हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (WD) के सक्रिय होने से होने वाला है । मौसम विभाग ने आगामी पांच दिनों तक अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। लाहौल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, कांगड़ा और मंडी के ऊंचे इलाकों में 8 और 10 फरवरी को बारिश-बर्फबारी का अधिक प्रभाव रहेगा। मौसम विभाग का कहना है कि इस दौरान इन क्षेत्रों की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हो सकती है, जिससे तापमान में और गिरावट आएगी। हालांकि, प्रदेश के मैदानी इलाकों में मौसम सामान्य रहेगा। हिमाचल के कई इलाकों में ठंड बढ़ी प्रदेश के मैदानी इलाकों में भी सर्दी बढ़ी है। शिमला में न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है, जबकि प्रदेश का सबसे गर्म शहर ऊना का तापमान गिरकर 2.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। अन्य क्षेत्रों में भी तापमान में गिरावट आई है, जैसे कि भुंतर (2.0 डिग्री), धर्मशाला (4.8 डिग्री), पालमपुर (3.5 डिग्री), सोलन (2.6 डिग्री) और बिलासपुर (3.9 डिग्री)। इस सर्द मौसम के बीच, हिमाचल प्रदेश के उच्च क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण ठंड और बढ़ सकती है। विंटर सीजन में कम बारिश-बर्फबारी विंटर सीजन के दौरान हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 72 प्रतिशत कम बारिश-बर्फबारी हुई है। 1 जनवरी से 7 फरवरी तक 29.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्य रूप से 104.7 मिलीमीटर बारिश होती है। इस वर्ष बर्फबारी और बारिश का स्तर काफी कम रहने से प्रदेश में सूखा और ठंड बढ़ने का असर देखा गया है।
**राज्यपाल ने कर्मचारी भर्ती विधेयक 2024 को दी मंजूरी हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2003 के बाद अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों को बैकडेट से सिनियरिटी और वित्तीय लाभ देने पर रोक लगा दी है। राज्यपाल शिव प्रताप की मंजूरी के बाद, राज्य सरकार ने हिमाचल सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 को ई-गजट में प्रकाशित कर दिया है। यह विधेयक विधानसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद सुक्खू सरकार द्वारा पारित किया गया था। अब राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद, इस संशोधित विधेयक के तहत कर्मचारियों को उनके नियमित नियुक्ति की तिथि से ही सिनियरिटी और वित्तीय लाभ मिलेंगे। इससे पहले, उच्च न्यायालय के आदेशों के कारण अनुबंध कर्मचारियों को बैकडेट से सिनियरिटी और वित्तीय लाभ दिए जा रहे थे, जिससे राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा था। क्यों किया गया यह बदलाव? सालों तक अनुबंध कर्मचारियों को बैकडेट से वित्तीय लाभ और सिनियरिटी देने के आदेशों के चलते राज्य सरकार को भारी वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा था। उच्च न्यायालय ने कुछ कर्मचारियों को बैकडेट से वित्तीय लाभ देने का आदेश दिया था, और इसके कारण सरकार पर करोड़ों रुपये का वित्तीय बोझ पड़ रहा था। इसके साथ ही, कर्मचारियों की सिनियरिटी लिस्ट में पिछले 21 वर्षों के आंकड़ों को भी संशोधित करना पड़ रहा था। यह स्थिति विशेष रूप से कांग्रेस सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो गई थी, क्योंकि राज्य की आर्थिक स्थिति पहले ही गंभीर संकट का सामना कर रही थी। इन कारणों से, राज्य सरकार ने इस बदलाव की जरूरत महसूस की और हिमाचल सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 में संशोधन किया। अब इस विधेयक के तहत कर्मचारियों को केवल उनकी नियमित सेवा की तिथि से ही सिनियरिटी और वित्तीय लाभ मिलेंगे, अनुबंध सेवाकाल को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। विधेयक में संशोधन के बाद क्या बदलेगा? इस संशोधन से, कर्मचारियों को बैकडेट से लाभ और सिनियरिटी नहीं मिलेगी, जो पहले उच्च न्यायालय के आदेशों के कारण मिल रही थी। सरकार के लिए यह बदलाव एक बड़ी राहत मानी जा रही है, क्योंकि इससे सरकार को आने वाले वर्षों में वित्तीय बोझ से बचने में मदद मिलेगी। अब कर्मचारियों को नियमित होने की तिथि से लाभ मिलेगा, और इस नए बदलाव के बाद यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अनुबंध सेवाकाल को सिनियरिटी और वित्तीय लाभ के लिए नहीं जोड़ा जाएगा। राज्यपाल से मिली मंजूरी बीते गुरुवार को शाम मुख्यमंत्री सुक्खू अचानक राजभवन पहुंचे और विधेयक को मंजूरी दिलाने का आग्रह किया। गुरुवार को, मुख्यमंत्री सुक्खू अचानक राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से इस विधेयक की मंजूरी के लिए आग्रह किया, जिसके बाद राज्यपाल ने 24 घंटे के भीतर विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके बाद राज्य सरकार ने देर शाम इसे राजपत्र में प्रकाशित किया।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और उच्च व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक एक सप्ताह के विदेश दौरे पर जाएंगे। 8 फरवरी से सिंगापुर, कंबोडिया और अन्य देशों के इस दौरे में शिक्षा के आधुनिक मॉडल और तकनीकों पर चर्चा की जाएगी। इस यात्रा में मंत्री के साथ उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली और समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा भी शामिल होंगे। इस दौरान 50 विद्यार्थियों का चयन विदेश भ्रमण के लिए किया गया है। ये छात्र 8 से 18 फरवरी तक सिंगापुर, कंबोडिया और अन्य देशों की यात्रा करेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू 7 फरवरी को इन छात्रों को शिमला से रवाना करेंगे। इस यात्रा में 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को प्राथमिकता दी गई है। 20 छात्र 11वीं कक्षा से और 20 छात्र 12वीं कक्षा से चुने गए हैं, जिन्होंने 10वीं कक्षा में 95% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले चार छात्र, गणतंत्र दिवस परेड में शामिल दो एनसीसी कैडेट, एक एनएसएस स्वयंसेवक, एक स्काउट एंड गाइड और एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक गतिविधि में भाग लेने वाला विद्यार्थी भी इस यात्रा में शामिल होगा।
हिमाचल में राशनकार्ड धारकों को डिपो में मिलेगा सरसों और रिफाइंड तेल हिमाचल प्रदेश के राशनकार्ड उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। अब डिपो में सरसों के तेल के साथ रिफाइंड तेल भी उपलब्ध कराया जाएगा। प्रदेश सरकार ने सरसों तेल का सप्लाई ऑर्डर जारी कर दिया है, जबकि रिफाइंड तेल की आपूर्ति के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि उपभोक्ताओं को हर राशनकार्ड पर एक लीटर सरसों और एक लीटर रिफाइंड तेल मिले। हिमाचल प्रदेश के करीब 19.5 लाख राशनकार्ड धारकों को सरकार की ओर से सस्ती दरों पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इनमें आटा, चावल, चीनी, दालें और तेल शामिल हैं। हालांकि, बीते तीन महीनों से डिपो में सरसों तेल उपलब्ध नहीं था। खाद्य आपूर्ति निगम ने बताया है कि 10 फरवरी से डिपो में तेल उपलब्ध होगा, और उपभोक्ता तीन महीने का कोटा एक साथ ले सकेंगे। शादी व आयोजनों के लिए भी मिलेगा तेल सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि शादी और अन्य आयोजनों के लिए उपभोक्ता डिमांड के अनुसार तेल प्राप्त कर सकेंगे। खाद्य आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक राजेश्वर गोयल ने कहा कि सरसों तेल का ऑर्डर जारी हो चुका है और रिफाइंड तेल के लिए निविदाएं मांगी जा रही हैं। सरकार राशनकार्ड धारकों को दो लीटर तेल, तीन तरह की दालें (मलका, माश और चना), चीनी, और एक किलो नमक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराती है। जबकि आटा और चावल केंद्र सरकार की ओर से दिया जाता है। सरकार की इस पहल से लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है। अब लोगों को डिपो से आसानी से सरसों और रिफाइंड तेल मिलने लगेगा।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा जी से मुलाकात कर खड़ापथर सुरंग (जुब्बल-कोटखाई, जिला शिमला) तथा छैला से सोलन बागवानी मार्ग को राष्ट्रीय स्तर की परियोजना के रूप में स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। बरागटा ने कहा कि मुलाकात के दौरान उन्होंने मंत्री को अवगत कराया कि खड़ापथर सुरंग जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र के लाखों किसानों और बागवानों के लिए अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान सड़क मार्ग कठिन भूभाग, भारी बर्फबारी और तीव्र मोड़ों के कारण अत्यधिक जोखिम भरा है। यदि इस सुरंग का निर्माण किया जाता है, तो यात्रा समय 40% तक कम होगा, जिससे सेब व अन्य बागवानी उत्पादों को समय पर बाजारों तक पहुँचाया जा सकेगा। साथ ही, यह सुरंग पर्यटन को भी बढ़ावा देगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी। बरागटा ने इसके अतिरिक्त, छैला से सोलन बागवानी मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा चार-लेन मार्ग के रूप में विकसित करने की माँग भी मंत्री जी के समक्ष रखी गई। यह मार्ग बागवानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान सड़क संकरी एवं जर्जर अवस्था में है, जिससे फलों के परिवहन में अत्यधिक कठिनाई होती है। यदि इस मार्ग को उच्च स्तर की सड़क के रूप में विकसित किया जाता है, तो बागवानों को चंडीगढ़, दिल्ली, सोलन एवं अन्य बड़े बाजारों तक सुगम पहुँच मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। बरागटा ने जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र में अन्य महत्वपूर्ण सड़कों एवं आधारभूत संरचना को लेकर भी मंत्री से विस्तार में चर्चा की। क्षेत्र में सड़कों की दयनीय स्थिति और बागवानी परिवहन से जुड़ी चुनौतियों से अवगत कराया। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र की सड़क संबंधी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा और केंद्र सरकार इस दिशा में शीघ्र आवश्यक कदम उठाएगी। बरागटा ने कहा कि मंत्री ने हिमाचल प्रदेश के सड़क विकास को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया और आश्वासन दिया कि इन परियोजनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
**कक्षाओं का करेंगे बहिष्कार **नियमितीकरण की SMC अध्यापकों ने सरकार से की है मांग ** कैबिनेट से मंजूरी के एक साल बाद भी LDR में माध्यम से नहीं हुआ नियमितीकरण नियमितीकरण की मांग को लेकर SMC अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है। बोर्ड की परीक्षाओं से ठीक पहले 21 फरवरी से SMC अध्यापकों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया और सरकार को चेताया है कि अगर 21 फरवरी से पहले सरकार ने SMC अध्यापकों को नियमित करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया तो कक्षाओं का बहिष्कार किया जाएगा जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी। 7 मार्च 2024 को कैबिनेट ने LDR के माध्यम से SMC अध्यापकों को नियमितीकरण करने की मंजूरी दी थी लेकिन एक साल होने को है और एक भी SMC को नियमित नहीं किया गया है। SMC अध्यापक संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने शिमला में पत्रकारवार्ता कर कहा कि चुनावों के वक्त कांग्रेस ने बड़ी बड़ी बातें की थी लेकिन अब सत्ता में आने के बाद SMC अध्यापकों के साथ सरकार अन्याय कर रही है। जिसके खिलाफ SMC अध्यापकों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। कई बार इसको लेकर शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मिले लेकिन टाल मटोल की जा रही है जिससे SMC अध्यापक बेहद आहत हैं। SMC अध्यापक 21 फरवरी से सरकार के खिलाफ सचिवालय के बाहर धरने पर बैठेंगे और जब तक मांगे पूरी नहीं होती आंदोलन चलेगा। भले ही इसके लिए अध्यापकों को लाठी खानी पड़े या फिर जेल जाना पड़े।
**5 फरवरी दोपहर तक दिखेगा पश्चिमी विक्षोभ का असर **लहौल-स्पिति, किन्नौर चंबा और कांगड़ा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना **फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना हिमाचल प्रदेश में आज से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। आज ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी व मध्यवर्ती तथा मैदानी क्षेत्रों में बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग की माने तो प्रदेशभर में आज दोपहर बाद पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को मिल सकता है। इस दौरान लहौल-स्पिति, किन्नौर, चंबा और कांगड़ा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना है। वहीं मध्यवर्ती व मैदानी क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है जबकि कई क्षेत्रों में अंधड़-आंधी भी चल सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि 4 फरवरी से पूरे उत्तर भारत मे पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। हिमाचल प्रदेश में आज सुबह से ही बादल छाए हैं। लाहौल स्पीति व किन्नौर में सुबह से ही हल्की बारिश व बर्फबारी का दौर शुरू हो चुका है। पूरे प्रदेश भर में पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को मिलेगा। मैदानी क्षेत्र में बारिश व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के आसार हैं। पश्चिमी विक्षोभ का मुख्यतः असर 4 फरवरी की मध्य रात्रि को देखने को मिलेगा और यह 5 फरवरी की दोपहर तक रहेगा। उनोने कहा कि जनवरी माह में मात्र 13.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य से काफी कम है। अमूमन जनवरी माह में 83.5 मिलीमीटर बारिश होती है। इस वर्ष जनवरी माह में 84%कम बारिश हुई है जो1901 से नौवीं बार कम बारिश हुई है। यह पश्चिमी विक्षोभ का कमजोर होने का असर है। आने वाले दो दिनों में तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी उसके बाद फिर तापमानों में उछाल आएगा। वहीं पूरे फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान बने रहने की संभावना है। मंगलवार को राजधानी सहित पूरे प्रदेश भर में सुबह से ही बादल छाए रहे।पश्चिमी विक्षोभ का असर 4फरवरी की मध्यरात्रि को ज्यादा देखने को मिल सकता है 5 फरवरी की दोपहर से मौसम साफ हो जाएगा।वहीं पूरे फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान बने रहने की संभावना है।
**कहा, सुक्खू सरकार ने दो साल में नहीं किया कोई काम नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने 3 और 4 फरवरी को होने वाली विधायक प्राथमिकता बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में भाजपा के विधायकों द्वारा सुझाए गए किसी भी काम को सुक्खू सरकार ने प्राथमिकता नहीं दी है और इसके बजाय, भाजपा विधायकों को प्रताड़ित किया जा रहा ह। जयराम ठाकुर ने कहा कि विधायक प्राथमिकता बैठक में भाजपा के विधायक अपने क्षेत्रों की जरूरतों और विकास कार्यों को सरकार के सामने रखते हैं, लेकिन सरकार उनकी प्राथमिकताओं को अनसुना कर देती है। इसके बजाय, कांग्रेस के हार चुके और नकारे हुए नेताओं को तवज्जो दी जा रही है। अगर सरकार भाजपा विधायकों की बात नहीं सुन रही, तो विधायक प्राथमिकता बैठक का कोई अर्थ नहीं है, इसलिए भाजपा विधायक दल इस बैठक का बहिष्कार करेगा। पूर्व सरकार द्वारा शुरू किए गए कामों के उद्घाटन कार्यक्रमों में भाजपा के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का आरोप भी जयराम ठाकुर ने लगाया। उन्होंने कहा कि उद्घाटन कार्यक्रमों में भाजपा नेताओं को आमंत्रित नहीं किया जा रहा, और उद्घाटन पट्टिका पर उनका नाम तक नहीं लिखा जा रहा। इसके बजाय, कांग्रेस के नकारे हुए नेताओं को तवज्जो दी जा रही है। सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की हार के बाद से पुलिस का दुरुपयोग बढ़ गया है। भाजपा के विधायक और नेता सत्ता के दुरुपयोग के कारण लगातार प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं। पुलिस द्वारा जांच के नाम पर भाजपा नेताओं को घंटों थाने में बैठाया जा रहा है और उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है।
**विभागों से पदों को समाप्त करने पर जताया विरोध **महासंघ माँगों को लेकर सरकार को सौंपेगा मांगपत्र... हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने विभिन्न विभागों में समाप्त किये जा रहे पदों तथा लंबित पड़े डीए व एरियर सहित ओपीएस व अन्य मांगों को लेकर शिमला में बैठक का आयोजन किया।प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में शिक्षा, विद्युत,परिवहन,विश्वविधालय सहित अन्य विभागों के विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।बैठक में लंबे समय से लंबित पड़े डीए, एरियर सहित व विद्युत व बोर्ड निगमों में ओपीएस देने की मांग पर मंथन किया गया वहीं महासंघ ने विभिन्न विभागों में पदों को समाप्त करने पर विरोध भी जताया।बैठक में चर्चा कर यह निर्णय लिया गया कि कर्मचारियों की मांगों को लेकर महासंघ सरकार को बजट सत्र से पहले मांगपत्र सौंपेगा साथ ही विद्युत बोर्ड में समाप्त किये जा रहे पदों को लेकर कर्म हारियों द्वारा आयोजित महापंचायत में महासंघ के पदाधिकारी भाग लेकर विद्युत कर्मियों की मांगों का समर्थन करेंगे। महासंघ ने सरकार से कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति की आयु 60 साल करने की मांग उठाई साथ ही फैसला लिया कि प्रदेश के सभी जिलों में कर्मचारियों और पेंशनर्स की महापंचायत का आयोजन किया जाएगा और कर्मियों के राय पर ही आगे बढ़ा जाएगा महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि आज महासंघ ने कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों को लेकर अहम बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद रहे और आगामी रणनीति तैयार की गई साथ ही सरकार के समक्ष कर्मचारियों की मांगों को उठाने का फैसला लिया गया । उन्होंने कहा कि काफी समय से सरकार द्वारा कर्मचारियों को एरियर डीए नहीं दिया गया है।इसकी अदायगी सरकार समयबद्ध तरीके से करे। इसके साथ ही सरकार विभिन्न विभागों में पदों की समाप्ति करने जा रही है जिसका महासंघ विरोध करता है और सरकार से मांग करता है कि वह इन पदों को समाप्त न करें बल्कि सभी विभागों में जो खाली पद है उन्हें जल्द से जल्द भर जाए।जो विभाग व बोर्ड OPS से महरूम है उनको इस दायरे में लाया जाए साथ ही OPS के लिए बिल लाया जाए।वहीं UPS मुद्दा जो उठ रहा है उसे कर्मचारी कभी भी स्वीकार नही करेगा।वहीं गेस्ट फैकल्टी का महासंघ विरोध करता है।वहीं कर्मचारियों का नियमतिकरण साल में दो बार होना चाहिए। । उन्होंने कहा कि बैठक में HRTC को रोडवेज बनाने के साथ ही कर्मचारियों का जो ओवरटाइम है वह जारी किया जाए।मेडिकल रिम्बर्समेंट सुविधा सभी विभागों व बोर्ड निगमो में होनी चाहिए।जिला परिषद पंचायतीराज के अधीन हो। कानूनगो व पुलिस को स्टेट कैडर न बनाने की मांग की है उन्हें जिला कैडर में ही रहने दिया जाये।इन मांगों को लेकर शीघ्र सरकार को मांगपत्र सौपा जाएगा।
शनिवार को हिमाचल प्रदेश की ऊंची चोटियों, जैसे रोहतांग, पांगी और भरमौर में हिमपात हुआ, जबकि राजधानी शिमला और मनाली समेत मैदानी क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई। मौसम के इस बदलाव से सुबह और शाम के समय ठंड बढ़ गई, और प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बादल छाए रहे। रविवार और सोमवार को मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है, लेकिन 4 और 5 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से फिर बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है। शनिवार को भरमौर और पांगी की ऊपरी चोटियों पर हल्का हिमपात हुआ, जबकि निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई। इस बारिश से किसानों और बागवानों को राहत मिली है क्योंकि खेतों की नमी बढ़ी है, जिससे फसलों को फायदा होगा। कुल्लू और लाहौल की ऊंची चोटियों में भी सुबह से लेकर दोपहर तक रुक-रुक कर हल्की बर्फबारी जारी रही। रोहतांग दर्रा, कुंजम दर्रा, राजा घेपन पीक और सीवी रेंज की पहाड़ियों पर भी बर्फबारी हुई।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने बजट में टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी घोषणा की। अब सालाना 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। वहीं टीडीएस में भी राहत दी गई है। सीनियर सिटीजन को भी इनकम टैक्स में बड़ी राहत मिली है। हालांकि यह फायदा उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलेगा जो नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार आईटीआर फाइल करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि सालाना 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को अब कोई भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। इसमें 75 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है। सीतारमण ने कहा कि 18 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर्स को 70,000 रुपये की बचत होगी जबकि 25 लाख तक 1.10 लाख रुपये की बचत होगी। सीतारमण ने कहा कि ITR और टीडीएस की सीमा बढ़ाई गई है। टीडीएस की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। टैक्स डिडक्शन में बुजुर्गों के लिए भी बड़ी घोषणा की गई है। Old Tax Regime के तहत इनकम टैक्स दरें 0-4 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं। 4-8 लाख की आय पर 5 प्रतिशत 8-12 लाख की आय पर 10 प्रतिशत 12-16 लाख की आय पर 15 प्रतिशत 16-20 लाख की आय पर 20 प्रतिशत 20-24 लाख की आय पर 25 प्रतिशत 24 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत इन्हें नहीं मिलेगा फायदा सालाना 12.75 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स में छूट उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिनकी आय सिर्फ सैलरी से होगी। अगर वे शेयर मार्केट या किसी और माध्यम से कमाई करते हैं तो उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में उन्हें इनकम टैक्स देना होगा।
अगले 10 सालों में देशभर में 120 नए एयरपोर्ट बनाये जाएंगे। आज केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2025 में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए ये अहम घोषणा की है, जिसमें अगले 10 सालों में देशभर में 120 नए एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसका उद्देश्य हवाई यात्रा को सुलभ बनाना और एयर कनेक्टिविटी को मजबूती देना है, खासकर छोटे शहरों और दूरदराज के इलाकों में। इस योजना से न केवल स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार और उद्योगों को भी गति मिलेगी। नए एयरपोर्ट के निर्माण से हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आर्थिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी। यह कदम प्रधानमंत्री की "उड़ान" योजना के तहत लिया जा रहा है, जिसका मकसद छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को हवाई मार्ग से जोड़ना है। इससे न केवल यात्रा में सुगमता आएगी, बल्कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में तकनीकी क्षेत्र को लेकर एक अहम ऐलान किया। सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का विशेष फंड देने की घोषणा की है। इस फंड का उद्देश्य AI के शोध, विकास, और शिक्षा को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत को वैश्विक तकनीकी नेतृत्व में एक नया मुकाम हासिल हो सके। सरकार के इस ऐलान के तहत, AI आधारित परियोजनाओं, स्टार्टअप्स और संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे नए समाधान विकसित कर सकें और विभिन्न उद्योगों में AI का अधिकतम उपयोग कर सकें। इससे न केवल भारत में AI टेक्नोलॉजी की गति बढ़ेगी, बल्कि यह रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा और उद्योगों में कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करेगा।
आज केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2025 में किसानों को लेकर महत्वपूर्ण ऐलान किया है। सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर कर्ज की सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम से किसानों को कृषि कार्यों के लिए अधिक वित्तीय सहायता मिल सकेगी और वे अपनी खेती के लिए आवश्यक संसाधनों को आसानी से जुटा सकेंगे। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का उद्देश्य किसानों को आसान और सस्ती क्रेडिट सुविधा प्रदान करना है, ताकि वे बिना किसी परेशानी के अपनी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकें। अब तक यह सुविधा अधिकतर छोटे और सीमांत किसानों तक सीमित थी, लेकिन इस सीमा में बढ़ोतरी से अब अधिक किसानों को लाभ मिलेगा और वे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकेंगे। कृषि क्षेत्र को समर्पित इस बजट प्रस्ताव से सरकार का मकसद है कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाए। साथ ही, यह कदम कृषि क्षेत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा और किसान की आय दोनों में वृद्धि हो सकेगी।
आज पूरा देश संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025 पर नजरें गड़ाए बैठा है। यह बजट आज सुबह 11 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा। यह निर्मला सीतारमण का लगातार आठवां बजट होगा, और 2024 में बनी मोदी 3.0 सरकार का दूसरा पूर्ण बजट है। गरीब, मिडिल-क्लास और वेतनभोगी वर्ग को इस बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर इनकम टैक्स स्लैब में राहत और आर्थिक सुधारों की मांग की जा रही है। बजट से उम्मीद की जा रही है कि यह महंगाई से राहत देने और खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने वाले कदमों के साथ आएगा।बजट सेशन 2025 की शुरुआत शुक्रवार 31 जनवरी 2025 को हुई, जब वित्त मंत्री ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2025 पेश किया। इसमें देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति, विकास दर, महंगाई और भविष्य की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। अब सभी की निगाहें आज के बजट पर टिकी हैं, जिसमें इन आंकड़ों के आधार पर नई नीतियां घोषित की जाएंगी। बजट से पहले राष्ट्रपति से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मुलाकात केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में अपना आठवां बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुरु से मिलने के लिए वित्त मंत्रालय नॉर्थ ब्लॉक से रवाना हो गई हैं। पेपरलेस फॉर्मेट में वे पारंपरिक ‘बही खाता’ के बजाय एक टैब के माध्यम से बजट पेश करेंगी और पढ़ेंगी।
हिमाचल प्रदेश में आज रात से मौसम करवट बदलेगा। आज रात से ही प्रदेश में वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) ज्यादा एक्टिव हो जाएगा और अगले छह दिनों तक इसका असर देखने को मिलेगा। खास तौर पर 4 फरवरी को बर्फबारी का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 31 जनवरी और 1 फरवरी को प्रदेश के ज्यादातर भागों में हल्की बारिश और बर्फबारी होने की संभावना जाहिर की है। इस दौरान =मध्य व उच्च पर्वतीय कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि निचले पहाड़ी-मैदानी क्षेत्रों में बारिश की संभावना है। वहीं प्रदेश के ज्यादातर भागों में 2 फरवरी को मौसम साफ हो जाएगा। जबकि 3 फरवरी से अगले दो दिन तक फिर से बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। बारिश और बर्फबारी से पहले तापमान में ही हल्का उछाल आया है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.1 डिग्री अधिक हो गया है। मनाली के तापमान में नॉर्मल की तुलना में सबसे ज्यादा 5.9 डिग्री का उछाल दर्ज किया गया है। इसी तरह कल्पा का न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 4.7 डिग्री अधिक हो गया है।
**सीएम के आदेशों के बाद जगह तलाशने में जुटा निगम प्रशासन शिमला के रिज मैदान पर स्थापित किया गया सौ फुट ऊंचा तिरंगा हटने जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह तिरंगे झंडे को रिज मैदान से हटाकर दूसरी जगह लगाने के निर्देश दिए थे इसके बाद लोक निर्माण विभाग और नगर निगम के अधिकारी दूसरी जगह तलाशने में जुट गए हैं। आज शहरी विधायक हरीश जनारथा ने लोकनिर्माण ओर नगर निगम के अधिकारियों के साथ झंडा लगाने को लेकर रिज मैदान टका बैच का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को जगह का चयन जल्द करने के निर्देश दिए। बताया जा रहा है कि यह झंडा टका बैच पर लगाया जाएगा। यही नहीं शिमला के रिज मैदान पर स्थित रेन शेल्टर को भी हटाया जाएगा। शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिशा निर्देश दिए है।उन्होंने कहा कि रिज के जीर्णोद्धार के बाद झण्डा बीच में आ गया है शिमला का रिज सीधा एक ही मैदान बना रहे है इसके मध्यनजर यह फैसला लिया जा रहा है। जनारथा ने कहा कि PWD इसके लिए नॉडल विभाग होगा परंतु कार्य नगर निगम की देख रेख में करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल को जगह तय नहीं हुई है। विचार किया जा रहा है अच्छी व पक्की जगह चिन्हित करके इसको स्थापित किया जाएगा। 2015 में स्थापित किया था रिज पर 100 फुट ऊंचा तिरंगा ऐतिहासिक रिज पर नगर निगम प्रशासन 100 फुट ऊंचा तिरंगा 2015 में स्थापित किया था। निगम ने करीबन 13.55 लाख की लागत से झंडे को स्थापित किया था। यह तिरंगा सवा 9 मीटर लम्बा और सवा 6 मीटर चौड़ा है। इसके लिए 30 मीटर लम्बा एक ऑटोमैटिक फ्लैग पोस्ट भी बनाया गया था जिस पर करीब कुल करीब 13.55 लाख खर्च हुए थे। शिमला नगर निगम प्रशासन इसकी देखरेख कर रहा है।लेकिन रिज के जीर्णोद्धार के बाद ये झंडा रिज के बीच मे आ गया है। जिसके चलते इसे यहां से हटाया जा रहा है।
राजधानी शिमला में पुलिस द्वारा चिट्टे के खिलाफ अभियान चलाया है और आए दिन चिट्टा तस्करों को पकड़ा जा रहा है। पुलिस द्वारा आम लोगो से भी चिट्टा तस्करों को पकड़वाने की अपील की जा रही है । वही शिमला व्यापार मंडल भी पुलिस के सहयोग के लिए आगे आया है ओर चिट्टा तस्करों को पकड़वाने में पुलिस की मदद करने वाले लोगों को शिमला व्यापार मंडल भी नकद इनाम का एलान किया। व्यापार मंडल ने ऐसे लोगों को 11 हजार रुपये तक का नकद पुरस्कार देगा जो इस काम के लिए पुलिस की मदद करेंगे। यही नहीं यदि कोई बाजार में दुकानों में काम करने वाला व्यक्ति चिट्टा तस्करी में पाया जाता है तो उसे बाजार से बाहर निकाल दिया जाएगा | राजधानी में चिट्टे के बढ़ते मामलों को देखते हुए शिमला व्यापार मंडल ने यह पहल की है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव ठाकुर ने कहा कि शिमला पुलिस चिट्टे के खिलाफ बेहतरीन अभियान चला रही है। इसका नतीजा यह है कि कई बड़े गिरोह हत्थे चढ़ चुके हैं। इसके बावजूद शहर में इसका कारोबार जारी है। ऐसे में पुलिस की मदद करने के लिए लोगों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि चिट्टा तस्करी से जुड़ी सूचना देने वाले लोगों को नकद इनाम दिया जाएगा। ऐसे लोगों की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। अध्यक्ष ने कहा कि शिमला के युवाओं को नशे से बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि यदि बाजारों में भी यदि कोई दुकानदार या दुकानों में काम करने वाला व्यक्ति चिट्टा तस्करी में पाया जाता है तो उसे बाजार से भी बाहर निकाल दिया जाएगा।
1980 में भाजपा के गठन के बाद से हिमाचल में अब तक 13 नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे है।सतपाल सिंह सत्ती सबसे अधिक दस साल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, तो खीमीराम शर्मा को सबसे कम कार्यकाल मिला। हालांकि सबसे छोटा कार्यकाल डॉ राजीव बिंदल के नाम है जो वर्तमान में दुरसी बार अध्यक्ष है। साल 2020 में उनका पहला कार्यकाल महज 186 दिन का रहा था। तब कोरोना काल में हुए घोटाले में उनका नाम उछाला और नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। सिलसिलेवार बात करें तो हिमाचल भाजपा के पहले प्रदेश अध्यक्ष बने ठाकुर गंगाराम जो मंडी से ताल्लुक रखते थे। वे 1984 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद शिमला संसदीय हलके के अर्की से सम्बन्ध रखने वाले नगीनचंद पाल भाजपा के अध्यक्ष बने, और 1986 तक पद पर रहे। 1986 में शांता कुमार हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष बने और 1990 का विधानसभा चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया। शांता कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद कुल्लू के महेश्वर सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने और 1993 तक इस पद पर रहे। पर 1993 में भाजपा की शर्मनाक हार के बाद महेश्वर की विदाई हो गई और एंट्री हुई प्रो प्रेम कुमार धूमल की। उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाई और धूमल सीएम बने। फिर सुरेश चंदेल दो साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे और साल 2000 से लेकर 2003 तक जयकिशन शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। धूमल, सुरेश चंदेल और जयकिशन शर्मा, तीनों ही हमीरपुर संसदीय हलके से थे। साल 2003 में सुरेश भारद्वाज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और 2007 तक इस पद पर रहे। भारद्वाज के बाद दो साल एक लिए जयराम ठाकुर और फिर 2009 से 2010 खीमीराम शर्मा ने पार्टी की कमान संभाली। 2010 में भाजपा अध्यक्ष पद पर सतपाल सिंह सत्ती की ताजपोशी हुई और वे दस साल लगातार अध्यक्ष रहे। सबसे अधिक वक्त तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड अब भी सत्ती के नाम है। सत्ती की विदाई के बाद डॉ राजीव बिंदल की ताजपोशी हुई लेकिन कोरोना काल में घोटाले के आरोप के बाद बिंदल को महज 186 दिन बाद ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना पड़ा। ये हिमाचल में किसी भी भाजपा अध्यक्ष का सबसे छोटा कार्यकाल है। बिंदल के बाद सुरेश कश्यप को कमान सौपी गई और अप्रैल 2023 तक कश्यप पार्टी अध्यक्ष रहे। इसके बाद बिंदल की दोबारा बतौर अध्यक्ष एंट्री हुई। अब बिंदल को पार्टी फिर मौका देती है या नहीं, ये सवाल बना हुआ है।
आज एनएमओपीएस (NMOPS) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के अनुसार, नई पेंशन स्कीम (UPS) के खिलाफ कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश ने 01 अप्रैल 2025 से इसे लागू करने के फैसले का विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन में पूरे भारत में सभी स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में UPS की गजट अधिसूचना के खिलाफ विरोध किया गया। इस विरोध का मुख्य उद्देश्य ओपीएस (Old Pension Scheme) के तत्काल कार्यान्वयन की मांग करना था। प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान सरकार ने पहले ही पुरानी पेंशन बहाल कर दी है, इसलिए एनएमओपीएस का साथ देते हुए कर्मचारियों और शिक्षकों से अनुरोध किया गया था कि वे केंद्रीय कर्मचारियों के इस आंदोलन में समर्थन करें और UPS के नुकसानों के बारे में सभी कर्मचारियों को जागरूक करें ताकि इसके दुष्परिणाम सामने आ सकें। इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ओपीएस के कार्यान्वयन के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया है। प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने इस आयोजन की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया। पुरानी पेंशन (Old Pension Scheme) की मांग को लेकर 20 वर्षों से चल रहे विरोध और आंदोलन को समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से उतारी गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme) यानी UPS का काफी विरोध हो रहा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इसमें कई खामियां हैं। इसकी सबसे बड़ी खामी तो वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के एक जवाब से सामने आई है, जो इसकी प्रचारित अच्छाइयों पर भारी पड़ गई है। उन्होंने कहा कि UPS की सबसे बड़ी खामी वीआरएस (Voluntary Retirement Scheme) के मामले में सामने आती है। अगर कोई कर्मचारी 60 साल की उम्र से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनता है तो उसे पेंशन कब से मिलेगी? यह सवाल जब वित्त सचिव से पूछा गया, तो उनका जवाब था कि आप रिटायर चाहे जब हों, UPS के तहत पेंशन सेवानिवृत्ति की आयु पूरी होने के बाद ही मिलेगी। रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली इस पेंशन स्कीम में इस खामी के चलते कर्मचारियों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। उनका ये भी कहना है कि देश में विभिन्न विभागों में रिटायरमेंट की आयु अलग-अलग है। उदाहरण के तौर पर, विश्वविद्यालयों में रिटायरमेंट की आयु 65 साल है, जबकि कुछ विभागों में यह 60 वर्ष या 58 वर्ष है। ऐसे में अगर कोई कर्मचारी 58 वर्ष में रिटायर हो जाए तो उसे पेंशन के लिए दो साल का इंतजार करना होगा। वहीं अगर कोई कर्मचारी 50 वर्ष की उम्र पर वीआरएस लेता है, तो उसे पेंशन पाने के लिए 10 साल तक इंतजार करना होगा। कर्मचारी संगठन का कहना है कि 25 साल में नौकरी करने वाला युवा अगर 50 की आयु में नौकरी के 25 साल पूरे करके वीआरएस लेना चाहे, तो उसे यूपीएस के तहत पेंशन पाने का कोई विकल्प 10 सालों तक नहीं होगा। इस पर सवाल उठता है कि अगले 10 सालों तक वह जीवित रहेगा या नहीं, इसलिए कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं। वहीं अगर कोई कर्मचारी देर से सरकारी सेवा में आता है, तो इस स्कीम के तहत 10 साल की नौकरी करने पर 10,000 रुपये न्यूनतम पेंशन तय की गई है। हालांकि यह फायदा भी तभी मिलेगा जब कर्मचारी ने 10 साल की सेवा पूरी की हो। अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल से पहले सेवा छोड़ दी, तो उसे पेंशन नहीं मिलेगी। UPS में कर्मचारियों का योगदान उनकी बेसिक सैलरी का 10% होगा, जबकि सरकार 18.5% योगदान करेगी। पुरानी पेंशन में कर्मचारी को कोई योगदान नहीं करना पड़ता और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन सरकार द्वारा दी जाती है, जो लगभग अंतिम वेतन का 50% होती है। जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मचारी UPS का विकल्प चुनते हैं, वे किसी अन्य नीतिगत रियायत, बदलाव या वित्तीय लाभ का दावा नहीं कर सकेंगे। UPS के तहत कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड में दो हिस्से होंगे - एक व्यक्तिगत फंड, जिसमें कर्मचारी और सरकार का योगदान होगा, और दूसरा पूल फंड, जिसमें सरकार का अतिरिक्त योगदान होगा। प्रदीप ठाकुर का कहना है कि जब 1 अप्रैल 2004 को NPS लागू किया गया था, तब भी ऐसा ही प्रचार किया गया था, लेकिन जब कर्मचारी सेवानिवृत्त होने लगे, तो किसी को 500 तो किसी को 1500 रुपये पेंशन मिली। अब भविष्य में भी क्या मिलेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह तय है कि UPS में पुरानी पेंशन (OPS) जैसा लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग करेंगे और NPS तथा UPS का विरोध जारी रखेंगे।
** तहबाजारी यूनियन ने प्रशासन पर रोजगार छीनने का आरोप लगाते हुए धरना प्रदर्शन किया **वन विभाग और NHAI पर 2014 की स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी का उल्लंघन कर तहबाजारियों को उजाड़ने का भी लगाया आरोप शिमला, 28 जनवरी: शिमला के ढली से कुफरी के बीच स्थित तहबाजारियों ने वन विभाग, NHAI और पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के खिलाफ आज जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। तहबाजारी यूनियन ने सीटू के बैनर तले उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया, जिसमें तहबाजारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनके जीवन-यापन के साधन को छीनने के प्रयास में है। विशेष रूप से 2014 की स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी का उल्लंघन करने का आरोप है, जो उन्हें अपने काम को व्यवस्थित तरीके से करने की अनुमति देती है। यूनियन के नेताओं ने कहा कि इन तहबाजारियों को इस क्षेत्र में दशकों से कार्य करने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन अब प्रशासन उनका व्यवसाय अवैध करार देकर उन्हें हटाने की कोशिश कर रहा है। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि यह क्षेत्र नगर निगम और नगर पालिका सीमा से बाहर है, और इसके तहत इन वेंडरों को शहरी विकास मंत्रालय द्वारा बसाया जाना था, न कि उजाड़ा जाना। उन्होंने यह भी कहा कि वन विभाग, NHAI और पुलिस की कार्रवाई से इन परिवारों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
शिमला पुलिस ने 11 तस्कर धरे, लगभग सभी 'पुराने पापी' एसपी शिमला संजीव गाँधी ने दी जानकारी शिमला पुलिस ने कोलकाता से संदीप शाह नाम के एक चिट्टा तस्कर को गिरफ्तार किया है जो 200 लोगों के गिरोह का सरगना है। इस गिरोह के 11 तस्करों को पुलिस ने धरा है और सभी चिट्टे की तस्करी के पुराने पापी है। करीब छ महीने से शिमला पुलिस इस अभियान में जुटी थी और आखिरकार रविवार को उसे सफलता मिली है। ये शिमला पुलिस की बड़ी कामयाबी है। एसपी शिमला संजीव गाँधी ने इस बाबत जानकारी साझा की। हिमाचल प्रदेश में ड्रग माफिया बेहद नियोजित तरीके से काम कर रहा है। ड्रग तस्करी एक आर्गनाइज्ड क्राइम का रूप ले चुकी है और तस्कर तकनीक का भी खूब इस्तेमाल कर रहे है। इस गिरोह का भी अपना ऑनलाइन सप्लाई मैकेनिज्म था, ये ऑनलाइन आर्डर लेते थे और ग्राहक द्वारा भुगतान भी ऑनलाइन किया जाता था। बहरहाल शाही महात्मा गैंग पर कार्रवाई के बाद शिमला पुलिस ने एक और बड़े रैकेट को एक्सपोज़ किया है।
शिमला की सुंदरता और स्वच्छता को बनाए रखने के उद्देश्य से, शिमला ग्रामीण के एसडीएम कविता ठाकुर ने 7 जनवरी से शिमला के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं शोघी, तारादेवी और शालाघाट- कैथलीघाट की सड़कों पर सफाई अभियान की शुरुआत की है। एसडीएम कविता ठाकुर और उनका स्टाफ हर सुबह 9 बजे से 12 बजे तक कचरा हटाकर शहर को साफ-सुथरा बनाने का संदेश दे रहे हैं। इसके साथ ही, वे स्थानीय निवासियों से भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील कर रहे हैं। एसडीएम कविता ठाकुर ने कहा कि शिमला की असली सुंदरता यहां के प्राकृतिक वातावरण और हरे-भरे पेड़ों में है। लेकिन पिछले कुछ समय से, शिमला के प्रवेश बिंदुओं पर कचरे का ढेर देखने को मिल रहा है। इस सफाई अभियान का मुख्य उद्देश्य न केवल इन स्थानों को स्वच्छ बनाना है, बल्कि आम जनता को भी जागरूक करना है कि वे शिमला को प्लास्टिक मुक्त बनाने में योगदान दें। स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। खुले में कचरा फेंकने से न सिर्फ शहर की सुंदरता प्रभावित होती है, बल्कि यह पर्यटकों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। कविता ठाकुर ने यह भी कहा कि इस अभियान में स्थानीय निवासियों का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है और साथ ही, शिमला को एक आदर्श शहर बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के जुब्बल तहसील के समोट गांव में आज सुबह एक भयंकर आग लग गई। सुरेन्द्र दान सिंगटा के सेब के बगीचे में सुबह करीब 10:30 बजे लगी आग ने देखते ही देखते 200 से ज्यादा सेब के पेड़ और कुछ नाशपाती के पेड़ जलाकर राख कर दिए। यह बगीचा उनकी मेहनत और आय का मुख्य स्रोत था। दुर्भाग्यवश, बगीचे के पास स्थित गौशाला भी आग की चपेट में आ गई और एक गाय जिंदा जल गई। घटना के बाद ग्रामीणों ने तुरंत प्रशासन को सूचना दी, और फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। आग बुझाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन नुकसान का आकलन किया जा रहा है। आग के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है।
कहा , मित्रों को इक्कठा करके बताएँगे राजनीति क्या होती है तो कांगड़ा में बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें भाजपा से खफा पूर्व मंत्री एवं विधायक रमेश चंद ध्वाला कांगड़ा में गरजने की हुंकार भर रहे है। ध्वाला तीसरे मोर्चे का या यूँ कहे भाजपा विरोधी मोर्चे का संकेत दे रहे है। भाजपा को खुली चुनौती दे रहे है की मित्रों को इक्कठा करके बताएँगे, राजनीति क्या होती है। दरअसल, कांगड़ा में भाजपा के नाराज नेताओं में अकेले ध्वाला नहीं है, और भी कई नेता है जो हाशिये पर है। ये फहरिस्त लम्बी है। कुछ समय पूर्व भी इन नेताओं के एक होने की चर्चा थी, और अब फिर ध्वाला ने इन कयासों को हवा दे दी है। सूत्रों की माने तो इस फेहरिस्त में ध्वाला के अलावा कई वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक बताये जा रहे है। यदि ऐसा होता है तो कांगड़ा में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है। एक दौर था जब रमेश चंद ध्वाला हिमाचल भाजपा के लिए नायक थे। 1998 में धूमल सरकार बनाने में उनकी भूमिका भला कौन भूल सकता है। पर ये ही ध्वाला बीते करीब सात साल से भाजपा से खफा- खफा है। दरअसल जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद ध्वाला को कैबिनेट में एंट्री नहीं मिली थी। इसके बाद से ही ध्वाला की टीस दिखने लगी थी। फिर पूर्व में संगठन मंत्री रहे पवन राणा के साथ उनकी सियासी खींचतान भी खूब सुर्खियों में रही। हालांकि धूमल गुट के असर के चलते 2022 में उन्हें टिकट तो मिल गया, लेकिन चुनाव हारने के बाद भाजपा में ध्वाला साइडलाइन ही दिखे है। विशेषकर होशियार सिंह की भाजपा में एंट्री और फिर उपचुनाव में होशियार को ही टिकट दिए जाने के बाद ये खाई बढ़ती दिखी है। इस बीच भाजपा संगठन में भी नई नियुक्तियां हुई है और पार्टी ने ज्वालामुखी और देहरा, दोनों ही हलकों में उनके समर्थकों को तरजीह नहीं दी है। बहरहाल, रमेश चंद ध्वाला भाजपा पर भड़ास भी निकाल रहे है और अपनी ही पार्टी को चुनौती भी दे रहे है। निशाने पर कौन कौन है, ये सब जानते है। ध्वाला राजनीति के माहिर खिलाड़ी है और सियासी शतरंज के सभी दांव पेंचों से भली भांति वाकिफ भी। सियासत का उनका अपना अलग सलीका है, बेबाक सलीका। इसलिए, वो बगैर नापे तोले उपेक्षा का दर्द भी बयां कर रहे है, अपना योगदान भी स्मरण करवा रहे है, पार्टी को आइना भी दिखा रहे है और अपनी जमीनी कुव्वत का अहसास भी करवा रहे है। आप ध्वाला को पसंद करें या नापसंद करे लेकिन खारिज नहीं कर सकते। आज भी ध्वाला हिमाचल की राजनीति में बड़ा ओबीसी चेहरा है विशेषकर कांगड़ा में और कई सीटों पर प्रभाव रखते है।देहरा और ज्वालामुखी में तो उनका सीधा असर दीखता है। ऐसे में उनकी टीस भाजपा के लिए जरा भी मुफीद नहीं है। हालांकि संगठन की नई नियुक्तियों में भाजपा का जातीय डैमेज कण्ट्रोल दीखता है, फिर भी उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। सवा तीन साल में भाजपा को मिली हार पर हार हिमाचल में भाजपा के लिए बीते तीन साल में कुछ भी अच्छा नहीं घटा है। विधानसभा चुनाव हो या उपचुनाव, पार्टी को मिली है सिर्फ हार पर हार। बीते तीन सवा तीन साल में पार्टी ने सत्ता तो गवाईं ही है, पार्टी विधानसभा के एक बारह में से सिर्फ तीन उपचुनाव ही जीत सकी है। इस पर पूर्व कांग्रेसी और निर्दलीयों के पार्टी में आने के बाद एक और खेमा बनने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में कार्यकर्त्ता का मनोबल टूटना लाजमी है। अब अगर अगर कांगड़ा में भाजपा से रूठे नेताओं का अलग मोर्चा बनता है तो तय मानिये इसकी भरपाई भाजपा के मुश्किल होगी।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड के संदर्भ में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत आज दोषी पुलिसकर्मियों की सजा पर अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने 18 जनवरी को प्रदेश के IG जहूर एच जैदी सहित 8 पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया था। जानकारी के अनुसार, इन दोषियों को आज शाम 4 बजे सजा सुनाई जाएगी। सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को दोषियों से उनकी अंतिम अपील भी सुनी थी। 18 जनवरी को सीबीआई अदालत ने गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर आईजी जैदी, तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल, सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा को दोषी ठहराया था। ये सभी आरोपी वर्तमान में बुड़ैल जेल में बंद हैं। साल 2017 में शिमला जिले के कोटखाई में गुड़िया नामक 16 वर्षीय छात्रा का बलात्कार और हत्या हुई थी। पुलिस ने आरोपी सूरज को हिरासत में लिया, लेकिन लॉकअप में प्रताड़ना के कारण उसकी मौत हो गई। पुलिस ने सूरज की मौत का आरोप दूसरे आरोपी राजू पर मढ़ दिया। सूरज की लॉकअप में हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने कोटखाई पुलिस थाना जलाने की कोशिश की। इस घटनाक्रम के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। गौरतलब है कि 4 जुलाई 2017 को कोटखाई में 16 वर्षीय छात्रा का शव निर्वस्त्र अवस्था में तांदी के जंगल में पाया गया था। शिमला के तत्कालीन IG जहूर एच जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी, नेपाली युवक सूरज, को पुलिस हिरासत में लॉकअप में मौत का सामना करना पड़ा था। सीबीआई जांच में यह सामने आया कि सूरज की मौत पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसके बाद सीबीआई ने आईजी जैदी और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या (धारा 302), सुबूत नष्ट करने (धारा 201) और अन्य गंभीर आरोपों के तहत केस दर्ज किया। यह मामला शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।
** विपक्ष को कोसने के बजाय अपने 2 साल की उपलब्धि बताएं मुख्यमंत्री ** 2 साल में 30 हजार करोड़ का लोन लेने वाले दे रहे हैं वित्तीय कुप्रबंधन पर ज्ञान शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से कहा है कि उनकी सरकार बने 2 साल का समय पूरा हो गया है और उन्होंने प्रदेश में विकास के नाम पर अब तक 30 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए का लोन भी ले लिया है। इसलिए वह विपक्ष को कोसने का काम बंद करें और बताएं कि इन दो सालों के दरमियान उन्होंने क्या-क्या काम किए हैं? साथ ही मुख्यमंत्री यह भी प्रदेश के लोगों से स्पष्ट कर दें कि 2017 में उनके अध्यक्ष रहते जब कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल हुई थी तो उनकी पार्टी की सरकार ने हमें विरासत के रूप में भी पैसे का कर्ज और देनदारी नहीं सौंपी थी साथ ही ' नो ड्यूज' वाले कागज भी दिखा दें। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने दिल पर हाथ रख कर बोले कि क्या उनकी पार्टी द्वारा विधानसभा में दी गई एक भी गारंटी ईमानदारी से पूरी हो पाई है? क्या आज जो सरकार कर रही है, चुनाव के पहले कांग्रेस ने इसी प्रकार के गवर्नेंस का वादा किया था? जिन बड़े-बड़े मंचों से मुख्यमंत्री दुनिया भर का झूठ परोस रहे हैं उनकी बहुत प्रतिष्ठा रही है, वह मंच हिमाचल की तकदीर सजाने संवारने और हिमाचल को उत्कृष्ट बनाने के दिशा में कदम बढ़ाने के लिए जाना जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश पूर्ण राजत्व दिवस के अवसर और मंच को भी अपने झूठ बोलने का स्थान बना दिया। क्या प्रदेश के लोगों ने सिर्फ विपक्ष को कोसने के लिए कांग्रेस को इतना बड़ा जनादेश दिया था? जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछली सरकार ने लोगों को सुविधाएं दी थी। बिना किसी गारंटी के हमारी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा घटाकर 80 से 60 वर्ष की। जिसके कारण प्रदेश की 2 लाख 75 और महिलाओं को वृद्धा पेंशन मिली। इसके साथ ही पेंशन की राशि में भी 2 गुना तक बढ़ोतरी की और आय की सीमा भी खत्म की। हमारे पूर्व की सरकार का सामाजिक सुरक्षा बजट 436 करोड रुपए उसे बढ़ाकर हमारी सरकार ने 1300 करोड रुपए किया। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु की लोगों के लिए वृद्धा पेंशन को ₹700 से बढ़ाकर 1700 रुपए किया। विधवा और दिव्यांगजनों की पेंशन की राशि ₹700 से बढ़कर 1150 रुपए प्रतिमाह की। 70% से अधिक दिव्यांग जनों की पेंशन 1250 रुपए से बढ़कर 1750 रुपए की। लाखों लोगों को गरिमा पूर्ण जीवन देने के लिए हमारी सरकार ने यह कदम उठाए। एक सरकार के रूप में हमने यह कोई एहसान नहीं किया यह हमारा फर्ज था जो हमने अपने प्रदेश के लोगों के लिए किया। प्रदेश के लोगों को बिजली का बिल न देना पड़े इसके लिए हमने 125 यूनिट फ्री बिजली का प्रावधान रखा। इससे लोग कम बिजली खर्च करने को प्रेरित हुए। जिससे बची हुई बिजली सरकार महंगे दामों पर बेचे। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का बिल जो बहुत कम होता था उसे माफ किया, महिलाओं के लिए बसों के किराए में पचास प्रतिशत की छूट दी। यह कदम महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए उठाया गया था शायद मुख्यमंत्री और उनकी टीम इस छूट में निहित सरकार की मंशा को भले न समझे लेकिन इसका लाभ प्रदेश को हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने इनमें से किसी भी काम के लिए प्रदेश के लोगों की कोई गारंटी नहीं दी थी। सरकार का काम जनहित है उसके लिए सरकार को सदैव प्रयास करना चाहिए और एक मुख्यमंत्री के रूप में मैंने यह प्रयास किए। कोरोना जैसी आपदा के बाद भी एक भी कर्मचारी के एक दिन का वेतन हमारी सरकार ने नहीं काटा। हमारी सरकार ‘सबका साथ–सबका विकास’ के ध्येय के साथ काम किया। सहारा, शगुन, ग्रहणी सुविधा, हिम केयर जैसी न जाने कितनी योजनाएं दी जिसकी मदद से गरीब आदमी गरिमा पूर्ण जीवन जी सके। वर्तमान सरकार ने ज्यादातर योजनाओं को या तो बंद कर दिया है या उनका बजट रोक दिया है और वह योजनाएं तथा स्वतः मृतप्राय हो गई हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुक्खू के हाल आज क्या है वह किसी से छुपा नहीं है। जिस सरकार को यज्ञ प्रदेश का नुकसान करने वाली सरकार बता रहे हैं उसी सरकार ने प्रदेश के लोगों को ₹5 लाख तक का नि:शुल्क इलाज हर सरकारी प्राइवेट अस्पताल में करवाया। आज कहते हुए शर्म आ रही है कि पचास हजार के एक इंजेक्शन के लिए एक परिवार अनाथ हो गया। मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अपनी इंटर्नशिप के स्टाइपेंड के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं और प्रदेश के डॉक्टर अपने एनपीए की मांग को लेकर काले बिल्ले पहनकर इलाज कर रहे हैं। नंबरदार से लेकर ठेकेदार तक अपने वेतन और बिलों के भुगतान की फरियाद कर रहे हैं। 2 साल में सरकार द्वारा अपने नाम से सुखाश्रय योजना शुरू की गई योजना में बाकी खर्चों से ज्यादा ब्रांडिंग पर खर्च हुआ लेकिन हकीकत यह है इस योजना के तहत पढ़ने वाले बच्चों की फीस भी सरकार समय से नहीं जमा कर रही है। इस प्रकार की नाकामी के एक नहीं लाखों उदाहरण हैं। सुख की सरकार में सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं होगा और प्राइवेट अस्पताल में हिम केयर का पैसा नहीं मिलेगा। आए दिन लोग मुझे मिलते हैं जो इलाज के अभाव में या तो अपने घरों में बैठे हैं या जमीन गिरवी रखकर कर्ज लेकर इलाज करवा रहे हैं। मुख्यमंत्री से मेरा आग्रह है कि वह एक बार जमीनी हकीकत का भी अंदाजा लगा लें सिर्फ झूठ बोलने से अगर सरकार चल जाती तो उसके लिए काम करने की आवश्यकता क्या होती? आपके झूठ और विपक्ष पर आरोप लगाने के भाषण अब प्रदेश के लोग चटखारे लेकर सुनते हैं और आप पर हंसते हैं। 2 साल विपक्ष को कोसकर आपने निकाल दिए अब आगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसलिए धरातल पर काम करिए और झूठ बोलना बंद करिए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने समस्त प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जब हम अपने संविधान को अपनाते हैं और अपने देश की एकता और अखंडता को मजबूत बनाने का संकल्प लेते हैं। हम सभी इस अवसर पर अपने देश के लिए श्रद्धा और समर्पण से कार्य करें, और अपने राष्ट्र तथा राज्य के विकास और समृद्धि के लिए काम करने का संकल्प लें।
** राज्यपाल ने दवाओं के सेंपल फेल होने पर की सरकार से सख्त कार्रवाई करने की बात कही राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर शिमला के गेयटी थियेटर में समारोह का आयोजन किया गया। इसमें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बताैर मुख्य अतिथि शिरकत की। भांग की खेती को कैबिनेट से मिली सैद्धांतिक मंजूरी को लेकर राज्यपाल ने कहा कि एक समय पर हिमाचल प्रदेश को मलाणा को लेकर गर्व था विदेशों तक इसकी चमक थी लेकिन आज इस चमक के नशे के कारण नौनिहालों को खोना पड़ रहा हैं। ऐसे में भांग का केवल औषधीय उपयोग हो इस बात पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। हिमाचल में दवाओं के सेंपल लगातार फैल हो रहे हैं जो कि चिंता का विषय है। सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई कर दोषियों को दंडित करना चाहिए।
शिमला: प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ते (DA) और एरियर का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्ण राज्यत्व दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से बड़ी घोषणा की उम्मीद लगाए बैठे लाखों कर्मचारी और पेंशनर एक बार फिर मायूस हो गए।सरकार की ओर से इस मौके पर कई विकास कार्यों की घोषणाएं की गईं, लेकिन DA-एरियर पर कोई स्पष्ट ऐलान नहीं हुआ। इससे कर्मचारियों और पेंशनरों में निराशा बढ़ गई है। दरअसल, कर्मचारी और पेंशनर लंबे समय से बकाया DA और एरियर की मांग कर रहे हैं। महंगाई के इस दौर में DA का भुगतान उनकी सबसे बड़ी जरूरत बन गया है। सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि सरकार पहले से ही आर्थिक दबाव का सामना कर रही है। हालांकि, उन्होंने कर्मचारियों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया था। उधर, कर्मचारियों और पेंशनरों ने सरकार की खामोशी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर साल घोषणाओं का दौर चलता है, लेकिन उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। अब ऐसे में DA-एरियर पर सरकार का कोई ठोस फैसला कब आएगा, यह तो वक्त ही बताएगा। अब कर्मचारी और पेंशनर्स गणतंत्र दिवस के दिन का इंतजार कर रहे है और उम्मीद लगाए बैठे है कि शायद कल सुक्खू सरकार कोई बड़ी घोषणा कर देंगे।
** प्रदेश के दो विश्वविद्यालय करेंगे भांग की खेती पर रिसर्च हिमाचल प्रदेश में भविष्य में भांग की खेती को कैबिनेट ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। अब इस पर पूरी तरह से अध्ययन किया जाएगा कि कैसे यह खेती की जाएगी। प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ इस पर रिपोर्ट तैयार करेंगे, और उसी के आधार पर सरकार आगे कदम बढ़ाएगी। पहले इसे राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा अध्ययन किया जा रहा था, लेकिन अब कृषि विभाग को इसे लागू करने के लिए नोडल डिपार्टमेंट बना दिया गया है।इससे पहले, विधानसभा के मानसून सत्र में भांग की खेती से संबंधित सिफारिशें विधानसभा कमेटी ने दी थीं। अब, डा.वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी और चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों को भांग की खेती पर पायलट अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया है। इस अध्ययन की सिफारिशों पर कृषि विभाग भांग की खेती को आगे बढ़ाएगा। राज्य सरकार ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी, जिसने इसके प्रारूप को तैयार किया और दूसरे राज्यों में अध्ययन किया। समिति की सिफारिशों के आधार पर, एनडीपीएस अधिनियम 1985 में संशोधन किया जाएगा ताकि औषधीय और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को नियंत्रित वातावरण में वैध किया जा सके।सरकार का दावा है कि भांग की खेती से प्रदेश की आय में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने राज्य कर एवं आबकारी विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों को 100 मोटरसाइकिलें प्रदान करने की मंजूरी दी है ताकि प्रवर्तन और औचक निरीक्षण सुनिश्चित किया जा सके।साथ ही, कुल्लू बस स्टैंड और पीज पैराग्लाइडिंग प्वाइंट के बीच रोप-वे स्थापित करने की मंजूरी भी दी गई है, जिससे क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
** ये स्कूल दो से सात किलोमीटर की दूरी वाले नजदीकी स्कूलों में मर्ज किए जाएंगे **प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया हिमाचल प्रदेश में 10 से कम विद्यार्थियों वाले 316 मिडल स्कूलों को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन स्कूलों में कुल 2,116 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 813 शिक्षक तैनात हैं। ये स्कूल नजदीकी, 2 से 7 किलोमीटर दूर स्थित अन्य स्कूलों में मर्ज किए जाएंगे। कई मिडल स्कूलों में तीन से पांच शिक्षक और तीन-तीन गैर-शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने इस प्रस्ताव को तैयार कर सरकार को भेज दिया है। पिछले वर्ष सरकार ने पांच विद्यार्थियों वाले मिडल स्कूलों को 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूलों में मर्ज किया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, नए शैक्षणिक सत्र से पहले इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। निदेशालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में मर्ज किए जाने वाले स्कूलों की नजदीकी दूरी और इससे जुड़ी समस्याओं का विस्तृत विवरण दिया गया है। शिमला जिले में कम विद्यार्थियों वाले सबसे अधिक मिडल स्कूल हैं, जहां 97 स्कूल हैं। इसके बाद कांगड़ा में 51 स्कूल हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि सरकार के आदेश के अनुसार अंतिम निर्णय लिया जाएगा। लाहौल-स्पीति के केलांग क्षेत्र में एक स्कूल में तीन शिक्षक केवल एक बच्चे को पढ़ा रहे हैं। इसी तरह, उदयपुर, काजा, चंबा, बिलासपुर और कांगड़ा के कुछ स्कूलों में भी कम संख्या में विद्यार्थियों के लिए अधिक संख्या में शिक्षक नियुक्त हैं।
हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व दिवस का राज्य स्तरीय समारोह शुक्रवार को बैजनाथ में आयोजित हुआ। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और मार्च पास्ट की सलामी ली। इस परेड में राज्य पुलिस, जिला पुलिस, आईआरबी सकोह, ट्रैफिक पुलिस, एसएसबी सपड़ी, एनसीसी और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स की टुकड़ियां शामिल हुईं। इसके बाद सीएम ने जनता को संबोधित करते हुए कई अहम घोषणाएं कीं। मुख्यमंत्री ने बैजनाथ में ऐलान किया कि सरकारी क्षेत्र में आने वाले समय में 25 हजार पद भरे जाएंगे। युवाओं को रोजगार से जोडऩा सरकार की प्राथमिकता है और इसी को ध्येय मान सरकार आगे बढ़ रही है। सीएम ने बताया कि अप्रैल से बीपीएल पात्रों के चयन के लिए सर्वे होगा और सत्यापन एसडीएम की जिम्मेदारी होगी। इसके साथ ही, आईजीएमसी शिमला में दो महीने में पेट स्कैन मशीन लगाई जाएगी। धर्मशाला में एक बड़ा कन्वेंशन सेंटर बनेगा और कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार पर 3500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शिमला में 1600 करोड़ की लागत से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे बनेगा।सीएम ने बैजनाथ में विकास कार्यों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जैसे चढ़ियार को तहसील बनाना, पपरोला-बैजनाथ के लिए पुल निर्माण, लोक निर्माण का नया मंडल खोलना, डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना और महल पट्टी में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल बनाना। वहीं, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ते की घोषणा न होने पर उन्हें निराशा हुई। इस अवसर पर मंत्री विक्रमादित्य सिंह, आयुष मंत्री यादवेंद्र गोमा, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और अन्य मंत्री भी कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने बैजनाथ में 70.26 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया, जिनमें एशिया का पहला पैराग्लाइडिंग स्कूल, पार्किंग सुविधाएं, विद्युत सब स्टेशन और नई सड़कें शामिल हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह 27 जनवरी को मध्य प्रदेश के महू जाएंगे। महू से कांग्रेस संविधान बचाओ अभियान की शुरुआत करेगी। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नेता विपक्ष राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल होंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री सुक्खू 26 जनवरी को राजधानी शिमला में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के बाद मध्य प्रदेश के लिए रवाना होंगे। कांग्रेस 27 जनवरी को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली महू में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसमें पार्टी संविधान को बचाने और जागरूकता फैलाने का आह्वान करेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डॉ. आंबेडकर पर दिए गए बयान के विरोध में कांग्रेस देशभर में संविधान बचाओ यात्रा शुरू कर रही है। महू में आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेस कार्यसमिति के सभी सदस्य, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, वरिष्ठ नेता और सांसद शामिल होंगे। इस यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता जनता के बीच जाकर संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के महत्व पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सुक्खू 1 से 3 फरवरी तक दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में भी भाग लेंगे। कांग्रेस इस यात्रा और अभियान के माध्यम से अपने विचारधारा और संविधान की रक्षा के लिए जनता को जागरूक करने का प्रयास कर रही है
हिमाचल प्रदेश में निर्मित 38 दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इनमें मधुमेह, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, पेट की गैस, संक्रमण और विटामिन डी-3 जैसी बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाली दवाएं शामिल हैं। खासतौर पर माइग्रेन की एक दवा, जो केवल सरकारी अस्पतालों में वितरित की जाती है, के दो बैच फेल पाए गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा दिसंबर 2024 में किए गए परीक्षण के बाद सामने आई है। जांच में सामने आए चिंताजनक आंकड़े देशभर में 135 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, जिनमें हिमाचल में बनीं 38 दवाएं शामिल हैं। यह खुलासा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। दवाओं की सप्लाई पर रोक और कार्रवाई शुरू* राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उन कंपनियों को नोटिस जारी कर स्टॉक वापस मंगवाया जा रहा है। साथ ही, दोषी कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रमुख दवाएं जो मानकों पर खरी नहीं उतरीं: 1. डाइवैलप्रोएक्स (बायोडिल फार्मास्युटिकल, नालागढ़) 2. बीटाहिस्टाइन (सीएमजी बायोटेक, कांगड़ा) 3. ओकामैट (सिपला कंपनी, नालागढ़) 4. पेंटाप्राजोल (एडमैड फार्मा, बद्दी) 5. जिंक सल्फेट (ऑर्चिड मेडलाइफ, बद्दी) 6. अमोक्सीसिलिन (वेडएसपी फार्मास्युटिकल, झाड़माजरी) 7. सेफडॉक्साइन (नॉक्स फार्मास्युटिकल, बद्दी) 8. कैल्शियम कार्बोनेट (मेडोफार्मा कंपनी, बद्दी
नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) द्वारा शिमला में आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2025-26 कार्यक्रम में जोगिंद्रा सहकारी बैंक की शालाघाट ब्रांच को "घर-घर किसान क्रेडिट वितरण" के लिए बेस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया।प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर बैंक के चेयरमैन एडवोकेट मुकेश शर्मा ने बताया कि शालाघाट ब्रांच के बैंक मैनेजर ने इस वर्ष क्रेडिट वितरण में विशेष प्रयास किए और घर-घर जाकर अधिक लोगों को ऋण उपलब्ध करवाया, जिसके लिए नाबार्ड ने उन्हें प्रशंसा दी और बेस्ट अवार्ड से सम्मानित किया। कार्यक्रम में नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर डॉ. विवेक पठानिया, डीजीएम आरबीआई पीतांबर अग्रवाल, बैंक के प्रबंध निदेशक पंकज सूद और एजीएम हरीश कुमार भी उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने छात्रों की मांग पर स्नातक डिग्री कोर्स के सेमेस्टर सिस्टम में शैक्षणिक सत्र 2013-2017 के और 2017 के बाद के वार्षिक परीक्षा सिस्टम में पंजीकृत छात्र-छात्राओं को डिग्री पूरी करने और श्रेणी सुधार को दिए गए मौके की परीक्षाएं करवाने की तैयारी कर ली है। विवि सेमेस्टर सिस्टम में पंजीकृत यूजी डिग्री के विद्यार्थियों की ऑड सेमेस्टर की परीक्षाएं फरवरी में करवाएगा। अप्रैल में यूजी के इवन सेमेस्टर और वार्षिक प्रणाली में पंजीकृत यूजी के विद्यार्थियों को दिए गए इस विशेष अवसर की वार्षिक परीक्षाएं होंगी। परीक्षाओं के लिए विवि प्रदेश भर में सिर्फ दो परीक्षा केंद्र स्थापित करेगा। शिमला और धर्मशाला में बनाए जाने वाले इन परीक्षा केंद्रों में ही डिग्री पूरी करने और श्रेणी में सुधार करने के लिए परीक्षा फार्म भरने वाले विद्यार्थी परीक्षा दे सकेंगे। विश्वविद्यालय जल्द फरवरी में शुरू होने वाली 2013 से 2017 बैच तक के विद्यार्थियों के रोलनंबर और डेटशीट जारी करेगा। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. श्याम लाल कौशल ने कहा कि सेमेस्टर सिस्टम के ऑड सेमेस्टर की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों में 2013 से 2017 तक के बैच के कुल 101 विद्यार्थियों ने परीक्षा फार्म भरे हैं। तीसरे सेमेस्टर में 89, पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा के लिए 96 कुल 286 स्नातक डिग्री कोर्स के विद्यार्थियों ने परीक्षा फार्म भरे हैं। अप्रैल में यूजी की रैगुलर बैच की परीक्षाओं के साथ 2013 से 2017 तक के बैच के यूजी छात्रों की इवन सेमेस्टर की परीक्षाएं होंगी, वहीं इसी दौरान विशेष अवसर में परीक्षा फार्म भरने वाले वार्षिक प्रणाली के छात्रों की परीक्षाएं भी संचालित की जाएंगी। इससे एक साथ विवि डिग्री पूरी करने को दिए गए परीक्षा के विशेष अवसर की परीक्षाएं करवाएगा। परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि इवन सेमेस्टर और वार्षिक प्रणाली के कितने छात्र इस अवसर में परीक्षा के लिए फार्म भरेंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्ष 2025 सरकार के लिए प्रदर्शनकारी वर्ष है और सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को राज्य के विकास के लिए सहयोग देना चाहिए। यह बात मुख्यमंत्री सुक्खू ने धर्मशाला में अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कही। उन्होंने कार्यों में देरी की प्रथा समाप्त करने के निर्देश दिए और कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इसे विलंबित भ्रष्टाचार माना जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी योजनाओं के लिए बजट मुहैया करवा रही है और विकास के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने देंगे। उन्होंने हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया और विभागों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कल्याणकारी योजनाएं लाभार्थियों तक पहुंचें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रही है। स्वास्थ्य संस्थानों के लिए आधुनिक उपकरण खरीदने पर 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे कि घर द्वार पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। उन्होंने पठानकोट-मंडी और मटौर शिमला फोरलेन पर पांच मीटर का मध्य क्षेत्र रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बीपीएल परिवारों के लिए चयन मानदंड में बदलाव किया जा रहा है। इसके लिए आय सीमा बढ़ाकर सालाना 1.50 लाख रुपये की गई है और अब एक नया सर्वेक्षण अप्रैल में होगा। मुख्यमंत्री ने किसानों को ड्रैगन फ्रूट और ब्लूबेरी जैसे फलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। साथ ही कांगड़ा में सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने की संभावनाएं तलाशने और हरित पंचायतों के निर्माण में तेजी लाने को कहा। सीएम ने कहा कि देहरा के बनखंडी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्राणी उद्यान का पहला चरण अप्रैल 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के बनाए उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के साथ उनके लिए शहरी क्षेत्रों में बने शॉपिंग कांप्लेक्स में दुकानें आवंटित करने को कहा। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष की आपदा के दौरान राज्य सरकार ने प्रभावितों के लिए 4,500 करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज जारी किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा में पूरी तरह से नष्ट हो चुके 383 घरों के पुनर्वास के लिए दो किस्तें जारी कर दी गई हैं और तीसरी जल्द जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना से कांगड़ा के 995 बच्चे लाभान्वित हुए हैं। जबकि इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के तहत 18 वर्ष से कम आयु के 5,602 और 27 वर्ष तक के 543 लाभार्थियों का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि रक्कड़ और पालमपुर में हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए निविदाएं इसी महीने खोली जाएंगी। राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। कांगड़ा जिले में 8,894 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और उनकी मैपिंग आवश्यक है।
हिमाचल में डाक विभाग अब दुर्गम और बर्फीले इलाकों में ड्रोन से चिट्ठी पहुंचाएगा। केंद्र सरकार के निर्देश पर विभाग ने अपर शिमला में ड्रोन से डाक पहुंचाने का ट्रायल शुरू किया है। उप डाकघर से शाखा डाकघरों तक पांच से दस मिनट में चिट्ठियां पहुंचाई जा रही हैं। जबकि पहले चिट्ठियां यहां तक पहुंचाने में पूरा दिन लग जाता था। ट्रायल सफल रहने के बाद विभाग केंद्र सरकार के निर्देश पर अन्य दुर्गम इलाकों में डाक पहुंचाने के लिए हाइटेक तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है। डाक विभाग उप डाकघर हाटकोटी से सुबह 9 से 12 बजे के बीच शाखा डाकघर नंदपुर, कठासू, अंटी और झड़ग के लिए ड्रोन से डाक भिजवा रहा है। एक समय में सात किलो तक भार उठाने की क्षमता वाला ड्रोन पांच से दस मिनट में सात-आठ किलोमीटर दूर गांवों में डाक छोड़कर लौट रहा है। जिस शाखा में ड्रोन से डाक भेजी जाती है, वहां पर पहले से डाक कर्मी तैनात रहता है। दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन से डाक पहुंचाने का पूरा डाटा ऑनलाइन रखा जा है। ट्रायल के तौर ड्रोन से डाक पहुंचाने की अवधि 24 जनवरी को पूरी हो रही है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ड्रोन ट्रायल के लिए एक निजी कपंनी के साथ समझौता किया गया है। सफल संचालन पर विभाग अन्य दुर्गम और पहाड़ी इलाकों में ड्रोन का उपयोग करेगा। इसका उद्देश्य प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के माध्यम से ड्रोन के जरिये चिट्ठी पहुंचाना है। केंद्र इससे पहले गुजराज और अरुणाचल में भी ट्रायल कर चुका है। ट्रायल पूरा होने के बाद केंद्र सरकार अगला कदम उठाएगी।ड्रोन से डाक ट्रायल के तौर पर कुछ शाखा डाकघरों के लिए भेजी जा रही है। ड्रोन सेवा 12 नवंबर से 24 जनवरी तक चल रही है। निजी कंपनी की सहायता से यह काम किया जा रहा है। अंकुश, प्रभारी उप डाकघर हाटकोटी दुर्गम क्षेत्रों में ड्रोन से डाक भेजने का ट्रायल चल रहा है। यदि ट्रायल सफल रहा तो इस तकनीक को नियमित लागू किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दुर्घटना मामले में एक महत्त्वपूर्ण फैसला दिया है। मामले में छह महीने की देरी के बाद दायर की गई याचिका अब मान्य नहीं होगी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की अदालत ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण चंबा की ओर से पारित 23 जुलाई 2024 के फैसले को निरस्त कर दिया। प्रतिवादियों की ओर से आवेदन देरी से करने को निचली अदालत ने माफ कर दिया था। कंपनी की ओर से निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। बीमा कंपनी ने अदालत को बताया कि मुआवजे के दावे के लिए कोई आवेदन छह महीने के बाद स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर दावा दुर्घटना घटित होने के छह महीने के भीतर नहीं किया जाएगा तो वह धारा 166 (3) के नियमों के खिलाफ है। अदालत को बताया गया कि मोटर वाहन अधिनियम एक पूर्ण एवं आत्मनिर्भर अधिनियम है तथा इसकी धारा 166 (3) के अनुसार याचिका दायर करने में देरी को माफ करने का कोई प्रावधान नहीं है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 में पहले प्रावधान था कि अगर आवेदन में देरी हो जाती थी, तब भी याचिका दायर की जाती थी, लेकिन 2019 में इसमें संशोधन किया गया। वर्ष 2022 से इसे लागू किया गया, जिसके बाद धारा 166 (3) के तहत दावेदार को केवल छह महीने के भीतर आवेदन दायर करना होगा। अगर उसके बाद दायर किया जाएगा तो मान्य नहीं होगा। निचली अदालत ने लिमिटेशन एक्ट की धारा 5 के तहत उत्तरदाताओं की याचिका को स्वीकार कर दिया था। अदालत ने एक जैसी प्रकृति के सभी मामलों का एक साथ निपटारा करते हुए यह आदेश दिए। ये मामले चंबा, सिरमौर, शिमला आदि के थे, जिसमें मृतकों के परिवार वालों ने देरी से याचिका दायर की गई। सभी मामलों में किसी की दुर्घटना अप्रैल, जून और सितंबर 2023 में हुई थी और सभी ने जून 2024 के बाद दावा किया। इनमें से एक मामला चंबा का है, जिसमें मृत व्यक्ति मोटरसाइकिल के पीछे वाली सीट पर बैठा था। हादसा तेज रफ्तार और लापरवाही की वजह से हुआ। बाइक सवार दोनों सतलुज नदी में गिर गए। घटना के छह महीने के बाद दावा किया गया। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय घंडल (शिमला) की ओर से 8 जनवरी को दैनिक वेतन भोगी की नए सिरे से जारी किए गए भर्ती के विज्ञापन पर हिमाचल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की अदालत ने इसके आदेश जारी किए हैं। मामले की सुनवाई अब छह सप्ताह बाद होगी। दरअसल विश्वविद्यालय की ओर से 31 दिसंबर को विभिन्न श्रेणियों के तहत काम कर रहे 43 दैनिक वेतनभोगियों की मौखिक रूप से सेवाएं समाप्त का दी गईं थीं। बिना नोटिस दिए इन्हें निकाला गया। अब 8 जनवरी को विज्ञापन निकालकर यह भर्तियां माली, प्लंबर, स्वीपर, इलेक्ट्रीशियन और ड्राइवर के पदों के लिए निकाली गईं। इसी विज्ञापन पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। इसके खिलाफ कुछ प्रभावितों ने हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने अदालत को बताया कि उनकी 2022 से विश्वविद्यालय में सेवाएं ली जा रही हैं। इनकी सेवाएं वर्ष 2022 के बाद तीन-तीन महीने का सेवा विस्तार देते हुए विधि विश्वविद्यालय ने नियमित के बजाय पूर्ववत दैनिक भोगियों के पदों को भरने का विज्ञापन जारी किया है। अदालत में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि नई अधिसूचना के तहत भर्ती में पहले नियुक्त दैनिक वेतनभोगी भाग ले सकते हैं। वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के स्थान पर दूसरे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को नियुक्त करना वैध है। जो विज्ञापन निकला, वह भी दैनिक वेतनभोगी के रूप में है।
हिमाचल में लोगों के सफर को आसान और आरामदायक बनाने के लिए अब सड़कों पर दौड़ रही खस्ताहाल बसों को हटाया जाएगा। इसके लिए HRTC अब 15 साल से पुरानी खटारा बसों को भी स्क्रैप कर रहा है, जिसको लेकर फील्ड से ऐसी बसों की रिपोर्ट मांगी गई है। नियमों के मुताबिक अभी 15 साल पुरानी बसों को ही स्क्रैप किया जा रहा है, लेकिन HRTC ने सड़कों पर हांफ रही 15 साल से पुरानी खस्ताहाल बसों को हटाने का फैसला लिया है, ताकि इन बसों को स्क्रैप करके इनकी जगह पर नई बसें चलाई जा सके। हिमाचल पथ परिवहन निगम के विभिन्न डिपो में बार बार रिपेयर करने के बाद कई बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं। ऐसे में सड़कों पर हांफ चुकी इन बसों पर बार-बार रिपेयर करने में काफी खर्च होने के साथ समय भी बर्बाद हो रहा है। इसको देखते हुए ऐसी बसों को अब स्क्रैप किया जाएगा। वहीं, एचआरटीसी ने अभी तक 15 साल पुरानी बसों को स्क्रैप कर 5.91 करोड़ कमाए हैं। भारत सरकार के सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जीएसआर 29 (ई) के तहत 16 जनवरी 2023 को पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) के नियमों को लेकर संशोधन को लेकर अधिसूचना जारी थी। इस अधिसूचना के मुताबिक 31 मार्च 2023 तक 15 साल पूरे होने पर सरकारी वाहनों का पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द किया गया है। इसी तरह से सरकारी वाहनों के पंजीकरण के 15 साल पूरे होते ही अब खुद ही पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द समझा जाएगा। ये नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू हो चुके हैं। पहले चरण में एचआरटीसी ने अक्टूबर 2023 में 15 साल आयु पूरी कर चुके 163 वाहनों को नीलाम किया था। इसमें 124 बसें और 26 लाइट व्हीकल शामिल थे। वहीं, एक क्रेन, 5 ट्रक, 6 टेंकर व एक प्रदर्शनी वैन को भी स्क्रैप के लिए नीलाम किया था। इसी तरह से नवंबर 2023 में 46 वाहन, फरवरी 2024 में 16 वाहनों की नीलामी की गई थी, जिससे HRTC को 2.84 करोड़ रुपए की आय हुई है। इसके बाद इसी महीने एचआरटीसी ने आरवीएसएफ के जरिए एमएसटीसी के स्क्रैपिंग पोर्टल पर 15 साल पूरे कर चुके 114 वाहनों को नीलाम किया है, जिसमें 101 बसें, 08 हल्के वाहन, 01 ट्रक, 01 प्रदर्शनी वैन और 03 ऑटो रिक्शा शामिल हैं। इनकी ई.नीलामी आयोजित की गई, जिनमें से 90 वाहनों की बिक्री हो गई है, जिससे एचआरटीसी को 1.55 करोड़ मिलेंगे। अब एचआरटीसी 15 साल से कम उम्र की खस्ताहाल बसों को स्क्रैप में देकर पैसा कमाएगा और इन बसों की रिप्लेसमेंट भी कर दी जाएगी। हिमाचल परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर का कहना है, 15 साल से पहले को खराब हो चुकी बसों को भी स्क्रैप में दिया जाएगा, जिसकी जगह नई बसों को सड़कों पर उतारा जाएगा।
रामपुर: हिमाचल में नए-नए अंदाज में शातिर ठगी को अंजाम दे रहे हैं और लोगों से लाखों करोड़ों रुपयों का फ्रॉड कर रहे हैं। ऐसा ही ठगी का एक मामला शिमला जिले के रामपुर उपमंडल से सामने आया। जहां शातिरों ने फिल्मी स्टाइल में ठगी को अंजाम दिया और लोगों के करीब 3 करोड़ रुपए हड़प गए। पीड़ितों ने पुलिस में फ्रॉड को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। डीएसपी रामपुर नरेश कुमार ने बताया कि 'वन टच ट्रेंडिंग सॉल्यूशन' नामक कंपनी ने लोगों को पैसे डबल करने का लालच दिया और करीब 3 करोड़ रुपए की ठगी की। इस कंपनी को रामपुर निवासी मधुबाला और निरमंड निवासी रूपराम शुक्ला चला रहे थे। इन्होंने कई लोगों को इस कंपनी में पैसे निवेश करने के लिए कहा। लोगों ने भी पैसा डबल करवाने के चक्कर में इस कंपनी में पैसा निवेश कर दिया। इसके बाद जब काफी समय बाद भी लोगों को अपनी मेहनत का पैसा वापस नहीं मिला तो लोग इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस ने इन दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस को दी शिकायत में पीड़ित प्रभात, नरेश चंदेल, पंकज ठाकुर, देवेंद्र सिंह, रीना नेगी, वसीम खान, लीला पाकला, कुंदन मोई, बबीता धीमान, रंजनी बंसल और राजेश ने बताया कि उन्हें अलग-अलग ढंग से आरोपियों ने अपने जाल में फंसाया और कंपनी में निवेश करवाया। प्रभात और लीला पाकला ने बताया कि मधुबाला और रूपराम शुक्ला काफी पहले से ये पैसों को डबल करने का खेल खेल रहे हैं। इतना ही नहीं, जिस व्यक्ति का पैसा इस कंपनी में फंसा है, उसके जरिए अन्य लोगों से भी पैसे लिए हैं और उन्हें ये बोला गया कि वे पूरे पैसे चुकता कर देंगे, लेकिन अब दोनों ही इन सभी में से किसी के भी संपर्क में नहीं है। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि शातिरों द्वारा जाल फेंक कर उन्हें फंसाया गया। इस मामले में संलिप्त महिला ने बताया कि आरोपियों ने बहला फुसलाकर ऐसी महिलाओं को भी अपने जाल में फंसाया है, जिन्होंने उनके बहकावे में आकर अपनी उम्र भर की कमाई इसमें लगा दी है। डीएसपी रामपुर नरेश कुमार ने बताया, पैसा डबल करने के चक्कर में ठगी के मामले सामने आए हैं। पुलिस ने इन दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 406 और 506 के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस मामले की हर एंगल से जांच कर रही है।
पुलिस भर्ती: ग्राउंड टेस्ट के लिए मंडी, बिलासपुर, कुल्लू, हमीरपुर व लाहौल के युवा जान लें ये शेड्यूल
शिमला: आखिरकार हिमाचल में पुलिस भर्ती के ग्राउंड टेस्ट से जुड़ी अहम सूचना आ ही गई। पांच जिलों के युवाओं के लिए शेड्यूल तैयार हो गया ह। युवाओं के लिए ग्राउंड टेस्ट की तारीख व स्थान जारी कर दिया गया है। सेंट्रल रेंज मंडी की डीआईजी सौम्या सांबशिवन की तरफ से जारी किए गए शेड्यूल के अनुसार फरवरी महीने की छह तारीख से ग्राउंड टेस्ट आरंभ होंगें। उल्लेखनीय है कि इस बार हिमाचल प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल की भर्ती नशे के खिलाफ कमांडो फोर्स के तौर पर हो रही है। कुल 1088 पद भरे जाने हैं. इसमें से पुरुष वर्ग में 708 पद व महिला वर्ग में 380 पदों की भर्ती होगी. लोक सेवा आयोग ने आवेदकों की फाइनल लिस्ट राज्य पुलिस को भेज दी थी। उसके बाद अब पांच जिलों के युवाओं के लिए ग्राउंड टेस्ट का शेड्यूल जारी किया गया है। सेंट्रल रेंज मंडी की डीआईजी ने ये शेड्यूल जारी किया है। डीआईजी सेंट्रल रेंज मंडी की तरफ से जारी किए गए शेड्यूल के अनुसार मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू व लाहौल स्पीति जिले का ग्राउंड टेस्ट निम्न तारीखों को होगा। 6 फरवरी से 12 मार्च के बीच ग्राउंड टेस्ट होगा। शेड्यूल के अनुसार हर रोज करीब 2 हजार युवक व युवतियों का ग्राउंड टेस्ट होगा। मंडी जिले के लिए पुलिस कांस्टेबल भर्ती का ग्राउंड टेस्ट पंडोह में थर्ड आईआरबी में होगा। ये टेस्ट मंडी जिले के लिए 6 फरवरी से 16 फरवरी तक चलेगा। अगले दिन यानी 17 फरवरी को परिणाम आएगा। बिलासपुर के लुहणू मैदान में बिलासपुर जिले के लिए ग्राउंड टेस्ट 20 से 24 फरवरी के दरम्यान होगा। यहां का परिणाम भी अगले दिन यानी 25 फरवरी को घोषित किया जाएगा। हमीरपुर जिले के लिए ग्राउंड टेस्ट अणु में होगा। ये ग्राउंड टेस्ट 28 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगा। कुल्लू जिले का टेस्ट पुलिस लाइन कुल्लू में आयोजित किया जाएगा। ये टेस्ट 7 मार्च से 11 मार्च तक होगा। लाहौल-स्पीति जिले के आवेदकों का ग्राउंड टेस्ट भी कुल्लू में ही होगा। ये टेस्ट भी पुलिस लाइन कुल्लू में आयोजित किया जाएगा। इसकी तारीख 12 मार्च रहेगी। उल्लेखनीय है कि इस बार ग्राउंड टेस्ट में 100 मीटर की दौड़ भी शामिल की गई है। साथ ही युवाओं का डोप टेस्ट भी होगी। चूंकि ये भर्ती नशे के खिलाफ कमांडो फोर्स के रूप में हो रही है, लिहाजा ये सुनिश्चित किया जाएगा कि भर्ती होने वाले युवाओं को किसी तरह के नशे की लत न हो। ग्राउंड टेस्ट के बाद रिटन एग्जाम होगा। लोक सेवा आयोग के चेयरमैन कैप्टन रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है। आवेदकों की लिस्ट समय पर पुलिस विभाग को दे दी गई थी। अब ग्राउंड टेस्ट पुलिस अपने स्तर पर करवाएगी।
हिमाचल के डिपुओं में पिछले कई महीनों सरसों का तेल गायब है। इसका सीधा असर प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों की रसोई पर पड़ रहा है। छोटे पहाड़ी राज्य में सरसों का तेल काफी पसंद किया जाता है। इसलिए हर रसोई में तड़के के लिए अधिकतर सरसों का तेल प्रयोग होता है। ऐसे में रसोई पर महंगाई की मार न पड़े, इसके लिए प्रदेश सरकार राशन कार्ड धारकों को बाजार से सस्ते रेट पर सरसों का तेल उपलब्ध करा रही है, लेकिन तीन महीनों से उपभोक्ताओं को डिपुओं में अपना पसंदीदा तेल नहीं मिल रहा है। जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है। नए साल का जनवरी महीना बीतने को आ रहा है, लेकिन डिपुओं में अभी तक सरसों के तेल की खेप नहीं पहुंची है। इस महीने डिपुओं में सस्ते राशन के नाम पर उपभोक्ताओं को आटा, चावल, तीन दालें, चीनी और नमक मिल रहा है। वहीं, तीसरे महीने भी डिपुओं में सरसों तेल उपलब्ध न होने से लाखों परिवार अब बाजार से महंगे रेट पर खाद्य तेल खरीदने को मजबूर हैं। हिमाचल प्रदेश में उपभोक्ताओं को डिपुओं में पिछले साल नवंबर महीने से सरसों के तेल का कोटा नहीं मिल रहा है। ऐसे उपभोक्ताओं को जनवरी महीने में तीन महीने के तेल का कोटा एक साथ मिलने की उम्मीद थी, जिसके लिए 4 जनवरी को तेल का टेंडर भी खुल गया था, जिसके बाद तेल का रेट अप्रूव करने का मामला सरकार को भेजा गया है, लेकिन अभी तक सरकार ने रेट अप्रूवल को लेकर अपनी मंजूरी नहीं दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इन दिनों लोअर हिमाचल के प्रवास पर हैं। उनका 26 जनवरी तक शिमला लौटने का कार्यक्रम है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री के लौटने के बाद ही तेल के रेट के अप्रूवल को लेकर फैसला लिया जा सकता है। वहीं, अगर सरकार रेट को अप्रूव भी करती है तो हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के होल सेल गोदामों में तेल की सप्लाई पहुंचने में 8 से 10 दिनों का समय लग सकता है। ऐसे में अब उपभोक्ताओं को फरवरी में ही सरसों के तेल का कोटा मिलने की संभावना है।
शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इंजेक्शन न मिलने से अपनी जान गवाने वाले स्व.देवराज के परिजनों की आर्थिक मदद करें। उन्होंने कहा कि परिवार में मृतक देवराज शर्मा ही इकलौते कमाने वाले थे। पूरा परिवार उन्ही पर आश्रित था, वह भी लंबे समय से बीमार थे ऐसे में उनके परिवार क स्थिति समझी जा सकती है। उनके दोनों बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं और पत्नी का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और सरकार को परिवार की आर्थिक तौर पर मदद करनी चाहिए, जिससे उनकी मदद हो सके। जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आग्रह किया कि इस मामले में वह मानवता के दृष्टि से देखे और परिवार की यथा संभव मदद करें।
शिमला: चौपाल में एक पांच साल की मासूम बच्ची पर तेंदुए द्वारा हमला करने का मामला सामने आया है। यह घटना सोमवार शाम 7 बजे पेश आई। बच्ची अपने घर से बाहर निकली और घात लगाए तेंदुए ने बच्ची पर हमला कर दिया। जंगली जानवर के इस हमले में मासूम बच्ची की पीठ और कंधे पर गंभीर चोटें आई हैं। जैसे ही तेंदुए ने हमला किया तो मौके पर मौजूद लड़की की मां ने मदद के लिए चीख-पुकार मचाना शुरू कर दिया जिसके बाद तेंदुए नेकुछ दूरी पर बच्ची को छोड़ दिया। लोगों के शोर मचाने पर तेंदुआ मौके से भाग गया। घटना के बाद परिजन तुरंत एंबुलेंस के जरिए बच्ची को सिविल अस्पताल नेरवा ले गए, जहां बच्ची का इलाज चल रहा है। बच्ची की पहचान हो गई है जो नेपाल की बताई जा रही है। प्रकाश नाम का शख्स अपने परिवार के साथ शिमला के चौपाल में रहता हैं। प्रकाश की पांच साल की बेटी अनुषा पर तेंदुए ने हमला किया है। नेपाल का यह परिवार चौपाल में डेरा लगाकर रहता था। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। लोगों ने वन विभाग से तेंदुए को पकड़ने की मांग की है। वन विभाग को मामले की सूचना दे दी गई है। वन विभाग के अधिकारी ने जानकारी दी है कि विभाग जल्द ही तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाएगा।
हिमाचल में पंचायत चुनाव की आहट के साथ ही पंचायतों का पुनर्सीमांकन शुरू हो गया है। राज्य सरकार ने कई पंचायतों के क्षेत्रों को नगर निकायों और परिषदों में मिलाने का काम शुरू कर दिया है। क्षेत्रों को निकायों में शामिल किए जाने से जहां पंचायतों का दायरा घटेगा, वहीं नई घोषित निकायों का दायरा बढ़ेगा। सरकार का मानना है कि हिमाचल में नई पंचायतों का भी गठन भी किया जाना है। इसको लेकर प्रस्ताव मांगे गए हैं। अब तक सरकार के पास 600 आवेदन आ चुके हैं। राज्य सरकार ने नगर निकायों में पंचायत के क्षेत्रों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुछेक क्षेत्रों के लिए जनता से आपत्ति और सुझाव भी मांगे गए हैं। कइयों की अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। हालांकि पंचायतों के क्षेत्रों को निकायों में शामिल किए जाने का विरोध भी हो रहा है। इसमें तर्क दिया जा रहा है कि अगर परिषद और निकायों में पंचायतों के क्षेत्रों को शामिल किया जाता है तो लोगों को हाउस समेत अन्य तरह के टैक्स देने पड़ेंगे। ऐसे में लोग पंचायतों में ही रहने की मांग कर रहे हैं। नगर परिषद पांवटा साहिब में ग्राम पंचायत बदरीपुर, नगर पंचायत कुनिहार में कुनिहार, हाटकोट और कोठी, नगर पंचायत शिलाई में ग्राम पंचायत शिलाई व बेला, नगर परिषद हमीरपुर में भरनांग, सराहकड़, अणु, बजूरी, बल्ह, बरोहा, बस्सी - झनियारा, बहोनी, दडूही, धलोट, डुग्गा, ख्याह लोहाखरियां, मतिटिहिरा और सासन पंचायत के क्षेत्र शामिल हैं। नगर पंचायत सुन्नी में घरियाणा, जूणी और शकरोड़ी को शामिल किया गया है। वर्तमान हिमाचल में 3615 पंचायतें हैं। इससे पहले दिसंबर में पंचायतों के नुमाइंदों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इसी साल कभी भी पंचायतों को चुनाव हो सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अपने संबद्ध निजी और सरकारी बीएड संस्थानों से बीएड का प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षुओं को अपने ही परिसर में परीक्षा देने की सुविधा देगा। फरवरी से शुरू हो रही बीएड की परीक्षाओं में यह नई व्यवस्था शुरू की जा जाएगी। निजी बीएड कॉलेजों को अपने परिसर में परीक्षा केंद्र बनाने के लिए 50 हजार की फीस के साथ 27 जनवरी तक आवेदन करना होगा। विवि की इस नई व्यवस्था से इन 57 कॉलेजों से प्रशिक्षण ले रहे नए पुराने करीब 16 हजार प्रशिक्षुओं को राहत मिलेगी। लंबे समय से निजी कॉलेज और उनमें पढ़ने वाले प्रशिक्षु अपने परिसर में ही परीक्षा केंद्र बनाए जाने की मांग कर रहे थे। प्रशिक्षुओं का कहना था कि वे इतनी भारी भरकम फीस चुकाते हैं, बावजूद उन्हें अपनी परीक्षा देने के लिए अन्य कॉलेजों में जाना पड़ता है। इससे उन्हें परेशानी होती है। कॉलेजों और उनसे बीएड प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षुओं की इस समस्या का विवि ने स्थायी समाधान कर दिया है। इस फैसले से विवि की भी परेशानी दूर हो गई है। विवि को राजधानी शिमला, कांगड़ा सहित अन्य जिलों के डिग्री कॉलेजों में परीक्षा केंद्र स्थापित करने में परेशानी पेश आती थी, कॉलेज इसकी अनुमति नहीं देते थे। अब निजी कॉलेजों में केंद्र बनाने में विवि कोई परेशानी नहीं आएगी। कॉलेजों को केंद्र बनाने के लिए अलग से दोगुनी फीस भी चुकानी होगी। अब तक विवि निजी कॉलेजों से 25 हजार फीस लेता था, जिसे विवि ने दोगुना कर दिया है। परिसर में परीक्षा केंद्र बनाए जाने की एवज में प्रशिक्षुओं से विवि कोई अलग से फीस नहीं लेगा, फीस को कॉलेजों को ही चुकाना होगा। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. श्याम लाल कौशल ने कहा कि प्रदेश भर में विवि से संबद्ध 57 बीएड कॉलेजों और उनमें पढ़ने वाले 16 हजार से अधिक परीक्षा देने वाले प्रशिक्षुओं को सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि फरवरी से शुरू होने बीएड की परीक्षाओं के लिए अब तक 50 फीसदी कॉलेजों ने परीक्षा केंद्र बनाने के लिए मांगी गई फीस भी चुका दी है, 27 तक अन्य कॉलेजों को समय दिया गया है। उन्होंने कहा कि निजी कॉलेजों में परीक्षा केंद्र स्थापित किए जाने पर परीक्षाएं विवि की सीधे निगरानी में की जाएंगी। इसके लिए अलग से स्टाफ मॉनिटर करने को लगाया जाएगा और उड़नदस्ते भी हर केंद्र पर नजर रखेंगे।
शिमला, सोलन और कांगड़ा में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित होंगे। केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में पीपीपी मोड पर यह केंद्र स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक केंद्र में सालाना दो हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ) के अवर सचिव मृत्युंजय कुमार की ओर से इसे लेकर प्रदेश सरकार को पत्र भेजा गया है। देश में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने का निर्णय लिया है।15 वें वित्त आयोग के अधीन ड्राइविंग प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईडीटीआरएस) क्षेत्रीय ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (आरडीटीसी) और ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (डीटीसी) की स्थापना के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यार्थियों को प्रमाणपत्र जारी करेंगे। जिनके पास ड्राइविंग सेंटरों से पास होने का प्रमाणपत्र होगा, उन्हें क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों पर रिफ्रेशर कोर्स भी करवाए जाएंगे। केंद्र व राज्यों में सरकारी वाहनों के ड्राइवरों के लिए इन केंद्रों से प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र लेना भी अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव है। प्रदेश में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने की प्रक्रिया चल रही है। इन केंद्रों पर प्रशिक्षण लेने वालों को प्रमाण पत्र मिलेंगे और उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय ड्राइविंग टेस्ट नहीं देना पड़ेगा। तीनों जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के लिए जल्द ही स्थान चयनित कर लिए जाएंगे।
कर्मचारियों से जुड़े संशोधन विधेयक पर अब राजभवन फैसला लेगा। सोमवार को हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक राजभवन पहुंचा। सरकारी कर्मचारियों से जुड़े संशोधन विधेयक पर अब राजभवन फैसला लेगा। सोमवार को हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक राजभवन पहुंचा। सरकार ने इसे विधानसभा के शीत सत्र में पारित करवाया था। इस विधेयक के लागू होने के बाद प्रदेश में कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल का वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा। जब यह कानून के रूप में लागू होगा तो साल 2003 से यह व्यवस्था लागू होगी। इस विधेयक को लाने के पीछे एक प्रमुख चिंता राज्य पर पड़ने वाला संभावित वित्तीय बोझ है। अनुबंध सेवाकाल का लाभ देने से कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त संसाधनों का भारी आवंटन करना पड़ेगा, बल्कि पिछले 21 वर्षों से अधिक समय से वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना होगा। नए प्रावधान से कानून बनने के बाद कर्मचारियों को ज्वाइनिंग की तारीख से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे। कर्मचारियों की वरिष्ठता उनके नियमित होने के बाद तय की जाएगी। अनुबंध सेवाकाल को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा।
शिमला: बीते 24 घंटों के दौरान राज्य में अलग-अलग स्थानों पर हल्की बारिश और बर्फबारी देखी गई। बीते 24 घंटों के दौरान राज्य के कई क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। 21 जनवरी को राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में और आसपास के माध्यम पहाड़ी क्षेत्रों में कुछ स्थानों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने 23 जनवरी तक प्रदेश में मौसम खराब रहने की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने 23 जनवरी को प्रदेश के कुछ स्थानों पर शीत दिवस को लेकर अलर्ट जारी किया है। इस दौरान लोगों से सावधानी बरतने की अपील की गई है। मौसम विभाग ने शीत दिवस को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। 22 और 23 जनवरी को पूरे प्रदेश में मौसम खराब रहने की संभावना जताई गई है। इस दौरान प्रदेश के निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और मध्यम व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने 24 जनवरी से मौसम साफ रहने की संभावना जताई है। इस दौरान पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा। 24 से 26 जनवरी तक प्रदेश में मौसम शुष्क रहेगा।