राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज प्रयागराज में महाकुम्भ-2025 के दौरान आयोजित ‘भारत की गौरवशाली गाथा-आत्म-संदेह की बेड़ियों को तोड़ते हुए’ विषय पर आयोजित व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए कहा कि कुम्भ परंपरा भारतीय सनातन संस्कृति का हृदय है। यह न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक समृद्धि का भी स्रोत है। उन्होंने कहा कि कुम्भ का मंच भारतीय सभ्यता की अलौकिक महिमा को पहचानने और उसे भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का माध्यम भी है। शुक्ल ने कहा कि कुम्भ केवल नदियों का संगम नहीं, बल्कि विचारों और संस्कृति का भी संगम है। यह भारत के इतिहास की अपार समृद्धि का भी प्रतीक है। हमारी प्रचीन परंपराएं और मूल्य आज भी दुनिया के लिए प्रेरणा है जिससे भारत को वैश्विक पटल पर एक विशेष और शक्तिशाली पहचान मिली है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति धर्म (धार्मिकता), अर्थ (आर्थिक समृद्धि), काम (सुख की प्राप्ति) और मोक्ष (मुक्ति) के समन्वित प्रयासों पर आधारित है। राज्यपाल ने कहा कि पूरे विश्व को वसुदेव कुटम्बकम का दर्शन देने वाले देश में आत्म संशय की प्रवृत्ति पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में उपनिवेशिक शक्तियों ने न केवल हमारे संसाधनों का दोहन किया बल्कि हमारी पहचान और विचारों को कमजोर करने का भी प्रयास किया। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद की मानसिकता का प्रभाव अभी भी हमारे व्यवहार और सोच में दिखाई देता है। राज्यपाल ने कहा कि आत्म संशय प्रगति की दिशा में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी संस्कृति की भव्यता, विरासत पर गर्व करने और आत्म गौरव की भावना को पुनः जागृत करने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि देशवासियों के आत्म सम्मान और आत्म गौरव के जागृत होने से भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा। व्याख्यान श्रृंगला के अन्त में राज्यपाल ने भारत के समृद्ध धरोहर के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।
** पहले प्रशासन ने इंजेक्शन नहीं दिया बाद में परिजनों पर ही घटिया आरोप लगाना अमानवीयता ऐसा व्यवस्था परिवर्तन नहीं चाहिए जो मृत्यु के तीन दिन बाद दे इंजेक्शन शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इंजेक्शन न मिलने से हुईं देवराज शर्मा की मौत मामले में जिन भी अधिकारियों ने घटिया साजिश रचकर पीड़ित परिवार पर उंगली उठाई और उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया, उनके खिलाफ मुख्यमंत्री सख्त से सख्त कार्रवाई करें। ऐसे लोग असंवेदनहीनता की हद पार कर चुके हैं और इस लायक नहीं हैं कि ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर रहें। ऐसे लोग अपनी साख बचाने के लिए अपने पिता को खो चुके बच्चों के साथ अपराधिक साजिश रच रहे हैं। अपने मातहतों से झूठ बुलवाकर एक ऐसे परिवार को बदनाम कर रहे हैं जिसने सरकार और उन अधिकारियों की नाकामी के चलते एक महीनें पहले अपने परिवार का अभिभावक खो दिया है। समय पर दवा न देकर सरकार ने एक घोर पाप किया ही था लेकिन परिजनों पर उंगली उठाकर सरकार ने और भी जघन्य काम किया है। पीड़ित परिवार का पक्ष सरकार ने भी अखबारों में पढ़ लिया है, इलेक्ट्रॉनिक युग में किसी भी तथ्य को आसानी से बदला नहीं जा सकता है। सरकार अगर चाहेगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ऐसे में न्याय का तकाजा यही है कि इस मामले की निष्पक्षता से जांच हो और पीड़ित परिवार के खिलाफ साजिश करने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई हो। अगर इस मामले की जांच में मुख्यमंत्री ने तत्परता नहीं दिखाई तो प्रदेश के लोगों के सवालों के घेरे में वह खुद भी आएंगे। सरकार जो इस बात का एहसान जाता रही है कि उन्होंने मरीज को एक लाख 79 हजार रुपए का इलाज करवाया तो यह सरकार ने कोई एहसान नहीं किया। उस परिवार ने हिम केयर का प्रीमियम भरा था और उस प्रीमियम के बदले हिमाचल प्रदेश सरकार ने उससे एक साल की समयावधि में पूरे परिवार को पांच लाख के निःशुल्क इलाज की गारंटी दी थी। यह एक 'स्टेट' की उसके नागरिक को दी गई गारंटी है। दुःख इस बात का है कि सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार की गारंटी को कांग्रेस की झूठी गारंटियों की तरह समझ लिया है। सरकार स्व देवराज शर्मा के एक लाख 79 हजार की दुहाई देने के बजाय 3 लाख 21 हजार की लिमिट होने के बाद भी इंजेक्शन न देने के लिए शर्म करे। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार इस पूरे प्रकरण को आंख खोलने और आईना दिखाने वाली घटना की तरह लेती। जिससे इस तरह की घटना को रोकने की दिशा में प्रयास किए जा सकते लेकिन सरकार ने इसे अपनी साख का सवाल बनाया और अपनी झूठी शान को बचाने के लिए परिवार पर आरोप मढ़ दिए। जिस भावना के साथ मृतक के परिजनों ने इस मुद्दे को उठाया था सरकार को उनका सम्मान करना चाहिए था। मृतक परिवार से माफी मांगकर आगे से ऐसी स्थिति न आने देने की व्यवस्था करके सरकार इसका प्रायश्चित कर सकती थी। यह कोई इकलौता और आखिरी मामला नहीं है। आईजीएमसी तक में भी यह हर दिन की बात हो गई है। कभी दवा नहीं मिलती तो कभी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। इस घटना के बाद न जाने कितने लोगों ने सोशल मीडिया पर कमेंट्स और संदेश भेजकर अपनी पीड़ा हमें बताई कि उन्हें किस तरह से इलाज और दवाएं नहीं मिल।रही हैं। प्रदेश की बर्बाद हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था अब प्रदेश के लाखों लोगों का भुगता हुआ यथार्थ है। इसे सरकार के चंद अधिकारी अपनी साजिशों से मिटा नहीं सकते हैं, उल्टा खुद भी बेनकाब होंगे। जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसे व्यवस्था परिवर्तन को सरकार अपने पास रखें जो किसी मरीज को महीनों तक इंजेक्शन के लिए इंतजार करवाए और जब उसकी मृत्यु हो जाए तो उसके तीन दिन बाद इंजेक्शन लगवाने के लिए बुलाए। इंजेक्शन महंगा था और बाहर से आता है यह तर्क भी सरकार की बेशर्मी के और निम्न स्तर पर जाने की बानगी है। इंजेक्शन क्या विदेश से आते हैं? इंजेक्शन चंडीगढ़ से ही तो आता है जो शिमला से मात्र तीन घंटे की दूरी पर हैं। सवाल चुनौतियों का नहीं सरकार की नीयत का है। इंजेक्शन न उपलब्ध करवाने की सच्चाई स्वीकारने में सरकार को क्या कठिनाई थी लेकिन सरकार ने मृतक के परिवार पर ही इंजेक्शन न ले जाने का आरोप मढ़ना आसान समझा।
**बोले, 31 मार्च तक सहायता राशि जारी नहीं हुई तो होगा बड़ा आंदोलन ** 2 साल से 1 लाख कामगारों की 500 करोड़ की राशि लंबित.. हिमाचल प्रदेश भवन सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन ने शिमला में कामगार बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव का घेराव कर 31 मार्च से पहले लंबित वित्तीय सहायता जारी करने की मांग की। यूनियन के सदस्य, सीटू के बैनर तले, परिमहल में कामगार बोर्ड के साथ बैठक से पहले धरना प्रदर्शन कर रहे थे। राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले दो सालों से कांग्रेस सरकार ने मजदूरों की वित्तीय सहायता रोक रखी है, जिसमें लगभग एक लाख कामगारों की करीब 500 करोड़ रुपए की राशि लंबित है। इसमें बच्चों की छात्रवृत्ति, शादी का पैसा, बीमारी और मृत्यु सहायता शामिल है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 31 मार्च तक राशि जारी नहीं हुई, तो मजदूर बड़ा आंदोलन करेंगे।
हिमाचल में अवैध खनन रोकने के लिए उद्योग विभाग उड़न दस्तों का गठन करेगा। अवैध खनन करने वालों पर कार्रवाई के लिए फ्लाइंग स्क्वायड को गाड़ियां उपलब्ध करवाई जाएंगी। प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में फ्लाइंग स्क्वायड दिन-रात निगरानी करेंगे। अवैध खनन को रोकने के लिए सहायक खनन अधिकारियों की भी तैनाती की जा रही है। उद्योग विभाग के खनन विंग के अधिकारियों के अलावा होमगार्ड के जवान फ्लाइंग स्क्वायड में शामिल होंगे। सरकार ने जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को भी अवैध खनन में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। खनन विभाग को हर जिले में अवैध खनन रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने, विशेषकर सीमांत जिलों में अवैध खनन गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है। खनन विभाग के अधिकारियों को विधानसभा क्षेत्रवार जेसीबी मशीनों और उनके ऑपरेटरों की संख्या का ब्यौरा जुटाने के भी निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए फ्लाइंग स्कवायर्ड गठित करने का फैसला लिया गया है। फ्लाइंग स्कवायर्ड को गाड़ियां भी उपलब्ध करवाई जाएगी। विशेषकर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में दिन-रात निगरानी की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की धामी-सुन्नी सड़क पर एक ट्रक अनियंत्रित होकर सैंज खड्ड में गिर गया। हादसे में दो सगे भाइयों की मौत हो गई है। हादसा रविवार रात करीब 1:00 बजे का बताया जा रहा है। मृतकों की पहचान ट्रक चालक दिनेश कुमार पुत्र बाबूराम गांव ठेरा डाकघर अर्की और इसका बड़ा भाई विनोद कुमार के रूप में हुई है। दोनों सीमेंट की सप्लाई लेकर रामपुर की ओर जा रहे थे। बताया जा रहा है कि रात को किसी को हादसे की सूचना नहीं मिली। सुबह के समय लोगों ने इस बारे में सुन्नी पुलिस को सूचित किया। इसके बाद पुलिस की टीम मौके पहुंची। दोनों को खड्ड से निकालकर सुन्नी अस्पताल ले जाया गया लेकिन यहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने परिजनों को इस बारे में सूचित कर दिया है। हादसे के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस की ओर से आगामी कार्रवाई की जा रही है।
जो सही में गरीब हैं, उन्हें ही प्रदेश सरकार 300 यूनिट निशुल्क बिजली देगी। साधन संपन्न लोगों के बिजली बिल का पैसा गरीब परिवारों के उत्थान और प्रदेश के विकास पर खर्च होगा। व्यवस्था परिवर्तन के दौर से गुजरते समय समाज की भलाई के लिए कड़वे फैसले भी लेने पड़ते हैं, जिसका स्वाद बाद में मीठा होता है। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को जवाली विधानसभा क्षेत्र के एक दिवसीय प्रवास के दौरान यहां आयोजित जनसभा में कही। सुक्खू ने कहा कि मैंने स्वयं बिजली सब्सिडी छोड़ दी है। उन्होंने आह्वान किया है कि जो संपन्न परिवार हैं, वे भी सब्सिडी छोड़ें। पूर्व सरकार ने सत्ता पर काबिज रहने के लिए मुफ्त में रेबड़ियां बांट दी थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पानी पीने के लिए 100 रुपये देने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इस पैसे को सरकार जलशक्ति विभाग के पानी के टैंकों और पाइपों की सफाई पर खर्च करेगी, ताकि आपको स्वच्छ पानी मिले। उन्होंने कहा कि हिमाचल को 2027 तक आत्मनिर्भर और देश का समृद्ध राज्य बनेगा। गांव के लोगों के हाथ में पैसा कैसे पहुंचे, इस पर कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार के साथ चर्चा चल रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए योजना बजट में लेकर आएंगे। सीएम ने कहा कि प्रदेश में पात्र परिवारों को योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिए बीपीएल परिवारों का 1 अप्रैल 2025 से सर्वे की प्रक्रिया शुरू होगी। बीडीओ और एसडीएम उसका सत्यापन करके देंगे।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू रविवार सुबह पौंग जलाशय में स्थित बाथू की लड़ी पहुंचे। यहां उन्होंने पुरातन मंदिरों का निरीक्षण किया और जलाशय में मौजूद प्रवासी पक्षियों को निहारा। मुख्यमंत्री ने जलाशय में नौका विहार भी किया। इस दौरान कृषि मंत्री चंद्र कुमार, आयुष मंत्री यादविंदर गोमा, विधायक मलेंद्र राजन, डीसी हेमराज बैरवा मौजूद रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि साइबेरिया और मंगोलिया से प्रवासी पक्षी पौंग डैम में आते हैं, जो देश भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने वन विभाग को इन पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। पर्यटकों की सुविधा के लिए दो नावें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं और आगंतुकों की सुविधा के लिए जल्द ही दो और स्पीड बोट जोड़ी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की पहल से इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है, पिछले वर्ष लगभग 30 हजार पर्यटक इस क्षेत्र में आए थे। उन्होंने कहा, "पौंग डैम बैराज के निकट क्षेत्रीय जल केंद्र में जल क्रीड़ा गतिविधियों को शुरू करने के प्रयास चल रहे हैं, जिससे क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जवाली विधानसभा क्षेत्र के बासा में पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने और शैक्षिक संसाधन प्रदान करने के लिए 3.20 करोड़ रुपये की लागत से वन्यजीव व्याख्या केंद्र स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र का उद्देश्य संरक्षण के महत्व और इन पक्षियों के उल्लेखनीय प्रवासी पैटर्न के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने कहा, "केंद्र में ठहरने और छात्रावास की व्यवस्था है, जहां कॉलेज और स्कूलों के छात्र रह सकते हैं और पौंग की समृद्ध जैव विविधता के बारे में जान सकते हैं। यह अनूठा अवसर युवा दिमागों को प्रकृति से जुड़ने, संरक्षण के महत्व के बारे में जानने और प्राकृतिक दुनिया के प्रति गहरी सराहना विकसित करने में सक्षम बनाएगा। हम पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और छात्रों को पौंग के पक्षी पक्षियों की सुंदरता और आश्चर्य का अनुभव करने के लिए क्षेत्र का दौरा करने के लिए आमंत्रित करते हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस साल पौंग डैम आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। दिसंबर 2024 तक 92,885 प्रवासी पक्षियों की संख्या दर्ज की गई है और सीजन के अंत तक यह संख्या एक लाख को पार करने की उम्मीद है। इसकी तुलना में पिछले साल अक्टूबर से जनवरी तक पूरे सीजन के दौरान 85,000 पक्षी बांध पर आए थे। उन्होंने कहा कि औसतन हर साल पौंग डैम में प्रवासी पक्षियों की 100 प्रजातियां आती हैं। इस सीजन में 85 प्रजातियां देखी जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू रविवार को ही कांगड़ा जिले के नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे। यहां उन्होंने एफएसएल की नूरपुर इकाई के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया। साथ ही नूरपुर में करोड़ों रुपये की विकासात्मक परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने इसके बाद नूरपुर में अपार जनसमूह को संबोधित करते हुए करोड़ों रुपये की सौगात विधानसभा क्षेत्र के लोगों को दीं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू रविवार सुबह पौंग जलाशय में स्थित बाथू की लड़ी पहुंचे। यहां उन्होंने पुरातन मंदिरों का निरीक्षण किया और जलाशय में मौजूद प्रवासी पक्षियों को निहारा। मुख्यमंत्री ने जलाशय में नौका विहार भी किया। इस दौरान कृषि मंत्री चंद्र कुमार, आयुष मंत्री यादविंदर गोमा, विधायक मलेंद्र राजन, डीसी हेमराज बैरवा मौजूद रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि साइबेरिया और मंगोलिया से प्रवासी पक्षी पौंग डैम में आते हैं, जो देश भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने वन विभाग को इन पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। पर्यटकों की सुविधा के लिए दो नावें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं और आगंतुकों की सुविधा के लिए जल्द ही दो और स्पीड बोट जोड़ी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की पहल से इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है, पिछले वर्ष लगभग 30 हजार पर्यटक इस क्षेत्र में आए थे। उन्होंने कहा, "पौंग डैम बैराज के निकट क्षेत्रीय जल केंद्र में जल क्रीड़ा गतिविधियों को शुरू करने के प्रयास चल रहे हैं, जिससे क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जवाली विधानसभा क्षेत्र के बासा में पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने और शैक्षिक संसाधन प्रदान करने के लिए 3.20 करोड़ रुपये की लागत से वन्यजीव व्याख्या केंद्र स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र का उद्देश्य संरक्षण के महत्व और इन पक्षियों के उल्लेखनीय प्रवासी पैटर्न के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने कहा, "केंद्र में ठहरने और छात्रावास की व्यवस्था है, जहां कॉलेज और स्कूलों के छात्र रह सकते हैं और पौंग की समृद्ध जैव विविधता के बारे में जान सकते हैं। यह अनूठा अवसर युवा दिमागों को प्रकृति से जुड़ने, संरक्षण के महत्व के बारे में जानने और प्राकृतिक दुनिया के प्रति गहरी सराहना विकसित करने में सक्षम बनाएगा। हम पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और छात्रों को पौंग के पक्षी पक्षियों की सुंदरता और आश्चर्य का अनुभव करने के लिए क्षेत्र का दौरा करने के लिए आमंत्रित करते हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस साल पौंग डैम आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। दिसंबर 2024 तक 92,885 प्रवासी पक्षियों की संख्या दर्ज की गई है और सीजन के अंत तक यह संख्या एक लाख को पार करने की उम्मीद है। इसकी तुलना में पिछले साल अक्टूबर से जनवरी तक पूरे सीजन के दौरान 85,000 पक्षी बांध पर आए थे। उन्होंने कहा कि औसतन हर साल पौंग डैम में प्रवासी पक्षियों की 100 प्रजातियां आती हैं। इस सीजन में 85 प्रजातियां देखी जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू रविवार को ही कांगड़ा जिले के नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे। यहां उन्होंने एफएसएल की नूरपुर इकाई के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया। साथ ही नूरपुर में करोड़ों रुपये की विकासात्मक परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने इसके बाद नूरपुर में अपार जनसमूह को संबोधित करते हुए करोड़ों रुपये की सौगात विधानसभा क्षेत्र के लोगों को दीं।
हिमाचल प्रदेश में मक्की के बाद अब प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती से तैयार गेहूं का आटा डिपुओं में बेचकर मुनाफा कमाएगी। इसके लिए प्राकृतिक खेती विंग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। पहले चरण में प्रदेशभर में किसानों से 805 मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। यह खरीद केवल पंजीकृत किसानों से ही की जाएगी। इसके लिए प्राकृतिक खेती करने वाले प्रमाणित किसान चयनित किए जाएंगे। बाजार में आम तौर पर गेहूं के 25 से 30 रुपये प्रतिकिलो तक दाम मिलते हैं, लेकिन सरकार किसानों से 40 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से गेहूं खरीदेगी। इसमें भी मक्की के समान प्रति किसान से अधिकतम 20 क्विंटल तक गेहूं खरीदी जाएगी। इस विधि में किसान बिना रासायनिक कीटनाशकों और खादों का उपयोग किए जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र सहित अन्य जैविक घटकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके तहत बिलासपुर जिले से 50 मीट्रिक टन, चंबा से 60, हमीरपुर से 40, कांगड़ा से 190, मंडी से 195, सिरमौर से 105, सोलन से 95 और ऊना से 70 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जाएगी। शिमला और कुल्लू जिले से गेहूं की खरीद नहीं की जाएगी, यहां गेहूं की बिजाई कम होती है। किसानों से गेहूं खरीदने के बाद सरकार इससे तैयार आटे की भी ब्रांडिंग कर लोगों को दो और पांच किलो की पैकिंग में बेचेगी। सरकार किसानों से प्राकृतिक खेती से तैयार गेहूं 40 रुपये प्रतिकिलो के रेट से खरीदेगी। इसके लिए पंजीकृत किसानों का चयन किया जाएगा। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह पहल शुरू की है। खरीफ सीजन से पहले किसानों बागवानों को झटका लग गया है। हिमफेड की ओर से किसानों बागवानों को दी जाने वाल एनपीके 16-16-16 उर्वरक इस बार मंहगे दामों पर उपलब्ध होगी। पहले एनपीके 16-16-16 की 50 किलो की बोरी 1375 रुपये में मिलती थी। अब किसानों बागवनों को इसके 1450 रुपये चुकाने होंगे। इसकी अधिकतर मांग सेब बहुल क्षेत्रों में होती है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के समान अनुपात होते हैं। हालांकि इस वर्ष से कैल्शियम नाइट्रेट प्लेन और बोरोनेटिड उर्वरक के दामों में गिरावट भी आई है। हिमफेड की ओर से प्रदेश भर में 84 स्टोर स्थापित किए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 23 जिला शिमला में हैं।
दिल्ली-पंजाब-हरियाणा-यूपी को जाने वाली बसें होंगी कम हिमाचल प्रदेश से चंडीगढ़, दिल्ली व हरिद्वार को जाने वाली बसों का पहले चरण में युक्तिकरण होगा। इसकी फाइल तैयार कर ली गई है और एचआरटीसी ने इसका प्लान बना लिया है। आठ से दस रूटों को अभी फिलहाल चिन्हित किया गया है, जहां पर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से एक जैसे समय पर बसों को भेजा जाता है। आगे जाकर यह बसें मिल जाती हैं और फिर इनकी सवारियां बंट जाती है। इसका नुकसान पथ परिवहन निगम को हो रहा है, जिसे अब एचआरटीसी प्रबंधन दुरुस्त करने की तैयारी में है। एचआरटीसी प्रबंधन ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है। इसकी शुरुआत बाहरी राज्यों यानी अंतर राज्यीय रूटों से की जाएगी। यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो प्रदेश में प्रदेश के भीतर भी इसे लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री से इस मामले में एचआरटीसी की बातचीत हुई है और सीएम ने कहा है कि निगम को घाटे से उभारने के लिए ऐसे अलग और कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। एचआरटीसी प्रबंधन ने इसका पूरा प्लान तैयार कर लिया है, जिसे अब निदेशक मंडल की बैठक में रखा जाएगा। बीओडी की मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। निगम प्रबंधन के मुताबिक प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों से दिल्ली, चंडीगढ़ व पंजाब इत्यादी के लिए जाने वाली बसों के रूटों की पूरी सूची तैयार की गई है। इसमें देखा जा रहा है कि ऐसे कितने जिले हैं जहां से एक ही समय में बसें चलती है। इन बसों को क्लब कर दिया जाएगा। धर्मशाला, पालमपुर, कांगड़ा से एक ही समय में दिल्ली के लिए कई बसें चलती हैं। इन बसों में सवारियों की संख्या कुल सीटों के मुकाबले आधी भी नहीं होती। अब इन बसों को क्लब कर एक ही बस चलाई जाएगी। वहीं दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार,अमृतसर, लुधियाना, पठानकोट व अंबाला सहित कई अन्य स्थानों को निगम की बसें निरंतर अंतराल में चल रही हैं। इसमें रूटों का परिवर्तन भी हो सकता है। पथ परिवहन निगम का कुल घाटा 1650 करोड़ है। इसको कैसे कम किया जा सकता है इस पर विस्तृत चर्चा की गई है। इससे पहले एचआरटीसी के 275 के करीब घाटे के रूट निजी आपरेटरों को देने का निर्णय लिया था। हालांकि अभी इनमें आधे से ज्यादा रूटों पर फैसला नहीं हो पाया है। वर्तमान में प्रदेश सरकार एचआरटीसी को 700 करोड़ रुपए का सालाना अनुदान दे रही है। एचआरटीसी में 27 श्रेणियों के लोगों को नि:शुल्क यात्रा दी जा रही है। एचआरटीसी के 31 डिपो और चार मंडल हैं। 3180 बसें हैं जो प्रतिदिन 5.60 लाख किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। 2684 रूट पर निगम की बसें सेवाएं देती हैं। निगम की दैनिक आय 2.25 करोड़ रुपए है। एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि पहले चरण में प्रदेश से बाहर जाने वाली बसों का युक्तिकरण करने की तैयारी है। इसकी योजना बन चुकी है और अभी कुछ ऐसे रूट चिन्हित किए हैं, जहां के लिए अलग-अलग स्थानों से एक जैसे समय पर बसें जाती हैं। इनको क्लब किया जाएगा क्योंकि अभी लांग रूट की बसों में कमाई नहीं हो पा रही है। अपेक्षाकृत इनकम को सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की नीतियों को अपनाया जा रहा है, लेकिन इससे आम जनता को परेशानी नहीं होगी।
हिमाचल प्रदेश में 22 व 23 जनवरी को मौसम खराब होगा। इस दौरान अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना है, वहीं मैदानी इलाकों में बारिश होगी। तापमान में गिरावट से ठंड का प्रकोप बढ़ेगा। शनिवार को सुबह से ही आसमान पर बादल छाए रहे, जिससे तापमान में भारी कमी आई है। प्रदेश के छह स्थानों का तापमान माइनस में पहुंच गया है। ताबो में न्यूनतम तापमान माइनस 11.9 डिग्री पहुंच गया है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से 22 व 23 जनवरी को अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम बर्फबारी और बारिश होने की संभावना जताई गई है। मौसम का मिजाज बिगडऩे से अगले तीन से चार दिनों में तापमान ऐसा ही रहेगा, जिससे ठंड का दौर जारी रहने वाला है। इससे अगले दो दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में चार से पांच डिग्री की गिरावट आने की संभावना है। प्रदेश में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट आएगी, जिससे लोगों को ठंड का एहसास होगा। 22 जनवरी को कुछ स्थानों पर शीतलहर चलेगी, जबकि 19 जनवरी को प्रदेश के कुछ एक जिलों में कोहरा पडऩे की पूरी संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार प्रदेश में 24 जनवरी तक इसी तरह आसमान में बादल छाए रहेंगे। 24 जनवरी तक प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होगी, जिससे निचले क्षेत्रों में ठंड बढ़ेगी।
मध्य प्रदेश के धार में 8वीं राष्ट्रीय मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप का आयोजन 8 से 12 जनवरी तक किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश के 5 खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण और कांस्य पदक प्राप्त किए। इस प्रतियोगिता में 21 राज्यों के 500 से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया। हिमाचल प्रदेश मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स संघ की अगुवाई में प्रदेश के खिलाड़ियों ने विभिन्न भार वर्गों में पदक जीतकर हिमाचल का नाम रोशन किया। यूथ कैटिगरी के 52 किग्रा भार वर्ग में अभिउदय ने स्वर्ण पदक हासिल किया, जबकि सीनियर कैटिगरी के 52 किग्रा भार वर्ग में मार्शल ने भी स्वर्ण पदक जीता। अर्ध संपर्क कैटिगरी के 83 किग्रा भार वर्ग में प्रज्वल, 93 किग्रा में हर्षित और 56 किग्रा में शौर्य ने भी स्वर्ण पदक हासिल किए। इसके अतिरिक्त, सीनियर कैटिगरी के 77 किग्रा भार वर्ग में आर्यन और 56 किग्रा भार वर्ग में ड्यूक ने कांस्य पदक प्राप्त किया। पुरस्कार वितरण समारोह में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स संघ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरीफ बापू और राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश गाईतोंडे ने इन खिलाड़ियों को सम्मानित किया। उन्होंने पदक पहनाकर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया और उनकी मेहनत की सराहना की। हिमाचल प्रदेश मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स संघ के राज्याध्यक्ष मनदीप ठाकुर ने बताया कि यह हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व का पल है, क्योंकि पहली बार राज्य के पांच खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों का चयन एशियन मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप के लिए किया गया है। इस मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने राज्य के खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया। हिमाचल प्रदेश मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स संघ के महासचिव विक्रम ठाकुर ने जानकारी दी कि एशियन चैंपियनशिप के लिए इन खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए शिमला में एक विश्वस्तरीय ट्रेनिंग कैंप लगाया जाएगा। इस ट्रेनिंग कैंप का उद्देश्य इन खिलाड़ियों को और बेहतर बनाना है, जिससे वे एशियन चैंपियनशिप में देश के लिए पदक सुनिश्चित कर सकें। इसके अलावा, इस कैंप का लाभ हिमाचल प्रदेश के अन्य सभी खिलाड़ियों को भी मिलेगा। इस उपलब्धि ने न केवल हिमाचल प्रदेश के मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को एक नया मुकाम दिया है, बल्कि पूरे राज्य को गर्व महसूस करवा दिया है।
हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के दाम प्रति बोरी ₹5 कंपनियों ने बढ़ाए हैं। इसको लेकर अब विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है। वहीं, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सीमेंट के बढ़े दाम को लेकर सरकार की विवशता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सीमेंट फ्री कंट्रोल आइटम है। सीमेंट का दाम सरकार नहीं बल्कि सीमेंट कंपनियां ही तय करती हैं। मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा, हिमाचल प्रदेश में तीन बड़े सीमेंट प्लांट हैं. सीमेंट फ्री कंट्रोल आइटम है। इस पर ना तो केंद्र सरकार का और ना ही हिमाचल सरकार का कोई नियंत्रण है। दाम बढ़ाने का अधिकार कंपनी का है। वह अपने हिसाब से दाम बढ़ा और घटा सकती है. सरकार केवल कंपनी पर दबाव बन सकती है कि वह सीमेंट के दाम न बढ़ाएं, लेकिन दाम तय करना सरकार के हाथ में नहीं है। मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हाल ही में सीमेंट के दाम ₹5 प्रति बोरी बढ़े है। 2 साल में सीमेंट पर केवल ₹30 दाम बढ़े हैं, जबकि भाजपा के कार्यकाल में सीमेंट के दाम करीब 130 रुपये बढ़े थे। विपक्ष द्वारा जो सीमेंट कंपनियों के साथ सरकार की सांठगांठ का आरोप लगाया जा रहा है, वो बुनियाद है। सीमेंट फ्री कंट्रोल आइटम है और कंपनियां खुद ही सीमेंट का दाम तय करती है। वहीं, अवैध माइनिंग को लेकर हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकार इसको लेकर सख्त है। माइनिंग की नई पॉलिसी बनाई गई है। अवैध माइनिंग को रोकने के लिए टास्क फोर्स बनाई जा रही है। वे खुद जिलों का दौरा कर रहे है। जहां पुलिस और माइनिंग के अधिकारियों को अवैध माइनिंग को लेकर जीरो टॉलरेंस अपने को कहा गया है। ऊना जिला में भी मीनिंग पर रोक लगा दी गई है।
** पीड़ित बेटी ने सुनाई दर्द भरी दास्तां.. शिमला: आईजीएमसी शिमला में समय पर इंजेक्शन ना मिलने से एक कैंसर मरीज की मौत का मामला सामने आया है। मृतक की बेटी ने इसको लेकर प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। जानकारी के मुताबिक देवराज शर्मा नाम के एक शख्स का IGMC शिमला में कैंसर का इलाज चल रहा था। नवंबर महीने में शख्स को डॉक्टरों ने इंजेक्शन लगवाने को बोला था। मृतक की बेटी जाह्नवी शर्मा ने बताया "इंजेक्शन की कीमत 50 हजार रुपये या इससे अधिक थी। मेरा पापा का इलाज हिमकेयर कार्ड से चल रहा था और कार्ड में बैलेंस भी था लेकिन जब इंजेक्शन लेने गए तो हमें कहा गया कि हिमकेयर कार्ड वालों ने पेमेंट नहीं की है इसलिए हम आपको इंजेक्शन नहीं दे सकते। वहीं, इस मामले में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुखविंदर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। मृतक की बेटी जाह्नवी शर्मा ने बताया "हमें एक महीने तक इंजेक्शन के लिए उलझाए रखा और बाद में कहा गया अगर आपको इतनी ही जरूरत है तो आप अपने पैसे से ये इंजेक्शन खरीद लो। हमारी आर्थिक स्थिती इतनी अच्छी नहीं थी कि हम इतना महंगा इंजेक्शन ले पाएं। ऐसे में जब तक हम पैसे इकट्ठे कर पाते उतने समय में मेरा पिता जी की मौत हो गई। जाह्नवी शर्मा ने बताया "मेरा पिता की मौत बीते 3 दिसंबर को हुई थी। इंजेक्शन ना मिलने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में भी की गई। शिकायत दर्ज करवाते हुए मृतक की बेटी ने बताया "हमने हिमकेयर कार्ड का पूरा प्रीमियम लिया था लेकिन सरकार ने हिमकेयर कार्ड में पेमेंट नहीं डाली थी" सीएम हेल्पलाइन से मिले जवाब में पीड़ित परिवार को कहा गया "यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। अगर डॉक्टर को लेकर आपकी कोई शिकायत है तो आप बता सकते हैं। जाह्नवी शर्मा ने सीएम हेल्पलाइन को लेकर कहा कि जब हमने बार-बार शिकायत की तो हेल्पलाइन वालों ने हमें बैक कॉल करना ही बंद कर दिया। मृतक की बेटी जाह्नवी शर्मा ने बताया IGMC शिमला के डॉक्टरों ने उनके पिता को अच्छा इलाज दिया है। डॉक्टरों के इलाज में कोई कमी नहीं थी। मेरे पिता की मौत का कारण हिमकेयर कार्ड से इंजेक्शन उपलब्ध ना हो पाना रहा। हमारे घर में मेरे पिता ही कमाने वाले थे उनके जाने के बाद परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा रहा है। मेरी माता जी भी बीमार रहती हैं। मेरा एक भाई है और हम दोनों की अभी पढ़ाई चल रही है। ऐसे में हमारी प्रशासन से मांग है कि इस मामले में जिसकी भी गलती है उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए।
हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराधियों ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि उनकी चालाकी से बचना आसान नहीं। इस बार उनका शिकार बने नीरज भारती, जो प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार के बेटे और पूर्व मुख्य संसदीय सचिव (CPS) हैं। ठगों ने उन्हें गोवा की एक फर्जी बुकिंग वेबसाइट के जरिए ₹1 लाख की चपत लगा दी। दरअसल,नीरज भारती ने हाल ही में गोवा यात्रा की योजना बनाई। उन्होंने ऑनलाइन ‘कारा विला रिसॉर्ट’ नामक एक जगह की बुकिंग की और एडवांस में ₹1 लाख का भुगतान किया। लेकिन बुकिंग के बाद जब उन्होंने रिसॉर्ट से संपर्क करने की कोशिश की, तो पता चला कि गोवा में इस नाम का कोई रिसॉर्ट है ही नहीं। उन्हें तुरंत समझ आ गया कि वे साइबर ठगी के शिकार हो चुके हैं। नीरज भारती ने तुरंत छोटा शिमला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 418 और अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।
** तारादेवी टुटू बाईपास के बीच हुआ हाद*सा, पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा आज सुबह शिमला के तारादेवी टुटू बाईपास के बीच एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब एमसी शिमला की कूड़ेदान गाड़ी सुबह लगभग 7 बजे सड़क से अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। इस दुर्घटना में गाड़ी चालक की मौके पर ही मौत हो गई।स्थानीय लोगों ने गाड़ी गिरने की जोरदार आवाज सुनी और तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने गाड़ी के अंदर सवार लोगों को खोजने की कोशिश की। कुछ समय बाद, 150 मीटर नीचे गाड़ी से चालक का शव मिला। इसके बाद, स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना बालूगंज पुलिस स्टेशन को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और दुर्घटनाग्रस्त स्थल का निरीक्षण किया। चालक की मौके पर मौत होने के बाद, पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए आईजीएमसी भेजा। गाड़ी लगभग 300 मीटर नीचे गिरने के बाद, तीन चीड़ के छोटे पेड़ों को तोड़ते हुए मथौली की घासनी पर पहुंची। गाड़ी रोजाना की तरह कूड़ा एकत्रित करने के बाद टुटू से तारादेवी के बीच कूड़ेदान संयंत्र ले जा रही थी। वहीं, अन्य ड्राइवरों का कहना था कि चालक काफी अनुभवी था, जिससे यह दुर्घटना कैसे हुई, यह एक बड़ा सवाल बन गया है। दुर्घटना स्थल पर सड़क काफी चौड़ी थी, और पुलिस का मानना है कि सूर्य की तेज रोशनी चालक पर गिरी होगी, जिससे वह गाड़ी पर नियंत्रण खो बैठा और हादसा हुआ। पुलिस सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
हिमाचल में डिपुओं के माध्यम से सस्ते राशन की सुविधा का लाभ उठा रहे राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी नहीं करवाने की लापरवाही अब महंगी पड़ गई है। प्रदेश में सस्ते राशन के वितरण में पारदर्शिता लाने को राशन कार्ड धारकों को पिछले कई सालों से ई-केवाईसी करवाने का मौका दिया जा रहा था। प्रदेश में इसके लिए लंबे समय से प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन लाखों उपभोक्ताओं ने आदेशों को हल्के से लेते हुए ई-केवाईसी नहीं करवाई है जिस कारण सरकार ने अब सख्ती दिखाते हुए प्रदेशभर में 2.65 लाख परिवारों के राशन कार्डों को अस्थाई तौर पर ब्लॉक कर दिया है। ऐसे में अब इन परिवारों को इस महीने से डिपुओं में सस्ता राशन मिलना बंद हो गया है। अब इन उपभोक्ता को ई-केवाईसी नहीं करने तक सस्ते राशन की सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। हिमाचल में राशन कार्डों को लेकर रोजाना समीक्षा हो रही है। राशन कार्ड धारकों की तरफ से ई-केवाईसी ना करने पर हर रोज राशन कार्डों को अस्थाई तौर पर ब्लॉक करने की प्रक्रिया लगातार जारी है जिसकी खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग निदेशालय फील्ड से रोजाना की रिपोर्ट ले रहा है। प्रदेश में 2.65 लाख राशन कार्ड अस्थाई तौर पर ब्लॉक होने के बाद राशन कार्ड की संख्या अब घटकर 17 लाख के करीब रह गई है। प्रदेश में राशन कार्ड धारकों की संख्या 19.65 लाख के करीब थी। विभाग ने इन परिवारों को 31 दिसंबर तक हर हाल में ई-केवाईसी करने का आखिरी मौका दिया था, लेकिन राशन कार्ड धारकों ने इन आदेशों को भी पहले की तरह हल्के में लिया जिस कारण विभाग को मजबूरन 1 जनवरी से ई-केवाईसी न करवाने पर राशन कार्डों को अस्थाई तौर पर ब्लॉक करने का निर्णय लेना पड़ा है। ऐसे में पिछले 17 दिनों में प्रदेश में 2.65 लाख राशन कार्डों को अस्थाई तौर पर ब्लॉक किया जा चुका है। ई-केवाईसी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक परिवारों को ही सस्ते राशन की सुविधा का लाभ मिले। ये देखा गया है कि बहुत से परिवारों के राशन कार्ड की स्थिति विवाह होने और किसी सदस्य के निधन होने से बदल चुकी है इसलिए ई-केवाईसी काफी आवश्यक है, ताकि राशन कार्ड में दर्ज ऐसे सदस्यों के नामों को हटाए जा सके और वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन उपलब्ध हो सके। इस तरह से अगर कोई भी राशन कार्ड में इन सदस्यों की जानकारी को अपडेट करवाना चाहते हैं तो इसके लिए उनको ई-केवाईसी करवानी पड़ेगी। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेंद्र सिंह राठौर का कहना है "ई-केवाईसी नहीं करवाने पर 2.65 लाख राशन कार्डों को अस्थाई तौर पर ब्लॉक किया गया है। अब ऐसे राशन कार्ड धारकों को ई-केवाईसी करने पर ही डिपुओं में सस्ते राशन की सुविधा का लाभ मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से माैसम के करवट बदलने की संभावना है। राज्य के कई भागों में आज से आगामी सात दिनों तक बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। वहीं राज्य के पांच स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। कई भागों में लोगों को शीतलहर का सामना करना पड़ रहा है। शिमला सहित आसपास भागों में आज सुबह से हल्की धूप खिलने के साथ बादल छाए हुए हैं। उधर, बीते दिनों हुई बर्फबारी से किन्नाैर चंबा व लाहाैल-स्पीति जिले में अभी भी दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। लाहाैल-स्पीति जिले में कई सड़कें अभी भी ठप हैं। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार 18 से 21 व 24 जनवरी को मध्य व उच्च पर्वतीय कुछ स्थानों पर हल्की बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि 22 व 23 जनवरी को राज्य के कई स्थानों पर बारिश-बर्फबारी होगी। वहीं निचले पहाड़ी-मैदानी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। राज्य में अगले दो दिनों में अधिकतम तापमान में 5-6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। इसके बाद अगले 3-4 दिनों में अधिकतम तापमान में धीरे-धीरे 4-5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने के आसार हैं। दो दिनों बाद राज्य के कई हिस्सों में धीरे-धीरे 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना है। शिमला में न्यूनतम तापमान 6.5, सुंदरनगर 5.2, भूंतर 2.5, कल्पा -1.8, धर्मशाला 4.0, ऊना 3.8, नाहन 7.0, केलांग -9.5, पालमपुर 5.0, मनाली 2.1, कांगड़ा 7.5, मंडी 6.1, बिलासपुर 6.6, हमीरपुर 6.4, चंबा 5.3, डलहाैजी 6.7, जुब्बड़हट्टी 6.4, कुफरी 4.6, कुकुमसेरी -5.9, नारकंडा 1.1, भरमाैर 3.3, रिकांगपिओ 1.5, बरठीं 5.5, समदो -7.3, कसाैली 7.9, सराहन 0.2, ताबो -11.9 व बजाैरा में 1.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय ने कॉलेजों में कार्यरत 53 ग्रेड-2 अधीक्षकों के तबादले स्कूलों, जिला उपनिदेशक, ब्लॉक कार्यालयों और डाइट में कर दिए हैं। पांच दिन के भीतर सभी अधिकारियों को नए स्थानों पर पद ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ और गैर-शिक्षक कर्मचारी महासंघ ने उच्च शिक्षा निदेशालय के इस आदेश का विरोध किया है। महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंद्र सिंह मेहता और महासचिव मनीष गुलेरिया ने इस निर्णय को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे कर्मचारियों के अधिकारों और कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अधीक्षक ग्रेड-2 के स्थानांतरण से कर्मचारियों की दक्षता और कार्यशैली बाधित होगी। इससे महाविद्यालयों की प्रशासनिक संरचना और शैक्षिक प्रक्रियाएं कमजोर पड़ेंगी। विशेष रूप से राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में संचालित महाविद्यालयों में इस निर्णय का प्रभाव शैक्षिक और प्रशासनिक कार्यों पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। कुछ महाविद्यालयों में जहां 150 के लगभग शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की संख्या है और 3,000 से 4,000 तक छात्रों का नामांकन है, वहां इस आदेश से प्रशासनिक और शैक्षिक कार्यों की भारी कमी हो सकती है। महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि इन महाविद्यालयों में ग्रेड वन का कार्य केवल अधीक्षक को सुपरवाइज़ करने तक सीमित है और ग्रेड वन पर पदोन्नति तब होती है जब कर्मचारी सेवानिवृत्ति के पास होते हैं। महासंघ ने सरकार से मांग की है कि इन स्थानांतरण को तुरंत प्रभाव से रोका जाए। महासंघ ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी वर्ग ने सरकार को गुमराह कर यह आदेश जारी करवाया है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों के अधिकारों और उनकी गरिमा को नकारना है। महासंघ का कहना है कि इससे कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है और उन्हें यह महसूस हो रहा है कि उनकी जिम्मेदारियां और महत्व कम कर दिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला में कुलपति की नियुक्ति को लेकर हो रही देरी पर राजभवन ने सर्च कमेटी को नोटिस जारी किया है। सर्च कमेटी की अक्तूबर 2024 को हुई बैठक में चयनित हुए शिक्षाविद्धों की सूची अभी तक राज्यपाल को नहीं भेजने पर यह संज्ञान लिया गया है। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार रामसुभग सिंह की अध्यक्षता में कमेटी की बैठक हुई थी। वर्ष 2022 से एचपीयू में स्थायी वीसी का पद रिक्त चल रहा है। रामसुभग सिंह की अध्यक्षता में कमेटी ने 22 अक्तूबर 2024 को चंडीगढ़ में आवेदकों के साक्षात्कार लेने के बाद छंटनी की थी। कमेटी ने अभी तक कुलपति के चयन के लिए शार्टलिस्ट नाम राजभवन की मंजूरी को नहीं भेजे गए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह और गोरखपुर से पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार दुबे, राज्यपाल के सचिव चंद्र प्रकाश वर्मा ने चंडीगढ़ में 18 उम्मीदवारों के साक्षात्कार लिए थे। चार ने ऑनलाइन साक्षात्कार दिए थे। राजभवन को शार्टलिस्ट नाम क्यों नहीं भेजे, इसको लेकर कमेटी के सभी सदस्यों को नोटिस जारी कर इसका कारण बताने को कहा है। शार्टलिस्ट नामों को अंतिम फैसला लेने के लिए राजभवन भेजा जाना है। बता दें कि पूर्व कुलपति सिकंदर कुमार के ऐच्छिक रिटायरमेंट लेने के बाद से एचपीयू को स्थायी कुलपति नहीं मिला है। मौजूदा वक्त में कार्यवाहक कुलपति के तौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल सेवाएं दे रहे हैं।
हिमाचल में सीमेंट के दामों में एक बार फिर पांच रुपए की वृद्धि हो गई है। सीमेंट कंपनियों ने एक महीने के भीतर दूसरी बार दाम बढ़ाकर उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। प्रमुख सीमेंट कंपनियां अंबुजा, एसीसी और अल्ट्राटेक ने प्रति बैग पांच रुपये कीमतें बढ़ा दीं। इससे भवन निर्माण कर रहे लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ेगा। बिलासपुर में एसीसी सीमेंट की फैक्ट्री होने के बावजूद यहां सीमेंट अन्य जिलों के मुकाबले महंगा बिक रहा है। एसीसी सीमेंट विक्रेता पवन बरूर ने बताया कि ऊना और हमीरपुर की तुलना में बिलासपुर में दाम अधिक हैं, जबकि इन जिलों का परिवहन खर्च ज्यादा है। कुछ ट्रक मालिक सीमेंट ऊना और हमीरपुर के लिए लोड कर यहीं बेच देते हैं, जिससे स्थानीय डीलरों को नुकसान हो रहा है। एसीसी सुरक्षा का दाम पहले 440 रुपए प्रति बैग था, जो अब 445 रुपए हो गया है। एसीसी गोल्ड का दाम 485 से बढ़कर 490 रुपये हो गया है। अंबुजा सीमेंट के विक्रेता रोहित ने बताया कि अब दाम 455 से बढ़कर 460 रुपए प्रति बैग कर दिए हैं। 18 दिसंबर को कंपनी ने डीलरों के डिस्काउंट बंद कर दिए थे, जिस कारण पहले ही कीमतों में 15 से 20 रुपए प्रति बैग का इजाफा हो चुका था।
** पुलिस कर रही हैं मामले की जांच रामपुर पुलिस ने 42.43 ग्राम चिट्टे के साथ दो युवकों को गिरफ्तार किया है। आरोपी रोहिताश (26) निवासी किन्नौर और राकेश कुमार (37) निवासी कुल्लू हैं। एसडीपीओ रामपुर नरेश शर्मा ने बताया कि शुक्रवार सुबह गश्त के दौरान भैरा खड्ड के पास दोनों को रोककर तलाशी ली गई, जिसमें चिट्टा बरामद हुआ। पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की अपील पर अपने निजी आवास में लगे पांच बिजली के मीटरों पर मिलने वाली सब्सिडी को छोड़ दिया है। इस सम्बन्ध में उन्होंने इस आशय का एक स्व-प्रमाणित घोषणापत्र भरकर आज बिजली बोर्ड के अधिकारियों सौंपा ।उन्होंने कहा कि यह कदम प्रदेश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने आर्थिक रूप से समर्थ एवं सम्पन्न बिजली उपभोक्ताओं से अपील की कि वे प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के प्रयासों में भागीदार बनें और प्रदेश के विकास के लिए बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी का स्वेच्छा से परित्याग करें।
** ग्रीष्मकालीन स्कूलों में होगी शुरुआत हिमाचल में अब पांचवीं और आठवीं कक्षा में फेल विद्यार्थी अगली कक्षा में प्रमोट नहीं होंगे। चालू शैक्षणिक सत्र मार्च 2025 में प्रदेश के ग्रीष्मकालीन स्कूलों से इसकी शुरूआत होगी। शीतकालीन स्कूलों में अगले वर्ष से यह व्यवस्था लागू होगी। हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार के संशोधित निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को प्रदेश में सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। परीक्षा पास करने में असफल रहे विद्यार्थियों को आवश्यक अंक प्राप्त करने को एक और मौका दिया जाएगा। दूसरी बार भी जो विद्यार्थी परीक्षा पास नहीं करेगा, उसे फेल कर दिया जाएगा। बुधवार को प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों को इस संदर्भ में पत्र जारी कर दिया है। बीते दिसंबर में केंद्र ने निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम में संशोधन किया है। केंद्र के फैसले के बाद नो डिटेंशन पॉलिसी को हिमाचल सरकार ने भी बंद कर दिया है। देश में नो डिटेंशन पॉलिसी का फैसला लागू होने के बाद से हिमाचल इसका विरोध कर रहा है। साल 2019 में हिमाचल सरकार ने पांचवीं और आठवीं कक्षा में बिना परीक्षा पास किए बच्चों को पास नहीं करने का फैसला लिया था, लेकिन इस फैसले को सख्ती से लागू नहीं किया। अब कांग्रेस सरकार ने शिक्षा गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नो डिटेंशन पाॅलिसी को समाप्त कर दिया है। चालू शैक्षणिक सत्र से पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर जांची जाएंगी। अभी तक की व्यवस्था के तहत इन दोनों कक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र तो स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी किए जाते हैं, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं को आसपास के स्कूलों में ही जांचा जाता है। अब पांचवीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को ब्लॉक और आठवीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को क्लस्टर स्तर पर जांचा जाएगा।
शैक्षणिक भ्रमण पर विदेश जाने वाले 50 विद्यार्थियों और 60 शिक्षकों के नाम तय हो गए हैं। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने चयनित विद्यार्थियों और प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षकों के नामों की सूची सौंप दी है। इन्हें फरवरी में विदेश भेजे जाने की संभावना है। उच्च शिक्षा निदेशालय के तहत आने वाले शिक्षकों के चयन का मामला फंस गया है। इन शिक्षकों के विदेश जाने पर संशय बना हुआ है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने दोबारा से शिक्षकों के चयन के लिए आवेदन आमंत्रित किए हुए हैं। ऐसे में इन शिक्षकों के चयन सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में अभी और समय लगने के आसार हैं। 50 मेधावी विद्यार्थियों को वियतनाम और कंबोडिया का शैक्षणिक भ्रमण करवाने की योजना है। शिक्षकों को पूर्व की तरह सिंगापुर ही ले जाया जाएगा। जमा एक और जमा दो कक्षा में पढ़ने वाले 50 विद्यार्थियों का विदेश भ्रमण के लिए चयन किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट एंड गाइड, सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल विद्यार्थी भी इनमें शामिल हैं। जमा एक कक्षा से 20 और जमा दो कक्षा से 20 ऐसे विद्यार्थियों को विदेश भ्रमण के लिए चुना गया है, जिन्होंने दसवीं कक्षा की परीक्षा में 95 फीसदी या इससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इन 40 विद्यार्थियों के अलावा राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले 4, गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हुए 2 एनसीसी कैडेट, एक एनएसएस स्वयंसेवक, एक स्काउट एंड गाइड और राष्ट्रीय सांस्कृतिक गतिविधि में शामिल एक विद्यार्थी को भी विदेश भ्रमण के लिए चुना गया है। उधर, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के तहत आने वाले 60 शिक्षकों के नाम भी तय कर लिए गए हैं। समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा की ओर से चयनित विद्यार्थियों और शिक्षकों की सूची शिक्षा सचिव को सौंपी गई है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश में बीते 24 घंटों में मौसम शुष्क रहा। प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बीते रोज बुधवार को धूप खिली रही। वहीं, 16 जनवरी को सुबह राजधानी शिमला समेत अन्य क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं, जिससे लोगों को गुरुवार सुबह से ही कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने 16 जनवरी को प्रदेश के निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और मध्यम व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। वहीं, अगले 3 से 4 दिनों तक अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री सेल्सियस गिरावट होने की संभावना है और न्यूनतम तापमान में भी 2 से 4 डिग्री सेल्सियस गिरावट होने की संभावना है। वहीं, कुफरी, नारकंडा में गुरुवार सुबह से बर्फबारी शुरू हो गई है जिससे सड़कों पर फिसलन बढ़ गई है। मौसम विभाग ने शीतलहर को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। खासकर ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, सोलन और सिरमौर जिला में शीतलहर की चेतावनी दी गई है। मौसम विभाग के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा , प्रदेश में बीती रात से मौसम ने करवट बदली है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हो रही है। आगामी दो दिनों तक प्रदेश में मौसम इसी तरह से खराब बना रहेगा। इस दौरान ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी का दौर जारी रहेगा। बीते रोज बुधवार को ताबो प्रदेश का सबसे अधिक ठंडा स्थान रहा। ताबो का तापमान -13.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं, ताबो का अधिकतम तापमान 11.5 डिग्री दर्ज किया गया। इसके अलावा प्रदेश में ऊना सबसे गर्म रहा। ऊना का अधिकतम तापमान 24.2 डिग्री दर्ज किया गया। इसके अलावा ऊना का न्यूनतम तापमान 1.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। इसके अलावा शिमला का न्यूनतम तापमान 4.2, मनाली का -0.6, कुफरी का 2.2, भरमौर का न्यूनतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
ठियोग पेयजल घोटाले की जांच को लेकर विजिलेंस की एसआईटी ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। विजिलेंस की एसआईटी गुरुवार को प्रदेश सरकार को पेयजल घोटाले की जांच रिपोर्ट सौंप सकती है। एएसपी नरवीर राठौर के नेतृत्व में गठित की गई एसआईटी ने दस दिनों में ही पेयजल घोटाले की जांच पूरी करके विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विजिलेंस की जांच में पेयजल सप्लाई के टेंडर की कई अनियमताएं पाई गई हैं। मामले की जांच के लिए विजिलेंस की तीन टीमें गठित की गई थी। विजिलेंस की एसआईटी ने ठियोग पेयजल घोटाले की जांच को लेकर जल शक्ति विभाग के अधिकरियों सहित फिल्ड स्टाफ के अलावा लोगों से भी पूछताछ तक अहम साक्ष्य जुटाए हैं। विजिलेंस की जांच में जल शक्ति विभाग की कई अनियमिताएं सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि जांच जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने टेंडर डयोकोमेंट की गाइड लाइन फोलो नहीं की है। इसके अलावा जहां से पानी उठाना था वहीं नहीं उठाया है। विजिलेंस की टीम ने पेयजल सप्लाई के बिलों की एंट्री को लेकर क्रॉस चैकिंग की है। विजिलेंस की जांच में पेयजल घोटाले से जुड़े कई अहम खुलासे हुए हैं। विजिलेंस की जांच में पेयजल सप्लाई के कई टेंडरों के दस्तावेज पूरे नहीं पाए गए हैं। एएसपी नरवीर राठौर का कहना है कि पेयजल घोटाले की जांच रिपोर्ट जल्द ही सरकार को सौंपेगी। मामले की जांच में जल शक्ति विभाग के अधिकारियों की कई अनियमिताएं सामने आई है।
हिमाचल प्रदेश में आज बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम में बदलाव आ सकता है, जिससे 21 जनवरी तक मौसम खराब रहने की उम्मीद है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में कोहरे और ऊंचाई वाले इलाकों में शीतलहर से ठंड में इजाफा हो गया है। मंगलवार रात को राज्य के छह स्थानों पर रात का तापमान माइनस में दर्ज हुआ। बुधवार को राजधानी शिमला और राज्य के अन्य हिस्सों में धूप खिली रही, लेकिन आगामी दिनों में मौसम फिर से करवट ले सकता है। इसके साथ ही तीन दिन बाद अटल टनल रोहतांग से बस सेवा फिर से शुरू हो गई है। इससे यात्रियों को राहत मिली है, क्योंकि पहले यात्रा में 10 किलोमीटर पैदल चलने की परेशानी होती थी, अब यह दूरी केवल 5 किलोमीटर रह गई है। इसके अलावा, औट-बंजार-सैंज हाईवे-305 पर भी निगम की बसें घियागी के बजाय सोझा तक चलने लगी हैं। प्रदेश के निचले पहाड़ी और मैदानी इलाकों, जैसे बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर में बुधवार को सुबह और शाम के वक्त घना कोहरा छाया रहा। वीरवार को इन क्षेत्रों में घना कोहरा छाने का येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, 16 से 21 जनवरी के बीच मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर बारिश और बर्फबारी हो सकती है। वहीं, निचले पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है। मौसम विभाग का कहना है कि अगले 3-4 दिनों में राज्य के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, मंडी और शिमला जिलों में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज गैर सरकारी संस्था ‘नीडल लीफ फांऊडेशन -द सेवियर’ द्वारा प्रदेश में कार्यान्वित की जाने वाली दो परियोजनाओं का शुभारम्भ किया। संस्था द्वारा इन परियोजनाओं के माध्यम से वनों की आग के नियंत्रण और युवाओं में नशा निवारण व रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा वन संरक्षण व वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए बहुआयामी उपाय सुनिश्चित किये गए हैं। इसके दृष्टिगत आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मादक पदार्थों व नशीली दवाओं के दुरूपयोग के लिए व्यापक स्तर पर अभियान आरम्भ किया गया है। मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए अंतरराज्यीय स्तर पर समन्वय से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्था के प्रयासों से सरकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे कार्यों को संबल मिलेगा। संस्था के अध्यक्ष सुनील ग्रोवर ने नवीन योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, नीडल लीफ फांऊडेशन के सदस्य डा. अनिल चौहान, प्रदीप कुमार, एस.एन.कपूर, अजय कोचर, कोषाध्यक्ष राजीव सूद और अन्य लोग व्यक्ति उपस्थित थे।
** स्नान और तुलादान कर रहे लोग... मकर संक्रांति पर मंडी जिला की सीमा पर स्थित धार्मिक स्थल तत्तापानी में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी है। मकर संक्रांति पर तत्तापानी में स्नान और तुलादान का विशेष महत्व रहता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो लोहड़ी के एक दिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।इस दिन से ही ऋतु में भी परिवर्तन होने लगता है।इसके अलावा मकर संक्रांति पर्व पर तुलादान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन नवग्रहों की शांति के लिए तत्तापानी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु तुलादान करवाते हैं। मकर संक्रांति पर खिचड़ी, चावल, दाल, उड़द की दाल और ऊनी कपड़ों का दान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन धार्मिक स्थलों पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।तत्तापानी में सदियों से लोग बैसाखी व लोहड़ी स्नान कर पुण्य के भागीदार तो बनते ही आ रहे है, लेकिन यहां गरम पानी के प्राकृतिक चश्मों मे स्नान करने से चर्म रोग से भी निजात पाते हैं। ऐसे में लोगों की इन चश्मों के प्रति गहरी आस्था है। तत्तापानी को ऋषि जमदग्नि और परशुराम की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है। यहां पर दूर-दूर से धार्मिक श्रद्धालु गर्म पानी में नहाने के लिए आते हैं।
** प्रदेश में लोहड़ी के अवसर पर कड़ाके की ठंड शिमला: इन दिनों उत्तर भारत समेत हिमाचल प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लोहड़ी के पर्व पर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर न्यूनतम तापमान में गिरावट देखी गई है। हाल ही में निचले पहाड़ी इलाकों और ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बारिश और बर्फबारी से तापमान में यह गिरावट आई है। मौसम विभाग ने 14 और 15 जनवरी को प्रदेश में मौसम साफ रहने की संभावना जताई है। मौसम विभाग के अनुसार, 16 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है, जिसके कारण प्रदेश में मौसम में फिर से बदलाव हो सकता है। इस दौरान, मध्यम और ऊंचाई वाले कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हो सकती है। यह पश्चिमी विक्षोभ 19 जनवरी तक सक्रिय रहेगा। हालांकि, निचले पहाड़ी क्षेत्रों जैसे मंडी, बिलासपुर, ऊना और अन्य जगहों पर मौसम साफ रहने की संभावना है। इन क्षेत्रों में सुबह के समय कोहरे को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट भी जारी किया है। बीते 24 घंटों में, मंडी जिले के सुंदरनगर में अधिकतम तापमान 22.3 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं, स्पीति घाटी के कुकुमसेरी में प्रदेश का सबसे कम तापमान -12.3 डिग्री सेल्सियस रहा। अन्य प्रमुख स्थानों पर तापमान इस प्रकार रहा: शिमला 2.4 डिग्री सेल्सियस, मनाली -1.1, भरमौर 0.3, कुफरी -0.8, पालमपुर 1.0, केलांग -8.7, बिलासपुर 5.4 और ऊना 3.6 डिग्री सेल्सियस।
** चलौंठी के पास बनाया जा रहा है 900 मीटर लंबा फ्लाओवर कालका-शिमला फोरलेन के कैथलीघाट-ढली हिस्से से शहर का सर्कुलर रोड भी जुड़ेगा। इससे शहर के हजारों लोगों को लाभ होगा। फोरलेन को सर्कुलर रोड से जोड़ने के लिए चलौंठी में 900 मीटर लंबा फ्लाईओवर बनाया जा रहा है। यह फ्लाईओवर चलौंठी में निकलने वाली टनल को ढली-आईजीएमसी सड़क से जोड़ेगा। फ्लाईओवर चाप आकार में बनेगा और जमीन से इसकी ऊंचाई 72 मीटर होगी। शहर के लोग चलौंठी से सीधे कालका-शिमला फोरलेन से सफर कर चंडीगढ़ जा सकते हैं। इससे शहर में क्रॉसिंग के पास लगने वाले जाम से राहत मिलेगी। फ्लाईओवर का पहला पिलर 71 मीटर, दूसरा 65 मीटर, तीसरा 55 मीटर और बाकी पिलर 45 मीटर ऊंचे होंगे। फोरलेन का निर्माण होने के बाद शिमला से चंडीगढ़ पहुंचना आसान हो जाएगा। फ्लाईओवर में कुल 15 पिलर होंगे। अगले सात महीनों में सभी पिलर तैयार होने की उम्मीद है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण कार्य में 200 से अधिक मजदूर लगे हुए हैं ताकि निर्धारित समय सीमा के भीतर इसे पूरा किया जा सके। स्ट्रक्चर इंजीनियर अनवर अली ने बताया कि फिलहाल ठंड के चलते सुबह 8 से शाम 7 बजे तक काम किया जा रहा है। अभी पिलर की शटरिंग का कार्य किया जा रहा है। पिलर के ऊपरी हिस्से में सरियों का ढांचा बनाया जा रहा है। इसके लिए मजदूर जमीन से 70 मीटर की ऊंचाई पर क्रेन से लटक कर निर्माण कार्य कर रहे हैं। इसके बाद सरियों को कंक्रीट से मजबूती दी जाएगी। पिलर तैयार होने के बाद मोल्ड में फ्लाईओवर प्लेटफार्म तैयार किए जाएंगे। इन्हें क्रेन के जरिये पिलर के ऊपर रखा जाएगा। चलौंठी में बेहतर यातायात संचालन के लिए चंडीगढ़ की तर्ज पर गोल चौराहा भी बनाया जाएगा। इसके लिए ढली-आईजीएमसी सड़क को 10 मीटर चौड़ा किया गया है। यह फ्लाईओवर न केवल यातायात की समस्या को कम करेगा बल्कि शहर की सुंदरता में भी निखारा लाएगा। वर्तमान में शहर में यातायात की समस्या प्रमुख चुनौती है, खासकर पर्यटन सीजन के दौरान। इस फ्लाईओवर के निर्माण से शहर के विभिन्न हिस्सों के बीच आवागमन सुचारु होगा और यात्रा का समय कम होगा। एनएचएआई के साइट इंजीनियर योगेश वर्मा ने बताया कि फोरलेन का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस फोरलेन के बनने के बाद चंडीगढ़ का सफर आसान होगा। कैथलीघाट-ढली के बीच फोरलेन परियोजना का निर्माण कार्य दो चरणों में किया जा रहा है। पहले चरण में कैथलीघाट से शकराल तक 17.5 किलोमीटर लंबा फोरलेन बनाया जा रहा है। 1,844 करोड़ रुपये की लागत से इस चरण में 20 पुल, 4 सुरंगें, एक अंडरपास और एक टोल प्लाजा का निर्माण हो रहा है। दूसरे चरण में शकराल से ढली-मशोबरा जंक्शन तक 11 किलोमीटर का कार्य 2,070 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है। इसमें 6 सुरंगें और सात पुल और फ्लाईओवर शामिल हैं।
** प्रदेश में चार मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए तैयार होगा मास्टर प्लानः मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बीते कल भाषा एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बाबा बालक नाथ, माता चिंतपूर्णी, नैनादेवी और ज्वालाजी मंदिर परिसरों के सौन्दर्यीकरण के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। इन मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए विश्व स्तरीय सुविधाओं का सृजन किया जाएगा, जिससे प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वित्त वर्ष से सभी जिलों में ‘जिला स्तरीय उत्सव’ आयोजित किए जाएंगे। प्रदेश में आयोजित किये जाने वाले मेलों एवं उत्सवों में कम से कम एक सांस्कृतिक संध्या स्थानीय कलाकारों के लिए आरक्षित की जाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कुल व्यय की 33 प्रतिशत राशि स्थानीय कलाकारों को दिए जाने का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कलाकारों का मानदेय निर्धारित करने तथा मानदेय का युक्तिकरण करने के भी निर्देश दिए। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 107 मेले अधिसूचित किए गए हैं जिनमें 4 अन्तर्राष्ट्रीय स्तर, 5 राष्ट्रीय स्तर, 29 राज्य स्तर तथा जिला स्तर के 69 मेले शामिल हैं। प्रदेश सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 में अभी तक इन मेलों के आयोजन के लिए 1.10 करोड़ रुपये सहायता अनुदान राशि प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि शिमला स्थित बैंटनी कैसल में डिजिटल संग्रहालय की स्थापना का कार्य इस वर्ष पूर्ण कर लिया जाएगा और अंतर्राष्ट्रीय रौरिक स्मारक ट्रस्ट को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने और शिमला विंटर कार्निवाल के आयोजन को अधिसूचित करने के निर्देश भी दिये। मुख्यमंत्री ने विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही अन्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा भी की। बैठक में उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, निदेशक भाषा एवं संस्कृति डॉ. पंकज ललित और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार बड़े स्तर पर हरित ऊर्जा के दोहन का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि 72 मैगावाट क्षमता की सात सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं जिनका मूल्यांकन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इनका कार्य शीघ्र ही सम्बन्धित कम्पनियों को आवंटित कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त 325 मैगावाट की 8 परियोजनाओं का सर्वेक्षण एवं जांच का कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि पहली बार सरकार राज्य की 200 पंचायतों को ‘हरित पंचायत’ के रूप में विकसित करने की ओर अग्रसर है जिसमें 200 केवी के ग्रांऊड माउंटेड सोलर संयंत्र लगाए जाएंगे तथा इन संयंत्रों से प्राप्त आय को पंचायत के विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सौर ऊर्जा क्षेत्र में ऊना जिले में 32 मैगावाट की पेखुबेला सौर ऊर्जा परियाजना को 15 अप्रैल, 2024 को जनता को समर्पित किया गया था तथा अप्रैल से अक्तूबर 2024 तक साढ़े छः महीने की अवधि में इस परियोजना के माध्यम से 34.19 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है, जिससे 10.16 करोड़ रुपये की आय हुई है। उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त ऊना जिला के भंजाल में 5 मैगावाट सौर ऊर्जा परियोजना को 30 नवम्बर 2024 को शुरू कर दिया गया है, जबकि 10 मैगावाट की अघलौर सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण कार्य भी इस माह पूर्ण होना अपेक्षित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार हिमाचल प्रदेश को 2026 तक देश का पहला ‘हरित ऊर्जा’ बनाने की दिशा में प्रयासरत है ताकि प्रदेश के पर्यावरण को किसी प्रकार का नुक्सान न हो। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा के दोहन से जहां पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी, वहीं कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा स्रोत अक्षय हैं और समाप्त नहीं होते, जिससे भविष्य की पीढ़ियों को ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी। यह जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, 2 टन प्रतिदिन की क्षमता के कम्प्रेस्ड बायो-गैस के प्लांट की ड्राफ्ट डीपीआर तैयार कर दी गई है। इसके अलावा प्रदेश के बाल एवं बालिका आश्रमों तथा वृद्ध आश्रमों और राजीव गांधी मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूलों में ग्रिड से जुड़े रूफ टॉप सोलर प्लांट और वाटर हिटिंग सिस्टम स्थापित किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह मंगलवार को दिल्ली रवाना होंगे। बुधवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नए कार्यालय का शुभारंभ होना है। हाईकमान ने सभी वरिष्ठ नेताओं को समारोह में मौजूद रहने के निर्देश जारी किए हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित कई कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस विधायक भी दिल्ली जा रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार मुख्यमंत्री सुक्खू 15 या 16 जनवरी को दिल्ली से ही कांगड़ा प्रवास के लिए धर्मशाला रवाना होंगे। 25 जनवरी तक मुख्यमंत्री सुक्खू जिला कांगड़ा के दौरे पर रहेंगे। पूर्ण राज्यत्व दिवस का राज्य स्तरीय समारोह भी इस बार जिला कांगड़ा के बैजनाथ में हो रहा है। 25 जनवरी को इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री सुक्खू करेंगे। समारोह के बाद मुख्यमंत्री शिमला लौटेंगे और 26 जनवरी को ऐतिहासिक रिज मैदान पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस में शामिल होंगे।
** सौंदर्यीकरण कार्य हुआ सम्पन्न, आर्टिस्ट सुनील सुरी ने किया है सौंदर्यीकरण का कार्य शिमला के पुराने बस अड्डे के नीचे स्थित टनल का सौंदर्यीकरण कार्य पूरा हो गया है। अब यहां से गुजरने वाले लोगों को हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) का इतिहास देखने को मिलेगा। इस कार्य में 1958 से लेकर आधुनिक इलेक्ट्रिक बसों तक के मॉडल पेंटिंग के माध्यम से दर्शाए गए हैं।यह डिज़ाइन हिम चटर्जी द्वारा तैयार किया गया, जबकि ऊना के सुनील कुमार सूरी ने पेंटिंग का काम किया। इस प्रोजेक्ट पर 19.28 लाख रुपये खर्च हुए। टनल में 1958 की कुल्लू-मनाली बस से लेकर 2016 की इलेक्ट्रिक बस तक के मॉडल बनाए गए हैं। एचआरटीसी के प्रबंधन निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि यह सौंदर्यीकरण एचआरटीसी के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया है। टनल में एक तरफ बसों के मॉडल और दूसरी तरफ यात्रियों की उम्मीदों को दर्शाया गया है। हिमाचली रंगों और संस्कृति को विशेष महत्व दिया गया है।
हिमाचल में महंगाई की मार झेल रहे लाखों उपभोक्ताओं को फरवरी माह राहत भरा रहने वाला है। केंद्र से सस्ते राशन का आवंटन हो गया है जिसके आधार पर प्रदेश सरकार ने भी फरवरी महीने में सरकारी डिपुओं के माध्यम से APL परिवारों को दिए जाने वाला आटे और चावल की मात्रा निर्धारित कर दी है। राहत की खबर ये है कि सरकार ने प्रदेशभर में 4500 से अधिक डिपुओं के माध्यम से एपीएल परिवारों को अगले महीने दिए जाने वाले आटे और चावल की मात्रा में कोई कटौती नहीं की है। ऐसे में फरवरी महीने में भी APL परिवारों को 14 किलो आटा और 6 किलो चावल कोटा प्रति राशन कार्ड मिलेगा। प्रदेश में अगस्त 2023 से एपीएल परिवारों को डिपुओं में मिलने वाले आटे और चावल की दी जाने वाली मात्रा में कोई कट नहीं लगा है। वहीं, इससे पहले हिमाचल में हर दो से तीन महीने में सस्ते राशन के कोटे को घटाया और फिर से बढ़ाया जाता था, लेकिन 17 महीनों से APL परिवारों को दिए जाने वाले आटे और चावल की मात्रा में कोई फेरबदल नहीं हुआ है। केंद्र से राशन का आवंटन होने के बाद प्रदेश के सभी जिलों में डिपुओं के माध्यम से दिए जाने वाले आटे और चावल की मात्रा निर्धारित कर दी गई है। एपीएल परिवारों को आबादी के आधार पर 20 हजार 286 मीट्रिक टन राशन का आवंटन हुआ है। इसमें 14 हजार 131 मीट्रिक टन गेहूं और 6,155 मीट्रिक टन चावल की मात्रा शामिल है। इस बारे में सभी जिला खाद्य नियंत्रकों को निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं, अब तय की गई मात्रा के हिसाब से डिपो धारकों को जनवरी महीने के आखिर में परमिट जारी किया जाएगा ताकि डिपुओं में फरवरी के पहले ही सप्ताह से सस्ता राशन उपलब्ध हो सके। हिमाचल प्रदेश में कुल राशन कार्ड धारकों की संख्या 19 लाख 65 हजार 589 है। इसमें कुल एपीएल कार्डधारकों की संख्या 12 लाख 24 हजार 448 है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इसमें एपीएल टैक्स पेयर कार्डधारकों की कुल संख्या 72 हजार 445 है। वहीं, 11 लाख 52 हजार 3 नॉन टैक्स पेयर एपीएल कार्ड धारक हैं। हिमाचल में एपीएल कार्ड धारकों की कुल आबादी 44 लाख 19 हजार 312 बनती है, जिसमें नॉन टैक्स पेयर एपीएल परिवारों की आबादी 41 लाख 26 हजार 583 है। वहीं, टैक्स पेयर की आबादी 2 लाख 92 हजार 729 है जिन्हें अगले महीने डिपुओं के माध्यम से 14 किलो आटा और 6 किलो चावल प्रति राशन कार्ड मिलेगा। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निदेशक राम कुमार गौतम ने कहा, फरवरी महीने के लिए राशन का आवंटन किया गया है। अगले महीने एपीएल परिवारों को पहले की तरह 14 किलो आटा और 6 किलो चावल प्रति कार्ड दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के ग्रीन कॉरिडोर में सरकार ने 41 और इलैक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन लगाने की स्वीकृति दे दी है। हिमाचल प्रदेश को ग्रीन स्टेट बनाने के लिए सरकार जो प्रयास कर रही है उसके लिए सरकार ने एक हाई पावर कमेटी बनाई है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाल ही में हाई पावर कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया है कि ग्रीन कॉरिडोर में अधिक से अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। अभी तक 23 स्टेशन बना दिए गए हैं, लेकिन इस साल 41 और स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके साथ ही हिमाचल में पेड़ कटान पर पहले से प्रतिबंध है और अभी सरकार ने कुछ और प्रजातियों के पेड़ों को काटने पर भी रोक लगाई है।सरकार ऐसे काम करना चाहती है, जिससे प्रदूषण न हो और हिमाचल ग्रीन स्टेट के रूप में जाना जाए। इससे हिमाचल को ग्रीन बोनस मिलने में भी आसानी होगी। परिवहन विभाग के निदेशक डीसी नेगी ने बताया कि जियो, बीपी कंपनी मंडी-जोगिंद्रनगर-पठानकोट के साथ कीरतपुर-मनाली-केलांग ग्रीन कॉरिडोर पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बना रही है। ईवीआई टेक्नोलॉजी कंपनी परवाणू-ऊना-संसारपुर टैरेस-नूरपुर और परवाणू- शिमला-रिकांगपिओ-लोसर ग्रीन कॉरिडोर पर इस कार्य को कर रही है। इलेक्ट्रो वेब कंपनी शिमला-हमीरपुर-चंबा ग्रीन कोरिडोर को विकसित करने का काम करेगी। दोनों चयनित कंपनियां 75 लाख रुपए प्रति वर्ष लीज मनी के रूप में सरकार को देगी। बीते 10 दिसंबर को इस संबंध में परिवहन विभाग ने दो कंपनियों के साथ चार ग्रीन कोरिडोर में सुविधाएं बढ़ाने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया था। प्रदेश में अभी ईवी चार्जिंग स्टेशन की संख्या 23 है, जो दिसंबर महीने तक बढक़र 64 हो जाएगी। बीते 10 दिसंबर को इस संबंध में सरकार ने कंपनियों के साथ एमओयू साइन किया था। हाई पावर कमेटी की बैठक में इसको लेकर चर्चा की गई है। कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए जो भी औपचारिकताएं हैं, उन्हें जल्द पूरा करें। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम भी प्रदेश के सभी बस अड्डों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगा। उसने कुछ नए बस अड्डों पर इसकी सुविधा तैयार कर ली है। इसके लिए एचआरटीसी को नाबार्ड के तहत 100 करोड़ मंजूर हुए हैं। अभी शिमला, धर्मशाला, कुल्लू सहित कुछेक स्थानों पर ही इवी चार्जिंग स्टेशन की सुविधा है, क्योंकि एचआरटीसी के बेड़े में इलेक्ट्रिक व्हीकल बड़ी संख्या में आने वाले दिनों में शामिल होंगे, लिहाजा उनके लिए चार्जिंग स्टेशन भी सभी स्थानों पर चाहिए। फिलहाल ग्रीन कोरिडोर में लगभग सभी जगहों पर सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
शिमला: हिमाचल प्रदेश में बीते 24 घंटों के दौरान ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले इलाकों में बारिश ने प्रदेशवासियों को कड़ी ठंड का सामना कराया। मौसम विभाग के अनुसार, 13 जनवरी से मौसम साफ रहने की संभावना है, लेकिन 15 जनवरी से फिर से बारिश और बर्फबारी के आसार हैं। मौसम विभाग ने बताया कि पिछले 24 घंटों में गोंडला में 6 सेंटीमीटर, कोठी, खदराला और नशल्लारू में 5 सेंटीमीटर, जोत और भरमौर में 4 सेंटीमीटर, हंसा में 2.5 सेंटीमीटर, कुफरी में 2 सेंटीमीटर, कल्पा में 0.8 सेंटीमीटर और कुकमसेरी में 0.5 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई। शिमला के सराहन में 18.1 मिलीमीटर, रोहड़ू में 15 मिलीमीटर, पच्छाद में 5.1 मिलीमीटर और मनाली में 5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। 13 और 14 जनवरी को मौसम साफ रहेगा, लेकिन 14 जनवरी रात से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के बाद 15 जनवरी से प्रदेश के ऊंचाई और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। हालांकि, निचले इलाकों में इसका असर कम रहेगा। प्रदेश में 12 जनवरी को सिरमौर जिले के धौला कुआं में 15.7 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किया गया, जबकि लाहौल-स्पीति का ताबो -5.2 डिग्री सेल्सियस के साथ प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान रहा।
बर्फबारी के बाद हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार हो गए हैं। बर्फबारी का लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी हिमाचल के पर्यटन स्थलों का रुख कर रहे हैं। रविवार को शिमला और मनाली में सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ी। बर्फ में अठखेलियां करने के लिए सैलानी शिमला के कुफरी और रोहतांग टनल के पास सिस्सू पहुंचे। नए साल के जश्न के बाद हिमाचल में सैलानियों की आवाजाही बढ़ गई है। बर्फबारी सैलानियों को खासा आकर्षित कर रही है। शनिवार रात हुई बर्फबारी के बाद रविवार को पूरे दिन शिमला और मनाली में सैलानियों के पहुंचने का क्रम जारी रहा। पर्यटक वाहनों की संख्या बढ़ने पर ट्रैफिक जाम की समस्या भी पेश आई। शिमला और मनाली के अलावा पर्यटक कसौली, चायल, धर्मशाला और डलहौजी भी पहुंच रहे हैं। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से पर्यटन कारोबारी खासे उत्साहित हैं। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन पॉल का कहना है कि नए साल पर बर्फबारी से टूरिस्ट की संख्या बढ़ रही है। आने वाले दिनों में भी अगर बर्फबारी का क्रम जारी रहता है तो टूरिस्ट आते रहेंगे और बढि़या कारोबार होगा। ऑल हिमाचल कॉमर्शियल व्हीकल ज्वाइंट एक्शन कमेटी के चेयरमैन राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि नए साल में भी लगातार टूरिस्ट प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पहुंच रहे हैं। कालका शिमला रेलवे ट्रैक से भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट शिमला पहुंच रहे हैं। मनाली के द तारागढ़ पैलेस के संचालक सन्नी शर्मा ने बताया कि बर्फबारी से टूरिस्ट सीजन को बूस्ट मिला है। बर्फबारी होते ही एकाएक पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। बड़ी संख्या में टूरिस्ट बर्फबारी को लेकर इंक्वायरी भी कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के नालदेहरा पंचायत के झोलो गांव के पास खेत समतल करते वक्त जेसीबी मशीन से गिरते पत्थरों की चपेट में आने से एक दादी और उनकी पोती की मौत हो गई। यह दर्दनाक हादसा उस समय हुआ जब दोनों घास काटने के लिए खेत में गई थीं। अचानक जेसीबी से पत्थर गिरने के कारण दोनों उसकी चपेट में आ गईं और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। मृतकों की पहचान 70 वर्षीय गीता देवी और उनकी 21 वर्षीय पोती वर्षा के रूप में हुई है। वर्षा शिमला के आरकेएमवी कॉलेज में बीकॉम फाइनल वर्ष की छात्रा थी। यह हादसा रविवार दोपहर करीब 1:00 बजे हुआ, जब झोलो गांव में खेत को समतल करने का काम चल रहा था। गीता देवी और उनकी पोती घास काटने के लिए खेत के नीचे जा रही थीं। इस दौरान जेसीबी से कई बड़े पत्थर पहाड़ी से नीचे गिर गए, जिनकी चपेट में दोनों आ गईं। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने शोर मचाकर उन्हें आगाह करने की कोशिश की, लेकिन तब तक यह हादसा हो चुका था। पंचायत प्रधान सुषमा कश्यप और अन्य ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। पोती का शव पत्थरों की चपेट में आकर नाले की ओर झाड़ियों में फंस गया था, जिसे बाहर निकालने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। पुलिस को सूचना मिलते ही टीम घटनास्थल पर पहुंची और शवों को पोस्टमार्टम के लिए आईजीएमसी अस्पताल भेजा। पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। एडीशनल एसपी रतन सिंह नेगी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। इस हादसे से मृतकों के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, और पूरे गांव में शोक की लहर है।
** सरकार से अपने पैसे नहीं पा रहे हैं लोग, अनिवार्य सेवाओं पर भी पढ़ रहा है असर शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सरकार की नाकामियों की वजह से अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि पिछले दो महीने से प्रदेश की ट्रेजरी अघोषित रूप से बंद है, लोग सरकार से अपने पैसे भी वापस नहीं पा रहे हैं। ट्रेजरी से हर प्रकार के भुगतान रुके हैं जिसकी वजह से प्रदेश का नुकसान हो रहा है। प्रदेश में आज तक ऐसी स्थिति कभी नहीं आई की इस प्रकार से अघोषित रूप से ट्रेजरी बंद करनी पड़ी हो और आम आदमियों से लेकर तमाम सेवाओं के वेंडर्स के भुगतान रुके पड़े हो। आज तक प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं आई की एसेंशियल दवाओं की सप्लाई भी दवा सप्लायरों ने रोक दी हो। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार वह सारे काम कर रही है जो एक नाकाम सरकार की निशानी होती है। इतनी नाकामी के साथ प्रदेश के लोगों को परेशान करने के बाद भी यह सरकार व्यवस्था परिवर्तन का हवाला देकर वाहवाही लूटना चाहती है। सुक्खू सरकार व्यवस्था पतन की सरकार है जिसकी नाकामी की कीमत पूरे प्रदेश के लोग चुका रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समय पूरा प्रदेश सरकार की वजह से परेशानी उठा रहा है। विकास के काम ठप पड़े हैं। स्कूल जैसे संस्थान बंद किए जा रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सरकार बर्बाद करने पर आमादा है। सुख की सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था का जिस प्रकार बेड़ागर्क हुआ है वह पूरे प्रदेश से छुपा नहीं है। दवाइयों के पैसे मांगते-मांगते दवा सप्लायरों ने दवाओं की सप्लाई भी अस्पताल में बंद कर दी है। हिमकेयर के भुगतान रोके जाने की वजह से प्रदेशवासियों को मिलने वाले नि:शुल्क इलाज का रास्ता सरकार बंद कर चुकी है। प्रदेश में जहां भी जाओ लोग सरकार की नाकामी का हवाला दे रहे हैं। सरकार के पास पड़े लोगों के अपने पैसे भी सरकार नहीं दे पा रही है। अस्पतालों में दवाई नहीं है और न ही कर्मचारियों के इलाज के बिल पास हो रहे हैं। ऐसी स्थिति प्रदेश में कभी नहीं आई जब लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया हो। सुक्खू की सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था पतन और सुख की सरकार के नाम पर दुख की सरकार चला रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस प्रकार से ट्रेजरी को अघोषित रूप से बंद करके प्रदेश के विकास कार्यों को कैसे गति दी जा सकती है? सरकार को इसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए। अगर ट्रेजरी बंद होगी तो प्रदेश का काम प्रभावी तरीके से कैसे चलेगा। जिस तरह यह सरकार चल रही है उससे प्रदेश का भला होने वाला नहीं है। आज हर दिन कोई न कोई वर्ग सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है, सरकार को चुनाव और चुनाव के बाद किए गए वादों की याद दिला रहा है। झूठी गारंटियों के दम पर आई कांग्रेस ने अब गारंटियों से किनारा ही कर लिया है। मुख्यमंत्री से निवेदन है कि वह इस तरह की गैर जिम्मेदारी से बचें और लोगों की समस्याओं को समझते हुए ट्रेजरी पर लगाया गया पहरा हटाएं। लोगों के बिलों का भुगतान रोककर इस तरह उन्हें परेशान करना सरकार का काम नहीं है। सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर अराजकता फैलाना बंद करे।
** मुख्यमंत्री ने मसेह खड्ड पर पुल निर्माण की वर्ष 1970 से चली आ रही मांग को किया पूरा मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नादौन विधानसभा क्षेत्र और कांगड़ा जिला के जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्र के दुर्गम इलाकों को जोड़ने के लिए मसेह खड्ड पर 5.11 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले पुल का शिलान्यास किया। इस पुल के निर्माण से प्रदेश के तीन जिलों हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा के लोग लाभान्वित होंगे। पुल के बनने से नादौन की चार ग्राम पंचायतों, ऊना की दो ग्राम पंचायतों और कांगड़ा जिला की छह ग्राम पंचायतों के लगभग 10 हजार लोगों को सुविधा मिलेगी। क्षेत्र के लोगों की वर्ष 1970 से इस पुल को बनाने की मांग थी जिसे वर्तमान राज्य सरकार ने पूरा कर दिया है। इस पुल के बनने से नादौन और बंगाणा के मध्य दूरी लगभग 7.50 किमी तथा नादौन-पीर सलूही के बीच की दूरी लगभग 6 किमी तक कम हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की जनता को बधाई देते हुए कहा कि पुल का निर्माण एक वर्ष के भीतर कर दिया जाएगा, जिससे लोगों को सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि गांव की सड़क को भी पक्का किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश का एक समान विकास सुनिश्चित कर रही है ताकि लोग लाभान्वित हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि नौरी गांव के लोगों ने इस पुल को बनाने की मांग को लेकर उनसे कई बार भेंट की। कांग्रेस नेता सुरेंद्र मनकोटिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का जसवां प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता के साथ विशेष स्नेह है तथा कांगड़ा जिला के विकास के लिए उन्होंने कई योजनाओं की सौगात दी है जिनका लाभ जसवां प्रागपुर की जनता को भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आपदा के दौरान अपनी जीवन भर की पूंजी प्रभावित परिवारों के लिए दान कर दी। बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़कर मुख्यमंत्री ने एक मिसाल पेश की है। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर भगत सिंह ठाकुर,अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी हमीरपुर राहुल चौहान सहित पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधि व अन्य लोग उपस्थित रहे।
हिमाचल में मौसम ने फिर करवट बदली है। एक सप्ताह बाद प्रदेश का मौसम बिगड़ा है। नारकंडा और कुफरी समेत ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शनिवार रात को बर्फबारी हुई है। इससे देश-विदेश से यहां घूमने के लिए आने वाले सैलानी चहक उठे हैं। बर्फबारी के कारण एनएच 5 पर वाहनों की आवाजाही अवरुद्ध हो गई है। इस वजह से एनएच पर बसों की आवाजाही बंद रही। इसके अलावा चौपाल मार्ग भी बंद है। सड़कों को खोलने का कार्य जारी है। मौसम में आए अचानक बदलाव से शनिवार रात को चंबा के प्रसिद्द पर्यटन स्थल डलहौजी के लक्कड़मंडी, डायन कुंड और ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हुई। रविवार कि सुबह बर्फ की सफेद चादर देख पर्यटक भी खुशी से झूम उठे। इस ताजा बर्फबारी से पर्यटन व्यवसायी भी खुश हैं। इस बर्फबारी से समूचा क्षेत्र ठंड की चपेट में हैं। वहीं, लाहौल सहित प्रदेश की ऊंची चोटियों पर शनिवार को बर्फबारी हुई, मैदानों में कोहरा छाया रहा। इससे प्रदेश में ठंड में इजाफा हुआ है। शनिवार को बदले मौसम के बीच अधिकतम पारे में शुक्रवार के मुकाबले आठ डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज हुई। रविवार को बारिश-बर्फबारी होने का पूर्वानुमान है। बिलासपुर, ऊना, कांगड़ा और मंडी के कई क्षेत्रों में शनिवार को सुबह और शाम के समय घना कोहरा छाया रहा। रविवार को भी कोहरा पड़ने का येलो अलर्ट जारी हुआ है। ऊना में शनिवार को ट्रेनें ढाई से तीन घंटे देरी से पहुंचीं। मैदानी जिलों में सुबह 11 बजे के बाद धूप खिली। अपराह्न चार बजे फिर कोहरा छा गया। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 13 से 16 जनवरी तक मौसम साफ रहने की संभावना जताई है। 17 को फिर बारिश- बर्फबारी के आसार हैं। लाहौल में रुक-रुक कर बर्फबारी होती रही। इससे कुल्लू से लेकर लाहौल तक ठंड व शीतलहर का प्रकोप बढ़ गया। रोहतांग दर्रा के साथ कुंजम दर्रा, बारालाचा, शिंकुला व जलोड़ी दर्रा में फाहे गिरने से तापमान में कमी आई है। सोलंगनाला से आगे पर्यटक वाहनों के जाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। फोर बाई फोर वाहनों को ही जाने की अनुमति है। ऊना में शनिवार को ट्रेन नंबर 19307 तीन घंटे और दिल्ली एक्सप्रेस ढाई घंटा देरी से ऊना स्टेशन पहुंची। 12 जनवरी को मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर बारिश-बर्फबारी व निचले पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं।
शिमला : पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में कहा है कि सरकार के नेताओं के बड़े-बड़े दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। उनके हर दावे सरकार के झूठों की फ़ेहरिस्त लंबी करते है और यह भी साफ़ हो जाता है कि सरकार में किसी प्रकार का समन्वय नहीं हैं। लाखों प्रशिक्षित बेरोजगार और अभ्यर्थी पूछ रहे हैं कि लंबित परिणाम निकलेंगे भी या अभी भी इंतज़ार ही करना पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके 11 दिसंबर को बिलासपुर में सरकार के गिरते पड़ते दो साल का जश्न मना रही थीं तो कुछ नेता अति उत्साह में गला फाड़-फाड़ कर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे। इसी में एक दावा यह भी था कि एक महीने में कर्मचारी चयन आयोग में लंबित सभी परीक्षा परिणाम जारी किए जाएंगे। आज एक माह पूरा हो चुका है और उनके दावे के अनुसार एक भी परिणाम नहीं निकल पाया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि कहीं वह नेता सिर्फ अखबारी सुर्खियां पाने के लिये ऐसी टिप्पणी और बयानबाजी तो नहीं करते हैं या फिर उनकी आदत भी झूठ ही बोलने की हो गई है। या उनकी बात कहीं सुनी नहीं जा रही है इसलिए वह मंचों से बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने झूठ बोलकर सत्ता तो हथिया ली लेकिन अब अपने किये वायदों से भी मुकर रही है। कहा था हर साल एक लाख सरकारी नौकरी हम दिलाएंगे लेकिन अभी तक ये सरकार हमारी सरकार के समय में शुरू की भर्तियां ही कर पा रही है। दो साल से ये सरकार लंबित परीक्षा परिणाम तक जारी नहीं कर पाई है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये सरकार नौकरी देने वाली नहीं छीनने वाली सरकार के रूप में जानी जाएगी। इन्होंने डेढ़ लाख से अधिक खाली पद खत्म कर दिये हैं। अब आउटसोर्स भर्तियां भी इनकी नालायकी से हाईकोर्ट को बंद करनी पड़ रही है क्योंकि हाईकोर्ट ने इनकी आउटसोर्सिंग एजेंसियों की भर्ती प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े किये हैं। फ़िनाइल बेचने वाली कंपनियों को आउटसोर्स के लिए लिस्ट करने पर हाई कोर्ट ने सवाल उठाए थे। जो पहले से तैनात हैं उनको ये सरकार पगार नहीं दे पा रही है। यही नहीं हमारे समय में नियुक्त ऐसे कर्मचारियों को इस सरकार ने नौकरी से ही हटा दिया और इन्होंने तो वायदा किया था कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए हम पालिसी लेकर आएंगे। अब ये सरकार न पॉलिसी बना पा रही है और न रोजगार दे पा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और पूरी सरकार झूठ बोलकर समय निकाल रहे हैं। अगर कोई किया हुआ वायदा पूरा नहीं कर सकते हैं तो ऐसे वादे इनके नेताओं को करने भी नहीं चाहिये थे। सिर्फ अपनी साख बचाने के लिए झूठ का सहारा लिया जा रहा है जो ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा। एक एक करके इनके दावों की पोल खुलती जा रही है और जनता इनके कारनामों पर हंस रही है।
**नशा तस्करी के मामले में पिछले दशक में 340 प्रतिशत की वृद्धि, स्थिति गंभीर हिमाचल सरकार ने पिछले तीन सालो में प्रदेश में नशा तस्करी करने वाले तस्करों की 16 करोड़ की अवैध संपत्ति को जब्त किया है। हिमाचल प्रदेश में बढ़ रहे नशा तस्करी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। पिछले एक दशक में तो बढ़ रहे इन मामलो में 340 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा आयोजित ‘नशीली दवाओं की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सम्मेलन में नादौन से आभासी माध्यम से भाग लिया और बढ़ते नशे के संकट से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश की प्रतिबद्धता पर बल दिया। सम्मेलन में नशीले पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें आठ उत्तरी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर विशेष ध्यान दिया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में नशीले पदार्थों की तस्करी के मामलों में 340 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2012 में लगभग 500 मामलों से बढ़कर वर्ष 2023 में 2,200 मामले हो गए हैं। इसके अतिरिक्त, हेरोइन से जुड़े मामलों का प्रतिशत भी दोगुना हो गया है, जो वर्ष 2020 में 29 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2024 में 50 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने सिंथेटिक दवाओं की चिंताजनक स्थिति का उल्लेख किया, जोकि दुष्प्रभावी होने के साथ-साथ इसकी रासायनिक संरचना के कारण नियंत्रित करना भी कठिन है। उन्होंने नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से अंतरराज्यीय सीमावर्ती क्षेत्रों में, जो अवैध गतिविधियों का केंद्र बन चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी अक्सर संगठित अपराध और आतंकवाद का कारण बनती है, जो देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए बढ़ा खतरा पैदा करती है। उन्होंने कानून प्रवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और न्यायिक सुधारों के समन्वयन से मादक पदार्थों को नियंत्रित करने के लिए हिमाचल प्रदेश की बहुआयामी रणनीति को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि नशे की लत से पीड़ित लोग स्वभाव से अपराधी नहीं होते। उन्होंने कहा, ‘हमारा दृष्टिकोण दंडात्मक उपायों से आगे बढ़कर मज़बूत पुनर्वास ढांचा विकसित करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य विधायिका ने एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 37 में संशोधन किया है, ताकि आदतन अपराधियों को जमानत हासिल करने की अनुमति देने वाली कानूनी खामियों को दूर किया जा सके। इस संशोधन से कानूनी ढांचा मज़बूत हुआ है, जिससे यह अधिक कठोर और निवारक बन गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांस (पीआईटी-एनडीपीएस) अधिनियम को राज्य में लागू करने के बाद अवैध तस्करी की रोकथाम शुरू कर दी गई है। यह अधिनियम मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों में लगातार शामिल अपराधियों को हिरासत में लेने में सक्षम बनाता है, जिससे सार्वजनिक हितों की रक्षा होती है। ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले तीन वर्षों में 16 करोड़ रुपये की अवैध रूप से अर्जित संपत्ति जब्त की है, जिसमें पिछले वर्ष जब्त किए गए 9 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि राज्य मादक पदार्थों और नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए समर्पित एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन करने जा रहा है, जिसके पास विशेष संसाधन, स्वायत्तता और समर्पित पुलिस स्टेशन होंगे, ताकि नशीले पदार्थों के नेटवर्क के खिलाफ अभियान तेज़ किया जा सके। मुख्यमंत्री ने खुफिया जानकारी साझा करने और संयुक्त अभियानों को मज़बूत करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग के महत्व पर, खासकर सीमा पार नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों और केंद्र सरकार के साथ सहयोग क्षेत्रीय सीमाओं पर सक्रिय तस्करी नेटवर्क को खत्म करने में महत्त्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि हमारे सामने चुनौतियां बहुत बड़ी हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश के लोगों के अटूट समर्थन, हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समर्पण और पुनर्वास के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ, हम एक नशा मुक्त राज्य बना सकते हैं। हम सब मिलकर शांति, सद्भाव और सुरक्षा के मूल्यों की रक्षा करेंगे, जिन्हें हिमाचल प्रदेश ने हमेशा कायम रखा है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बीते दिन हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड, ऊर्जा विभाग व अन्य उपक्रमों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि विद्युत बोर्ड को और अधिक दक्ष व व्यावसायिक बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार निरंतर कार्य कर रही है। बोर्ड की गतिविधियों को सशक्त बनाने के लिए नवोन्वेषी प्रयास किए जा रहे हैं। बैठक में यह अवगत करवाया गया कि राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा उपभोक्ताओं की केवाईसी प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए अंतिम तिथि 15 फरवरी, 2025 निर्धारित की गई है। मुख्यमंत्री ने सम्पन्न विद्युत उपभोक्ताओं से स्वैच्छिक तौर पर सब्सिडी छोड़ने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने बोर्ड की विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए । उन्होंने निर्माणाधीन विद्युत परियोजनाओं की भी विस्तृत जानकारी ली। बैठक में विधायक संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
**समस्याओं का समाधान न हुआ तो करेंगे धरना-प्रदर्शन आज शिमला में जल शक्ति विभाग शक्ति विभाग के पैरा यूनियन वर्कर के प्रदेश अध्यक्ष महेश शर्मा ने शिमला में प्रेसवार्ता के माध्यम से पैरा वर्करों की समस्याएं और मांगे सबके समक्ष रखी। जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि साल 2017 में बिना किसी पॉलिसी के जल शक्ति विभाग में पैरा वर्करों की नियुक्तियां की गई। लेकिन आज भी उनके कम वेतन ये कर्मचारी तय समय से ज्यादा घंटे अपनी सेवाएं दे रहे है। उन्होंने कहा की 2017 में जल शक्ति विभाग में पैरा वर्करों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में नियुक्त किया गया था - पैरापंप ऑपरेटर, परफेटेर और मल्टीपर्पस वर्कर। उनका वेतन औसतन ₹5000 से ₹6300 तक है, जबकि इनकी कार्य अवधि छह घंटे निर्धारित है, लेकिन इतनी ठंड में भी वे अक्सर 10-12 घंटे अपनी सेवाएं दे रहे है। कर्मचारियों को न तो मेडिकल लीव मिलती है और न ही कोई अवकाश। इसके बावजूद तो कई कर्मचारी जनजातीयक्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे है उनको तो सेवा देने के लिए भी 100-100 किलोमीटर तक यात्रा करनी पड़ती है, फिर भी वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। क्या है मांगे : पैरापंप ऑपरेटर और परफेटेर के लिए 60 रुपए प्रति घंटा वेतन। मल्टीपर्पस वर्करों के लिए 50 रुपए प्रति घंटा वेतन। स्थायी नीति लागू की जाए। सरकार द्वारा दिए गए कोटे को खत्म किया जाए: 15% कोटा पंप ऑपरेटर और परफेटेर के लिए और 10% मल्टीपर्पस वर्करों के लिए, और पांच साल की स्थायी नीति को सरकार स्वीकार करे। महेश शर्मा ने बताया कि अपनी मांगो को लेकर वो पहले भी धर्मशाला और शिमला में प्रदर्शन का चुके है लेकिन इस दौरान जल शक्ति विभाग की तरफ से मुकेश अग्निहोत्री उनसे मुलाकात करने के लिए तक नहीं आये जिसका उन्हें खेद है। हालाँकि धर्मशाला में सीएम सुक्खू से हुई मुलाकात में कर्मचारियों ने अपनी समस्याएं उठाई। सीएम ने कहा कि आप अपने काम पर टिके रहो। लेकिन अब कर्मचारियों का कहना है कि हमे टिके हुए सात साल हो गए है। और अब उन्हें अपनी मांगों के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। जल शक्ति विभाग के पैरा वर्करों ने कहा है कि आगामी बजट सत्र में वे शांतिपूर्वक मुख्यमंत्री सुक्खू से मुलाकात करने का प्रयास करेंगे और अपनी मांगों को उनके समक्ष रखेंगे। अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
** एक वर्ष में प्राकृतिक खेती पद्धति से जोड़े जाएंगे एक लाख किसान परिवार मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बीते कल कृषि विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए विभाग के अधिकारियों को प्रदेश में प्राकृतिक खेती से गेहूं व मक्की उगाने वाले क्षेत्रों की मैपिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषि विभाग के सभी फार्म को सिर्फ प्राकृतिक खेती पद्धति से ही खेती करने के लिए विकसित किया जाएगा। आगामी वर्ष से इन सभी में प्राकृतिक खेती की जाएगी। यहां प्राकृतिक खेती करने के लिए बीजों का उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं व मक्का के भंडारण के लिए हाई एंड तकनीक से भंडारण केन्द्र का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष में एक लाख परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। उन्होंने हमीरपुर के ताल में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की संभावना तलाश करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का विकास खंड के आधार पर डेटा तैयार किया जाए और इसे हिम परिवार से भी जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के दौरान यदि फसल किसी बीमारी से ग्रसित होती है तो उसका उपचार भी प्राकृतिक पद्धति से ही किया जाना चाहिए। उन्होंने प्राकृतिक खेती के बीजों का प्रमाणीकरण करने के लिए प्रक्रिया निर्धारित करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के दृष्टिगत भूमि व बीज की जांच के लिए प्रदेश में हाई-एंड प्रयोगशालाएं खोली जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करने को विशेष अधिमान दे रही है। इसी दिशा में नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में हल्दी व अदरक के प्रसंस्करण के लिए प्रसंस्करण संयंत्र खोलने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर मंे डेयरी आधारित डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किये जाएंगे ताकि प्रदेश के युवाओं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती पद्धति के उत्पादों के प्रभावी विपणन के लिए ई-कामर्स वेबसाइट से समन्वय करने के निर्देश भी दिए। बैठक में यह अवगत करवाया गया कि प्रदेश मे खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान प्राकृतिक खेती से उगाई गई 3989 क्विंटल मक्का की खरीद की गई है तथा आगामी रबी सीजन के दौरान प्राकृतिक खेती से उगाई गई 8050 क्विंटल गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। बैठक में कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार, उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, सचिव कृषि सी पालरासु, निदेशक डिजीटल प्रौद्योगिकी एवं नवाचार डॉ. निपुण जिंदल, निदेशक कृषि कुमुद सिंह, कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक हेमिस नेगी, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
शिमला जिले के रामपुर उपमंडल के ननखड़ी की खोली घाट पंचायत में एक दर्दनाक घटना घटी, जब एक दो मंजिला मकान में आग लग गई। आग इतनी तेज़ी से फैली कि पूरा मकान आग की लपटों में समा गया और घर में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। इस घटना में परिवार के पांच सदस्य बेघर हो गए हैं। घटना करीब तीन बजे के आसपास हुई, जब घर के सभी सदस्य अपने-अपने कामों पर गए हुए थे। मकान बणी बासा गांव के निवासी राम लाल का था। ग्राम पंचायत प्रधान अनिता ने बताया कि आग की लपटें इतनी भयंकर थीं कि घर का पूरा सामान जलकर राख हो गया, जिसमें कपड़े, बर्तन और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल थीं। उन्होंने कहा कि इस घटना की जानकारी प्रशासन को दे दी गई है और ग्राम पंचायत की ओर से भी मदद की जाएगी। इसके अलावा, अनिता ने अन्य स्थानीय लोगों से अपील की कि वे पीड़ित परिवार की सहायता करें। पीड़ित परिवार के सदस्य राम लाल ने बताया कि उन्हें आग लगने की खबर तब मिली जब वे अपने काम से घर लौटे। घर की हालत देखकर वे बेहद दुःखित थे, हालांकि आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है।