्माण के लिए सात-सात लाख की मदद करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही घर बनाने के लिए सीमेंट भी सरकारी रेट (280 रुपये प्रति बैग) पर दिया। आवास निर्माण के दौरान बिजली-पानी का खर्चा भी सरकार ने उठाया। कच्चे-पक्के मकानों को नुकसान पहुंचने पर आर्थिक मदद 15 से 25 गुणा बढ़ाई गई। हिमाचल में 16 हजार से अधिक घर आपदा से पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। विधानसभा मानसून सत्र में भी इस मसले पर तीन दिन तक बहस हुई। प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और केंद्र से हिमाचल को विशेष राहत पैकेज की मांग का प्रस्ताव रखा गया। मगर भाजपा ने प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। प्राकृतिक आपदा के चलते हिमाचल सरकार ने अपने स्तर पर 4,500 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था। राहत राशि प्रभावितों को दी गई है। इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया है या नहीं, उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी गई है।
हिमाचल प्रदेश में फ़िलहाल मौसम शुष्क चल रहा है। हालांकि पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर में सक्रिय हो चुका है, जिसका प्रभाव आज देर रात तक लाहौल- स्पीति, चंबा कांगड़ा के ऊंचाई वालके क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना देखने को मिल सकता है और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो सकती है। वहीं इस अवसर पर मौसम विभाग के निर्देशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे तो कुछ दिनों तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रहे थे परंतु अब जिस तरह से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है जिसके चलते आने वाले दिनों में कुछ एक जिलों में तीन डिग्री तक गिर सकते हैं । वहीं उन्होंने कहा कि 14 नवंबर और 15 नवंबर को उतरी भारत में एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके चलते चंबा , कांगड़ा ,लाहौल-स्पीति में एक बार फिरसे एक बार हल्की फुल्की बारिश और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना होने के आसार बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि धुंध की बात की है तो वह भाखड़ा बांध के आसपास का क्षेत्र बिलासपुर में पिछले चार पांच दिनों से सुबह और शाम के समय घने कोरे की संभावना बनी हुई है, जिसके चलते विजिबिलिटी बहुत ही कम बनी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में ग्रामीणों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए अब नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस संबंध में सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों से प्रस्ताव मांगे हैं। यदि नई पंचायतें बनती हैं, तो कई पंचायतों की सीमाएं भी बदलेंगी और उनका पुनर्सीमांकन भी किया जाएगा। आने वाले दिसंबर में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं, और इसकी तैयारियाँ पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में भी पंचायत चुनाव से पहले 412 नई पंचायतें बनाई गई थीं। अब सवाल उठता है कि नई पंचायतों के गठन की मांग क्यों की जा रही है। इसके कई कारण हैं, जैसे जनसंख्या में वृद्धि, प्रशासनिक और विकासात्मक जरूरतें, जब किसी क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ती है, तो उस पर पंचायतों का दबाव भी बढ़ता है। ऐसे में नए क्षेत्रों को कवर करने के लिए अधिक पंचायतों का गठन किया जाता है। साथ ही, दूर-दराज के क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन, शिक्षा, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार भी नई पंचायतों के गठन की प्रमुख वजह है। इसलिए, अब नई ग्राम पंचायतों के गठन के लिए उपायुक्तों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। यदि नियमानुसार नई पंचायतों का गठन आवश्यक हुआ, तो इसे लागू किया जाएगा।
** अब 14 नवंबर को होगी अगली सुनवाई शिमला: हिमाचल प्रदेश की चर्चित संजौली मस्जिद मामले में शिमला जिला कोर्ट में सुनवाई है। इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। जिला कोर्ट जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है। शिमला जिला कोर्ट में अपील दायर करने वाली ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर कमेटी की ओर से नज़ाकत अली हाशमी की ओर से दलील दी गई कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ हलफनामा देने की योग्यता नहीं रखते। उन्होंने मोहम्मद लतीफ के हलफनामे को चुनौती दी है। वहीं लोकल रेजिडेंट के वकील जगतपाल ठाकुर ने की ओर से दलीलें दी गई कि वक्फ बोर्ड अवैध निर्माण की जानकारी होने से इनकार करता रहा है, जबकि इस मामले को लेकर कुल 11 नोटिस वक्फ बोर्ड को भेजे गए थे। साथ ही मस्जिद में हुए निर्माण को लेकर संजौली मस्जिद कमेटी ने वक्फ बोर्ड से नो ऑब्जेशन सर्टिफिकेट लिया था। साथ ही वकील ने बताया कि मामला हाइकोर्ट में चल रहा है और मस्जिद में अवैध निर्माण की 2010 में की गई शिकायत पर उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर तक फाइनल निपटारे के आदेश दिए है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 14 नवंबर तय की है। उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम शिमला आयुक्त के समक्ष आग्रह पत्र दिया था कि उन्हें मस्जिद का अवैध निर्माण हटाने की अनुमति दी जाए। कमिश्नर ने मस्जिद कमेटी को ये अनुमति दे दी थी और दो माह में अपने खर्च पर अवैध निर्माण हटाने को कहा था। इस बीच, संजौली के लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से एडवोकेट जगतपाल ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और वर्ष 2010 में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण से जुड़ी शिकायत पर फैसला लेने के लिए आग्रह किया। हाईकोर्ट ने निगम प्रशासन को 20 दिसंबर से पहले मामले को निपटाने के आदेश दिए थे। इसी बीच मुस्लिम समाज की तरफ से शिमला की जिला अदालत में अपील दी गयी। उन्होंने मामले में स्टे दिए जाने का आग्रह किया था, जिसे न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग ने स्वीकार नहीं किया। वहीं, लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से पेश हुए वकील जगतपाल ठाकुर ने दलील पेश की थी कि पांवटा साहिब की कमेटी की तरफ से याचिका दाखिल करने वाले नजाकत अली हाशमी का इस केस से कोई ताल्लुक नहीं है।
** रोबोटिक और ड्रोन का दिया जा रहा प्रशिक्षण शिमला: हिमाचल को देश का कौशल हब बनाने की दिशा में राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे में युवाओं का कौशल उन्नयन कर उद्योगों की मांग के अनुसार उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग महाविद्यालय बंदला में डिग्री कोर्स कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग के तहत एआई और डाटा साइंस, राजकीय बहुतकनीकी संस्थान रोहड़ू में कंप्यूटर इंजीनियरिंग व आईओटी डिप्लोमा कोर्स और राजकीय बहुतकनीकी संस्थान चम्बा में मैकाट्रोनिक्स डिप्लोमा कोर्स जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। न्यू एज पाठ्यक्रमों के शुरू होने से प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के मार्ग खुल रहे हैं। प्रदेश सरकार का लक्ष्य कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा में नए आयाम स्थापित कर युवाओं को रोजगार प्रदाता बनाना है। नई तकनीक के क्षेत्र में ज्ञान के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी अहम भूमिका है। प्रशिक्षुओं को बेहतर तकनीकी ज्ञान देने को राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों के 38 विद्यार्थियों और राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों और बहुतकनीकी संस्थानों के 20 प्रशिक्षकों को आईआईटी मंडी में रोबोटिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी युवाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। इस दिशा में राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के 20 प्रशिक्षकों को आईआईटी रोपड़ और दिल्ली में सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश सरकार राज्य में सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। सरकार की इस नई पहल का उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना और प्रदेश में प्रोद्यौगिकी के विकास को बढ़ावा देना है। बहुतकनीकी एवं इंजीनियरिंग के 10 संकाय सदस्यों और 6 विद्यार्थियों को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना में मशीन लर्निंग से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया गया। हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील राज्य है, इसको देखते हुए युवाओं को ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ड्रोन प्रौद्योगिकी आपदा प्रतिक्रिया प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रदेश के 11 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं को ड्रोन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत 128 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं। सरकार के यह प्रयास हिमाचल को आईटी हब के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। वहीं, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए व्यापक स्तर पर सुधार किए जा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश मेें 363 तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक शिक्षा संस्थान कार्यरत हैं। युवाओं को बेहतर प्लेसमेंट के अवसर प्रदान करने के लिए रोजगार मेलों व कैम्पस इंटरव्यू का आयोजन भी निरंतर करवाया जाता है। सुक्खू सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकारी अभियान्त्रिकी महाविद्यालयों, राजकीय फार्मेसी महाविद्यालय, बहुतकनीकी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के करीब 5,731 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाए गए हैं।